RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम पूरी तरह से सुगंधा को अपनी बातों की आगोश में ले लिया था और जिसमें से खुद सुगंधा भी निकलना नहीं चाहती थी क्योंकि पहली पहली बार कि वह किसी मर्द से इस तरह की कामुकता भरी बातें कर रही थी इसलिए उसे भी यह सब बेहद आनंददायक लग रहा था। और वह शादी वाली रात से पहले ही अपने आप को उस दिन के लिए सहज कर लेना चाहती थी।,, वह तो बिल्कुल अनजान थी उसे नहीं मालूम था कि वह अपने पति से नहीं बल्कि अपने भांजे सुभम से बात कर रही है।,,,,,, शुभम समझ गया कि सुगंधा पूरी तरह से उसके बाद में आ चुकी है वह बगीचे मैं बनी घास फूस की झुग्गी में अपने लंड को हिलाता हुआ सुगंधा से बातें करते हुए संपूर्ण रूप से कामोत्तेजना का अनुभव कर रहा था।,, जब वह समझ गया कि सुगंधा भी पूरी तरह से तैयार है वह उसकी हर बात मानने के लिए राजी हैं तब वह अपनी आवाज में कामुकता का असर दिखाते हुए बोला।
सुगंधा मेरी जान मुझे अब तुम पर पूरा भरोसा है इसलिए जैसा मैं कहता हूं वैसा ही करो तुम्हें भी बहुत अच्छा लगेगा और मुझे भी,,,,
हमममनन,,,,, ( सुगंधा भी हामी भरते हुए उत्तेजनात्मक स्वर में बोली)
सुगंधा अब तुम अपने सलवार की डोरी खोलो,,,।
( इतना सुनते ही सुगंधा की सांसो की गति तेज होने लगी,,, वह तुरंत अपने होने वाले पति की बात मानते हैं मोबाइल को कान के पास लगाकर दोनों हाथों से धीरे-धीरे अपने सलवार की डोरी को खोलने लगी,,, वह अभी खोल ही रही थी कि तभी शुभम बीच में बोला,,,।
क्या हुआ जान खोल रही हो कि नहीं,,,
हममममनम,,,,,
क्या हमम हममम लगाई हो,,,, थोड़ा खुल कर बोलो मेरी रानी तभी तो मजा आएगा,,,,
कौन सो रही हूं (सुगंधा घबराते हुए और उत्तेजित होते हुए बोली)
हां यह हुई ना बात ऐसे कहोगी तभी तो मजा आएगा अच्छा सलवार की डोरी खोल दी कि नहीं,,,,
हां खोल दी हूं,,,
आहहहहहहहहह,,,,, मेरी जान मैं तो सोचकर ही मत होने जा रहा हूं काश मैं अपने हाथों से तुम्हारी सलवार की डोरी खोलता,,,,
खोल लेना आपको किसने इनकार किया है,,,,।
सच मेरी जान तुम बहुत अच्छी हो,,,( सुगंधा को शुभम की यह सब बातें बहुत अच्छी लग रही थी)
अच्छा अब एक काम करो अपनी सलवार को धीरे से नीचे की तरफ सरकाते हुए उसे घुटनों तक ले जाओ,,,
जीईई,,,,, ( इतना कहते हुए सुगंधा अपने होने वाले पति की बात मानते हुए जो कि वह उसका पति नहीं बल्कि शुभम था,,, अपनी गोलाकार सुगठित नितंबों को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा कर अपनी सलवार को नीचे की तरफ ले जाने लगी,, और ऊसै घुटनों तक लाकर छोड़ दि,,, सुगंधा बड़ी उत्सुकता से अपनी गोरी जांघों को देखकर कामोत्तेजना का अनुभव कर रही थी।,, वह अभी इंतजार कर रही थी कि सामने से क्या आदेश आता है,,,, लेकिन कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही क्योंकि शुभम एकदम से चुदवासा होकर अपना लंड मुठीया रहा था।,,, इसलिए जब सामने से कुछ देर तक कोई आवाज नहीं आई तो सुगंधा खुद ही बोली,,,
लो कर ली अब क्या करूं,,,,
( सुगंधा की यह बातें सुनकर शुभम समझ गया कि जिस तरह से वह तड़प रहा है,, उसी तरह से सुगंधा भी तड़प रही है इसलिए वह खुश होता हुआ बोला।।)
घुटनों तक सरका ली,,वाहहहहहह,,,, सुगंधा मुझे पूरा यकीन है कि इस समय तुम बहुत ही ज्यादा सेक्सी लग रही होगी,,, तुम्हारी सलवार घुटनों तक होकर तुम्हें और भी ज्यादा कामुक बना रही होगी,,, तुम्हारी दूधिया चिकनी जांघे ट्यूब लाइट की रोशनी की तरह चमक रही होगी,,, बहुत मजा आएगा मेरी जान तुम्हारी चिकनी जांघो पर अपने होंठ रख कर उसे चुमने में और उसे चाटने में,,,( शुभम की गंदी और कामुकता से भरपूर बातें सुनकर सुगंधा पूरी तरह से उत्तेजना की लहर में में लहराने लगी थी।,, उसकीे मदहोश भरी जवानी उसके तन-बदन में,,, चीकोटी काट रही थी। उत्तेजना के मारे उसकी सांसें गहरी चल रही थी जिसकी आवाज शुभम को फोन पर एकदम साफ सुनाई दे रही थी,। शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
सुगंधा मेरी जान सलवार के नीचे कुछ कह नहीं थी या एकदम नंगी हो,,,,
पहनी हुं,,, ( सुगंधा शरमाते हुए धीरे से बोली,,,।)
ओहहहहह मेरी रानी क्या पहनी हो बोलो ना,,
पैंटी पहनी हु,,,,,
ससससहहहहहहह कौन से रंग की,,,,,?
काली रंग की है।( सुगंधा शरमाते हुए बोली)
ससससहहहहह आहहहहगहहहह,,,, काले रंग की पेंटिं कसम से गोरे रंग पर कहर ढा रही होगी,,,, बहुत खूबसूरत लग रही होगी मैं तो बस कल्पना कर के एकदम मस्त सुबह जा रहा हूं अगर अपनी नजरों से देखूंगा तो पता नहीं क्या हो जाएगा।,,,
( शुभम की बातें सुगंधा की उत्तेजना को बढ़ा रही थी उसकी सांसो की गति तेज हो रही थी और वह भी अपनी काली रंग की पेंटी की तरफ ही देख रही थी। उसे भी आज अपना यह तन बेहद खूबसूरत लग रहा था हालांकि वह रोज यही अपने तन के दर्शन करती थी लेकिन रोज यह बात नहीं थी जोकि आज उसे महसूस हो रहा था।,,,, शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
सुगंधा मेरी जान तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि काले रंग की पेंटिं के अंदर तुमने क्या छुपा कर रखी हो,,
ककककक,, क्या छुपा कर रखी हूं,,,, (उत्तेजना के मारे सुगंधा हकलाते हुए बोली),,,,
यह तो तुम अच्छी तरह से ही जानती हो कि क्या छुपा कर रखी हो,( शुभम अपने लंड को आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाते हुए बोला,,)
अरे,,,, हमारा अंग है हम तो जानते ही हैं कि क्या छुपा कर रखे हैं,,,, लेकिन आप बताइए कि हमने अपनी पेंटिंग के अंदर क्या छुपा कर रखे हैं।,,,
अच्छा तो तुम हमसे ही सुनना चाहती हो,,,
हां क्यों नहीं,,,
मेरी जान तुमने अपनी पैंटी को अंदर अपनी रसीली बुर को छुपा कर रखी हो जिसके अंदर मेरा मोटा लंड जाकर तुम्हें चोदेगा।
( इतना सुनते ही सुगंधा पूरी तरह से उत्तेजना मैं सिहर उठी,,,। और शुभम अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला)
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