Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 05:10 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( वह तो चला गया था लेकिन सुगंधा के मन में तूफान छोड़ गया था क्योंकि सुगंधा को पक्का यकीन हो गया था कि फोन पर बात करने वाला यही लड़का है और कल उसके साथ सुहागरात मनाने वाला भी यही लड़का है। अब सुगंधा की बेचैनी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी।)
घर के सभी लोग खाना खा चुके थे सुगंधा का पेट तो भर चुका था लेकिन जिस्म की भूख ने उसे परेशान कर रखा था। लेकिन जिस्म की भूख के साथ साथ उसके मन में उसके पति को लेकर अजीब अजीब से ख्यालात भी आ रहे थे। कमरे में अकेली बैठी वह अपने पति का इंतजार कर रही थी लेकिन उसे अब यह नहीं मालूम था कि कमरे में आएगा कौन उसका असली पति जिसके साथ उसने सात फेरे लेकर शादी की है या फिर सुहागरात मना कर चला जाने वाला वह लड़का,, जिसका चेहरा उसके सामने स्पष्ट हो चुका था।,,,,, सुगंधा पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और समझदार भी अपने शरीर की जरूरतों को अच्छी तरह से समझती थी लेकिन इस समय उसके मन पर क्या गुजर रहा है यह बात सिर्फ वही जानती थी उसके साथ धोखा हुआ था उसकी इज्जत के साथ खेला गया था उसे क्या मालूम था कि शादी वाले दिन ही जो काम उसके पति को करना चाहिए था वह काम कोई और कर के चला गया था । जिन कोमल अंगों को उसके पति के द्वारा मसले जाना वह कोई और मसल कर उसका आनंद ले चुका था। जिस द्वार के लिए उसने कभी गैरों के सामने अपनी टांगे नहीं खोली थी,,, उस द्वार को खुद कोई और अपने हाथों से टांगो को खोल कर उस का उदघाटन कर के चला गया था,,,, सुगंधा के मन में इस समय बहुत घबराहट हो रही थी उसका मन इधर-उधर दौड़ रहा था इस बात से ज्यादा घबराहट हो रही थी कि कहीं वास्तव में उसका पति उसकी जेठानी के कहे मुताबिक एक दम निठ्ठल्ला ना हो। और अगर कहीं ऐसा हो गया तो उसकी जवानी बर्बाद हो जाएगी जिंदगी की हरी-भरी सावन देखने से पहले ही उसका बदन सूखाग्रस्त हो जाएगा,,, यह सोचकर सुगंधा मन ही मन में घबराने लगी,,, वैसे ही नहीं घबरा रही थी उसका घबराना भी जायज था क्योंकि वह सुबह में ही देख चुकी थी अपने पति के निठल्ले पन को,,, भला दुनिया का कौन मर्द एैसा होगा जिसकी आंखों के सामने बेहद खूबसूरत औरत भरे हुए बदन की मालकिन संपूर्ण नग्न अवस्था में बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई हो और उसकी खूबसूरती लालटेन की रोशनी में अपना आभा बिखेर रही हो उसके गोलाकार गुदाज नितंब अपनी मादक गोलाईयो से पूरे वातावरण को मादकता से भर रही हो और ऐसे में कोई मूर्ख यह सब देखते हुए भी अनजान बनकर फिर तो बैठा रह जाए तो दुनिया में उससे बड़ा बेवकूफ कौन होगा,,,, परोसी हुई स्वादिष्ट व्यंजन की थाली को कोई भी नहीं ठुकराता,,, क्योंकि ऐसी स्वादिष्ट व्यंजन से भरी हुई थाली को खाने के लिए हर कोई ललचाता है,,, उसे खाने की भरपूर कोशिश करता है। लेकिन जहां तो जवानी से भरपूर काया को उसने पूछा तक नहीं,,,, यही सब सोचकर सुगंधा परेशान हुए जा रही थी और अपनी किस्मत को कोसे जा रही थी,,, जिंदगी में पहली बार लंड का स्वाद चख चुकी सुगंधा,,, फिर से मोटे लंड को तरसने लगी,,,, उसकी चुस्त कसी हुई बुर को शुभम ने जिस तरह से अपने मोटे लंड को ऊसमें डालकर उसे ढीला किया था,,, एक बार फिर से सुगंधा उसी लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करने के लिए तड़पने लगी,,,, ना जाने क्यों इतना कुछ हो जाने के बावजूद भी जिस पर उसे क्रोध आना था लेकिन जवानी की आग के सामने उसका क्रोध पिघलने लगा था,,,, उसकी मदमस्त जवानी से भरपूर काया शुभम के चौड़े सीने में समाने के लिए मचलने लगी,,, वह उसके हाथो शादी की पहली रात को ही दागदार होने के बावजूद भी उसे अपने अंदर महसूस करने के लिए तड़पने लगी,,,। इसमें उसका दोष नहीं था अब तक कुछ नहीं अपनी जवानी को बड़े ही जतन से संभाल कर रखे हुए थी सिर्फ अपने पति के लिए लेकिन उसका यह जतन भी कोई काम नहीं आया क्योंकि जिसके लिए उसने अपनी जवानी बचा कर रखी थी उसे तो कोई और लूट ले गया था और जिसके लिए रखी थी वह तो अपने निठल्ले पन से ही ऊपर नहीं आ रहा था,,, क्योंकि नई नई शादी में तो मर्द अपनी पत्नी को अकेला छोड़ते ही नहीं है। और यह है कि अभी तक मुंह दिखाने नहीं आया,,, ऐसे में उससे क्या उम्मीद रखती उससे अच्छा तो वह बैगाना ही था जॉकी बुरी तरह से थके होने के बावजूद भी वह उसके थके होने की बिल्कुल भी परवाह किए बिना ही तीन तीन बार अपने मुसल जेसे मोटे लंड से उसे झूला झूला कर चला गया।,,,
सुगंधा की बेचैनी बढ़ती जा रही थी उसे अपनी टांगों के बीच खुजल़ी होती हुई महसूस हो रही थी,,, उसे वह पल याद आ रहा था जब सुभम बेझिझक उसकी बुर को जीभ से चाट चाट कर उसका नमकीन पानी पी गया था। खुद उसके मोटे लंड को उसके मुंह में डालकर चुस्वाया था। औरतों के जीवन में संभोग का क्या महत्व है उसी ने इस बात को महसूस करायां था। सुगंधा का बदन इस समय शुभम की बाहों में आाने के लिए छटपटा रहा था।,,,, इस समय कमरे में उसकी बेबसी को समझने वाला कोई नहीं था उसकी तड़प को उसके आनंद में बदलने वाला कोई नहीं था उसके मन में चल रही हलचल को अपनी आगोश में ले कर थामने वाला कोई नहीं था।,,, माथे की बींदी की चमक चूड़ियों की खनक और पायल की छनक साजन के बिना अधूरी लग रही थी। लेकिन उसके जीवन में उसका साजन कौन था यय खुद वह तय नहीं कर पा रही थी। क्योंकि उसकी जिंदगी में सब कुछ बिखर सा गया था।,,,, माथे में सिंदूर किसी और के नाम का था और बदन पर हस्ताक्षर कोई और कर गया था।,,,, सुगंधा अपने बिखरे हुए अरमानों को समेटने की कोशिश कर रही थी,,,।

दूसरी तरफ शुभम कमरे में लेटे हुए अपनी मां का इंतजार कर रहा था काफी समय गुजर गया था लेकिन वह अभी तक कमरे में नहीं आई थी,,, उसे औरतों की हंसने की आवाज आ रही थी वह समझ गया था कि घर की सभी औरतें गप्पे लड़ा कर समय व्यतीत कर रही हैं,,, शुभम का लंड जोर मार रहा था,,, उसे चोदने की तलब लगी थी वैसे भी सुगंधा की अनचुदी बूर को चोड़कर उसका लंड काफी उत्तेजित हो चुका था,,,, अभी घड़ी में उतना ही समय हो रहा था कि समय शुभम सुगंधा के कमरे में गया था इसलिए उसे सब याद आ रहा था उसने सुगंधा की कमसिन जवानी को अपनी बाहों में लेकर उसके मधुर रस का पान किया था। सुगंधा के गुदाज बाहों में समा कर उसने जो किसी और की बीवी के साथ सुहागरात मनाते हुए समय गुजारा था जय समय उसे जिंदगी भर याद रहने वाला था।,,, सुगंधा के साथ बिताए हुए पल को याद करके शुभम के होठों पर मुस्कान और लंड पर उत्तेजना की ऐठन फैलने लगी,,, शुभम जानता था कि वह सुगंधा के भोलेपन और उसकी मासूमियत का फायदा उठाया था क्योंकि शुभम की चालाकी पर बिल्कुल भी शंका न जताते हुए वह पूरी तरह से अपने आप को शुभम को समर्पित कर दी थी। सुगंधा की भरपूर जवानी का मजा लेते हुए शुभम को जरा भी थकान महसूस नहीं हो रही थी बल्कि उसका लंड बार बार खड़ा हो जा रहा था तो,, उसके छोटे मामा के आने का डर था वरना सुबह तक सुगंधा की चुदाई करता रहता।,,,
सुहागरात याद करके शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,।वह बिस्तर पर लेटे लेटे पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल रहा था।ऊससे रहा नहीं जा रहा था ऊसकी मा को काफी समय हो गया था। शुभम से रहा नहीं जा रहा था दिमाग में कुछ और चल रहा था अगर वह अपनी मां का इंतजार करता रह गया तो उसे नींद आ जाएगी और वह सोकर अपना कीमती समय बर्बाद नहीं करना चाहता था क्योंकि दो तीन दिन ही रह गए थे उसे वापस शहर जाने में,,,, जब इंतजार करते करते हैं कुछ और समय बीत गया तो उससे रहा नहीं गया और वह कमरे से बाहर आ गया अपनी मां को बुलाने के लिए,,, धीरे धीरे औरतों के हंसी की आवाज कम होने लगी थी ऐसा लग रहा था कि एक एक करके सब लोग अपने कमरे की तरफ चले गए थे,,, शुभम घर से बाहर आकर देखा कि बरामदे में केवल उसकी मां और कोमल ही बैठ कर बातें कर रहे थे जैसे वह उनकी तरफ आगे बढ़ा तो वह दोनों उठकर पीछे की तरफ जाने लगे,,, निर्मला ने तो सुभम को नहीं देखी थी,, लेकिन कोमल ने शुभम को अपनी तरफ आते हुए देख ली थी और उसे देख कर मुस्कुराई भी थी । इतनी रात को घर के पीछे की तरफ जाते हुए देखकर शुभम समझ गया कि यह दोनों घर के पीछे पेशाब करने के लिए ही जा रहे हैं,,, इसलिए वह भी चुपचाप इन दोनों के पीछे जाने लगा लेकिन इस बात की खबर कोमल को थी कि शुभम पीछे आ रहा है लेकिन यह बात उसने निर्मला से नहीं बताई थी। कोमल शुभम के कमीनापन से पूरी तरह से वाकिफ थी। उसी पक्का यकीन था कि वह ऐसे और निर्मला को के साथ करते हुए जरूर देखेगा और वह भी देखना चाहती थी कि वह कैसे अपनी मां की बड़ी बड़ी नंगी गांड को देखेगा और उन्हें पेशाब करते हुए देख कर उसके चेहरे का रंग कैसे रंगीन होता है इस समय कोमल को बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था कि कोई उन दोनों को पेशाब करते हुए देखने वाला है क्योंकि शुभम ने कोमल को भी अपने रंग में रंग लिया था और कोमल तो वैसे भी जानती थी कि शुभम अपनी मां को भी चोदता है और उसकी मां भी उसी से खुल कर चुदवाती है तो शर्म जेसा दोनों में कुछ भी नहीं था। और वैसे भी सुभम से वह खुद भी चुदवा चुकी थी इसलिए वह भी इस समय थोड़ा सा बेशर्म हो गई थी,,,।
शुभम फिर से उसी दीवार की ओट में छिपा हुआ था जहां पर कोमल पहले छुप कर देख रही थी वह देख रहा था कि कोमल और उसकी मां थोड़ी सी दूरी बना कर खड़े हो चुके हैं शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि बहुत दिनों बाद वह ऐसा नजारा देखने जा रहा था। काफी दिन हो गए थे वह अपनी मां को पेशाब करते हुए नहीं देखा था गांव में दाखिल होते समय ही अपनी मां के खूबसूरत नितंबो के दर्शन करते हुए उसे पेशाब करते हुए देखा था। इसलिए इस समय उसकी उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी,,,,


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