Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 04:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
जिसकी उसने शायद कभी कल्पना भी नहीं की थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था बदन मे उत्तेजना की लहर अपना असर दिखा रही थी। खास करके जांघो के बीच गुदगुदी के साथ-साथ कपकपी भी महसूस हो रही थी।,,, जिस तरह से वह जोश के साथ अपने लंड को हाथ में लिए अपनी मामी की तरफ बढ़ रहा था उसे देखते हुए कोमल के मन में अजीब से ख्याल आ रहे थे उसे लगने लगा था कि शुभम कुछ ज्यादा ही करने के फिराक में है। वह कभी शुभम की तरफ तो कभी अपनी मां की तरफ देख रही थी उसकी मां तो बिल्कुल अंजान होकर पेशाब करने में मस्त थी। उत्तेजना और उत्सुकता की वजह से कोमल की सांसें तीव्र गति से चल रही थी।
जैसे जैसे शुभम अपने कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे कोमल के बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी। उसे अपनी बुर मे से कुछ रिश्ता हुआ महसूस हो रहा था जिसको वह समझ नहीं पा रही थी।,,,
शुभम धीरे-धीरे कोमल की मां के बिल्कुल करीब उसके पीछे पहुंच गया उसकी मां और शुभम के बीच का फासला एकदम से कम हो चुका था लेकिन ना जाने किस वजह से कोमल की मां को बिल्कुल भी महसूस नहीं हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है। ऐसा लगता था कि वह कुछ ज्यादा ही मशगुल हो गई थी पेशाब करने में। कोमल को रात की ईस चांदनी ऊजाले में शुभम का मौटा खड़ा लंड साफ नजर आ रहा था,, जिसे देखकर उसके लिए यकीन कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था कि मर्दों का लंड इतना मोटा और तगड़ा होता है। कोमल को उसकी मां की बुर भी साफ नजर आ रही थी जिस पर बाल उगे हुए थे और उसकी गुलाबी फांकें किसी गुलाबी पत्तेी की तरह बाहर को निकली हुई थी। क्योंकि उसकी मां कुछ इस तरह से अपनी भरावदार गांड को हवा में उठाकर पेशाब कर रही थी कि कुछ भी देख पाना असंभव नहीं था। शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसे अपनी बड़ी मामी की रसीली बुर साफ नजर आ रही थी। लेकिन वह इस तरह से खड़े खड़े अपने लंड को उसकी बुर में डाल नहीं सकता था इसलिए वह थोड़ा सा झुक गया और जैसे ही उसे लगने लगा कि अब वह आराम से अपने लंड को उसकी बुर में डाल सकता है तो तुरंत,,, वह अपनी कमर को आगे की तरफ करके,,, अपने लंड कै सुपाड़े को उसकी रसीली बुर से सटा दिया,,,,, जैसे ही कोमल की मम्मी को अपनी बुर पर कुछ स्पर्श होता हुआ महसूस हुआ वह एक दम से चौंक गई,,,, कोमल को भी यही सही मौका लगा शुभम को रंगे हाथ पकड़ वाने का और उसके कामलीला का पर्दाफाश करने का,,, क्योंकि सुबह मैंने अभी मात्र अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बूर से सटाया भर था। वह नहीं चाहते थे कि जिस तरह से शुभम का लंड उसकी मां की बुर में पुऱाघुसकर चुदाई कर रहा था वैसे ही उसकी मां की भी करें,,, आगे बढ़ कर इतने पर ही रोक देना चाहती थी,,, लेकिन इस तरह का मादक नजारे का आकर्षण उसे ऐसा करने से रोक रहा था,,,,। उसका दिमाग कह रहा था कि शुभम को यहीं पर रोक दिया जाए लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था उसके मन में यही आ रहा था कि शुभम थोड़ा और आगे बढ़े,,,, अजीब सी कशमकश में फंसी हुई थी कोमल एक तो वह खुद ही शुभम का पर्दाफाश कर देना चाहती थी और,,, अपनी मां को शुभम से कुछ और ज्यादा करते हुए देखना चाह रही थी। उसकी एक आवाज सब कुछ वही का वही रोक देती, लेकिन इस समय ना तो उसके कदम आगे भी बढ़ रहे थे ना तो उसके मुंह से कुछ शब्द ही निकल रहे थे।,,, वह दीवार के पीछे खड़ी बस अपनी मां को चोंकता हुआ देख रही थी। उसे यह लग रहा था कि शुभम की हरकत पर उसकी मां जरूर उसे डाटेगी और शोर शराबा करेगी तब वह अपना काम कर देंगी।

ओहहहह,,,, ककककक,,,, कोन है ?
( वह चौक ते हुए इतना कहीं ही थी की,,, शुभम अपने दोनों हाथों से उसकी कमर थाम कर अपनी कमर को और ज्यादा आगे की तरफ धकेल दिया जिससे उसका पूरा का पूरा लंड उसकी मां की बुर की गहराई में उतर गया,,,, अनुभवी कोमल की मम्मी इतना तो समझ ही गई थी की उसकी बुर में लंड घुस रहा है,,,, लेकिन किसका और कौन इतनी साहस कर सकता है यह देखने के लिए जैसे ही वह चोंकते हुए पीछे की तरफ गर्दन घुमा कर देखी,,,तो शुभम बोल पड़ा,,,,

मैं हूं मामी,,,
( शुभम की आवाज को पहचान कर ओर उसकी तरफ देख कर उसे तसल्ली हो गई क्या कोई और नहीं बल्कि सुबह भी है तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट फैल गई और वह बोली।)

ओहहहहह तु है। मुझे लगा कोई और है,,।

( कोमल तो यह सुनकर एकदम से सकपका गई उसे झटका सा लगा,,, उसे उन दोनों के बीच की वार्तालाप और हरकत को देखकर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ हुआ देख रही है एक दम सच है। कोमल को उसकी मां की बात सुनकर ऐसा लगने लगा कि दोनों के बीच पहले से यह सब चल रहा है इसे तो लगा था कि उसकी मां शुभम को डांटेगी फटकारोगी,, लेकिन उस की आंखों के सामने नजारा कुछ और ही था।,, उन दोनों के सामने आकर उनके कार्यक्रम को वही का वही रोक देना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि शुभम उसकी मां के साथ आगे बढ़े लेकिन ना जाने कैसी अजीत से हालात सामने आ गए थे कि वह चाहते हुए भी उन्हें रोक नहीं पा रही थी। वह अपनी आंखों से इससे आगे भी कुछ और ज्यादा देखना चाह रही थी।
कोमल अपनी आंखों से साफ-साफ देख पा रहे थे कि जिस तरह से शुभम उसकी मां की कमर को थामे हुए हैं। और उसकी मां उसे रोकने की या तों ऊसे हटाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही है। उसे देखते हुए कोमल समझ गए कि इन दोनों के बीच यह सब चल ही रहा है। तभी वह अपनी मां के मुंह से हल्की सी चीख और सिसकारी की आवाज सुनकर एक दम से चौंक गई,,, और उन दोनों की तरफ ध्यान से देखि तो पाई की शुभम की मोटा लंड ऊसकी मा की बुर की गहराई में पूरा का पूरा समा गया है।

आहहहहहहहह,,,,,,, सससससससहहहहहह,,, शुभम

( अपनी मां की मदद पिचकारी की आवाज कोमल को बेचैन कर रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अगर उसकी मां को दर्द कर रहा है तो वह फिर भी शुभम को रोक क्यों नहीं रही है क्योंकि शुभम उसकी मां की कमर को पकड़ कर अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपने लंड को उसकी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा था,,,। बड़ा अजीब सा नजारा कोमल को लग रहा था क्योंकि उसकी मां झुकी हुई थी और साथ ही शुभम भी झुका हुआ था।,,,,, शुभम के ईस एका एक हमले की वजह से तो घबराहट में उसकी पेशाब ही रुक गई थी,,,, कोमल पूरी तरह से हैरान थी कि उसकी मां भी शुभम का साथ दे रहीे थी। वह उसी तरह से उसी स्थिति में झुकी हुई शुभम से चुदवा रही थी उसे अब इस बात की बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी कि वह घर के पीछे खुले में इस हाल में चुदाई का मजा लूट रही थी। उसे इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी कि कोई भी उधर आ सकता था,,, कोमल की तो हालत खराब हो गई थी आई थी पर्दाफाश करने लेकिन एक और राज उसकी आंखों के सामने नजर आ गया,,,। दोनों मस्ती के सुरूर में खोने लगे थे कोमल की मां शुभम के मोटे लंड का मजा ले रही थी तभी वह बोली,,,,।

धत्,,,, तूने तो मुझे डरा ही दिया पता है मेरी तो पेशाब ही बंद हो गई,,,।

तो क्या हुआ मेरी जान अभी कर लो (शुभम हल्के हल्के अपनी कमर हिलाते हुए बोला,,, कोमल अपनी मां के मुंह से इस तरह से खुले शब्दों मे बात सुनकर एकदम से दंग रह गई,,,, और शुभम भी जिस तरह से बेशर्मों की तरह उसकी मां से बातें कर रहा था वह काफी हैरान कर देने वाला था।,,, कोमल को ना तो अपनी आंखों पर भरोसा हो रहा था ना कानों पर। और विश्वास होता भी कैसे उसकी कल्पना के विपरीत यह नजारा जो की आंखों के सामने था।,,, तभी कोमल की मां बोली,,,।

इधर नहीं सुभम इधर कोई भी आ सकता है अभी सभी औरतें जाग रही हैं,, चल उसके सामने की झोपड़ी में चलते हैं वहां कोई नहीं आएगा,,,,।

तो चलो वही पर तुम्हे आराम से चोदुंगा,,,

रुक जा पहले पेशाब तो कर लुं, तू पहले मैरी बुर से अपना लंड निकाल,,,,

एेसे ही कर लो ना मेरी जान मुझे बहुत अच्छा लग रहा है,,,

तू भी ना बहुत शैतान है,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह फिर से चुदवाते हुए ही पेशाब करना शुरू कर दी,, कोमल तो पूरी तरह से सदमे मे थी। जिस तरह से उसकी मां खुले शब्दों में बातें कर रही थी,,, ऊसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह जो देख रही है और सुन रही है वह हकीकत ही है या कि वह सपना देख रहीे हैं।,,,, उसे गुस्सा भी आ रहा था और जवानी की शुरुआत होने की वजह से एक तरह का आकर्षण भी होता जा रहा था कोमल अपनी आंखों से देख रही थी कि उसकी मां की बुर में सुभम का मोटा लंड अंदर बाहर हो रहा है। और उसकी मां ऐसे हालात में पेशाब भी कर रही हो वास्तविकता यही थी कि यह नजारा कुछ ज्यादा ही मादक था जिससे कोमल पूरी तरह से प्रभावित होती जा रही थी उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी और उसे उसकी बुर पूरी तरह से गीेली महसूस होने लगी थी। दीवार के पीछे खड़ी होकर वहां अब इस नजारे का पूरी तरह से आनंद ले रही थी यह इसलिए कहा जा सकता था क्योंकि अगर वह चाहती तो यह सब होने से पहले ही दोनों को रोक सकती थी। लेकिन वहां दोनों को रोकी नहीं उसके मन में कहीं न कहीं उन दोनों को इस स्थिति में देखने का उसका भी मन था।
कोमल की मां पेशाब कर चुकी थी। दोनों सामान्य स्थिति में खड़े हो गए शुभम ने अपने लंड को उसकी ओर से बाहर निकाल लिया था जो कि कोमल की आंखों के सामने बड़े ही भयानक तरीके से ऊपर नीचे होता हुआ हील रहा था। यह देखकर अनजाने में ही कोमल की बुर कुलबुलाने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतना मोटा तगड़ा लंड उसकी मां की बुर के अंदर पूरा का पूरा समा गया था। जब वह दोनों खड़े हुए तो वह दीवार की ओट में छुप गई और उन दोनों का झोपड़ी में जाने का इंतजार करने लगी,,, दोनों जैसे ही झोपड़ी में प्रवेश किए कोमल की नजरें बचाते हुए धीरे-धीरे झोपड़ी के करीब पहुंच गई,,,, झोपड़ी में हल्की सी छोटी सी खिड़की बनी हुई थी और कोमल उसी खिड़की के करीब पहुंच गई,,, और जैसे ही वह खिड़की से अंदर की तरफ झांकी,,,, अंदर का नजारा देखकर वह पूरी तरह से चौक गई,,,, उसकी मां घुटनों के बल बैठ कर शुभम के मोटे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी,, ।

और सुभम हल्के से नीचे की तरफ झुक कर उसकी मां के बिना उसके सारे बटन खोल कर उसकी चूचियों को दबा रहा था,,, कोमल के लिए यह नजारा उसके कोमल मन पर भारी पड़ रहा था। उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से बेशर्मी दिखाते हुए अपने ही भांजे का लंड मुंह में लेकर चूस रही थी। शुभम उसकी मां की नंगी चूचियों को जोर-जोर से दबाता हुआ सिसकारी भी भर रहा था।

ससससहहहहहह मेरी जान बहुत मस्त चूचियां है तेरी इन्हें दबाने में बहुत मजा आता है,,, ऐसे ही चूस मेरा लंड और मैं तेरी चूची दबाता हूं।

( शुभम की यह सब बातें कोमल को बहुत ही गंदी लग रही थी लेकिन फिर भी उसे ना जाने क्यों इन सब बातों में मजा भी आ रहा था उसकी मां और शुभम दोनों एक दूसरे में पूरी तरह से खो चुके थे उन दोनों को यह भी नहीं मालूम था कि बाहर खिड़की से दो आंखें उन्हें ही झांक रही है,,,। सुबह दोनों निश्चिंत होकर एक दूसरे के अंगों से पूरी तरह से मजा ले रहे थे,,,।


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