Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 05:09 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
उसकी उखड़ती सांसे अभी दुरुस्त हुई भी नहीं थी कि शुभम के इस हमले की वजह से वह पूरी तरह से धरा साई हो गई,,, सुभम बड़े चाव से सुगंधा के मदनरस को चटाके लगाकर उसका मजा ले रहा था,,,, कुछ ही देर में शुभम सुगंधा की पूरी हुई कचोरी को चाट चाट कर सुगंधा को मस्त कर दिया और पूरे कमरे में ऊसकी गरम सिसकारी की आवाज गूंजने लगी,,, सुगंधा को आज ही ज्ञात हुआ था कि मर्द औरतों की बुर को भी चाटते हैं और उसमे औरतों का ही भला होता है,,,, उत्तेजना के मारे सुगंधा अपने दोनों हाथों से शुभम के बालों को पकड़ कर अपनी बुर पर दबाए हुए थी,,, सुगंधा के द्वारा यह हरकत कैसे हो गई, यह खुद सुगंधा को भी नहीं पता था। लेकिन जो भी हो रहा था उसमें सुगंधाको बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी वह लगातार शुभम के बालों को भींचते हुए उसके मुंह का अपनी जांघों के बीच दबाए हुए थी,,, और गरम सिसकारी लेते हुए वह बोले जा रही थी,

ओहहहहहह,,,,, मेरे राजा यह क्या कर रहे हो मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तुम मेरी बुर चाट रहे हो। बहुत मजा आ रहा है बस ऐसे ही चाटते रहो,,,,आहहहहहहहह,,,, सससससहहहहहहह,,,, और जोर से अंदर तक जीभ डालकर चाटो,,,,, आहहहहहहहह,, आहहहहहहहहहह,,,,
( सुगंधा पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, शुभम उसकी गरम बातें और उसकी सिसकारी की आवाज सुनकर और ज्यादा उत्तेजित हुए जा रहा था सुगंधा जैसी संस्कारी लड़की के मुंह से इस तरह की सिसकारी की आवाज तो औपचारिक तौर पर कुदरती ही थी लेकिन उसके मुंह से इतने गंदे भाषा का प्रयोग यह अजीब था लेकिन इसके पीछे का कारण खुद सुभम था जो अपने फोन पर गंदी गंदी बातें कर करके सुगंधा को पूरी तरह से खोल दिया था,,,, और उसी की वजह से आज दोनों मस्त होकर एक दूसरे को आनंद देने में लगे हुए थे शुभम पूरी तरह से फूली हुई कचोरी सामान बुर को चाट चाट कर लाल कर दिया था,,,, शुभम अपनीे बीच वाली उंगली को बुर में डाल कर अपने लंड के लिए रास्ता भी बना रहा था,,, शुभम कि उंगली का ही असर था कि वह इस समय शुभम के मोटे लंड को अपनी बुर में डलवाने के लिए तड़प रही थी,,, शुभम भी पूरी तरह से उत्तेजनाग्रस्त होकर बुर को चाटते हुए ही अपना पजामा उतार कर एकदम नंगा हो गया था,,, ऊसका लंड सुगंधा की बुर ेत में जाने के लिए तड़प रहा था,,,,
सुगंधा अपनी बुर चटवा कर पानी पानी हुएें जा रही थी।
सुहागरात के लिए फूलों से सजाया हुआ बिस्तर तितर-बितर हो चुका था,,, फुल चारों तरफ बिस्तर के नीचे गिरा पड़ा था जो कि इस बात का सबूत था कि बिस्तर पर बेहद घमासान युद्ध छीेड़ने वाला था,,, शुभम ने बुर में अपने लंड के लिए सांचा बनाने का कार्य संपूर्ण रूप से पूरा कर लिया था बस उसमे से अपने लंड को गुजारना बाकी था,, शुभम भी सुगंधा को चोदने के लिए बेस्ब्र हुए जा रहा था,, इधर उधर मजे लेकर अपने लंड को बहकाना मुश्किल हुएे जा रहा था। शुभम अच्छी तरह से जानता था कि अब उसका काम खत्म हो चुका था अब उसके लंड की बारी थी अब उसे नहीं बल्कि उसके लंड को अपना जौहर दिखाना था,,,। इसलिए वह अपना मुंह सुगंधा की पानी से तरबतर बुर पर से हटा लिया,,,, सुभम के होठो पर से सुगंधा का मदनरस टपक रहा था।,,, सुगंधा पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी चुदवाने की प्यास उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी।
शुभम बिस्तर पर से नीचे खड़ा हो गया,, नीचे खड़े होने का उद्देश्य मात्र इतना था कि वह सुगंधा को अपने मजबूत खड़े लंड के दर्शन कराना चाहता था,,, ताकि वहां उसके खड़े मोटे लंबे लंड को जिंदगी भर याद रखें क्योंकि आज नहीं तो कल उसे अपने पत्नी पति के लंड से चूदना ही था,,, और तब वह जब अपने पति के छोटे पतले लंड से चुदेगी तब वह ऊसके मोटे लंड को याद करके अपनी बुर गीली करे।,,, शुभम ठीक उसके बिस्तर के करीब खड़े होकर अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,,

सुगंधा मेरी जान यह तुम्हारे लिए है,,,, यही लंड तुम्हारी बुर में जाएगा,,, लेकिन अपनी बुर में लेने से पहले थोड़ा इसे प्यार करो ताकि यह और अच्छे से तुम्हारी चुदाई कर सके,,,

( सुगंधा शुभम की बात सुनकर उसकी तरफ देखने लगी तो उसकी नजर उसके मोटे खड़े लंड पर पड़ी,,,, और वह उसे देखती ही रह गई लालटेन की रोशनी में शुभम का चेहरा तो साफ नजर नहीं आ रहा था लेकिन उसका मोटा खड़ा लंड साफ नजर आ रहा था जो कि छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था उसकी लंबाई और मोटाई देखकर सुगंधा डर के मारे सी हर गई उसके मुंह से कुछ भी नहीं निकल रहा था वह बस उसे देखे जा रही थी,,, देखती ही रह गई और शुभम नीचे की तरफ झुककर अपने मोटे लंड को उसके होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया,,, सुगंधा कुछ समझ पातेी इससे पहले ही एक हाथ उसकी नंगी चुचियों पर रख कर के दबाना शुरू कर दिया जिसकी वजह से सुगंधा की तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके होंठ हल्के से खुल गए जिसकी वजह से शुभम ने चालाकी दिखाते हुए अपने लंड के सुपारी को उसके होठों के बीच प्रवेश करा दिया,,, सुगंधा को यह नहीं मालूम था कि यह क्या हो रहा है लेकिन फोन पर शुभम ने इस बारे में भी उसे बताया था इसलिए उसे इतना तो मालूम ही था कि जिस तरह से मर्द. औरतो की बुर को चाट कर खुद मजा लेते हैं और उन्हें भी मजा देते हैं उसी तरह से औरत लोग भी मर्दों के लिंग को मुंह में लेकर चूसते हुए खुद भी मजा लेती है और उन्हें भी मजा देती है। इसलिए सुगंधा भी इनकार ना करते हुए लंड़के सुपाड़े को मुंह में भरली,,, लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि क्या करना है कैसे करना है इसलिए शुभम उसकी चूची को दबाते हुए बोला,,,

मेरी जान अभी से तुम जैसे लॉलीपॉप मुंह में भर कर चुसते हैं उसी तरह चुसो तो तुम्हें भी बहुत मजा आएगा और मुझे भी,,,

सुगंधा के तनबदन मै कामाग्नि पूरी तरह से अपना असर दिखा रही थी। इसलिए वह शुभम की हर बात को मानने के लिए तैयार थी क्योंकि इसमें उसे भी मजा आ रहा था इसलिए वह लॉलीपॉप की तरह ही उसके लंड के सुपाड़े को चाटना शुरू कर दी। पहले तो उसका स्वाद उसे बड़ा अजीब लगा लेकिन जैसे-जैसे लंड के सुपाडे की गोलाई को अपने मुंह के अंदर महसूस करने लगी वैसे वैसे उसे चाटकर ऊसका मजा दुगना बढ़ता जा रहा था,,,, शुभम भी सुगंधा के इस तरह के लंड चाटने की वजह से पूरी तरह से चुदवासा हो चुका था,,, कुछ देर तक लंड चटवाने के बाद वह सुगंधा की जांघों के बीच अपनी जगह बना लिया,,,, शुभम को अपनी बुर की सरहद पर हथियार लेकर तैनात होता हुआ देखकर सुगंधा का दिल जोरों से धड़कने लगा वह शुभम के मोटे लंबे हथियार की वजह से डर का अनुभव कर रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, लेकिन शुभम के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी,, डर और चुदासपन का मिलाजुला मिश्रण उसके चेहरे पर नजर आ रहा था। तभी शुभम मोर्चा संभालते हुए अपने हथियार को सुगंधा की फुली हुई कचोरी के बीचोबीच रख दिया,,, मोटे लंड के सुपाड़े की गर्माहट को अपनी बुर पर महसूस करते हीैं खुशी के मारे उत्तेजना बस सुगंधा की बुर से नमकीन रस बुंद बन कर चुने लगी,,, सुगंधा की सांस अटक रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि शुभम का इतना मोटा लंड उसकी बूर में जाएगा कैसे,,,

लेकिन वह नहीं जानती थी कि अब तक ना जाने कितनी औरतों को अपने लंड की सवारी से अपने लंड का उन्हें दीवाना बना चुका सुभम ऊसकी बुर को चाटते हुए ही अपनी उंगली के सहारे उसकी बुर में अपने लंड के लिए जगह बना लिया था,,,, सुगंधा धड़कते दिल के साथ शुभम की अगली हरकत का इंतजार कर रही थी,,
सुभम भी ऊसकी बुर में लंड डालने के लिए तैयार हो चुका था वह लंड के सुपाड़े को बुर की लकीरों पर रगड़ते हुए धीरे से उसे अंदर की तरफ सरकाना शुरू किया,,, सुगंधा डर के मारे अपनी आंखों को बंद कर ली,, बुर गीली होने की वजह से शुभम का मोटा लंड धीरे धीरे अंदर की तरफ सरक रहा था,,, जैसे-जैसे वह अंदर की तरफ सरक रहा था वैसे वैसे सुगंधा के सांसों की गति तेज होती जा रही थी,,,, धीरे-धीरे करके शुभम ने अपने लंड की मोटे सुपाड़े को बुर की गहराई में उतार दिया,,, सुपाड़े को अंदर घुसते ही सुभम का काम आसान हो गया,,,, वह समझ गया कि थोड़े से ही प्रयास में उसका पूरा लंड बुर की गहराई में होगा,,, इसलिए वह इस बार सुगंधा की मोटी मोटी जांघों को पकड़कर हल्के से अपनी कमर को झटका दिया,,, और इस बार गीलेपन की वजह से शुभम का आधा लंड बुर की गहराई में घुस गया,,,,, आधे किले को शुभम फतेह कर लिया था,,,, लेकिन इस आधे किले को फतेह करने में सुगंधा तितर-बितर हुए जा रही थी शुभम के मोटे लंड को अपने दिल की गहराई में महसुस करके वह दर्द से बिलबिलाने लगी,,, उसे जिसका डर था वही हो रहा था उसे बेहद दर्द की अनुभूति हो रही थी अपने दांतों को दबाकर अपने दर्द को दबाने की कोशिश कर रही थी लेकिन यह उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था जब उससे रहा नहीं गया तो वह सुभम से बोली,,,,।

आहहहहहहहह,,,,,, मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज इसे निकाल लो मैं नहीं कर पाऊंगी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है प्लीज मुझ पर रहम करो,,,,
( शुभम जानता था कि यह क्षण भर का ही दर्द है इसके बाद तो मजा ही मजा है,,, इसलिए वह ऊसे समझाते हुए बोला।)

सुगंधा मेरी रानी बस थोड़ा सा सहन कर ले उसके बाद तुम्हें बहुत मजा आएगा,,,

नहीं मुझसे नहीं होगा बिल्कुल भी नहीं होगा मुझे नहीं मालूम था इतना दर्द होगा मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा है तुम्हारा लंड भी बहुत मोटा है,,,।
( सुगंधा के मुंह से दर्द के मारे लंड शब्द निकल गया जिसकी वजह से उस शब्द पर ध्यान जाते ही वह शरमा गई और यही सही मौका शुभम को लगा और वह झुक कर सुगंधा की चूचियों को बारी-बारी से दबाते हुए उसे मुंह में भर कर पीने लगा,,,, शुभम सुगंधा का ध्यान दर्द पर से हटाना चाहता था कुछ देर तक यूं ही अपने लंड को सुगंधा की बुर में डाले हुए उसकी चूचियों को चूस चूस कर सुगंधाको मजा देने लगा और कुछ भी देखने सुगंधा को भी मजा आने लगा,,, दर्द से कराने की आवाज की जगह उसके मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी थी,, शुभम मौका देखते हुए आधे लंड को ही बुर के अंदर बाहर करते हुए चोदने लगा,,,, कुछ ही देर में सुगंधा को मजा आने लगा।,, शुभम का आधा लंड भी सुगंधा के लिए पूरे लंड के बराबर था, शुभम हल्के हल्के धक्के लगाते हुए सुगंधा को चोदने लगा, साथ ही दोनों चूचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर पी भी रहा था,,, ईससे सुगंधा का मजा दुगना होता जा रहा था,,, बुर में हो रहा दर्द छूमंतर हो चुका था और उसकी जगह,, बुर में मीठी मीठी चुभन होना शुरू हो गया था जो कि उसको अथाग आनंद की अनुभूति करा रहा था।
शुभम बहुत चालाक हो चुका था उसे मालूम था कि औरतों के साथ कब क्या करना है, वह अपना पूरा लंड
सुगंधा की बुर में नहीं डाल रहा था उसे मालूम था कि ऐसा करने पर उसे फिर से बहुत ज्यादा दर्द होने लगेगा और वह फिर से उसे मना करने लगेगी,, इसलिए वह उसे बातों में उलझा ते हुए बोला,,,।

कैसा लग रहा है मेरी जान,,,

सससहहहहह,,,,, बहुत अच्छा लग रहा है,,,( शिसकारी लेते हुए बोली,,)

मेरा लंड तुम्हारी बुर के अंदर महसुस तो हो रहा है ना तुम्हें,,,,


हां बहुत अच्छे से महसूस हो रहा है मुझे कोई यकीन नहीं हो रहा है कि मैं यह काम कर रही हूं,,,,।


ऐसा क्यों महसुस कर रही हो ( सुभम हल्के धक्के लगाते हुए बोला।)


क्योंकि मैं कभी सोच ही नहीं थी कि मैं इस तरह से तुम्हारे सामने आऊंगी,,,,
( सुगंधा शरमाते हुए बोली,,, शुभम उसके हाव-भाव देखकर समझ गया कि वो खुलकर नहीं बोल पा रही है और वह जानता था कि पूरा लंड उसकी बुर में उतारने के लिए उसका खुलना बेहद जरूरी है इसलिए वह बोला,,,)

ओहहहहहह,,,, सुगंधा मेरी जान शर्माओ मत जो भी है खुल कर बोलो खुलकर बोलोगी तभी हम दोनों ठीक तरह से अच्छे से मजे ले पाएंगे पर यह तो हमें जिंदगी भर करना है,ईसलिए शरमाने से कोई फायदा नहीं है।,,
बोलो जो भी बोलना है (शुभम दोनों चूचियों को मुट्ठी में भर कर भेजते हुए बोला जिससे सुगंधा की उत्तेजना बढ़ रही थी,,, शुभम की गजब की चुदाई और उसके हाथों की हरकतों से मस्त हो रही है सुगंधा समझ गई कि उसके लिए भी शर्म करना फुल कर मजा लेने में अवरोध पैदा कर रहा है इसलिए वह खुलकर बताते हुए बोली,, लेकिन वह कुछ बोलती ईससे पहले ही,,, शुभम के मोटे लंड की रगड़ को अपनी बुर की अंदरुनी दीवारों पर महसूस करके वह मस्त हाेने लगी और सिसकारी लेते हुए बोली,,,।

सससहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहहह,,,, सच कहुं,,, तो,,, मुझे इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि चुद़वाने में इतना मजा आता है,,, इस बात का एहसास मुझे इस समय ही हो रहा है कि वास्तव में नारी का जीवन मर्द के बिना अधूरा है,,,, बस ऐसे ही करते रहो मुझे बहुत मजा आ रहा है।,,सससससहहहहहह,,,,,,, ऊमममममममममन,,,,,,,

सुगंधा बेहद मादक भरी पिचकारी भर रही थी और उसकी गरम सिसकारी को देखते हुए शुभम को यही सही मौका लगा अपना पूरा का पूरा लंड बुर की गहराई में उतारने के लिए,, और वह ईस बार पूरी तरह से अपनी बाहों में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में भरकर चूसते हुए अपनी कमर को इतना जोरदार से झटका दिया कि इस बार उसका पूरा मोटा लंड सुगंधा की बुर की अंदरूनी दीवारों को फैलाते हुए गहराई में उतर गया,,, सुगंधा से सुभम का यह झटका बर्दाश्त नहीं हुआ और वह दर्द के मारे जोर से चीखने ही वाली थी कि पहले से ही तैयार शुभम पागलों की तरह उसके होठों को चूसने लगा,,,, वह जोर से सीखना चाहती थी चिल्लाना चाहती थी क्योंकि उससे दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन सुबह मुझे करके अपनी बाहों में जकड़े हुए उसके होठों को चूस रहा था जिसकी वजह से वह चीख नहीं पा रही थी,, तुरंत कुछ देर तक ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और उसके होठो को चूसता रहा,,वह सुगंधा की तरफ से होने वाली हरकत का इंतजार कर रहा था इसलिए वह अपने आप पर कंट्रोल रखते हुए अपने पूरे लंड को ऊसकी बुर की गहराई में डालकर होठों का रसपान करता रहा और कुछ देर बाद ही होठो की चूसाई की वजह से सुगंधा फिर से गर्म होने लगी और शुभम का साथ देते हुए उसके होठों को चूसना शुरू कर दी,,, शुभम समझ गया के लोहा गरम हो चुका है अब वार करना चाहिए,,, और वह माहौल को देखते हुए धीरे-धीरे अपनी कमर को ऊपर-नीचे करते हुए सुगंधा को चोदना शुरू कर दिया थोड़ी ही देर में पूरे कमरे में सुगंधा की सिसकारी की आवाज गूंजने लगी सुगंधाको बेहद आनंद की प्राप्ति होने लगी कुछ देर पहले दर्द से बिलबिला रही सुगंधा अब मस्ती भरी आंहें भर रही थी। फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गुंजरहा था। शुभम धीरे धीरे धीरे अपनी रफ्तार को बढ़ाना शुरू कर दिया,,, दोनों पागलों की तरह एक दूसरे में समाने के लिए जी जान लगा दे रहे थे,,। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे। थोड़ी ही देर में घमासान युद्ध का अंत होने वाला था शुभम सुगंधा के गुलाबी होठों का रसपान करते हुए दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में पेले जा रहा था।,,, थोड़ी ही देर में सुगंधा का बदन अककने लगा,,, उस का स्खलन होने वाला था,, शुभम भी बिल्कुल करीब में ही था जोर जोर से धक्के लगाते हुए अगले पल ही वह झड़ने लगा सुगंधा भी अपना काम रस बहाने लगे दोनों एक दूसरे को कसके अपनी बाहों में भींचे हुए थे। सुगंधा अपनी सुहागरात को संतुष्टि पूर्वक मना चुकी थी,, शुभम अपने इरादे में कामयाब हो चुका था। सुगंधा के गुप्त द्वार को जिसके द्वारा खोलना था वह खेतों में पागलों की तरह पड़ा था,,, और जो सिर्फ उस द्वार को खोलने की इच्छा रखता था,,, वहीं आज उस द्वार में अपनी चाबी घुमा रहा था।


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