RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मैं इस में से निकलने की कोशिश नहीं कर रहा हूं करके तुम्हें सच्चाई बता रहा हूं,, कोमल,,, जैसे इंसान को भुख प्यास लगती है वैसे ही उनके जिस्म में इस तरह की भी जिस्मानी भूख पैदा होती है,,, और क्या उनकी याद भूख घर मै नहीं मिटती तो वह लोग अपनी भूख मिटाने के लिए बाहर का रास्ता इख्तियार करते हैं,,,।
तुम्हारी बात मेरे को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही है।,,
( कोमल आश्चर्य से बोली,,, शुभम बड़ी चालाकी से अपनी बाइक को कम रफ्तार से लिए जा रहा था क्योंकि वह सफर के दरमियां हीं अपनी मन की इच्छा को पूरी करना चाहता था इसलिए वह कोमल को ठीक से समझाते हुए बोला।)
देखो कमाल जो काम तुम्हारी मम्मी के साथ तुमने मुझे करते हुए देखी यही काम तुम्हारे पापा को करना चाहिए था लेकिन मुझे बताते हुए दुख हो रहा है कि तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते,,,
मतलब मैं कुछ समझी नहीं,,,।
देखो कोमल तुम्हारी मम्मी अभी बहुत जवान है तो उनके अंदर चुदवाने की भी भुख पेदा होती है।,,,
( शुभम के मुंह से अपनी मां के प्रति इतनी गंदी बात को सुनकर जहां पर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन मन ही मन उसे अच्छा भी लग रहा था इस तरह से खुली भाषा में अपनी मां की चुदाई की बात सुनकर कोमल पूरी तरह से उत्तेजना की राह पकड़ ली थी,,, उसे शुभम की यह बात अच्छी लग रही थी और मैं नहीं मानता यह इच्छा भी रख रही थी कि शुभम इससे भी ज्यादा गंदी भाषा का प्रयोग करें,,,।)
और कोमल यह चुदाई की भूख एक मजबूत और तगड़े लंड से ही मिटती है। और इस उम्र में तुम्हारी मां को मोटा तगड़ा और लंबा लंड की जरूरत पड़ रही थी,,, जो कि चुदाई की यह भूख तुम्हारे पापा मिटा नहीं पा रहे थे,,, जो काम में तुम्हारी मम्मी के साथ कर रहा था वही काम तुम्हारे पापा को करना चाहिए था उन्हें चाहिए था कि तुम्हारी मम्मी को जी भर कर चोदे ताकि उन्हें किसी दूसरे मर्द की ज़रूरत ही ना पड़ सके,,,।( शुभम खुले शब्दो मे उसकी मां के बारे में बेहद गंदी बातें कर रहा था जो कि कोमल के तन-बदन में उत्तेजना के अंकुर को पानी देकर सींचने का काम कर रहा था,, उत्तेजना के मारे कोमल का गला सुर्ख होने लगा था,,, उसके चेहरे पर शर्म ओ हया की लाली खीेलने लगी थी,,,, ना चाहते हुए भी कोमल को यह सब बातें अच्छी लगने लगी थी,, कोमल पूरी तरह से खामोश हो चुकी थी और उसकी खामोशी देखकर सुभम को लगने लगा था कि उसकी गंदी बातें कोमल के बदन में कामोत्तेजना की लहर पैदा कर रही है,,,, शुभम के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।)
और जब कोमल तुम्हारी मम्मी को तुम्हारे पापा की बेहद आवश्यकता होने लगी ऐसे में तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पाए और तुम्हारी मम्मी मेरे साथ बहक गई,,,,।
बहक गई ऐसे कैसे बहक गई आज तक तो ऐसा कभी भी नहीं होगा पूरा गांव मेरी मां की इज्जत करता है और उनके संस्कार के बारे में आए दिन मुझे अच्छी-अच्छी बातें सुनने को मिलती है तो अब ऐसा कैसे हो गया कि मेरी मां बहक गई यह बात मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही,,,,।( कोमल एतराज जताते हुए बोली)
कोमल मैं समझ सकता हूं तुम्हारी भावनाओं को किसी भी लड़की के लिए उसकी मां का इस तरह से किसी गैर से चुदवाने अच्छा नहीं लगेगा और इसीलिए तुम्हें भी मुझ पर और तुम्हारी मां पर क्रोध आ रहा होगा लेकिन मैं जो कह रहा हूं सच कह रहा हूं ईसमें भी तुम्हारी मां का कोई भी कसूर नहीं है।,,,
नहीं इसमें तुम दोनों का ही कसूर है,,,।
देखो कोमल अगर तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी की जरूरतों को पूरा करते तो उनके कदम कभी भी नहीं बहकते,,,,
तुम कहना क्या चाहते हो शुभम,,,?
देखो बुरा मत मानना मैं यही कहना चाहता हूं कि,, तुम्हारे पापा इस लायक है ही नहीं कि तुम्हारी मम्मी के जिस्म की प्यास बुझा सके,,,।
( अपने पापा की शुभम के मुंह से इस तरह से बेइज्जती भरे शब्द सुनकर कोमल से रहा नहीं गया और वह गुस्से में बोली,,,,।)
तब तो तुम्हारे पापा भी इस लायक नहीं होंगे कि तुम्हारी मम्मी के जिस्म की प्यास बुझा सके,,,।
क्या मतलब? ( शुभम आश्चर्य के साथ बोला)
मेरा मतलब यही है कि तब तो तुम्हारे पापा भी तुम्हारी मम्मी की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते होंगे तभी तो तुम अपनी मां को भी चोदते हो,,,,।
( कोमल की यह बात सुनकर शुभम एकदम से सन्न रह गया,,, उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह क्या सुन रहा है,,, उसने एकाएक गाड़ी को ब्रेक लगा कर वहीं रोक दिया और कोमल की तरफ देखने लगा,,)
कुछ देर के लिए तो सुभम को अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ कि कोमल क्या कह रही है,,, वह एकाएक बाइक को ब्रेक लगाकर कोमल को ही घूरने लगा,,, उसे यू घूरता हुआ देखकर कोमल बोली,,,।
क्यों क्या हुआ झटका लगा ना,,,,।( कोमल व्यंग्यात्मक स्वर में बोली। शुभम को कुछ समझ ही नहीं अा रहा था कि वह क्या बोले बस एक टक कोमल को ही देखे जा रहा था,,, तभी कुछ पल तक कोमल की तरफ देखने के बाद वह बोला,,,।)
कोमल तुम यह क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।( इतना कहते हुए,,, वह नजरें चुराकर बाईक को किक मारने लगा क्योंकि बाईक बंद पड़ गई थी,,, शुभम के मन में अजीब सा डर पैदा हो गया क्योंकि जिस तरह से वह बोल रही थी उसे शंका सी होने लगी कि कहीं उसे उसके और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में पता तो नहीं चल गया,,,, शुभम को यूं नजरें चुराता हुआ देखकर कोमल बोली,,,,।
क्यों अभी क्या हुआ अभी तुम्हारा दिमाग काम करना क्यों बंद कर दिया क्यों तुम्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है अभी कुछ देर पहले तो तुम औरतों के सुख उनकी खुशी और मर्दों की नाकामयाबी के बारे में बहुत ज्यादा लेक्चर झाड़ रहे थे अब क्या हो गया,,,,,।
( कोमल के यह शब्द सुनकर शुभम बुरी तरह से सकपका गया था,,,,, बाइक स्टार्ट हो चुकी थी वह बाइक को एक्सीलेटर देते हुए बाइक आगे बढ़ा दिया और बोला,,।)
तुम बेवजह मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं है मैं जानता हूं कि मेरा संबंध है तुम्हारी मां के साथ होने की वजह से तुम मनगढ़ंत कहानी बना रही हो।
मैं कोई कहानी नहीं बना रही हूं बस तुम्हारा पाप तुम्हें याद दिला रही हूं,,,।
बस करो कोमल बेवजह की बातें बनाने की जरूरत नहीं है मैं जानता हूं कि तुम्हारी मां के साथ जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में हुआ लेकिन यूं बेवजह मुझ पर कोई इल्जाम मत लगाओ,,,।
मैं अपनी आंखों से देखी हूं शुभम,,,।
आंखों से क्या मतलब है कि तुम अपनी आंखों से देखी हो तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम कुछ भी बोलोगेी और मैं विश्वास कर लूंगा जरा थोड़ा तो शर्म करो तुम किस पर इल्जाम लगा रही हो खुद मेरी मां पर,,, वह मेरी मां है मैं भला ऐसा कैसे कर सकता हूं तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो,,
इल्जाम नहीं हकीकत है,, और वह देखने के बाद ही तो मैं समझ गई कि तुम्हारे लिए रिश्ते कुछ भी मायने नहीं रखते, जो इंसान खुद अपने ही मां को चोद सकता है तो उसके लिए भला मामी चाची कौन सी बड़ी बात है।
( शुभम कोमल की बातें सुनकर मन ही मन घबराने लगा उसे यकीन हो चला था कि कोमल उसे कहीं ना कहीं देख चुकी है मैं समझ नहीं पा रहा था कि आज तक उसकी और उसके मां की रिश्ते के बारे में किसी को भी नहीं पता चला तो कोमल कैसे जान गई यह तो गजब हो गया है अगर यह बात किसी और को पता चल गया तब तो वह किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगा उसके मन में यही सब गढ़ मतलब चल रहा था।)
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