Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 05:06 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें

हालांकि वह दो बार चुदाई के गर्म दृश्य को देख चुकी थी लेकिन लंड को नहीं देख पाई थी इसलिए उसके तन-बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी शुभम भी एकदम बेशर्मी पर उतर आया था और जानबूझकर उसकी आंखों के सामने अपने लंड को पकड़कर हिलाते हुए दिखा रहा था,,,। यह दृश्य इतना ज्यादा कामोत्तेजना से भरपूर था कि कोमल अपने ऊपर से अपना कंट्रोल खोते जा रही थी और जैसे लग रहा था कि बारिश भी आज उसके पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है उसके मन पर बरसात का सुहाना मौसम भी हावी होता जा रहा था,,,।
कोमल लगातार शुभम के लंड को देखकर एकदम चुदवासी हुए जा रही थी,,,, तभी एकाएक बहुत जोर से बादल गरजा,,, कोमल एकदम से घबरा गई और तुरंत जाकर डर के मारे शुभम के सीने से चिपक गई वह डर के मारे उसे एकदम से सट गई थी,,, सुभम तो जैसे इस मौके के ताक में ही था वह तुरंत कोमल को अपनी बाहों में भर लिया,,, ना जाने क्यों कोमल को शुभम की बाहों में सुकून मिल रहा था वह उससे और भी ज्यादा चिपक गई, तभी उसे अपनी जांघों के बीच ठीक उसकी बुर के ऊपर शुभम का खड़ा लंड महसूस होने लगा अब तो कोमल की हालत और ज्यादा खराब हो गई और वह कामोत्तेजना बस शुभम से और ज्यादा चिपक गई,,,, कोमल को यह सब बेहद आनंददायक लग रहा था,,, शुभम के लंड के ठोकर को अपनी बुर की दीवारों पर बराबर महसूस कर पा रही थी,,,, सलवार पूरी तरह से गीली होने की वजह से शुभम के लंड का कड़कपन कोमल अच्छी तरह से महसूस करके मदहोश हुए जा रही थी किस के मन में यह भावना उत्पन्न हो रही थी कि काश शुभम बिना बोले उसकी बुर के अंदर ही पूरा लंड डालकर उसे चोदे,,,, सुभम भी मदहोश हुआ जा रहा था और मन ही मन में इस बार इस को धन्यवाद भी दे रहा था,,, बादलों का गरजना और उसकी गड़गड़ाहट लगातार चालू थी जिसकी वजह से डर के मारे भी कोमल शुभम को छोड़ नहीं रही थी उसे मजा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था। शुभम हाथ में आया सुनहरा मौका किसी भी हाल में अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह तुरंत कोमल को अपनी बाहों में कस के अपने दोनों हाथों को उसके खूबसूरत बदन पर फिराने लगा,, अगले ही पल वह अपने दोनों मजबूत हथेलियों को उसके कमर के नीचे ले जाकर के उसकी गोल गोल नितंबों पर रख दिया और उसे कसकर अपने हथेली में दबोच लिया,,,,,।



ससससहहहहहहह क्या कर रहे हो शुभम,,,,
( कोमल गर्म होते हुए बोली उसकी आवाज में कसमसाहट साफ नजर आ रही थी और शुभम उसकी ऐसी कसमसाहट भरी आवाज सुनकर एकदम से उत्तेजित होते हुए बिना कुछ बोले उसके गुलाबी होठों को अपने होठों में भरकर चुसना शुरु कर दिया।,,, पहले तो शर्म के मारे कोमल अपना मुंह इधर उधर करने लगी लेकिन शुभम बहुत चालाक था वह अपने होठो की पकड़ से कोमल के गुलाबी होठों को छोड़ ही नहीं रहा था,,, और कुछ ही सेकंड बाद कोमल भी मदहोश होकर उसका साथ देते हुए उसके होठों को भी चुसना शुरू कर दी,,, माहौल पूरी तरह से गरमाता जा रहा था। बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी और शुभम भी यही चाह रहा था कि जब तक उसका काम ना हो जाए तब तक यह बारिश बंद ना हो। शुभम अपने हाथों को हरकत करने के लिए खुला छोड़ दिया था। कुछ देर तक वहां उसके नितंबों को दबाने के बाद एक हाथ ऊपर की तरफ लाकर उसकी संतरे सामान चुची पर रखकर उसे दबाने लगा ईससे कोमल की गर्मी और ज्यादा बढ़ने लगी,,,। उसके मुंह से रह-रहकर सिसकारी की आवाज निकल रही थी जिससे शुभम की हिम्मत और ज्यादा बढ़ रही थी। शुभम अपने खड़े लंड का दबाव बराबर उसकी बुर पर बनाए हुए था जिसकी वजह से कोमल की बुर कचोरी की तरह फुलते चली जा रही थी। कोमल के बस में अब कुछ भी नहीं था जो थोड़ा बहुत,,, बेमन से वह शुभम को रोकने की कोशिश कर रही थी वह कोशिश भी बंद हो चुकी थी,,,, तभी शुभम दोनों हाथ नीचे ले जाकर उसकी सलवार की डोरी खोलने लगा और तुरंत कोमल का हाथ पकड़कर उसे रोकने की कोशिश करने लगी और बोली,,,,।

नहीं सुभम यह गलत है,,,,
( शुभम जानता था कि उसका विरोध कमजोर है इसलिए वह उसकी एक ना सुना और सलवार की डोरी खोलते हुए बोला)

कुछ गलत नहीं है इस समय तुम्हारी बुर को मेरे लंड की और मेरे लंड को तुम्हारी बुर की जरूरत है।
( और इतना कहकर शुभम उसके सलवार की डोरी खोल दिया अब कोमल की धड़कन तेज होने लगी क्योंकि,, शुभम ने उसकी सलवार के साथ-साथ उसकी पैंटी भी पकड़ कर नीचे घुटनों तक सरका दिया था कमर के नीचे वह नंगी हो चुकी थी उसका बेशकीमती खजाना शुभम की आंखों के सामने चमक रहा था।,,, शुभम से रहा नहीं गया उसकी आंखों के सामने एकदम कुंवारी बुर उसके होश उड़ा रही थी जिस पर हल्के हल्के छोटे-छोटे रोयेंदार बाल उगे हुए थे,,, शुभम तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपने प्यासे होठ को कोमल की कमसिन बुर पर रखकर उसे चाटना शुरु कर दिया,,, शुभम की हरकत से तो कोमल एकदम से बदहवास सी होने लगी,,, ना चाहते हुए भी उसके मुख से गर्म सिसकारियां फूटने लगी,,,, कुछ देर तक कोमल की कुंवारी बुर के मदन रस का आनंद लेने के बाद,,, शुभम उसकी सलवार को नीचे उतारने लगा और इसमें कोमल भी उसका सहयोग दे रही थी अगले ही पल कोमल कमर से नीचे एकदम नंगी हो गई आज सुभम का सपना पूरा होने जा रहा था। कोमल को चोदने की ख्वाहिश तो उसकी कब से ही थी लेकिन जब उसे इस बात का पता चला था कि उसकी उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में कोमल को पता चल गया है तब से ही वह उसे चोदना चाहता था ताकि वह हमेशा के लिए उसके मुंह पर पट्टी लगा सके,,, और अब सुभम ऊसमैं अपने कामयाब होने जा रहा था,,, झोपड़ी में सूखी घास का ढेर था जिसे वह जमीन पर बिठा दिया और उसके ऊपर कोमल काही दुपट्टा बिछाकर उस पर कोमल को पेट के बल लेटने के लिए बोला,, कोमल बतभी पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी इसलिए सुभम के एक भी बात का वह बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी,,, और पीठ के बल लेट गई शुभम अपने लिए जगह बना कर अपना मोटा लंड ऊसकी बुर में डालना शुरू कर दिया,,,
दर्द से छटपटाते हुए कुछ ही पल में कोमल शुभम के मोटे लंड को अपनी बुर में गटक गई,,,, और थोड़ी देर के बाद ही शुभम के हर धक्के का जवाब देते हुए, नीचे से हल्के-हल्के अपनी कमर ऊपर की तरफ उठाने लगी उसे खुद भी नहीं पता चल रहा था कि यह उससे कैसे होते जा रहा है।,,, लेकिन अपनी तरफ से हरकत करने में उसे भी बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी थोड़ी ही देर में शुभम से मोटा लंड की रगड़ हुआ अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर साफ तौर पर महसूस कर रही थी,,, चुदाई में ऐसा असीम सुख प्राप्त होता है ऐसा उसने सपने में भी नहीं सोची थी,,, शुभम उसके ऊपर लेटा हुआ था और कुर्ती के ऊपर से ही उसके दोनों नारंगी यों को दबा रहा था। कोमल को इस तरह से चूची दबाना भी बेहद आनंददायक लग रहा था इसलिए वक्त नहीं अपनी कुर्ती छातियों के ऊपर तक उठा दी,,, ताकि शुभम उसकी नंगी चूचियों को मसल कर उसे अच्छे से मजा दे सके शुभम तो कोमल की नंगी चूचियां पाकर एकदम से उसपर टुट पड़ा। दोनों को बारी-बारी से मुंह में भर कर पीते हुए अपनी कमर को झटके दे रहा था। कोमल का मजा दुगना होता जा रहा था यही जानने के लिए सुभम जोर-जोर से कोमल की बुर में लंड पेलते हुए बोला,,,

ओहहहह कोमल कैसा लग रहा है बोलो,,,,

बहुत अच्छा लग रहा है शुभम बस ऐसे ही करते रहो,,
( कोमल सिसकते हुए बोली बस क्या था शुभम की रफ्तार और तेज हो गई बाहर बारिश अपना असर दिखा रही थी और झोपड़ी के अंदर सुभम,,, कुछ ही देर में कोमल की सिस्कारियां पूरे झोपड़ी में गूंजने लगी लेकिन बारिश की आवाज के आगे उसकी सिसकारियां दब जा रही थी। शुभम जोर जोर से धक्के लगाते हुए कोमल की चुदाई कर रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे कि वह दुबारा कभी उसे मिल नहीं पाएगी या तो फिर ऐसा कभी उसके पास मौका नहीं मिलेगा इसलिए उसका पूरा रस निचोड़ लेना चाहता था कोमल बिन जिंदगी में अपनी पहली चुदाई से बेहद उत्तेजित हो चुकी थी,,, वह इस पल का भरपूर मजा ले रही थी। शुभम के धक्कों की गति तेज होने लगी उसकी भी सांसे तेज चलने लगी और अगले ही पल कोमल के साथ ही वह भी झड़ ने लगा,,,,
शुभम बेहद खुश था कुछ देर तक कोमल के ऊपर लेटे रहने के बाद वह उठा और कपड़े पहनने लगा कोमल भी शरमाते हुए पास में पड़ी अपनी सलवार उठा कर शुभम से नजरें बचाते हुए पहहने लगी,,
अपनी सलवार की डोरी बांधते हुए दूसरी तरफ मुंह फेर कर वह शरमाते हुए बोली,,,।

शुभम यहां जो कुछ भी हुआ उसके बारे में तुम कभी भी किसी को कुछ भी मत बताना,,,

तुम चिंता मत करो मैं किसी को कुछ भी नहीं कहूंगा लेकिन तुम भी किसी को कुछ भी मत कहना हम दोनों राज बस हम दोनों तक सीमित रहें,,,
( इतना कहकर शुभम मुस्कुरा दिया जवाब में कोमल भी मुस्कुरा दी,,)

शुभम बहुत खुश था,,, साथ ही कोमल की बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी क्योंकि आज पहली बार उसने संभोग सुख की अद्भुत आनंद की अनुभूति की थी उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि संभोग में इतना आनंद प्राप्त होता है।,,,
कोमल की मम्मी को इस बात का बेहद बेसब्री से इंतजार था कि शुभम ने कोमल को मना लिया या नहीं इसलिए पहुंचते ही कोमल के जाने के बाद बड़ी बेसब्र हो कर शुभम से पूछने लगी की कोमल मानी या नहीं मानी,,, शुभम हंसकर जवाब देते हुए बोला,,।

मानेगी कैसे नहीं मानी आखिरकार मैंने तुमसे वादा जो किया था,,,।

तुम्हारा मतलब है कि अब कोमल की तरफ से किसी बात का डर नहीं है,,,।

बिल्कुल भी नहीं जिंदगी भर हम दोनों का राज,, राज बनकर रहेगा,,,,।

लेकिन यह हुआ कैसे वह तो बहुत गुस्से में नजर आ रही थी कैसे मान गई।


बड़ी मुश्किल से मानी है मामी,,, उसको मनाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े हैं मैं तो थक चुका हूं इसलिए अपने कमरे में जा रहा हूं आराम करने आप किसी बात की चिंता मत करना,,,
( इतना कहकर शुभम मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ चला गया और वह शुभम को चाहते हैं वह देखती रही और मन ही मन उसे धन्यवाद भी कर रही थी,,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार शुभम ने उसे मना कैसे लिया यह बात उसे पल्ले नहीं पड़ रही थी लेकिन जो भी हो उसके लिए राहत की ही खबर थी अब उसे कोमल की तरफ से किसी बात का डर नहीं था। वह भी मुस्कुराते हुए अपने काम में लग गई लेकिन उसे यह कहां मालूम था कि शुभम ने उसका मुंह बंद करने के लिए उसकी बुर का द्वार खोल दिया था,,,।

रात को कोमल अपने कमरे में लेट कर बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसे अब समझ में आ गया था कि औरत को वाकई में पेट की भूख के साथ-साथ अपने बदन की भी भूख लगती है क्योंकि अब उसने लंड का स्वाद चख ली थी और इस समय उसे फिर से अपनी बुर के अंदर मोटे लंड की आवश्यकता जान पड़ रही थी। मैं बिस्तर पर करवट बदलते हुए सलवार के ऊपर से अपनी फूली हुई बुर को अपनी हथेली से रगड़ रही थी,, इस समय जिस तरह की कसक उसके बदन में उठ रही थी उसे देखते हुए वह समझ गई कि समय के अनुसार मैं तो उसकी मां की कोई गलती है और ना ही शुभम की मां की यह तो औरत की ही जरूरत है। यह बात कोमल अच्छी तरह से समझ गई वह करवटें बदलते हुए उस पल को याद करने लगी जब शुभम उस की रसीली बुर पर अपने होठ रखकर ऊसे चूसना शुरु किया था,,,, यू एकाएक शुभम की इस हरकत की वजह से कोमल को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में झूला झूल रहा है। उसे इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि शुभम ऐसी कुछ हरकत करेगा उसके तन-बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ गई थी जिसे वह महसूस करके अपने आपे से बाहर होती जा रही थी शुभम को रोक पाने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं थी।कोमल मन में यह सोचकर उत्तेजित हो जा रही थी कि वह अपने आपे से बाहर उसी समय हो गई थी जब सलवार के ऊपर से ही शुभम का नंगा लंड ऊसकी कचौऱी जैसी बुर पर ठोकर लगा रहा था,,,, उसी समय उसका मन कहा कि वह खुद ही अपनी सलवार निकालकर शुभम के लंड को अपऩी बुर में ले ले,,,, लेकिन शर्म और संस्कार की दीवार उसे ऐसा करने से रोक रही थी,,,,। कोमल को झोपड़ी में बिताया शुभम के साथ वह एक एक पल किसी फिल्म की तरह ऊसकी आंखो के सामने नाच रहा था।,,, कोमल मन में सोच रही थी कि मुझे तो इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि लड़कों का लंड इतना मोटा और तगड़ा होता है। उसे तो शुभम का लंड देख कर मन ही मन घबराहट हो रही थी,,,, वह मन मै यह सोच रही थी कि अगर वह शुभम के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तैयार भी हो जाती है तो वह कैसे ले पाएगी,, लेकिन शुभम बेहद चालाकी से पूरी तरह से अपनी हरकतों की वजह से उसकी पूरी को पूरी तरह से गीली कर दिया था जिसकी गीलेपन ने इतने मोटे लंड को बुर के अंदर सरकने में अच्छी तरह से मदद किया और वह है मोटे लंड को इतनी दूर में महसूस करके चुदाई की असीम आनंद को प्राप्त कर सकी,,,, कोमल बिस्तर पर करवट लेते हुए यही सब सोच रही थी उसकी बुर भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।,,,,, चुदाई के असीम सुख प्राप्त करने की तड़प को अब वहअच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी,, अब उसे अपनी मां से किसी भी बात का गिला नहीं था और ना ही शुभम की मां से अब कोमल को रिश्तो के बीच की यह नाजायज संबंध किसी भी प्रकार से गलत नहीं लग रहा था। मां बेटे के बीच के शारीरिक संबंध के खिलाफ अब वह बिल्कुल भी नहीं थी और ना ही मामी और भांजे के साथ साथ भाई और बहन के रिश्ते के बीच शारीरिक संबंध को लेकर उसके मन में किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं था अब वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि शारीरिक जरूरत को पूरा करना ही सबसे अग्रिम है बाकी रिश्ते-नाते बाद में,,, अब शुभम की बात बिल्कुल सही लगने लगी कि अगर वह अपनी मामी और मम्मी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उन दोनों को अपने लंड से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं करता तो वह दोनों के बहकने का पूरा चांस था,,,। और ऐसे में परिवार की बदनामी होना स्वाभाविक ही था।
कोमल के मन में ढेर सारी भावनाएं उमड़ रही थी,,, उसे वापस अच्छी तरह से याद है जब शुभम उसकी बुर में लंड पेलते हुए उसे चोद रहा था,,, और वह कामुकता के असीम सागर में डूबती चली जा रही थी जब वह कुर्ती के ऊपर कहीं उसकी दोनों चूचियों को बता रहा था तो उससे बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह खुद ही अपनी कुर्ती को अपनी दोनों छातियों के ऊपर तक खींच दी ताकि वह उसकी नंगी चूचियों को अच्छे से दबा सके,,,, कोमल पूरी तरह से शुभम के रंग में रंग चुकी थी उसे बहुत मजा आया था,,,, शुभम के हर धक्के को वह इस समय याद करके रोमांचित हुए जा रही थी,,,, उसकी बुर गीली होने लगी थी,,, इस समय उसे शुभम की बहुत याद आ रही थी अगर इस समय शुभम उसके पास होता तो वह खुद ही उसके लंड पर चढ़ जाती,,,, जी मैं तो आ रहा था कि वह खुद ही शुभम के पास चली जाए और उस से जी भर कर चुदाई का मजा ले,,, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी काफी देर तक वहं झोपड़ी में हुई चुदाई के बारे में सोचकर अपनी बुर को सहलाती रही,,, और कब नींद की आगोश में चली गई उसे भी पता नहीं चला,,,।

घर के आंगन में मेहमानों की भीड़ लगी हुई थी सभी औरतें तैयार हो रही थी और जो तैयार हो चुकी थी वह डीजे पर बज रहे गाने पर नाच रही थी,,,, कुछ ही देर में घर की सारी औरतें तैयार हो चुकी थी बारात जाने की तैयारी में थी,,, ऐसे मैं शुभम अपने कमरे में,,, बार बार कभी कबाट में तो कभी अलमारी में स्प्रे ढूंढ रहा था,,, लेकिन उसे मिल नहीं रहा था वह तैयार हो चुका था तभी उसे याद आया कि बाजार में कोमल ने भी fogg खरीदी थी,,, और वह कोमल से मांगने के लिए उसके पास जाने लगा लेकिन वह इधर उधर नजर नहीं आ रही थी चारों तरफ मेहमानों की भीड़ लगी हुई थी लोग नाचने गाने में व्यस्त थे,,,, सभी सुभम को उसकी बड़ी मामी नजर आई,,, और वह ऊनसे कोमल के बारे में पूछने लगा,,, तो उन्होंने बताया कि अभी वह अपने कमरे में तैयार हो रही है,,,, शुभम कोमल के कमरे की तरफ जाने लगा,,,, दरवाजे को हल्के से धक्का दिया तो दरवाजा अपने आप खुल गया सामने कोमल तैयार हो रही थी लेकिन कोमल को देख कर उसके लंड में हरकत होना शुरू होगा क्योंकि कोमल आईने के सामने केवल
कमीज मैं खड़ी थी जो कि उसकी आधे नितंबो तक ही आ रही थी,,, और उसके नीचे का सारा भाग पूरी तरह से नंगा था। शुभम तू कोमल के यह रूप को देखकर एकदम से कामोत्तेजना से भर गया वह एकदम कामातुर हो गया,,,, कमर से नीचे पूरी तरह से नंगी खड़ी कोमल की नजर जब शुभम पर पड़ी तो वह भी मुस्कुरा दी और शुभम नें तुरंत दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दिया,,,


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