Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 05:10 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम बहुत खुश था क्योंकि जो उसने चाहा उसे प्राप्त कर लिया था,,,। सुगंधा के साथ शारीरिक संबंध बनाकर
शुभम की खुशी का ठिकाना नहीं था एक अजीब सा रोमांच उसके तन बदन को झकझोर रहा था,, क्योंकि उसने किसी और के हिस्से का लड्डू खुद खा लिया था,,, और दूसरे के लड्डू को खाने में जितना मजा मिलता है उतना खुद के लड्डू खाने में मजा नहीं आता बेहद हसीन रात गुजारा था उसनें सुगंदा के साथ,, और सबसे बड़ी बात यह थी कि सुगंधाको रत्ती भर भी शक नहीं हुआ था कि वह अपने पति के साथ नहीं बल्कि अपने ही भांजे के साथ सुहागरात मनाते हुए उससे जी भर कर चुदवा रही थी।,,, लेकिन सुबह उसे थोड़ा थोड़ा शंका होने लगा कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है उसके मन में यह बात बार-बार आ रही थी कि रात को सुहागरात मनाते समय उसके साथ उसका पति नहीं कोई और था,,, क्योंकि सुबह में उसके पति कि मनोस्थिति रात के मुताबिक कुछ संकास्पद लग रही थी।
सुगंधा नहा धोकर तैयार हो चुकी थी लेकिन अब उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था वह बार-बार भगवान से प्रार्थना कर रही थी जैसा वह सोच रही है वैसा बिल्कुल भी ना हो वरना अनर्थ हो जाएगा,,। रात को तीन तीन बार दमदार चुदाई के बाद उसे चलने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी,,, इसलिए उसकी चाल देखकर उसकी जेठानी और उसकी भाभी निर्मला आपस में बातें करके मुस्कुरा रही थी।,,, तभी सुगंधा सबके पैर छूने लगी,, सभी औरते हंस हंस कर ऊसे आशीर्वाद दे रही थी,,। जैसे ही वह निर्मला के पैरों को छूकर आशीर्वाद लेने लगी निर्मला आशीर्वाद देते हुए बोली,,,।

खुश रहो मेरी प्यारी भाभी,,,,( रिश्ते में सुगंधा निर्मला की भाभी लगती थी लेकिन निर्मला उससे उम्र में काफी बड़ी थी उसके हिसाब से सुगंधा उसके भी पाओ छू कर आशीर्वाद लेे रही थी।) लगता है कि हमारे छोटे भाई ने रात भर तुम्हें सोने नहीं दिया है। और तभी तुम्हारी चाल भी बदल गई है,,,,।
( निर्मला की बात सुनकर सुगंधा शर्मा गई और वह इस बात पर गौर की, की वास्तव में उसकी चाल बदल गई थी वह थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी,,, और चाल में बदलाव आता भी पैसे नहीं जिंदगी में पहली बार तो उसकी कोरी कसी हुई बुर में इतना मोटा लंड गया था वैसे भी शुभम का लंड कुछ ज्यादा ही मौटा था,,, अब तक लंड के लिए सुगंधा तड़प रही थी और केवल कल्पना में ही लंड के दर्शन करके अपने सपने को साकार करने के ख्वाब बुन रही थी,,,, और ख्वाब हकीकत में बदला भी तो ऐसा बदला की,, शुभम के मोटे लंड से ही उद्घाटन हुआ,,,, जिसको बुर में लेकर ऐसा एहसास होता की एक साथ दो-दो लंड बुर में गोते लगा रहे हो,,, इसलिए तो सुगंधा की कशी हुई बुर का गुप्त द्वार का मुक चौड़ा हो चुका था,,, और उसमे हल्का हल्का दर्द अभी भी सुगंधाको महसूस हो रहा था इसलिए बात थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी,,,, रात का ख्याल आते ही उसकी तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगती लेकिन शंकाओं के बादल उसके मन में अजीब अजीब सी भावनाओं को जन्म देने लगते सुगंधा अपने विचारों से एकदम परेशान हो चुकी थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार अपनी समस्या का समाधान ढूंढे भी तो कैसे इसलिए तो वह उन लोगों की मजाक का जवाब नहीं दे पाई,,,
आस पड़ोस की औरतें,, उसको देखने के लिए आ रही थी और उसकी खूबसूरती देखकर उनकी भी आंखें चमक जा रही थी, वह लोग सुगंधा को देख कर काफी खुश थी।,, मुंह दिखाई की रस्म पूरी हो चुकी थी। घर की औरतें आपस में हंसी मजाक कर रही थी, कुछ देर के लिए सुगंधा भी अपने शंका का के घेरे में से निकल कर बाहर आ चुकी थी।,,, बगल वाले कमरे में सोनल की मम्मी कोमल की चाची आपस में बातें कर रही थी वो लोग भी काफी खुश नजर आ रहीे थी। तभी कोमल की मम्मी कोमल की चाची से धीरे से बोली,,,

मुझे तो यह बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है कि अपना बुद्धू देवर रात को इतनी धमा चौकड़ी मचा सकता है,,,देख नही रही हो सुगंधा कैसे लंगड़ा कर चल रही है,,,

हां दीदी सच कह रही हो मुझे भी बिल्कुल यकीन नहीं होता है कि छोटे देवर इस तरह की हरकत कीए होंगे वह तो लड़कियों के नाम से दूर भागते हैं और कल रात को सुगंधा के साथ,,,, नहीं दीदी मुझे भी यकीन नहीं हो रहा है लेकिन सुगंधा की हालत को देखकर यकीन करना पड़ रहा है।,,,

ऐसा भी तो हो सकता है अपने देवर ने नहीं बल्कि सुगंधा ने हीं उकसाया हो,,, वैसे भी आजकल की लड़कियों का कोई भरोसा नहीं है (इतना कह कर दोनो फिर से हंसने लगी,, लेकिन यह बात सुगंधा के कानों में पड़ चुकी थी एक बार फिर से उसका मन संका से घिरने लगा,,,, फिर से उसे रात वाली बात याद आने लगी अब तो सुगंधा के मन में शंकाओं का तूफान उठने लगा क्योंकि जिस तरह से वह दोनों बात कर रही थी उसे देखते हुए सुगंधा को भी लगने लगा कि रात को जो कुछ भी हुआ वह गलत ही हुआ है,,,। लेकिन कौन ऐसा कर सकता है कौन इतनी हिम्मत दिखा सकता है कि सुहागरात के दिन ही पूरे परिवार की मौजूदगी में दुल्हन के कमरे में जाकर बात करो उसके साथ सुहागरात मनाए राय और सुबह आराम से बाहर चला जाए,,,, यह सब मैं उसे अपनी भी गलती नजर आने लगी,,
वह मन मे सोचने लगी की काश शादी से पहले अपने पति को देख ली होती कि किससे शादी करने जा रही है,,, उसे देख लियो की समझ ली होती पहचान ली होती तो कल रात जो हुआ वह नहीं होता तभी उसे ख्याल आया कि वह तो फोन पर रोजाना उससे बातें करती थी और उसकी संख्या को मजबूत करने वाला कारण यह भी था कि कल रात भी के साथ सुहागरात मनाई थी उसकी आवाज और फोन पर की आवाज दोनों मिलती जुलती थी लेकिन सुबह जिसके साथ कमरे में थी उसकी आवाज ना तो फोन वाली आवाज से मिलती जुलती थी और ना ही रात में सुहागरात मनाने वाली आवाज से कोई मेल खा रही थी,,,, वह बैठकर यह सब सोच कर हैरान हूंए जा रही थी,, तभी उसे याद आया कि वह जब बिस्तर पर बैठी थी तभी वह शख्श कमरे में आकर लालटेन की रोशनी को चलाकी के साथ एकदम कम कर दिया था,,,और जब वह लालटेन की रोशनी को बढ़ाने जा रही थी,, तब वह कैसे कूदकर जल्दी से उसके करीब पहुंच गया था वह बड़ी ही चालाकी के साथ उसे अपनी बाहों में लेकर रोशनी को बढ़ाने से मना कर दिया था,,, यह सब सोचकर सुगंधा का शक यकीन में बदलने लगा उसे लगने लगा के रात में सुहागरात मनाने वाला शख्श उसका पति नहीं कोई और ही था,,,, तभी तो सुबह में,,, रात वाले शख्स की लंबाई और उसके पति की लंबाई में भी काफी अंतर था,,,,
अब सुगंधा का माथा ठनकने लगा,,,, यह उसके साथ क्या हो रहा है यह सोच कर ही उसे चक्कर आ रहा था,,, अगर सुहागरात मनाने वाला तक कोई और था दो उसका पति रात भर कहा था वह क्यों नहीं कमरे में आया और सुबह में कमरे में क्या कर रहा था यह सब सवालों का जवाब वह ढूंढना चाह रही थी लेकिन उसे जवाब नहीं मिल रहा था,,, तभी उसे याद आया कि फोन क्यों ना फोन करके देखें कि उठाता कौन है,,,,
वह कॉल करने के लिए उतावली हो गई लेकिन फोन वह अपने कमरे में ही छोड़ आई थी,,। और अभी इस समय वह यहां से जा नहीं सकती थी कि घर के सभी लोग मौजूद थे और सभी लोग ऊससे मिलजुल रहे थे।

शुभम अपने कमरे में आराम कर रहा था,,, बड़ी चालाकी के साथ उसने जीत हासिल किया था लगभग लगभग उसने घर की सभी औरतों की चुदाई कर चुका था और उसे इस खेल में बेहद मजा भी आ रहा था शहर में केवल वहां निर्मला के साथ ही शारीरिक संबंध बनाकर अपने आप को संतुष्ट कर पा रहा था लेकिन यहां तो रोज उसे नईं नहीं नई बुर मिल रही थी चोदने के लिए,, लेकिन सभी औरतों की अलग अलग रसीली बुर का स्वाद चखने के बावजूद भी,,, उसे आत्म संतुष्टि नहीं हो रही थी और वह जानता था कि सबसे ज्यादा आत्म संतुष्टि से कहां मिलती थी और किसके साथ मिलती थी काफी दिनों से उसने अपनी मां की बुर का स्वाद नहीं चखा था। इसलिए रोज नई नई बुर चोदने के बाद भी वह संतुष्ट नहीं था। शादी के लिए गांव आया था और शादी हो चुकी थी दो-तीन दिन बाद उसे वापस शहर जाना था। यही सब सोचते हुए वह बिस्तर पर करवट बदल रहा था उसे क्या मालूम था कि जिसके साथ वह रात को सुहागरात मनाया था,, ऊसको ईस बात की शंका हो गई थी कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है। लेकिन इस बात से भी शुभम को कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि वह जानता था कि अगर जनता जान भी जाएगी कि उसके साथ सुहागरात मनाने वाला वह है तो भी ऊसका कुछ नहीं बिगड़ेगा क्योंकि यह बात वह घर में किसी और को बता भी नहीं सकती,,, अगर बता भी देती है तो कोई यकीन नहीं करेगा उस पर ही उंगलियां उठने लगेंगी,,, बेफिक्र होकर अपने कमरे में आराम कर रहा था और दूसरी तरफ सुगंधा इसी उधेड़बुन में लगी हुई थी कि आखिरकार रात को कमरे में कौन आया था और कौन उसकी कुंवारी इज्जत को चटखारे लगाकर चट कर गया,,,,।

शाम ढलने लगी थी सुगंधा की बेकरारी और बेचैनी दोनों बढ़ती जा रही थी क्योंकि अभी तक उसे इस बात का पता नहीं चल पाया था कि वह शख्स कौन है जिससे उसकी इज्जत लूट ले गया,,, सुबह से अभी तक उसके पति से आमना-सामना भी नहीं हुआ था,,,, उसके मन में इस बात को लेकर भी घबराहट और शंका हो रही थी कि कहीं सच में उसकी जेठानी लोग सच तो नहीं कहती हैं,,, अगर सच में ऐसा हो गया तो उसकी जवानी बर्बाद हो जाएगी यही सब सोच सोच कर उसका मन बैठा जा रहा था।,, तभी उसे ख्याल आया कि फोन करके देखु फोन कौन उठाता है,, क्योंकि इतना तो तय हो गया था कि वह चाहे कोई भी हो है घर का ही,, वो ऐसी मुसीबत में फंस चुकी थी किसी को बता भी नहीं सकती थी,,, उसे ईस समस्या का समाधान खुद ही ढूंढना था। वह अपने कमरे में जाकर तुरंत उसी नंबर पर कॉल कर दी,,,
शुभम उस समय खेतों में इधर उधर टहल रहा था फोन की स्क्रीन पर देखा तो सुगंधा का नंबर था का नंबर देखकर मुस्कुरा दिया लेकिन उठाया नहीं,,, क्योंकि ऐसा करने पर वह फंस भी सकता था। काफी देर तक यूं ही घंटी बजती रही लेकिन शुभम कॉल रिसीव नहीं किया,
तभी वह सोची कि क्यों ना पहले वाले नंबर पर फोन करके देखें,,, और जैसे ही वह पहले वाले नंबर पर फोन करने लगी तो घंटी कमरे मे ही बजने लगी

कमरे में बजरी मोबाइल की घंटी की आवाज सुनकर सुगंधा चौक गई और इधर उधर ढुढ़ने लगी,,, मोबाइल उसके पति की जेब मै बज रही थी,,, वह जल्दी से पेंट में से मोबाइल निकाली और मोबाइल देखने के लिए यह वही नंबर था जिस पर वह पहले फोन किया करती थी लेकिन सामने से कोई जवाब नहीं मिलता था। अब सब कुछ सुगंधा को समझ में आने लगा था,,,, वह अपनी किस्मत पर रोने लगी,,, उसे लगने लगा कि अब उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई है,,, उसकी जेठानी जो बातें उसके पति के बारे में कह रही थी वह सच ही कह रही थी। क्योंकि पहले वाला फोन नंबर देख कर उसे समझ में आ गया था आजकल के लड़के वैसे भी लड़कियों से बातें करने के लिए बहाने ढूंढते रहते हैं और ऐसे में उसका पति वह फोन लगा ती थी फिर भी बात नहीं करता था।,,,, वह बिस्तर पर बैठ कर आंसू बहाने लगी,,, उसे जैसा पति चाहिए था वह दूसरे नंबर वाला जैसा होना था। वजह से पति की कामना रखती थी वैसा रात वाला था ना कि सुबह वाला। ऐसा पति चाहती थी जो कि उससे ढेर सारा प्यार करें रोमांटिक बातें करें अपनी बाहों में लेकर उसकी जवानी के रस को निचोड़ डालें ना कि ऐसा पति जो निहायती निठ्ठला हो औरतों के करीब में आता हूं और प्यार किया जाता है इस बारे में उसे कुछ भी पता ही ना हो,,, वह मन में यही सब सोचकर आंसू बहाए जा रही थी और इस बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही थी आखिरकार उसे फोन पर बातें करने वाला शख्स और उसके साथ सुहागरात मनाने वाला वह है कौन? वैसा मन में सोच रही थी कि तभी कोमल फिर आ गई उसे बुलाने के लिए क्योंकि खाने का समय हो गया था,,,।
सब लोग खाना खाने बैठे थे औरतें कमरे के अंदर खा रही थी और मर्द लोग कमरे के बाहर खाना खा रहे थे निर्मला भी खाना खाने बैठी थी लेकिन शुभम नहीं आया था,,, इसलिए वह कोमल को शुभम को बुला लाने के लिए बोली तो कोमल शुभम को बुला कर ले आई,,, ऐसा नहीं था कि कोमल इतनी आसानी से शुभम के साथ यहां तक आ गई शुभम बेहद शातिर और औरतों का शौकीन हो चुका था इसलिए अंधेरे का लाभ लेकर कोमल को दीवार से सटा दिया था और उसके गुलाबी होठों को चुसते हुए उसके दोनों नारंगीयों को जोर जोर से दबा कर मजे ले रहा था और कोमल की नर्म नर्म गांड पर भी हाथ फेर रहा था,,,, वह तो कोमल को दीवार से सटाए हुए ही उसकी चुदाई करना चाहता था लेकिन कोमल ही जबरदस्ती करके उसे मना कर दी क्योंकि कोई भी उधर आ सकता था।
शुभम सीधे उस कमरे में चला गया जहां पर सभी औरतें लोग खाना खा रही थी,,,, उसे उसे बिल्कुल भी पता नहीं था कि उस कमरे में सुगंधा भी बैठ कर खाना खा रही थी। वह जाते ही बोला,,,,।

क्या हुआ मम्मी आप क्यों मुझे बुला रही है,,।
( यह आवाज सुनते ही सुगंधा बुरी तरह से चौक गई मुंह तक लाया हुआ निवाला मुंह के करीब ह़ी अटक गया,,, क्योंकि यह आवाज वही आवाज कि जिसे वर्क फोन पर सुनकर मस्त हो गई थी,,, और इसी आवाज के चलते हैं उसे बिल्कुल भी कुछ भी गड़बड़ होने की भनक तक नहीं लगी और वह इस आवाज वाले शख्श के साथ जिंदगी की पहली रात बीता डाली,,,, वह तुरंत उस परिचित आवाज वाले शख्स की तरफ देखने लगी,,, लेकिन वह थोड़ा घूंघट डाले हुए थी एकाएक घूंघट उठाकर नहीं देख सकती थी,, फिर भी उसे लालटेन की रोशनी में काफी कुछ नजर आया था,, लंबे कद काठी चौड़े सीने को अच्छी तरह से पहचान रही थी लेकिन चेहरा ठीक से नजर नहीं आ रहा था अगर घूंघट थोड़ा उठा देती तो उसे चेहरा भी नजर आ जाता इसलिए वह पानी पीने के बहाने हल्के से घुघट उठाई तो उसका चेहरा भी नजर आ गया,,,, सुगंधा कुछ सेकेंड तक शुभम को ही देखती रह गई इतनी देर में शुभम की भी नजर सुगंधा पर पड़ गई दोनों की नजरें आपस में टकराई और सुभम में अपनी नजरें नीचे झुका दिया,,,, तभी निर्मला बोली,,,

अरे खाना नहीं खाना है क्या सब लोग खाना खा रहे है जाकर खाना खा लौ,,,,

जी मम्मी मैं जा रहा हूं इतना कहकर वह कमरे के बाहर निकल गया,,,
( वह तो चला गया था लेकिन सुगंधा के मन में तूफान छोड़ गया था क्योंकि सुगंधा को पक्का यकीन हो गया था कि फोन पर बात करने वाला यही लड़का है और कल उसके साथ सुहागरात मनाने वाला भी यही लड़का है। अब सुगंधा की बेचैनी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी।)


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