Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 04:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कोमल टकटकी लगाए कभी अपनी मां की तरफ तो कभी शुभम की तरफ देख ले रही थी,,, अजीब सी हलचल उसके अंदर चल रही थी रात का समय था ऐसे में वह इस तरह से घर के पीछे शुभम कि और उसके मां के बीच के संबंध का राज अपनी मां को बताने के लिए अपनी मां के पीछे पीछे चल कर आई थी उसे नहीं मालूम था कि उसकी मां को पीछे आता देखकर शुभम भी उसके पीछे पीछे आ जाएगा उसका इस तरह से उसकी मां के पीछे आना ही उसके चरित्रहीन का सबूत पेश कर रहा था क्योंकि भले ही वह अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बना चुका था लेकिन उसके लिए आप दुनिया की सभी औरतों के साथ किसी भी प्रकार का पवित्र रिश्ता की भावना उसके मन में बिल्कुल भी नहीं थी तभी तो वह,,, इस तरह से अपनी बड़ी मामी को प्यासी नजरों से देखता हुआ पैंट के ऊपर से ही अपना लंड दबा रहा था। यही सब कोमल अपने मन में सोच रही थी और बराबर दोनों पर नजर रखी हुई थी कोमल तो इसी मौके की तलाश में थी कि शुभम उसकी मां के साथ कुछ ऐसा वैसा हरकत करें और मौका देख कर कोमल अपने मन में चल रही हलचल को बाहर निकाल दे वरना वह कभी भी अपनी मां से उन दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में नहीं बता पाएगी,,,।
अभी भी कोमल की मां चारों तरफ देखकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी क्योंकि रात होने के बावजूद भी चारों तरफ हल्का हल्का चांद की रोशनी में सारा वातावरण नहाया हुआ था और वैसे मैं किसी का भी इस अवस्था में नजर पड़ जाना लाजमी ही था वह तो अच्छा हुआ कि रात का समय था इसलिए पीछे कोई आता नहीं लेकिन इस समय की बात कुछ और थी।
शुभम के बदन में भी हलचल मची हुई थी क्योंकि कुछ देर पहले ही वह औरतों की मटकती हुई गांड को देखकर उनके नृत्य का आनंद ले कर उत्तेजित हो चुका था। और इस समय वह बुर के लिए तड़प रहा था वह चाहता तो अपनी मा से कह कर उसे कमरे में चलने के लिए कह सकता था और वहां जाकर वहां अपने लंड की तड़प को मिटा सकता था लेकिन जानता था कि उसकी मां वहां से जाने वाली नहीं है क्योंकि अगर वह इस तरह से बीच में उठ कर चली जाती तो लोगों को अच्छा नहीं लगता,,, वह यह मन में सोच कर परेशान हो रहा था कि चलो उसकी मां ना सही उसकी मामी ही सही,,, एक हाथ से पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए अपनी मामी की तरफ देख रहा था और वह जानता था कि उसकी मामी,,, अपनी साड़ी उठाकर, पेशाब करने के लिए बैठने वाली है ऐसा अद्भुत और मादक नजारा के बारे में कल्पना करके ही वह कामोत्तेजित हुआ जा रहा था।,,, और देखते ही देखते कोमल की मां अपनी साडी पकड़कर ऊपर की तरफ धीरे-धीरे उठाने लगी,,, खुदा की तो सांसे ही अटक गई थी वह सांसों को थामे सामने के नजारे को अपनी आंखों से पीने की भरपूर कोशिश कर रहा था,,,,।
कोमल भी अच्छी तरह से जानती थी कि कुछ ही देर में इसकी मां की बड़ी बड़ी गांड शुभम की आंखों के सामने नंगी होगी उसे इस तरह से शुभम को उसकी मां की नंगी गांड को देखना अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन वह पूरी तरह से मजबूर थी क्योंकि वह तो मौके की तलाश में थी और अपने मन की बात कहने के लिए उसे इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था इसलिए वह मनमारके इंतजार करने लगी,,,।
एक तरफ तो उसे इस अवस्था में अपनी मां को देखने में और शुभम जो की ऊसकी मां को देख रहा था,,, यह सब से उसे अंदर ही अंदर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों उसके तन-बदन में अजीब सी हलचल भी मची हुई थी चाहती तो वह इसी समय चिल्लाकर अपनी मां के सामने शुभम और उसकी मां का भांडा फोड़ सकती थी लेकिन ना जाने कौन सा अजीब आकर्षण सा हुआ जा रहा था कि वह,,, ना चाहते हुए भी सब कुछ अपनी आंखों से देखे जा रही थी,,,, क्योंकि उसके अंदर एक अच्छी सी उत्सुकता जगने लगी थी और वहं भी इसकी उत्सुकता की उसकी मां की बड़ी-बड़ी नंगी गांड को देखकर एक लड़का क्या सोचता है,,, उसे कैसा अनुभव होता है और यही देखने के लिए वह सब्र कर रही थी ताकि शुभम के अंदर क्या चल रहा है इस बात का पता लगाया जा सके,,,।
वैसे दोपहर में जो चुदाई का नजारा उसने कमरे के अंदर और भाभी एक मां और बेटे के द्वारा देखी थी उसे देखते हुए उसके मन में बार-बार अजीब सी हलचल महसूस हो रही थी उसकी आंखों के सामने वही द्गश्य बार-बार नाच जा रहा था,,,। और इस समय उसकी तन-बदन में उसी कामुकता भरी नजारे का ही असर था कि एक बेटी होने के बावजूद भी वह एक लड़के को अपनी मां को नंगी होते हुए देखना चाह रही थी,,,, भले ही उसका इरादा कुछ और हो लेकिन भावनाएं बट चुकी थी।
कोमल की सांसो की गति तीव्र होती जा रही थी और सामने उसकी मां धीरे-धीरे अपनी साड़ीे को उठाकर घुटनों तक कर ली थी,,,, कोमल की नजरे बराबर शुभम पर उसकी मां पर टिकी हुई थी,,, घर के पीछे तक ढोलक की आवाज़ आ रही थी,,, जिसकी आवाज के साथ थाप लगाते हुए औरतें नाच रहीे थी।,, कोमल के मन में थोड़ी बहुत घबराहट का एहसास हो रहा था,,, उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई इधर आ ना जाए और उन लोगों को इस हाल में ना देख ले।,,, क्योंकि इस समय कोई भी उसे इस हाल में देख लेगा तो ना जाने मन में क्या सोचेगा क्योंकि वह खुद सबसे पीछे खड़ी थी। शुभम उसके आगे पेड़ के पीछे खड़ा था और उसकी मां जो कि इस समय साड़ी को उठाकर घुटनों तक लाकर इधर-उधर देख रही थी वह खड़ी थी,,, सच में अगर कोई भी उन लोगों को इस हाल में देखता तो उसके मन में उन तीनों के प्रति ना जाने कैसे विचार मन में उमड़ने लगते इसलिए कोमल इधर उधर देख ले रही थी।,,,
शुभम के साथ-साथ कोमल की भी सांसे थम गई थी नजारा ही कुछ ऐसा था की कोमल भी व्याकुल मन से अपनी मां की हरकत को देख रही थी चारों तरफ से तसल्ली कर लेने के बाद कोमल की मम्मी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और अगले ही पल वह अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा दी यह नजारा देखते ही कोमल के भी बदन में सुरसुराहट होने लगी खास करके कोमल के बदन में हो रही अजीब सी हलचल इस बात से थी कि शुभम उसकी मां की नंगी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा था और कहीं ना कहीं यह बात कोमल को आकर्षित भी कर रही थी,। कोमल की मम्मी कुछ देर तक यूं ही साड़ी को कमर तक उठाए अपनी नंगी गांड का प्रदर्शन करती रहे लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि उसे इस हाल में खुद उसकी लड़की और उसका भांजा शुभम देख रहे हैं। अपनी मां की बड़ी-बड़ी और नंगी गांड देखकर खुद कोमल की बुर में अजीब सी शुरसुराहट होने लगी,,,,।
शुभम तू अपनी आंखों के सामने औरत की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को देखकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया और उससे रहा नहीं गया, कोमल की मां पेशाब करने के लिए नीचे बैठे थे इससे पहले भी शुभम ने अपने थे पजामे को नीचे सरका कर अपने मोटे तगड़े लंड को बाहर निकालकर हिलाने लगा,,, कोमल की नजर जैसे ही शुभम की इस हरकत पर गई उसकी सांसो की गति उत्तेजना की वजह से तीव्र होने लगी वह साफ-साफ देख पा रहेी थीे कि शुभम अपने मोटे लंड को पजा तमें से बाहर निकालकर हीला रहा था। शुभम को मोटे लंबे और भयानक लंड को देखकर आश्चर्य से कोमल की आंखें फटी की फटी रह गई,,, जिंदगी में पहली बार वह किसी जवान मर्द के लंड को देख रही थी। कोमल यह नजारा देखकर एकदम से उत्तेजित होने लगी लेकिन यह उत्तेजना उसके समझ के परे था। जांघो के बीच के अंग मे उसे कंपन सा महसूस होने लगा।,,,, कोमल तो एक दम से मदहोश होकर शुभम की तरफ ही देखे जा रही थी और वह था कि अनजाने मे हीं कोमल की उत्तेजना बढ़ाते हुए,, अपने लंड को लगातार हिलाते हुए मुठिया रहा था।,,, शुभम अपनी बड़ी मामी की नंगी गांड को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था।,,, उसके मन में अपनी बड़ी मामी को चोदने का ख्याल पूरी तरह से आ गया था। उसके लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से फुलकर लाल टमाटर की तरह हो गया था। जोकी गुलाबी बुर की पत्तीयों के बीच प्रवेश करने के लिए तड़प रहा था,,,। शुभम जानता था कि यह काम उसके लिए बेहद आसान है क्योंकि एक बार वह अपनी मामी की चुदाई कर चुका था जिससे उसकी मामी पूरी तरह से संतुष्ट भी हुई थी,,,, कोमल की सांसे तीव्र गति से चल रही थी,,, चेहरे पर छाई लालिमा उसके उत्तेजित होने तो सबूत पेश कर रही थी।,,, कोमल कभी अपनी मां की तरफ तो कभी शुभम की तरफ देख नहीं रही थी दोनों तरफ उत्तेजना से भरा हुआ आकर्षण ऊसे अपनी तरफ खींच रहा था।,,,, तभी देखते ही देखते कोमल की मां पेशाब करने के लिए नीचे बैठने लगी जहां पर वह खड़ी थी वहां पर बड़ी बड़ी घास उगी हुई थी,,, जिसकी वजह से कोमल की मां पूरी तरह से बैठ नहीं पाई और वह अपनी गोलाकार भरावदार गांड को घास को स्पर्श ना हो इस तरह से हल्के से ऊपर की तरफ हवा में लेहराते अपनी बुर की गुलाबी छेद में से नमकीन पानी की धार फेंकने लगा। यह देखकर कोमल पूरी तरह से मदहोश होने लगी हालांकि वह पहले भी अपनी मां को इस तरह से पेशाब करते हुए देख चुकीे थी। लेकिन आज बात कुछ और थी क्योंकि आज वह एक जवान लड़के को भी, अपनी मां को पेशाब करते हुए देख रही थी कोमल के तन-बदन में उत्तेजना की चिंगारी भड़क रही थी उसका बदन कसमसा रहा था लेकिन वह अपने बदन में हो रही ईस मादक कसमसाहट को पहचान नहीं पा रही थी।,,,

वातावरण में गूंज रही तबले की आवाज के साथ साथ कोमल मां की बुर से ऊठ रही सीटी की आवाज घुल मिल जा रही थी,, जो कि पूरे माहौल को मादकता से भर दे रही थी,,, शुभम के तन-बदन में कामाग्नि की ज्वाला फूटने लगी, उससे अब यह बेहद मादक नजारा सहा नहीं जा रहा था। सहा भी कैसे जाता जब आंखों के सामने एक औरत अपनी बड़ी बड़ी गांड को किसी स्वादिष्ट पकवान की तरह परोस कर खड़ी हो तो भला कोई कैसे अपने मन को उस पकवान का स्वाद ना चखने के लिए मना पाएगा,,, शुभम से भी रहा नहीं गया और वहां धीरे धीरे अपने लंड को हाथ में पकड़े आगे की तरफ बढ़ने लगा यह देख कर कोमल सचेत हो गई,,,
वह समझ गए कि शुभम कुछ गंदी हरकत जरुर करने वाला है और यही उसके लिए अच्छा मौका भी था लेकिन उसके मन में न जाने कैसी हलचल मची हुई थी कि वह खुद अपनी आंखों से कुछ और भी देखना चाहती थी।


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