RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
इतना कहने के साथ ही निर्मला उस के दर्द को कम करने के उद्देश्य से थोड़ा सा ऊपर उठी और लपक कर कोमल की छोटी-छोटी नारंगी को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दी,,,, सुभम पीछे से अपने लंड को बुर में डाले हुए ही,, कोमल की नंगी गांड को अपनी हथेलियों से चला रहा था,,,,, कोमल को अभी भी दर्द का आभास हो रहा था एक बार सुभम के लंड से चुदने के बाद भी,,, आज उसकी बुर शुभम के मोटे तगड़े लंड को लेने में दर्द कर रही थी। कुछ देर बाद ही शुभम के सहलाने और निर्मला के द्वारा चूची पीने की वजह से कोमल के बदन में उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ने लगी उसे लगने लगा कि अब उसकी बुर चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है इसलिए बिना बोले ही शुभम को इशारा देने के उद्देश्य से वह अपनी गांड को हल्के से आगे की तरफ खींच कर दुबारा उसे पीछे की तरफ ठेल दी,, कोमल की हरकत की वजह से शुभम का लंड कोमल की बुर में अपने आप अंदर बहार हुआ,,, यह कोमल का इशारा शुभम समझ गया और कोमल की कमर अपने दोनों हाथों से थामते े हुए बोला,,,
ओहहहहहहहह. मेरी जान बस अब देखो मैं तुम्हें कैसे चाेदता हूं,,, आज तुम्हाऱी बुर को अपने मोटे लंड से चोदकर भोसड़ा ना बना दिया तो बोलना,,,,,,,
मेरी तो यही चाह रही हूं मेरे राजा आज मुझे चोदो कि मैं जिंदगी भर याद रखु,,,,,,
एक नंबर की रंडी होती जा रही हो कोमल तुम,,,, अभी से यह हाल है तो पता नहीं बाद में क्या होगा?
( निर्मला कोमल की दोनों चुचीयों को मसलते हुए बोली,,,,)
कुछ मत कहो बुआ,,, तुम्हारे बेटे के पास जो हथियार है उसे पाने के लिए हर औरत इस हद तक जा सकतीे हैं,, जब तुम अपने बेटे से चुदने की लालच को रोक नहीं पाई तो हम लोग क्या हैं,,,,, बस शुभम किसी बात पर ध्यान मत दो और अपना काम करो,,,,,
वही तो कर रहा हूं मेरी जान तेरी बुर पीछे से चोदने में और मजा आता है। चल अब तू तैयार हो जा अपनी ओखली में मेरे मुसल का बार सहने के लिए,,,,,
( शुभम की यह बात सुनकर कोमल को भी लगने लगा कि सुबह जबरदस्त प्रहार करने वाला है इसलिए वह कसमेसाते हुए अपनी गदराई गांड को बाय बाय करते हुए एडजेस्ट करने लगी,,, शुभम पूरी तरह से तैयार था बार करने के लिए और वहां कोमल की पतली कमर को अपने दोनों हाथों से थाम कर अपनी कमर को कच कचा कर आगे की तरफ ठेला,,, और तुरंत पीछे की तरफ निकाल दिया एक बार फिर से उसका मोटा लंड कोमल की बुर की गहराई नाप कर ऊपर की तरफ आ गया था,,, शुभम की ओर से भरा हुआ था अब रुकना उसके बस में नहीं था। वह बड़ी तीव्र गति से अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए किसी मशीन की भांति चलाने लगा हर धक्के के साथ कोमल आगे की तरफ पसर जा रही थी जिसे निर्मला अपनी बाहों में भर कर उसकी चूचियों से खेल रही थी,,,, चुदाई का महासंग्राम शुरू हो चुका था शुभम का लंड धड़ाधड़ बुर के अंदर बाहर हो रहा था। कमरे में गर्म सिसकारीयो की आवाज गूंज रही थी। शुभम जिस तरह से जबरदस्त प्रहार कर रहा था उसकी वजह से पूरा पलंग चरमरा रहा था,, अपने बेटे की ताकत को देख कर एक बार फिर से निर्मला की बुर पानी छोड़ने लगी,,, बहुत जोर जोर से कोमल की चूची को दबाते हुए अपनी गांड को ऊपर की तरफ उचका रही थी,,, वह भी इसी समय से सुभम के लंड से चुदना चाहती थी,,, बार-बार वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाकर सुभम के लंड़कों अपनी बुर में लेने का इशारा कर रही थी।,,,, शुभम हुमुच हुमुच कर कोमल की बुर में अपना लंड पेल रहा था। कोमल की हालत खराब हुए जा रही थी लेकिन मजा दोगुना मिला था वह मस्त होकर अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल कर और जोर जोर से लंड लेने के लिए मचल रही थी। शुभम गरम आहै भरते हुए अपने धक्के लगा रहा था। कोमल के नीचे निर्मला मचल रही थी अपने बेटे के लंड को लेने के लिए,,, शुभम भी अपनी मां की तड़प को समझ गया और कोमल की बुर में से लंड निकाल कर अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया जब वह अपनी मां की बुर चोद रहा था तो दो उंगली कोमल की बुर में डालकर आगे पीछे करतै हुए उसे उंगली से चोदने का मजा दे रहा था। लेकिन सिलेंडर का स्वाद चख चुकी बोर को उंगली से कहां मजा आने वाला था,,, कोमल की तड़प बढ़ती जा रही थी,, और शुभम अपनी मां की बुर चोद रहा था कोमल अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था,,, वह सिसकारी लेते हुए बोली,,,
ससससहहहहहह,,,,,, उंगली से नहीं मेरे राजा अपने लंड से चोदो उंगली से मजा नहीं आ रहा है,,,,
चिंता मत करो मेरी जान तुम्हारी चुदाई में अपने लंड से ही करूंगा,,, ( इतना कहने के साथ ही सुभम अपनी मां की बुर में से लंड निकाल कर वापस कोमल की बुर में डाल दिया,,, ऐसा करते हुए वह बारी बार से कोमल के साथ साथ अपनी मां की भी चुदाई कर रहा था। तकरीबन 35 मिनट की घमासान चुदाई के बाद तीनों पसीने से तरबतर हो चुके थे कोमल और निर्मला की सिसकारियां तेज होती जा रही थी शुभम भी अपने धक्कों की रफ्तार को तेजी से बढ़ा रहा था। एकाएक कोमल और निर्मला का बदन अकड़ने लगा,,, शुभम समझ गया कि दोनों का पानी निकलने वाला है,,, इसलिए मैं सबसे पहले कोमल की बुर में लंड डालकर उसे जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया करीब 10, १५ धक्कों के बाद वह अपना पानी छोड़ दी,,, उसका पानी निकलते ही शुभम उसकी बुर मे से अपना लंड निकाल कर अपनी मां की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,, वह भी तीन-चार मिनट बाद ही अपना पानी छोड़ दी और उसके साथ ही सुभम भी अपना पानी निकाल कर उन दोनों पर ही निढाल होकर गिर गया कुछ देर तक तीनों संपूर्ण नग्न अवस्था में ही एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर ऐसे ही लेटे रहे,,,।
जहां एक तरफ असीम आनंद से भरपूर चुदाई का कार्यक्रम अपनी प्रथम चरण में सफलतापूर्वक समाप्त होकर आगे की तरफ बढ़ रहा था। वहीं दूसरे कमरे में सुहागरात के सपने लिए सुगंधा अपने अरमानों के किले को ढहता हुआ अपनी आंखों से देख रही थी,,। उसकी खुशियों पर किसी ने झपट्टा मार लिया था उस के अरमानों पर निठल्ले पन का खंजर उसे जख्म दे गया था चारों तरफ ऊसे अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था। अपने पति को इस तरह से अपनी सुहागरात की हसीन रात को नाकामयाबी की सीढ़ी चढ़ते हुए देखकर उसके
सारे सपने बिखर कर रह गए थे,,, अपने पति के द्वारा किसी भी प्रकार की चेष्टा होते ना देख कर वो खुद ही बेशर्म बनकर अपने हाथों से उनके कपड़ों को उतार रही थी और वह शर्मा रहा उसकी सपनो का महल तभी गिरने लगा था जब उसने अपनी पती के छोटे से लंड को देखी थी,,जो की सुहागरात में उसकी बुर में जाने वाले मोटी तगड़ी लंड की तुलना में उसका लंड आधा भी नहीं था। सुगंधा पूरी तरह से रुवासी हो चुकी थी,, लेकिन फिर भी अपने मन को मजबूर करके अपने पति के लंड को खड़ा करने की कोशिश करने लगी,, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पा रही थी,, आखिरकार सुगंधा अपनी बेशर्मी की हद तौड़ते हुए ना चाहते हुए भी उस छोटे से ढीले लंड को अपने मुंह में लेकर चूस कर खड़ा करने की कोशिश करने लगी लेकिन उसका यह चुसना असर दिखाता इससे पहले उसके लंड ने पानी छोड़ दिया।,,, वह अपनी किस्मत पर रोने लगी। और उसका निठ्ठला पती बेशर्म की तरह वहीं बिस्तर पर नाक बजाते हुए सो गया,,,,। सुगंधा से रहा नहीं जा रहा था उसकी बुर की गर्मी उसे बेचैन बना रहे थे एक पल को ऐसा उसका मन कहा कि शुभम को फोन करके अपने कमरे में बुला ले और बुर की गर्मी के आगे वह बेबस होकर उसे दो बार फोन भी लगाई लेकिन शुभम का मोबाइल साइलेंट में था इसलिए उसे मालूम ही नहीं पड़ा कि सुगंधा ने फोन कि है थक हारकर वह एक किनारे बिस्तर पर सुबकते हुए लेटी रही,, ।
दूसरी तरफ तीनों संतुष्ट होकर एक दूसरे पर लेटे हुए थे।
शुभम कोमल के ऊपर से उठा ऊसका लंड पानी छोड़ कर झूल गया था।,,, धीरे-धीरे कोमल की निर्मला के ऊपर से उठ कर बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई,,, उसके सर पर से वासना का असर उतर गया था वह शर्माने लगी थी,, इसलिए चादर उठाकर अपने नंगे बदन पर डाल दी यह देखकर निर्मला उसके बदन से चादर खींच कर नीचे फेंकते हुए बोली,,,।
अब इसकी क्या जरूरत है कोमल रानी,,, अब तो हम तीनों एक दूसरे के बारे में सब कुछ अच्छे से जान भी चुके हैं इसलिए अब पर्दा करने की कोई जरूरत नहीं है।
दूसरी तरफ सुभम अपने झुल़ते हुए लंड को झुलाते हुए कोमल से बोला,,,।
कैसा लगा कोमल मेरी जान मेरे लंड का स्वाद,,,
( कोमल शुभम की बात सुनते ही शर्मा गई और अपना मुंह से छुपाने लगी,, लेकिन निर्मला अपने बेटे की बात का जवाब देते हुए बोली,,,।)
अरे यह बोले या ना बोले लेकिन इसकी बुर( जबरदस्ती उसकी टांगों को खोलते हुए) सब कुछ बोल दे रही है कि कितनी मस्त हो गई है ये देख केसे तेरा पानी ईसकी बुर से निकल रहा है।,,,
( इतना सुनते ही कोमल बोली।)
बुआ पानी की सुबह में तुम्हारी बुर में निकाला है तो मेरी बुर से कहा निकलेगा,,,।
अरे तेरा पानी तो निकाल दिया ना,,।
अरे तुम दोनों ने मिलकर मेरा इतना सारा पानी निकाल दिया (सुभम मुस्कुराते हुए अपने लंड को हिलाते हुए बोला)
शुभम तेरा तो झूल गया है अभी तो सारी रात बाकी है (शुभम के झूलते हुए लंड की तरफ देखते हुए निर्मला बोली)
अरे मम्मी से खड़ा होने में कितना टाइम लगेगा अभी कोमश ईसे मुंह में ले कर चुसेगी और तुरंत खड़ा हो जाएगा,,,
( इतना कहकर शुभम कोमल की तरफ आगे बढ़ा,,, कोमल शर्मा रही थी लेकिन जिस तरह से शुभम का झूलता हुआ लंड इधर उधर झूल रहा था उसे देखकर उसकी बुर में चीटियां रेंगने लगी,,, एक बार फिर से कोमल की बुर कुल बुलाते हुए पानी छोड़ने लगी,,, और उत्तेजित होकर कोमल खुद ही शुभम के झुलते हुए लंड को पकड़कर मुंह में लेकर चूसने लगी,,,, यह देखकर निर्मला के बदन में भी सुरूर छाने लगा लेकिन निर्मला कुछ कर पाती ईससे पहले ही शुभम अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की टांग पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया,,, और उसे घोड़ी बन जाने के लिए कहा,,,, निर्मला भी फिर से चुदवासी हो गई और जैसा शुभम ने कहा वैसे घूमकर झुक
अब शुभम की आंखों के सामने निर्मला की बड़ी बड़ी मोटी गांड हवा में उठी हुई थी जिसे देख कर शुभम की आंखों में खुमारी छाने लगी,,, और वह अपना मुंह उसकी गांड की तरफ ले जाकर उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, बुर में से अभी भी उसका पानी निकल रहा था जिसकी वजह से उसे कुछ अटपटा सा लग रहा था,,, लेकिन बुर चाटने में उसे बहुत मजा आ रहा था,, तभी शुभम को जैसे पिछली बातें याद आई हो इस तरह से वह एक उंगली अपनी मां की गांड के भूरे रंग के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, जैसे ही उसने मेरी गांड में प्रवेश की वैसे ही निर्मला चौंक उठी और अपनी गांड को आगे की तरफ खींचते हुए बोली,,,।
यह क्या कर रहा है बेटा,,,
मम्मी आज तो मुझे नहीं रखोगे तुम ही ने मुझे वादा किया था कि एक दिन तुम मुझे अपनी गांड मारने दोगी,,,
लेकीन,,,,,
लेकिन लेकिन कुछ नहीं मम्मी,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम गांड के भूरे रंग के छेद पर अपना मुंह रखकक ऊसे चाटना शुरू कर दिया,, निर्मला पहले तो इंकार करना चाहती थी लेकिन शुभम की हरकत की वजह से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसके मन में भी उत्सुकता होने लगी,,, वह भीं आज उस छेंद का भी मजा ले लेना चाहती थी इसलिए शुभम को रॉकी नहीं,,, कोमल तो सुभम की बात सुनकर हैरान हो गई थी लेकिन शुभम की इस बात में उसके तन बदन में कामोत्तेजना कि फुहार बरसाना शुरू कर दिया था और वह जो उसके साथ शुभम के लंड को पूरा मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी थी जो कि अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, सुभम जैसे जैसे अपनी जीभ से उसकी गांड चाट रहा था वैसे वैसे निर्मला की सिसकारी पूरे कमरे में गुंजने लगी थी,,,,। थोड़ी देर बाद ही निर्मला भी पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी और शुभम भी,,,,
लेकिन शुभम के मन में कुछ और चल रहा था क्योंकि कोमल भी पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी और अपने हाथ से ही अपनी बुर को रगड़ रही थी,,, शुभम जानता था कि एक बार उसका पानी निकल चुका है इसलिए वह काफी देर तक चुदाई कर सकता है इसलिए कोमल की टांग को पकड़ कर बिस्तर के किनारे तक लेकर आया और उसकी टांगों को फैला कर अपना लंड उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया यह देखकर निर्मला का जोश ओर ज्यादा बढ़ने लगा,,, वह भी कोमल के होठों पर अपना बुर रगड़ना शुरू कर दी,,
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