RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दूसरी तरफ से बहुत-बहुत खुश था क्योंकि सब कुछ उसके प्लान के मुताबिक होने लगा था फोन पर ही सुगंधा ने अपनी सुरीली आवाज से उसका मन मोह लिया था शुभम उसे पूरी तरह से पाना चाहता था,,,।ऊसकी कसील़ी बुर में अपना मोटा लंड डालकर उसे चोदना चाहता था। उसने भी अपना ढेर सारा पानी सुगंधा से बातें करते हुए खुशी कल्पनातीत होकर संभोग का सुख महसूस करने के लिए जोर-जोर से अपना लंड हिला कर छोड़ दिया था।,,, जब वह घर की तरफ जाने लगा तो उसे कोमल की याद आ गई और एक बार फिर से उसका मन किसी अनहोनी की कल्पना करके घबराने लगा उसे इस बात का डर पूरी तरह से बना हुआ था कि अगर कोमल किसी से कुछ भी बता दी तो गजब हो जाएगा,,, इसलिए वह मन ही मन ठान लिया कि वह कुसुम को भी अपने झांसे में ले लेगा लेकिन कैसे यह तो उसे भी अभी नहीं पता था।,,
घर पर पहुंचते ही देखा कि कोमल गीले कपड़ों को रस्सी पर डालकर उसे सूखने के लिए छोड़ रही थी। वहां पर उस समय कोई नहीं था,,,, शुभम रात वाली घटना के बारे में कोमल से बातें करना चाहता था,,। इसलिए वह उसके करीब जाने लगा,कोमल कपड़े रस्सी पर डालने मे व्यस्त थी इसलिए उसे बिल्कुल भी आवाज नहीं हुआ कि शुभम उसके ठीक पीछे ही खड़ा है। शुभम उसे कुछ बोलने वाला ही था कि तभी गीले बालों की वजह से उसके भीगे हुए ड्रेस में से झांकती हुई उसकी लाल रंग की ब्रा की पट्टी को देखकर वह रूक गया। घने बालों में से टपक रहे पानी की बूंदों की वजह से उसकी पीठ पर का कुछ हिस्सा गीले कपड़ों में से नजर आ रहा था जो कि काफी गोरा था।। सुगठित बदन आसमानी रंग की ड्रेस में अपनी महक वातावरण में घोल रहा था। जिसकी खुशबू शुभम के नथुनो में से होकर उसके सीने में भर जा रही थी और अजब सी कसक छोड़ दे रही थी। शुभम बड़े गौर से कोमल के खूबसूरत बदन का नाप अपनी आंखों से ले रहा था,,, जब जब कोमल बाल्टी से कपड़े लेने के लिए नीचे की तरफ झुकती तब तब शुभम की प्यासी नजरें कोमल की गोलाकार नितंबों पर टिक जा रही थी। उसके नितंब सलवार में से भी साफ तौर पर नजर आ रहे थे कि उस पर जवानी का पानी पूरी तरह से चढ़ चुका था और उभारमय होकर आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ था। शुभम कोमल के पीछे खड़ा होकर उसके बदन की हर एक अंग को अपनी प्यासी नजरों से देखता हुआ अपनी प्यास को और ज्यादा बढ़ा रहा था।,, तभी कोमल को अपने पीछे कुछ आहट हुई तो वह झटके पीछे की तरफ नजरें घुमा कर देखने लगी और अपने ठीक पीछे शुभम को खड़ा हुआ देखकर वह क्रोधित हो गई आंखों के सामने फिर से रात वाली घटना नाचने लगी और वह गुस्से में सूभम से बोली,,,।
यहां क्या कर रहे हो तुम,,,?
( शुभम अभी भी उसकी खूबसूरती के साए में खोया हुआ था इसलिए एकाएक कोमल के द्वारा यह पूछे जाने पर वह हकलाते हुए बोला,,,,।)
ककककक,,, कुछ नहीं मैं तो यह देख रहा था कि तुम बहुत खूबसूरत हो,,,।
तुमसे यही उम्मीद थी मुझको जिस तरह कि तुम हरकत करते हो मुझे यकीन था कि तुम ऐसा ही कुछ जवाब दोगे क्योंकि रिश्तो का तो ख्याल तुमको अब बिल्कुल भी नहीं है,,,।
नहीं कोमल ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो बस तुम्हारी तारीफ कर रहा था।
रहने दो मेरी तारीफ करने को तुम्हारे मुंह से तारीफ अच्छी नहीं लगती,,,।
कैसी बातें कर रही है कोमल आखिर मुझसे नाराज क्यों हो,,,
तुम अच्छी तरह से जानते हो कि मैं तुमसे नाराज क्यों हुं।,,,, ( कोमल गुस्से में कपड़े को निचोड़कर रस्सी पर डालते हुए बोली),,,
पर इसमें मेरी गलती नहीं थी,,,,।
अब ज्यादा बोला बनने की जरूरत नहीं है मैं सब कुछ देख रही थी कि गलती किसकी है और किसकी नहीं है।,,,
जब तुम देख रही थी तो तुम रोकी क्यों नहीं सब कुछ हो क्यों जाने दी,,,, तुम अगर पहले से ही सब कुछ देख रही थी तो रोक भी तो सकती थी शायद तुम रोक दी होती तो यह सब नहीं होता,,,,।
( शुभम की यह बात सुनकर कोमल एकाएक कपड़े को रस्सी पर डालते डालते रुक गई,,, उसके पास शुभम के सवाल का कोई भी जवाब नहीं था क्योंकि मन में वह यही सोच रही थी कि शुभम बिल्कुल ठीक कह रहा है वह रोक भी सकती थी,,, फिर उसके मन में यह ख्याल आया कि अगर रोक दी होती तो यह कैसे पता चलता है कि उसकी मां पहले से ही सुभम से चुदवा चुकी है।,,, इसलिए फिर से गुस्से में बोली,,,।)
मैं रोकी कि नहीं रोकी,,, लेकिन तुम्हें रिश्तो की मर्यादा रखना चाहिए था,,,,। लेकिन तुम कहां रिश्ते की मर्यादा रखने लगे जब तुम खुद ही अपनी ही,,,,,( वह इतना ही कही थी कि तभी उसके छोटे चाचा ने उसे आवाज देकर कुछ काम के लिए बुलाने लगे,,, और वह आती हूं कहकर जाने लगी,,, गुस्से में कोमल शुभम को यह बोलना चाह रही थी कि जब वह खुद ही अपनी सगी मां को चोद़ सकता है तो भला दूसरे रिश्ते उसके सामने कौन सी मायने रखते हैं,,,, लेकिन मौके पर उसके चाचा के बोला लेने की वजह से उसकी मन की बात मन में ही रह गई शुभम उसे जाते हुए देखता रह गया लेकिन ऐसी मुसीबत की घड़ी मेरी शुभम की प्यासी नजरे नाजुक मौके की नजाकत को नजरअंदाज करते हुए कोमल की सुगठित गोल गोल नितंबों पर टिक गई जोकि चलते समय ऊपर नीचे होती हुई मटक रहेी थी।,,,,,,
कमरे की खिड़की में से देख रही कोमल की मां तुरंत शुभम के पास आई और बोली,,
क्या हुआ क्या कह रही थी वह,,,।
वह बहुत गुस्से में है मामी मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं कुछ किसी को बताना दे,,,
( सुभम की बात सुनते ही कोमल की मां रुआांसी होते हुए बोली)
बेटा हम दोनों से बहुत बड़ी गलती हो गई अब तुम ही कोई रास्ता निकाल वरना में पल पल घुटती रहूंगी और अगर कहीं कोमल ने कुछ बक दी तो न जाने क्या हो जाएगा,,,।)
तुम चिंता मत करो मामी मैं सब कुछ संभाल लूंगा,,,,
( शुभम अपनी बड़ी मम्मी को दिलासा देते हुए बोल रहा था लेकिन उसे खुद भी नहीं मालूम था कि इस मुसीबत से कैसे निकला जाए कैसे कोमल को समझाया जाए।)
कोमल की मां को कोमल से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी और नजरें दिलाती भी तो कैसे आखिरकार वह हरकत ही कुछ ऐसी करती हुई पकड़ी गई थी कि उसकी जगह कोई भी होता तो उसका हाल भी ऐसा ही होता जैसा कि कोमल की मां का हो रहा था।,,, आखिर एक बेटी अपनी ही मां को,,, अपनी बुआ के लड़के के साथ चुदवाते हुए देखे तो ऊसके मन मे उसकी मां की प्रति कैसे ख्यालात चल रहे होंगे यह तो सिर्फ कोमल ही बता सकती है।,,, मैं तो कोमल ही अपनी मां के सामने आ रही थी और ना ही कोमल की मां कोमल की आंखों के सामने आ रही थी दोनों एक दूसरे से नजरें चुरा रहे थे। कोमल अपनी मां की हरकत पर पूरी तरह से शर्मिंदा थी और खुद से ही नजरें मिलाने से कतरा रही थी।
कोमल की मां अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बेटी उससे पूरी तरह से नाराज है,,, और अपनी बेटी की अपने प्रति नाराजगी को देखते हुए कोमल की मां को खुद को अपने किए पर पछतावा और घृणा हो रही थी।
वह मन ही मन अपने आप को कोस रही थी कि वह किस मनहुस घड़ी में शुभम की बातों में आ गई,, और अपना सब कुछ गवा दी।,,, वह मन ही मन यह सोच कर बता रही थी कि कैसे वहां अपने ही बेटे के उम्र के लड़के के साथ शारीरिक संबंध बना दी,,, और उसके बहकावे मे आकर उस से चुद गई वहां इस बात पर अपने आप को तसल्ली देने की कोशिश कर रही थी कि चलो एक बार जो गलती हुई सो हुई,,, लेकिन वह दुबारा कैसे बहक गई और यह भी अच्छी तरह से जानते हुए कि आस पड़ोस की सारी औरतें घर पर इकट्ठा है और शादी का माहौल है,,, और ऐसे मे हीं वह घर के पिछवाड़े ही,,
शुभम की हरकतों की वजह से बहक गई,,,, यह जानते हुए भी कि वहां पर कोई भी आ सकता है लेकिन फिर भी उस समय किसी भी बात की फिक्र किए बिना ही वह,, कैसे एकदम से बाहर गई और खुद ही शुभम को झोपड़ी में चलने के लिए बोलि,,, ना तो वह शुभम को आगे बढ़ने देती और ना ही उसकी बेटी उसे उसे हाल में देख पाती यह सब याद करके कोमल की मम्मी परेशान हुए जा रही थी।,,, एक तरफ हो शुभम के साथ हमें शारीरिक संबंध को लेकर अपने आप से घृणा अनुभव कर रही थी तो दूसरी तरफ जब वह शुभम के तेज धक्को को अपनी बुर की गहराई के अंदर महसूस करके एकदम से सिहर उठती,,, उसकी आंखों के सामने बार बार शुभम की तीव्र गति से हिलती हुई कमर नजर आने लगती और वहां कैसे उसके अंगों से खेलता हुआ उसे चुदाई के सुख का अनुभव कराता हुआ उसे चोद रहा था यह सब याद करके कोमल की मां का मन,,, शुभम की तरफ आकर्षित होने लगता उसे सब कुछ सही लगने लगता क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि यह सामने शुभम की गलती नहीं है उसकी भी जरूरत थी।
यह सब सोचते हुए वह काफी परेशान हुए जा रही थी,,, और काफी देर बाद उसकी आंख लग गई,,, और दूसरी तरफ सुभम रात को फिर से सुगंधा को फोन लगाकर एक बार फिर से उसके कपड़े उतरवाकर उसका पानी निकाल दिया,,,,। सुगंधा शुभम की आवाज को पूरी तरह से पहचान चुकी थी और,,,,,,,,,,
|