RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम फिर से उसी दीवार की ओट में छिपा हुआ था जहां पर कोमल पहले छुप कर देख रही थी वह देख रहा था कि कोमल और उसकी मां थोड़ी सी दूरी बना कर खड़े हो चुके हैं शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि बहुत दिनों बाद वह ऐसा नजारा देखने जा रहा था। काफी दिन हो गए थे वह अपनी मां को पेशाब करते हुए नहीं देखा था गांव में दाखिल होते समय ही अपनी मां के खूबसूरत नितंबो के दर्शन करते हुए उसे पेशाब करते हुए देखा था। इसलिए इस समय उसकी उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी,,,,
शुभम का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी आंखों के सामने,,, दो बेहद खूबसूरत जवान जिस्म की मालकिन,
कोमल और निर्मला अपने अपने नितंबों का प्रदर्शन करने वाली थी,, यह नजारा किसी भी मर्द के लिए बेहद हसीन नजारा था,,, एक साथ दो दो नितंबों के दर्शन करना बड़ी किस्मत की बात होती है और यहां तो एक नितंब पर जवानी का पानी चढ़ रहा था,,,, और दूसरी नितंब दो जवानी के ना जाने कितने सावन को देख चुकी थी। मर्दों की वासना भरी आंखों की लोलुपता और संभोगमय थपेड़ों को झेल कर उम्र के इस पड़ाव में निर्मला के नितंबों की लचक और मादकता और ज्यादा बढ़ चुकी थी,,, जिसे देखने के लिए हर कोई बेताब और परेशान रहता है। एक तरह से कहा जा सकता था कि कोमल जवानी का शोरूम थी तो निर्मला जवानी से भरपूर गोदाम थी। जिसमें अथाग जवानी भरी हुई थी,,, और रत्ती भर जवानी कम होने का नाम नहीं ले रही थी शुभम की प्यासी नजरे दोनों पर टिकी हुई थी निर्मला तो इस बात से बिल्कुल अनजान थी कि उसका बेटा उसे चोरी छिपे देख रहा है लेकिन कोमल यह बात बखूबी जानती थी और इसी बात के चलते उसके तन बदन में रोमांच का अनुभव हो रहा था। कोमल अपने सलवार की डोरी खोलने को बिल्कुल तैयार थी,, लेकिन अपनी सलवार की डोरी खोलने से पहले वह एक नजर पीछे की तरफ घुमाई और शुभम को देखने लगी शुभम की नजर और कोमल की नजर आपस में टकरा गई, कोमल शुभम को देख कर मुस्कुराते हुए अपनी एक आंख दबा दी, शुभम थोड़ा सा झेंप से गया,,, वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही निर्मला अपनी साड़ी को एकाएक कमर तक उठा दी,,,, निर्मला साड़ी के नीचे कुछ भी नहीं पहनी थी,,, जिसकी वजह से वह साड़ी के अंदर बिल्कुल नंगी थी,,, शुभम अपने आप को संभाल पाता इससे पहले ही अपनी मां कीे मस्त गांड के दर्शन करके वह मदहोश होने लगा,,, एकदम गोरी गोरी और चिकनी बेदाग खूबसूरत गांड को देखकर एकाएक शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, कोमल अपनी सलवार की डोरी खोलते खोलते निर्मला की मदमस्त आकर्षक गांड को देख कर सम्मोहित होते हुए बोली,,।
बुआ तुम्हारी गांड तो इस उमर में भी बेहद खूबसूरत लगती है,,,।,,
( कोमल जानबूझकर इस बात को थोड़ा सा तेज बोली थी ताकि शुभम सुन सके निर्मला कोमल की यह बात सुनकर हसने लगी और बोली,,,)
नहीं बेटा तुम्हारी भी बहुत अच्छी है,,, जरा खोल कर दिखाओ,,,,।
( निर्मला की बात सुनते ही कोमल सलवार की डोरी खोलने लगी,, इस समय कोमल बिल्कुल भी शर्मा गई थी क्योंकि उसके बदन में भी उत्तेजना का असर हो रहा था और दूसरा से उसने शुभम से चुदाई का आनंद ली थी,,, उसकी वजह से शुभम के सामने उसकी सर में आया सब कुछ चली गई थी और वैसे भी निर्मला के सामने शर्मा ने जैसा कुछ भी नहीं था क्योंकि निर्मला की असली करतूत को अच्छी तरह से समझ गई थी,, और इस समय का सबसे बड़े बेशर्म ओं के साथ थी इसलिए शर्म करने की उसे बिल्कुल भी आवशयकता जान नहीं पड़ रही थी। इसने तो निर्मला भी बात सुनते ही अपनी सलवार की डोरी खोल कर पेंटी सहित अपनी सलवार को जांघों तक नीचे सरका दी,,,, शुभम के तो होश फाख्ता हो रहे थे,,, वह तो आंखें फाड़े दोनों के बदन से टपकती जवानी को देख कर मदहोश हुए जा रहा था।,,,
पजामे में उसका लंड गदर मचाने लगा,,, कोमल अपनी सलवार को जांघा तक सरका कर मुस्कुरा रही थी, निर्मला को उसकी कुर्ती की वजह से ठीक से उसकी गोलाकार गांड नजर नहीं आ रही थी,, इसलिए वह अपने एक हाथ से कोमल की कुर्ती को थोड़ा ऊपर उठाकर,, कोमल की मस्त गोरी गोरी खरबूजे सी गोलाई लिए हुई गांड को देखकर और उसकी खूबसूरती को देखकर मुस्कुरा दी,,, शायद यह निर्मला का कॉमन के गोलाकार में कमरों के प्रति आकर्षण की वजह से ही था जो वह उसके नितंबों को स्पर्श करने की लालच को रोक नहीं पाई और अपना आप उसके नरम नरम नितंबों पर रखकर उसे दबाते हुए बोली,,,,
वाह कोमल बहुत खूबसूरत गांड है तुम्हारी,, जब मैं भी तुम्हारी उम्र की थी तो मेरी भी बिल्कुल ऐसी ही थी,,,
( ऐसा कहते हुए निर्मला लगातार उसकी गांड को हथेली में भरकर दबाते हुए उसे खींच ले रही थी और यह क्रम लगभग लगातार चल रहा था एक औरत होने के बावजूद भी एक लड़की की गोरी गांड को दबाने में निर्मला को न जाने क्यों बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, और कोमल भी ना जाने क्यों,,, एक औरत के इस तरह के स्पर्श से कामोत्तेजना अनुभव कर रही थी उसे निर्मला का स्पर्श उसका दबाना मसलना बेहद आनंदमय लग रहा था,,, और कुछ ही सेकंड में निर्मला की हरकतों की वजह से कोमल के चेहरे की मुस्कुराहट कामोत्तेजना दर्पण बन गई थी,, उसके होठों पर मुस्कुराहट की जगह मादकता की सिसकारी फैलने लगी और निर्मला भी जैसे कि कोमल की गांड को छोड़ना ही नहीं चाहती थी । वह लगातार मसले जा रही थी और कोमल उत्तेजित हुए जा रही थी,,। ऐसा कामुकता भरा दृश्य देखकर शुभम का माथा ठनक रहा था,,। उससे यह उत्तेजना से भरपूर दृश्य बर्दाश्त नहीं हो रहा था। यह नजारा इतना उत्तेजक था कि इसके लिए कोई शब्द बयां नहीं कर सकता था। इस नजारे के बारे में बस इतना ही कहा जा सकता था कि कामोत्तेजना की पराकाष्ठा की परिभाषा दृश्य नुमा शब्दों से बयां हो रही थी।,,,
कोमल तो निर्मला की हरकतों से पूरी तरह से मदहोश होने लगी थी निर्मला जो की पेशाब करने आई थी इस समय सब कुछ भूल कर कोमल के नितंबों से खेल रही थी,,, शुभम की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी आंखों के सामने जो कुछ हो रहा है वह हकीकत है। एक औरत औरत के जिस्म से खेल रही थी उसके नितंबों को सहला रही थी मसल रही थी दबा रही थी।,,, दोनों एक दूसरे में इतना ज्यादा खो गए की कोमल के मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी निर्मला कोई आता है का पाना मुश्किल हुआ जा रहा था कि वह जो कुछ भी कर रही है सही कर रही है गलत कर रही है, वह तो कोमल की जवान खूबसूरत सुडोल गांड को देखकर मदहोश होने लगी थी।,,, धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के नितंबों को सहलाते हुए मस्त होने लगे। शुभम यह देखकर हैरान हुए जा रहा था,,एक तो जिंदगी में पहली बार वह औरत को औरत के बदन के साथ खेलते हुए देख रहा था यह देख कर उसकी उत्तेजना परम शिखर पर पहुंचने लगी थी और ऊपर से यह देखकर हैरानी हो रही थी कि कोमल यह जानते हुए भी कि वह हम दोनों को देख रहा है फिर भी बेशर्म बनते हुए बिल्कुल भी शर्म ना करके उसकी आंखों के सामने ही अपनी सलवार उतार कर अपनी गोरी गोरी गांड को दिखा रही थी,,, और तो और उसकी मां के साथ मस्ती भी कर रही थी निर्मला तो इस बात से अनजान थी कि उसका बेटा पीछे से देख रहा है लेकिन वह तो सब कुछ जानती थी और जानते हुए भी यह हरकत कर रही है। यह सब देख कर शुभम के शैतानी दिमाग में कुछ और सुझने लगा। उसके मन में दोनों को एक साथ भोगने की इच्छा जागरूक होने लगी,, जिस तरह से उसकी मां को मल के साथ मदहोश हुए जा रही थी वह चाह रहा था कि उसकी मां कुछ और ज्यादा हरकत करें ताकि वह दोनों भी एक दूसरे के साथ मस्ती करने का पूरा इरादा मन में रखने लगे।,,,
कोमल और निर्मला दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे,, दोनों एक दूसरे की आंखों में डुबते चले जा रहे थे। कोमल तो निर्मला के हाथों की हरकत की वजह से पूरी तरह से मदहोश हुएे जा रही थी। निर्मला कोमल के नितंबों के साथ खेलते खेलते इतनी ज्यादा मस्त होने लगी कि वह अब उसकी नरम नरम गांड चपत लगाने लगी,, जिससे कोमल को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी और उसके मुंह से सिसकारी की आवाज निकल जा रही थी।,,, कोमल भी हल्के हल्के निर्मला की बड़ी बड़ी गांड को सहलाना शुरू कर दी थी,,, सच पूछो तो दोनों को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए दोनों मस्त होने लगे दूसरी तरफ सुभम की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी,,, उससे रहा नहीं गया और वह अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,,।
जिस तरह से निर्मला कोमल की गांड पर चपत लगा रही थी उसी तरह से कोमल ने भी निर्मला की बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाना शुरू कर दी। दोनों की गोरी गोरी गान कुछ ही देर में टमाटर की तरह लाल हो गई,,,।
तभी कोमल की नजर पीछे गई तो वह शुभम की हालत देखकर एकदम से चुदवासी हो गई,,, उसकी बुर में खुजली होने लगी, उसकी बुर शुभम के मोटेे लंड के लिए तड़पने लगी,,,, वह एक टक शुभम की बर्फ देखे जा रही थी,,,, उसका दिमाग भी बड़े जोरों से घूमने लगा,,, इस समय अपनी प्यास बुझाने का तरीका ढूंढने लगी,,, निर्मला जोर जोर से चपत लगाते हुए कोमल की गांड को मसल रही थी,,,, निर्मला को समझ नहीं पा रही थी बस उसके अंगों से खेलती चली जा रही थी,,, इस बात का भी उसे भान नहीं रहा कि वह उसके भाई की लड़की है बस उसकी मदमस्त गांड को मसले जा रही थी,, कोमल अपनी दुआ निर्मला की गांड से खेलते हुए कुछ सोच रही थी कि तभी निर्मला अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और अपनी एक उंगली को कोमल की रसीली बुर में डाल दी,,,, यूं एकाएक निर्मला की हरकत की वजह से कोमल चौक गई लेकिन उत्तेजना के मारे ऊसके मुंह से गरम सिसकारी निकल गई,,ससससहहहहहहहहह बुआ,,,,,,, यह क्या कर रही हो,,,,
( कोमल के इतना कहते ही निर्मला जैसे नींद से जागी हो इस तरह से होश में आते हुए बोली,,,।)
सॉरी बेटा सॉरी ना जाने मुझे क्या हो गया,,,,( इतना कहते हुए निर्मला अपना हाथ उसके नितंबों पर से हटा ली,,, लेकिन अपनी मां की इस तरह की हरकत देख कर शुभम पूरी तरह से कामोत्जीत हो गया,,, वह जोर-जोर से अपना लंड हीलाने लगा,,।,,,,
निर्मला अपनी हरकत की वजह से शर्मिंदा थी,,, कोमल के दिमाग में कुछ और चल रहा था शुभम ठीक उन दोनों के पीछे ही खड़ा था और जिस तरह से वह अपना मोटा लंड हिला रहा था उसे देखते हुए कोमल की बुर तड़पने लगी थीे उसके लंड को अपनी बुर मे लेने के लिए,,, कोमल कुछ सोचकर निर्मला के सामने शर्माने की एक्टिंग करती हुई और जाते-जाते शुभम को हाथों से कुछ इशारा करती गई लेकिन शुभम उसे सारे को समझ नहीं पाया था
कोमल वहां से दूर हटकर शुभम को मौका देना चाहती थी ताकि वह उसकी मां के साथ कुछ ऐसी वैसी हरकत करे जिसे देखकर कोमल दोनों को ब्लैकमेल कर सके,,, कोमल के मन में कुछ और चल रहा था और शुभम अपनी ही युक्ति लगा रहा था,,, कोमल के जाते ही शुभम अपना काम शुरू करना चाह रहा था, वह चाह रहा था कि वह अपनी मां के साथ कुछ ऐसी हरकत करे जिसे कोमल देखने और ऐसे में वह दोनों को भोग सके निर्मला तो शर्मिंदा कर उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा लेकिन उसे जोरों से पेशाब भी लगी थी वह नीचे बैठ कर पेशाब करने जा ही रही थी कि उसे नीचे बैठते बैठते शुभम ठीक उसके पीछे आकर उसे बाहों में भर लिया और वह कुछ समझ पाती ईससे पहले ही वह अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गीली बुर में उतार दिया,,,, निर्मला उसे रोकने की और उसे समझाने की पूरी कोशिश करती रह गई थी ऐसा ना करें यहां कोमल है लेकिन वह उसकी एक नहीं सुना क्योंकि वह तो जानता ही था और जानबूझकर फसना चाह रहा था यह सब दिखाना चाह रहा था,,, निर्मला अपने आप को छुड़ााने की पूरी कोशिश करती रही, लेकिन शुभम कहां मानने वाला था वह तो जानबूझकर ऐसा कर रहा था,,, वह जबरदस्ती उसकी बुर में लंड को अंदर बहार करके उसे चोदने लगा,,, झोपड़ी में से छुप कर देख रही कोमल इसी मौके के इंतजार में थी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव छाने लगे और वह तुरंत झोपड़ी से बाहर निकलते हम दोनों के सामने आकर खड़ी हो गई और ऐसा बर्ताव करने लगी कि उसे बहुत गुस्सा आ रहा है यह देख कर निर्मला घबरा गई और शुभम भी घबराने की अदाकारी दिखाने लगा,,,,।
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