Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 05:12 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तीनों पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे कोमल तो सुभम के मोटे लंड को लेकर उत्साहित में जा रही थी और अपनी कमर को ऊपर उछाल उछाल कर शुभम का भी हौसला बढ़ा रही थी। तकरीबन 20 मिनट के बाद कॉमल में पानी छोड़ दी,,, निर्मला इसी पल का इंतजार कर रही थी और वहं तुरंत अपनी गांड उठाकर नीचे की तरफ झुक गई,, शुभम जानता था कि इतनी आसानी से उसका मोटा लंड गांड के छेंद में जाने वाला नहीं है इसलिए वह ढेर सारा थूक गांड के छेद पर लगाया और अपने लंड पर चुपड़ दिया,,, जैसे ही वह लंड का सुपाड़ा गांड के भूरे रंग के छेंद पर सटाया निर्मला एकदम से गनगना गई,,, शुभम आहीस्ता आहीस्ता अपने लंड को गांड के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, गीलेपन की वजह से उसके लंड को मोटा सुपाड़ा धीरे-धीरे करके गांड में प्रवेश कर गया,,, निर्मला की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी साथ में उसे दर्द भी महसुस हो रहा था,, लेकिन उसे रोमांचकारी अनुभव हो रहा था,, वह भी उत्सुक थी पुर का पूरा लंड अपनी गांड में लेने के लिए,,, आखिरकार शुभम की मेहनत रंग लाई और उसके लंड का मोटा सुपाड़ा गांड के अंदर अच्छी तरह से घुस गया,, जो देखकर कोमल भी हैरान थी वह बड़े गौर से देखे जा रही थी। शुभम जानता था कि जब सुपाड़ा अंदर कुछ किया है तो पूरा लंड भी उसकी गांड में घुस ही जाएगा,,, दर्द के मारे निर्मला थरथरा रही थी,,,, और वह डरते हुए बोली,,,

धीरे से शुभम बहुत दर्द करेगा,,,

अपने आप को संभालना मैं आराम से ही करूंगा,,,, (और इतना कहने के साथ है शुभम ने जोर से अपनी कमर को आगे की तरफ ठैला,, सर सराता हुआ शुभम का आधे से ज्यादा लंड गांड में प्रवेश कर गया,,,, दर्द के मारे निर्मला कराहने लगी,,,, वह ऊसे वापस निकाल लेने के लिए कह रही थी,, लेकिन मैं जानता था कि एक बार अगर उसने वापस निकाल दिया तो उसकी मां उसे वापस नहीं डालने देगी,,, इसलिए वहां अपनी मां की गोरी गोरी गांड को सहलाते हुए उसके दर्द को दूर करने की कोशिश करता रहा और थोड़ी देर बाद निर्मला की कराहने की आवाज बंद हो गई सही मौका देखकर शुभम ने बचा कुचा लंड भीे गांड में डाल दीया। एक बार फिर से निर्मला दर्द से छटपटा गई। लेकिन इस बार शुभम नहीं रुका और धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए गांड मारना शुरू कर दिया कुछ ही देर में निर्मला की कराहने की आवाज गरम सिसकारी में बदल गई,,, उसे मजा आने लगा और शुभम भी,, अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दबाते हुए चोदना शुरू कर दिया। अब निर्मला और सुभम दोनों को मैं जा रहा था तो कोमल कहां पीछे रहने वालीे थी,,, वह भी निर्मला के करीब घुटनों के बल जाकर अपनी बुर चटाना शुरू कर दी,, निर्मला भी कोमल की बुर चाटने लगी,,।
आज सुभम की ख्वाहिश पूरी हो रही थी,, करीब आधे घंटे बाद निर्मला को मस्ती करने के बाद शुभम भी झड़ गया,,,,,।

तीनों बिस्तर पर लेटे हुए थे,,, निर्मला कोमल को भी गांड मराने के लिए बोली लेकिन वह इंकार कर दी,, सुबह होते होते शुभम ने एक एक बार फिर से निर्मला और कोमल की चुदाई किया तीनों सोए नहीं थे जब सुबह होने वाली थी तो कोमल अपने कपड़े पहन कर धीरे से कमरे से बाहर चली गई।


शुभम और निर्मला को गांव आए काफी दिन हो चुके थे।
अब वह दोनों शहर जाने की तैयारी कर रहे थे। आज की रात और रुकना था। निर्मला बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार उसने किसी लड़की के साथ मिलकर साथ में चुदने का आनंद उठाई थी। यही हाल शुभम का भी था एक नया अनुभव एक नया रोमांच उसके तन बदन को झकझोर के रख दे रहा
था। बड़ी ही कुशलता पूर्वक और मजे हुए खिलाड़ी की तरह उसने निर्मला और कोमल को निपटाया था। इसी से शुभम की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता था निर्मला ताे बहुत खुश थी कोमल का भी यही हाल था। कोमल कभी जिंदगी में भी नहीं सोची थी कि शादी से पहले ही चुदाई की असीम सुख को वह भोग लेगी,,, संभोग सुख का जो उसे अनुभव मिला था यह वह जिंदगी भर नहीं भुलने वाली थी।,, एक तरह से वह सुभम की दीवानी हो चुकी थी।,,,, रात भर जागने की वजह से शुभम को नींद का आभास हो रहा था इसलिए वह नहाने जा रहा था।,, निर्मला नहा चुकी थी और वह अपने बालों को संवार रही थी। शुभम होंगर में टंगी अपनी पैंट की जेब में अपनी मोबाइल देखने लगा तो उसने सुगंधा का तीन मिस कॉल था और वह भी रात के 1:30 बजे,,, शुभम मन ही मन में सोचने लगा कि आखिर ये डेढ़ बजे मेरे को फोन क्यों कर रही थी। वह हाथ में फोन लिए हुए ही कुछ देर तक सोचने लगा उसे लगने लगा कि कहीं वह सब कुछ जान तो नहीं गई है।
वह कुछ सोचने लगा लेकिन वह अपने कपड़े लेकर नहाने के लिए चला गया। घर के पीछे पहुंचा तो देखा की सुगंधा वहां नहा रही थी और उसके वस्त्र भीग जाने की वजह से उसकी खूबसूरत जिस्म से चिपके हुए थे जिसकी वजह से उसका हर वह अंग,, नजर आ रहा था जिसे देखने पर हर मर्द के बदन में कामुतता की लहर दोड़ने लगती है। यह देख कर शुभम का मन एक बार फिर से डोलने लगा,,,, लेकिन ना जाने क्यों वह सुगंधा से नजर नहीं मिलाना चाहता था और इसलिए वह जैसे ही वापस जाने के लिए पलटा,,, सुगंधा की नजर ऊसपर पड़ गई और उसे,,, आवाज देकर रोक ली,,, शुभम को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये रोक क्यों ली है,,। लेकिन फिर भी वह धीरे-धीरे उसके करीब पहुंच गया वहां और कोई भी नहीं था,,,, शायद सब लोग नहा कर चले गए थे।,,, सुगंधा तिरछी नजर से उसकी तरफ देखते हुए बोली थोड़ा गुस्से में नजर आ रही थी। और वह गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,

तुम्हारा ही नाम सुभम हे ना,,,,

हां,,,,, ( धीरे से शुभम बोला)

तुम ही मुझे फोन करते थे? ( कपड़े को धोते हुए उस पर साबुन लगाते हुए बोली, )

हां,,,, (थोड़ी देर सोचने के बाद बोला)

क्यों करते थे क्या समझ रखा था तुमने मुझे,,,, ( सुगंधा गुस्से में थोड़ा तेज बोलने लगी और उसकी तेज अवाज सुनकर शुभम उसे शांत कराते हुए बोला।)

ईतनी जोर से क्यों चिल्ला रही हो मामी,,, कोई सुन लेगा तो क्या समझेगा,,,,,

कोई कुछ भी समझे मुझे अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता,,, और मामी क्यो मेरी रानी मेरी जान कहो,,,
दिन के उजाले में ये रिश्तेदारी क्यों,,,,

क्या बकवास कर रही हो मामी ( सुभम अपनी नजर बचाते हुए इधर उधर देख कर बोला)

अब बनने की कोई भी जरूरत नहीं है मुझे सब पता चल गया है कि फोन पर कभी मुझसे मेरा पति बन कर बात करते थे और,, सुहागरात के दिन तुम ही मेरे कमरे में आकर मेरे साथ बिना शादी के सुहागरात मना कर चले गए,,,,

( शुभम को समझते देर नहीं लगी थी कि सुगंधा को सारी बात का पता चल गया है और अब छुपाने से भी कोई बात नहीं बनने वाली थी लेकिन सुगंधा जिस तरह से जोर जोर से बोल रही थी उससे सारा मामला उलझ सकता था। फिर भी वह सुगंधा की बात को टालने के गरज से बोला।)

मामी तुम यह कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो कोई सुन लेगा तो वह क्या समझेगा,,,,।

एक बात समझ लो सुभम इस घर के लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं क्या समझते हैं अब मुझे इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता,,, इन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया है मेरी जिंदगी बर्बाद करके रख दी है, इसलिए इनकी इज्जत और सम्मान कि मुझे बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की परवाह नहीं है और तुम दोपहर में मेरे कमरे में बिना बोले चले आना क्योंकि मैं जानती हूं कि फोन करूंगी तो तुम शायद फोन नहीं उठाओगे,,, इसलिए कहती हूं कि अगर किसी भी प्रकार का हंगामा खड़ा नहीं करवाना है तो चुपचाप मेरे कमरे में चले अाना,,,,।
( सुगंधा शुभम को धमकाते हुए गुस्से में बोली जा रही थी,, शुभम उसकी सारी बातों को सुन रहा था उसके मन में इस समय क्या चल रहा है यह खुद सुभम भी नहीं समझ पा रहा था,,,, वैसे ही खड़े रहकर सुगंधा को ही देखे जा रहा था,,, की तभी सुगंधा कपड़े धोते हुए बोली,,)

अब ऐसे ही खड़े रहोगे कि नल भी चलाओगे,,,
( इतना कहने के साथ सुगंधा जानबूझकर अपनी गीली साड़ी को इस तरह से व्यवस्थित करने लगी की ऊसकी एक तरफ की नंगी चूचियां शुभम को नजर आए,,, और ऐसा हुआ भी सुगंधा की गोल गोल चूची शुभम को नजर आ रही थी जो कि पानी में भीगने की वजह से और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी शुभम एक टक नल चलाते हुए सुगंधा की गोल -गोल चुचीयों को घुरे जा रहा था जिस पर पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह चमक रही थी,,,, सुगंधा तिरछी नजरों से यह देखकर बेहद खुश हो रही थी क्योंकि एक तरह से उसे इस बात का डर लग रहा था कि कहीं सुभम उसके कमरे में आने से इंकार ना कर दे,, अगर वह ऐसा कर दिया तो उसकी हसीन रात जो कि कांटो भरी रात हो चुकी थी,,, उसकी अरमान उसकी प्यास सब कुछ आंसूओ में बह जाएगा,,,
सुगंधा जी भर कर चुदवाना चाहती थी एक बार वह शुभम से भले ही अनजाने में ही लेकिन चुद चुकी थी,, और उससे दुबारा चुदने मे उसे कोई भी आपत्ति नहीं थी। एक तरह से वह अब अपने ससुराल वालों से और अपने पति से अपनी बेइज्जती का बदला सुभम से चुद कर लेना चाहती थी। और ऐसे माहौल में शुभम का उसके कमरे में आना तभी संभव हुआ था क्योंकि मैंने भी उसको चोदने की तलब एक बार फिर से जाग जाए क्योंकि जिस तरह से वह बोल रही थी हो सकता है वह घबरा जाए डर जाए और उसके कमरे में ना जाए,, इसलिए जानबूझकर सुगंधा अपने गिले वस्त्रों को हल्के से हटा कर उसे अपने वक्ष स्थल के दर्शन करा रही थी,, जब सुगंधा यह देखी की शुभम जी उसकी मानसर स्तनों को देख कर उसकी गिले वक्ष स्थल के दर्शन करके धन्य हुआ जा रहा है तब जाकर उसके मन में प्रसन्नता और आशाओं के अंकुर फूटने लगे उसे पक्का यकीन हो गया कि सुभम के कमरे में जरूर आएगा,,, क्योंकि इसी दौरान उसने शुभम के पजामे में उठते हुए उसके तंबु को देख ली थी,,, और उसे देख कर उसकी रसीली बुर ने प्रसन्नता और खुशी के आंसू बहाते हुए मदन रस की दो बूंदे टपका दी थी,,,
कपड़े धोने के बाद सुगंधा वहां से चली गई,,, हालांकि वह अब अपने ससुराल वालों से अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहती थी। लेकिन अपने अपमान का बदला लेने से ज्यादा वह अपनी वासना की पूर्ति करना चाहती थी क्योंकि जिस तरह का आनंद शुभम ने अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर को चोद कर दिया था वहीं उसके पति के छोटे दुबले और ढीले लंड को देखकर उसकी प्यासऔर ज्यादा बढ़ने लगी थी,,, जवान सुगंधा अपनी प्यास पर काबू रख पाने में बिल्कुल भी असमर्थ साबित होने की वजह से अपनी मान मर्यादा का ख्याल ना करते हुए शुभम से चुदने का फैसला कर चुकी थी,,, वह कभी जिंदगी में भी नहीं सोची थी कि उसे इस तरह के कदम उठाने पड़ेंगे,,,।
दिन चढ़ रहा था। गर्मी की वजह से सब लोग अपने अपने कमरे में आराम कर रहे थे चिलचिलाती धूप में कोई भी नजर नहीं आ रहा था ऐसे में केवल सुगंधा अपने कमरे में सुभम का इंतजार कर रही थी,, और शुभम भी सुबह सुबह गीले कपड़ों में सुगंधा की कसी हुई जवानी देखकर मचल उठा था,, एक बार फिर से उसे भोगने के लिए उसका मन ललायित हो रहा था।
वह सब की नजर बचाकर सुगंधा के कमरे तक पहुंच गया और दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही वह हाथ आगे बढ़ाया दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया,,, जिसे सुगंधा ने पहले से ही खोल रखी थी क्योंकि उसे मालूम था कि सुबह उसके चूची को देखकर उसका मन लालायित हो गया था और वह जरूर आएगा,,, शुभम दबे पैरों से कमरे में प्रवेश किया तो देखा सुगंधा टेबल के लग खड़ी होकर उसी का इंतजार कर रही थी,,, उसे देखते ही सुगंधा बोली,,,।

मुझे यकीन था तुम जरूर आओगे मुझे तुमसे ढेर सारे सवाल पूछने हैं,,,।

मुझसे लेकिन क्यों? ( शुभम थोड़ा शंकु चाते हुए बोला)

पहले दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दो,,,
( सुगंधा के इतना कहते ही शुभम पलट कर दरवाजा बंद करके उसकी कड़ी लगा दिया,,,।)


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 04-02-2020, 05:12 PM

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