RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम ही मेरे सवालों का जवाब दे सकते हो क्योंकि यह सब सारे सवाल तुम्हारे ही खड़े किए हुए हैं। और हां यह कहने की बिल्कुल भी जरूरत मत करना कि जो तुम कह रही हो सरासर गलत है मैं यह सब नहीं जानता,,, अगर तुमने जरा सा भी झूठ कहा तो में तुम्हारे बारे में सब कुछ इस घर के लोगों को बता दूंगी इसमें पहले ही मेरी इज्जत जाएगी लेकिन तुम भी कहीं के नहीं रहोगे,,,,।
( सुगंधा का गुस्सा और उसकी बातें सुनकर एक पल के लिए शुभम डर गया क्योंकि जिस तरह से वह बोल रही थी इसमें कोई शक नहीं था कि वह एक एक बात सबको बताने के लिए तैयार थी,,, शुभम इतना तो जानता था कि उसके बारे में घर की औरतें सब कुछ जानती है लेकिन यह राज केवल हर एक औरत के अपने से ही जोड़ कर रखी हुई थी उन्हें यह नहीं मालूम था कि घर की सभी औरतों को बारी-बारी से उसने चोद चुका था वह भले ही बड़ी मामी हो छोटी मामी हो या सबसे छोटी मामी और बड़ी मामी की लड़की कोमल हो,, घर की सभी औरतें बारी-बारी से उसके लंडका स्वाद चख चुकी थी,,, लेकिन फिर भी यह बात उसके मामा नो को ना पता चल जाए इस बात की घबराहट उसके मन में बनी हुई थी इसलिए सुगंधा की बातों को सुनकर के जवाब देने में ही भलाई थी,,,। )
तो शुभम यह बताओ कि कैसे तुम्हारे मन में यह गंदा विचार आया और मेरे साथ गंदी गंदी बातें फोन पर करने लगे,,,,( सुगंधा टेबल पर अपने नितंबों को टीका कर अपने दोनों हाथ बांधकर किसी
सुगंधा टेबल से अपने नितंबों को सटाकर किसी शिक्षिका की बातें शुभम से सवाल करने लगी,,, ईस अदा में भी सुगंधा बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,।
( शुभम के पास सुगंधा के सवालों का जवाब ना देने का कोई बहाना नहीं था क्योंकि सब कुछ साफ हो चुका था इसलिए वह बोला,,,।)
सच कहूं तो मामी पहले मेरा ऐसा कोई भी विचार नहीं था लेकिन जब मामा ने मुझे आपकी फोटो मोबाइल में दिखाए और तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी सुंदरता देखकर मेरा मन तुम पर मोहित होने लगा जब मुझे इस बात का पता चला कि मामा फोन पर तुमसे अभी तक ठीक से बात नहीं कर पाए हैं तो मेरे दिमाग में आइडिया सूझा,,, और मैं मामा के मोबाइल में से तुम्हारा नंबर लेकर अपने मोबाइल से तुम्हें फोन करने लगा,,,,( शुभम अपनी बात बताते हुए बिस्तर पर बैठ गया,,, सुगंधा उसके बड़े गौर से देख रही थी उसकी बातों को सुनते हुए वह शुभम के गठीले बदन को ऊपर से नीचे तक निहार रही थी।,,,,)
पहले तो मुझे ऐसा ही लगा कि तुम भी किसी चालू लड़की कि तरह होगी,,, लेकिन तुमसे बातें करते हुए मुझे समझ में आया कि तुम पढ़ी लिखी और अच्छी लड़की हो तब तुम्हें पाने की मेरी इच्छा और ज्यादा प्रबल होने लगी,,,, सच कहूं तो मामी तुम्हारी अच्छी अच्छी बातें और तुम्हारी खूबसूरत आवाज सुनकर मुझे तुमसे प्यार होने लगा,,,,
( शुभम बिना रुके बताए जा रहा था और सुगंधा बड़े गौर से उसकी बात को सुनती जा रही थी,,,) मामा के साथ रहकर मुझे उनके निगम में पन का पता चलने लगा और मैं समझ गया कि वह तुम्हें वह प्यार नहीं दे सकते जो प्यार तुम्हें चाहिए था जिस तरह का पति तूम्हे चाहिए उस तरह का पति वह कभी भी नहीं बन सकते,,,
और बातों ही बातों में तुमसे मैंने यह क्या लिया था कि तुम अभी तक संपूर्ण रूप से कुंवारी हो इस बात से मुझे तुम पर और तुम्हारी जवानी पर तरस आने लगा,,,
और फिर मैं मन ही मन में सोचने लगा कि मेरे छोटे मामा से शादी करके तुम्हारी जिंदगी ओेंर जवानी दोनों बर्बाद हो जाएगी,, तो क्यों ना मैं ही तुम्हें वह सुख दूं जो तुम अपने पति से चाहती हो और तुम्हारी सुहाग रात को तुम्हारी बुर से पानी निकलने की जगह तुम्हारी आंखों से पानी निकले यह मुझे मंजूर नहीं था,,,। और उसके बाद क्या हुआ यह तुम अच्छी तरह से जानती हो,,( शुभम जानबूझकर खोलते हुए सुगंधा के सामने बुर शब्द का उपयोग करके उसकी प्यास को बढ़ा दिया था,,, और यही दूर शब्द शुभम के मुंह से सुनकर इस समय उसकी बुर की कुल बुलाने लगी थी,,,। सुभम की बातों को बड़े गौर से सुनने के बाद सुगंधाबोली,,,।)
शादी वाले दिन भी मैं अपने पति को देखी थी जिनसे फेरे लिए थे लेकिन ऊनका चेहरा मैं ठीक से नहीं देख पाई थी। क्या तुम्हें जरा भी तो नहीं लगा कि अगर मैं पहचान गई तो क्या होगा,,,।
सच कहूं तो मामी मुझे डर तो बहुत लग रहा था लेकिन उससे ज्यादा उत्सुकता थी तुम्हें पाने की,,, तुम्हारी रसीली कुंवारी बुर में अपने मोटे लंड डालकर तुम्हें चोदने की,,, और यही उत्सुकता और ख्वाहिश मुझे बेझिझक चतुम्हारे कमरे तक ले आई और यह मैं भी जानता था कि तुम पूरी तरह लल़ायित हो लंड लेने के लिए,,,,
( शुभम जानबूझकर ऐसी खुली बातें कर रहा था क्योंकि अंदर से वह सुगंधा के इरादे को भी जान गया था,, शुभम बिस्तर से उठा और सुगंधा की तरफ धीरे-धीरे बढ़ते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)
तुम्हारी चोदने की उत्सुकता को जानकर ही मैं तुम्हारे कमरे में आया था और जैसा जैसा मैं कहता गया वैसा वैसा तुम करती गई,,, तुम मुझे देख कर कहीं अपने पति को पहचानना लो इसलिए मैं आते ही लालटेन की रोशनी को एकदम कम कर दिया लेकिन सच कहूं तो सुगंधा,,,( शुभम इस बार मामी ना कहकर सीधे उसका नाम लेकर बोल रहा था। और शुभम के मुंह से अपना नाम सुनकर सुगंधा भी मचल उठी) मेरी ख्वाहिश तो पूरी हो गई लेकिन वह ख्वाहिश भी अधूरी ही थी,,,,।
( इतना कहकर वह सु्गंधा के करीब पहुंच गया दोनों के बीच केवल 2 फीट की ही दूरी थी,,,। शुभम की इस तरह की मादक बातों को सुनकर सुगंधा के तनबदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह मादक स्वर में बोली,,,।)
भला ऐसा क्यों सब कुछ तो तुम अपने मन का कर लिए थे।,,,
ठीक से देख नहीं पाया हां सुगंधा उस रात तुम्हारी जमकर चुदाई कीया लेकिन ठीक है तुम्हारे खूबसूरत अंगो का दीदार नहीं कर पाया था ।भले ही तुम्हारे अंगों को छूकर मसलकर उनका आनंद पूरी तरह से लिया था लेकिन आंखों की प्यास अभी भी वैसी की वैसी ही बरकरार है।,,,,
( शुभम कि इस तरह की प्यार भरी और कामुक बातें सुनकर अपने भविष्य की चिंता करते हुए,,, सुगंधा रोने लगी और रोते हुए बोलने लगी,,,)
मेरी जिंदगी तो खराब हो गई सुभम मैंने कितने सपने देखे थे,,, अपने विवाह और अपने पति को लेकर ना जाने कैसे-कैसे सपने बून रखे थे मैंने,,, सब कुछ बर्बाद हो गया मैं कहीं की नहीं मुझे नहीं मालूम था कि मेरा पति नामर्द निकलेगा,,,,,
( नामर्द सुनकर शुभम भी चौक गया ओर वह आश्चर्य के साथ बोला,,,)
क्या कह रही हो सुगंधा,, नामर्द तुम्हें गलतफहमी हो रही होगी मैं समझ सकता हूं कि,, छोटे मामा थोड़े से वेसे है शर्मिले है,,, थोड़ा ढीले हैं लेकिन नामर्द तो नहीं हो सकते,,,।
तुम्हारे जाने के बाद से मैं हर रात तड़पकर बिस्तर पर गुजार रही हुं,,,, मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता होगा तुम से कैसी शर्म करूं अब उनका खड़ा ही नहीं होता बड़ी मुश्किल से बेशर्म बनकर मैंने कल रात उनका खड़ा करने की कोशिश करी लेकिन खड़े होने से पहले ही उनका पानी निकल गया मैं तो अपनी किस्मत पर फूट-फूट कर रोने लगी मुझसे रहा नहीं जा रहा था जो आग तुमने मेरे बदन में लगाई थी वह मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,,, और इसीलिए मैंने तुम्हें कल रात को फोन भी की थी लेकिन तुमने फोन नहीं उठाया,,,( फोन वाली बात सुनकर सुभम समझ गया कि कल रात को सुगंधा क्यों फोन कर रही थी,,, कल रात तो वह खुद भी लगा हुआ था तो सुगंधा के पास कैसे जाता इसलिए बहाना करते हुए बोला,,,।)
मैं सो गया था,,,।
तुम सो गए थे लेकिन यहां तो मेरी जिंदगी है बर्बाद हो चुकी है उसका क्या और मेरी जिंदगी को बर्बाद करने में इस परिवार के साथ साथ तुम्हारा भी पूरा हाथ है।
( सुगंधा रोते-रोते बोल रही थी।)
तुम ही ने मुझे फोन पर बातें कर करके ढेर सारे सपने दिखाए और अंत में लाकर ऐसी राह पर छोड़ कर जा रहे हो कि जहां से दूर दूर तक कोई भी मंजिल नजर नहीं आती,,,।
( इतना कहकर सुगंधा जोर जोर से रोए जा रही थी,,, उसके रोने की आवाज कहीं कमरे से बाहर ना चली जाए इसलिए शुभम उसे अपनी बाहों में भर कर उसे चुप कराने की कोशिश करने लगा लेकिन उसका इस तरह से बाहों में भरना ही,,, आग मे पेट्रोल का काम करने लगा,,, और शुभम की चौड़ी छाती ओं के बीच समाई सुगंधा,,, धीरे धीरे उसके बदन से लिपटने लगी,,, धीरे-धीरे हाल ऐसा हो गया कि,, उत्तेजना बस सुगंधा खुद ही अपने होठ आगे बढ़ाकर शुभम के होठो को चूमना शुरू कर दी,,, खूबसूरत सुगंधा को अपनी बाहों में भर कर शुभम भी उत्तेजित हो गया और तुरंत ही टन टनाकर उसका लंड खड़ा हो गया,,, जोकि सीधे साड़ी के ऊपर से ही सुगंधा की बुर पर दस्तक देने लगा,,, सुगंधा से शुभम के लंड़की यह चुभन बर्दाश्त नहीं हुई और वह अपना हाथ नीचे ले जाकर पेंट के ऊपर से ही शुभम के लंड को पकड़कर दबाने लगी,,,, दोनों पूरी तरह से उत्तेजित होने लगे और यह सब मामले में शुभम बहुत तेज था और झट से उसने सुगंधा के ब्लाउज के बटन खोल कर ब्लाउज को निकाल फेंका और उत्तेजना वश सुगंधा को कंधे से पकड़ कर दूसरी तरफ घुमा दिया और जल्दी से ऊसकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा भी निकाल फेंका,,, शुभम की आंखों में कामोत्तेजना साथ नजर आ रही थी और शुभम की हरकत की वजह से सुगंधा की आंखों में भी नशा छाने लगा था वह पागलों की तरह सुगंधा की गोरी गोरी गोल गोल चुचियों पर टूट पड़ा और उसे मुंह में लेकर चूसना शुरु़ कर दिया,,,,
सुगंध भी शुभम की हरकतों का आनंद लेने लगी,,, कमरे में मस्ती का तूफान उठने लगा था सुगंधा पागलों की तरह शुभम के बालों को अपनी मुट्ठी में भींच कर उसे अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों पर दबाए हुए थी,,,, सुगंधा की आज पूरी तरह से अपनी जवानी को शुभम पर न्योछावर कर देना चाह रही थी तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,, दरवाजे पर दस्तक की आवाज को सुनकर शुभम के साथ साथ सुगंधा भी चौंक गई,,, लेकिन अपने आप को संभाल कर सुगंधा बोली,,,।
कौन?
अरे मैं हूं दरवाजा खोलो,,,,
आ गया मेरा निठ्ठला पति,,,,
अब क्या होगा सुगंधा अब तो हम दोनों पकड़े जाएंगे,,,
कुछ नहीं होगा में सब संभाल लूंगी,,, इसी मौके की तो में तलाश में थी,,, तुम जाकर बिस्तर पर बैठ जाओ मैं सब संभाल लूंगी,,,
लेकिन सुगंधा,,,,,,
बस अब तुम कुछ मत कहो,, जाकर बिस्तर पर बैठ जाओ,,,,,
( सुगंधा की बातें सुनकर सुभम बिस्तर पर जाकर बैठ गया लेकिन उसे डर महसूस हो रहा था,,,, सुगंधा जिस तरह से आगे बढ़ रही थी दरवाजे की तरफ उसे देखकर शुभम पूरी तरह से हैरान हुए जा रहा था,,, साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी इसलिए दोनों गोल गोल चूचियां सीनी ताने दरवाजे की तरफ ही देख रही थी,,,, वह अपने स्तनों को ढकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं कर रही थी शुभम के समझ के बिल्कुल भी परे होते जा रहा था यह सब,,, शुभम इशारे ने उसे अपनी चुचियों को ढकने का संकेत दिया लेकिन सुगंधा नकारते हुए आगे बढ़ गई,। और जैसे ही सुगंधा ने दरवाजा खोली उसका पति के सामने खड़ी अपनी बीवी की नंगी चुचियों को देखकर एकदम हैरान हो गया,,,,।
यह क्या है सुगंधा कपड़े तो पहन ली होती,,,
( एक मां के गरबा कमरे में प्रवेश किया और आगे कुछ बोल पाता इससे पहले उसकी नजर बिस्तर पर बैठे शुभम पर पड़ी तो वह हैरान होता हुआ बोला)
शुभम तुम यहां और ये( अपनी बीवी की नंगी चुचियों की तरफ देखकर) यह सब हो क्या रहा है,,,। मेरी बीवी इस हाल में और तू यहां,, क्या कर रहा है।और तुम सुगंधा कुछ कहती क्यों नही
अपनी बीवी को अर्धनग्न अवस्था में कमरे में शुभम की मौजूदगी में देख कर एकदम बौखला गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यहां कमरे में हो क्या रहा है।
अपने पति की इस हालत को देखकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि वह अपने पति को इसी हाल में देखना चाहती थी और वह अपने होठों पर कुटिल मुस्कान लिए दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी,,,,।
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