RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम को यूं दरवाजे की कड़ी लगाते देख कोमल का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, अपने बालों को संवारने मे वह इतनी व्यस्त हो चुकी थी कि उसे इतना भी याद नहीं था की कमर के नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी।,, इस बात का एहसास होते ही शुभम के द्वारा दरवाजे की कड़ी लगाकर दरवाजा बंद करने का मकसद समझ में आ गया,,, पर मतलब समझते ही वह शर्म से पानी-पानी हो गई,,,, कोमल कुछ समझ पाती इससे पहले ही सुभम पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया,, और तुरंत उसकी उत्तेजना को बढ़ाने के उद्देश्य से अपने दोनों हाथों को उसकी नारंगियों पर रखकर उसे दबाना शुरु कर दिया,,,, कोमल उसे रोकना चाहती थी लेकिन प्रथम संभोग की अनुभूति अभी भी ऊसके तन बदन में गुदगुदी मचा रही थी,,, शुभम एक मजे हुए खिलाडी की तरह कोमल को उत्तेजना के परम शिखर पर ले जाने लगा,,, उसे मालूम था कि औरतों के स्तन उनकी उत्तेजना को बढ़ाने में सहायक होते हैं,,, उसे ठीक तरह से मसलने और दबाने पर संभोग की इच्छा ना रखने वाली स्त्री भी कामातुर होकर संभोग के लिए तड़पने लगती है और वही कोमल के साथ भी हो रहा था,,,, शुभम ऊपर से भी कोमल की कामोत्तेजना को बढ़ाते हुए उसके दोनों कबूतरों को पूच कार रहा था और नीचे पेंट में बने अपने तंबू को उसकी नंगी गांड पर आहीस्ता आहीस्ता से रगड़ रहा था। कोमल पूरी तरह से उसके गिरफ्त में आ चुकी थी गर्दन पर हल्के हल्के होठों का चुंबन कठोर हाथों से स्तन मर्दन और नितंबों पर लंड की तरह फोन का एहसास कोमल को मदहोश कर रहा था,, हालात बिल्कुल भी कोमल के पक्ष में नहीं था। शुभम तो कामातुर हो चुका था वह आया तो था अपने कपड़े पर सेंट छाटने के लिए कोमल से स्प्रे मांगने लेकिन कोमल की गोलाकार नग्न नितंबों को देखकर उसके तन-बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और वह यह भी भूल गया कि घर के आंगन में,,, परिवार और समाज के सभी लोग इकट्ठे हुए हैं बारात जाने की तैयारी में है। वह तो बस कमल की खूबसूरती के आगे मदहोश हुआ जा रहा था अपने चुंबनों की गर्मी से कोमल के संस्कार और शर्मो हया के मोम को पिघलाते हुए,,, उसकी नमकीन बुर पर हाथ रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगा,,, शुभम की इस हरकत से वाकई में कोमल मोम की तरह पिघलने लगी,,, कोमल के मुंह से गर्म सिसकारियों की आवाज आने लगी वह जिस तरह से कोमल की चुचियों को जोर जोर से दबा रहा था ऐसा लग रहा था कि आज ही वह उसके आकार में बढ़ोतरी ला देगा,,, कोमल को इस तरह के स्तन मर्दन से दर्द महसुस हो रहा था लेकीन कोमल को इस दर्द से बेहद आनंद की अनुभूति भी हो रही थी।
ससससहहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह सुभम,,,,, हहहहहममममम,,,,,, क्या कर रहे हो,,,,( बड़े ही मादक स्वर में कोमल बोली,,,)
वही जो करना चाहिए,,,,( इतना कहते हो शुभम फूली हुई कचोरी जेसी बुर की गहराई में अपनी उंगली डाल दिया,,,, शुभम की इस हरकत से कोमल की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई उसके मुख से जोर से कहरने की आवाज आई,,,
ओहहहहहहहहह,,,,,,,
क्या हुआ कोमल रानी,,,( शुभम अपने बीच वाली उंगली को कोमल की रसीली बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला,,,,।)
यह क्या कर रहे होै शुभम कोई आ जाएगा,,,,,( कोमल कसमसाते हुए बोली,,,,।)
कोई नहीं आएगा मेरी जान बस तुम इतना बताओ कि तुम्हें कैसा लग रहा है,,?
बहुत अच्छा लग रहा है,,,।
तो बस मजे लो,,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी बीच वाली उंगली को थोड़ी सी गति प्रदान करते हुए बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,, शुभम की इस हरकत की वजह से कोमल की सांसे उखड़ने लगी थी,,, पूरे कमरे में कोमल की किरण सिसकारियां गूंज रही थी लेकिन बाहर बज रहे डीजे की वजह से उसके सिसकारी की आवाज़ कमरे से बाहर नहीं जा पा रही थी,,, पल पल शुभम कोमल की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहा था कुर्ती के अंदर कोमल के दोनों संतरे लाल टमाटर की तरह हो गए थे उसकी दोनों मित्तल नुकूली सुई की तरह तन सी गई थी,,, जिसे शुभम ड्रेस के ऊपर से ही अपनी ऊंगलियो से पकड़कर खींच दे रहा था,,,, और कोमल सुभम की इस हरकत की वजह से दर्द से कराह दे रही थी,,,,। कोमल को पूरी तरह से चुदवासी बनाने में शुभम कोई भी कसर बाकी नहीं रखना चाह रहा था,,,। इसलिए वह कॉमेंट के अंगों के साथ खेलते खेलते अपने पैंट की बटन खोलकर उसे घुटनों तक सरका दिया,,, कोमल की मदमस्त जवानी देखकर उसका लंड पूरे सबाब में खड़ा हो चुका था,, जो कि इस समय शुभम अपने हाथों में लेकर उसे कोमल के नितंबों के बीच की लकीर में हल्के से धंसाते हुए,,,,,लंड के सुपाड़े को रगड़ना शुरू कर दिया शुभम की यह हरकत आग में घी डालने का काम करने लगी,,, कोमल पूरी तरह से मदहोश होने लगी उसके बदन में उसकी जवानी रंग ला रही थी,, उसकी बुर से नमकीन पानी का सैलाब फूट पड़ रहा था,,, कोमल से रहा नहीं गया और वह ना चाहते हुए भी अपने गोलाकार नितंबों को गोल-गोल घुमाते हुए शुभम के मजबूत लंड का आनंद लेने लगी या यूं कह लो कि वह अपनी गांड को सुभम के लंड पर रगड़ने लगी,,,, कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,, आईने में दोनों का चेहरा साफ नजर आ रहा था,,, जिसे देख कर कोमल शर्म से पानी-पानी हो जा रही थी लेकिन अब वह कर भी क्या सकती थी अब हालात उसके बस में बिल्कुल भी नहीं थे अब चाह कर भी वह शुभम को रोक नहीं सकती थी। शुभम की उंगलियां इस समय कोमल की बुर में लंड का काम कर रही थी और कोमल को शुभम की उंगलियों से ही चुदाई का मजा मिल रहा था कोमल अपनी गोलाकार नितंबों को लंड पर रगड़ते हुए शुभम की भी उत्तेजना को बढ़ा रही थी इस समय कोमल,,, जिस तरह की हरकत कर रही थी वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी।
जवानी के जोश में कोमल सब कुछ भूल चुकी थी बाहर से आ रही लगातार DJ पर बज रहे गाने की आवाज उसके कानों तक नहीं पहुंच पा रही थी क्योंकि वह शुभम की आगोश में अपनी जवानी को पिघलाने के लिए पूरी तरह से मदहोशी के समंदर में गोते लगा रही थी।,, शुभम उसकी मदहोशी को और ज्यादा बढ़ाते हुए
अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुर के मुहाने पर हल्के हल्के स्पर्श कराने लगा,,,, अपनी रसीली बुर पर गर्म लंड की सुपाड़े का स्पर्श पाते ही कोमल की दिल की धड़कन तेज होने लगी,,,, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह चाह रही थी कि शुभम अपने मोटे लंड को उसकी बुर की गहराई में उतार दे,,, मुझे बर्दाश्त के बाहर हो गया तो मैं खुद ही अपनी गांड को इधर-उधर करते हुए शुभम के मोटे लंड को अपनी बुर के गुलाब की पत्तियों के बीचो-बीच लेने की नाकाम कोशिश करने लगी,,,, शुभम कोमल की कसमसाहट को समझ गया और उसके कंधों को पकड़कर उसे घुमाते हुए उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब कर लिया कोमल को समझ पाती इससे पहले कि वह अपने होठों को कोमल के गुलाबी होठों पर रख कर चुसना शुरु कर दिया,,,, शुभम के चुंबन से कोमल की मदहोशी बढ़ने लगी और शुभम का मोटा लंड अपने आप ही कोमल की फुली हुई पर रगड़ खाने लगी,,, कोमल एकदम से चुदवाती हो गई और इस बार तो ना चाहते हुए भी वह अपने हाथ को नीचे ले जाकर सुभम के लंड को पकड़ ली और उसके सुपाड़े को खुद ही अपनी बुर की लकीरों के बीचो-बीच रगड़ना शुरू कर दी,,, औरतों के जिस्म की जरूरत को शुभम समझ चुका था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि कोमल अब उसके लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती हैं,,, कोई और समय होता तो कोमल को आराम से बिस्तर पर लिटा कर उसे पूरी नंगी करके उसे चोदता लेकिन इस समय ऐसा मुमकिन नहीं था इसलिए वह तुरंत कोमल को कमरे से पकड़कर घुमा दिया और उसकी पीठ पर अपनी हथेली रखकर दबाते हुए उसे झुकने का संकेत दे दिया,,, कोमल जी उसके हथेली के दबाव के नीचे झुकती चली गई शुभम तुरंत उसकी कमर को पकड़ कर उसके नितंबों को थोड़ा सा ऊपर उठाया और थूक से अपने लंड के सुपाड़े को गीला करके कोमल की बुर के द्वार पर सटाकर,,,, अपनी कमर पर दबाव देने लगा, एक बार कोमल की बुर सुभम के मोटे लंड को अपने अंदर ले चुकी थी इसलिए शुभम को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी,, धीरे-धीरे करके सुभम ने अपने पूरे लंड को कोमल की बुर के अंदर उतार दिया,,,, कोमल शुभम के मोटे लंड को अपनी बुर के अंदर घुसता हुआ महसूस करके किसी सूखे पत्ते की तरह कांप गई,,,। भले ही एक बार वह शुभम से चुदवा चुकी थी लेकिन फिर भी सुभम का लंड काफी मोटा था,,, इसलिए उसे दर्द महसूस होने लगा लेकिन औरतों के दर्द को आनंद में तब्दील करना शुभम को अच्छी तरह से आता था। और वह इसलिए कोमल की नंगी गांड पर अपनी दोनों हथेलियों फिराते हुए उस के दर्द को कम करने की कोशिश कर रहा था,,, कभी नितंबों को सहलाता तो कभी दोनों हाथों को आगे की तरफ बढ़ाकर कोमल की चुचियों को मसलने लगता,,, और सुभम की इन हरकतों की वजह से कोमल का दर्द आनंद में बदलने लगा उसके कराहने की आवाज मस्ती भरी सिसकारियों में तब्दील होने लगी। शुभम कोमल को आईने के सामने झुका कर उसे पीछे से चोद रहा था। वैसे भीपीछे से चोदने में अपना अलग ही मजा होता है।,,, खूबसूरत पिछवाड़े को अपनी आंखों के सामने देखते हुए रसीली बुर के अंदर लंड अंदर बाहर करने का मजा ही कुछ और होता है,, शुभम को सबसे ज्यादा आनंद पीछे सही करने में आता था इसलिए तो वह कोमल को झुका कर पीछे से चोद रहा था।,,
|