RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
सुगंधा का पति पूरी तरह से हैरान था कि आखिरकार यह घर में हो क्या रहा है शुभम भी घबराया हुआ था वह अपनी नजरें चुरा रहा था लेकिन सुगंधा बेफिक्र होकर मुस्कुरा रही थी।,,, उसको मुस्कुराता हुआ देखकर ऊसका पति बोला,,,,,,
तुम हंस रही हो जानती भी हो यह सब का मतलब क्या हो रहा है,,,।( वह परेशान हो जा रहा था और वो कल आकर कभी शुभम की तरफ तो कभी सुगंधा की तरफ देख रहा था लेकिन दोनों में से कोई भी किसी भी प्रकार का जवाब नहीं दे रहा था सुगंधा की मुस्कुराहट उसके तन बदन में आग लगा रही थी वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)
तुम्हारा इस तरह से आज नंगी होकर कमरे में किसी के लड़की के साथ मौजूद होना इसका मतलब क्या है,,,।
( इस पर भी कोई जवाब ना मिलने की वजह से वह और ज्यादा बोखलाने लगा,, और सुगंधा से जवाब ना मिल पाने की वजह से शुभम की तरफ आगे बढ़ते हुए बोला।)
तू बता मुझे क्या कर रहा था तो इधर,,, (इतना कहने के साथ ही वह शुभम का गिरेबान पकड़ लिया,,, और उसे खड़ा कर दिया शुभम तो इस हरकत की वजह से एकदम से अचंभित हो गया,,, एक औरत के सामने और वह भी सुगंधा जैसी खूबसूरत औरत जो कि एक नामर्द पति मिल जाने की वजह से उसकी मर्दानगी पर फिदा हो गई थी ऐसी औरत के सामने अपना अपमान होता देख कर,,, शुभम को गुस्सा आ गया शुभम गटीले बदन का मालिक था। एक झटके में उसका हाथ पकड़ कर उसे ऐसा झटका दिया कि वह बिस्तर पर चारों खाने चित होकर गिर गया,,,,,। उसके इस तरह से गिरने से सुगंधा खिल खिलाकर हंसने लगी मानो कि जैसे वह अपने अपमान का बदला ले रही हो,,,, वह बिस्तर के करीब आई और बोली,,,,।
देख लिया अपनी आंखों से ईसे कहते हैं ताकत एक मर्द की ताकत,,,, तू तो कोई काम का ही नहीं है। ना तो तु लड़ाई झगड़े में कुछ उखाड़ सकता है और ना ही बिस्तर पर। एकदम निकम्मा है तु,,, ( सुगंधा अपने अपमान का बदला लेते हुए अपने पति को खरी-खोटी सुनाते हुए उसे अपमान कर रही थी और ऐसा करने में उसे सुकून महसूस हो रहा था,,,, कमर के ऊपर अभी भी वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी दोनों चूचियां उसके हिलने डोलने से पानी की लहर कि तरह लहरा रही थी,, बड़ा ही कामोत्तेजना से भरपूर यह नजारा लग रहा था शुभम का मामा बिस्तर पर अभी भी गिरा पड़ा था और दोनों को चकर पकऱ देखकर दंग हुए जा रहा था। उसे सारा मामला समझ में आ गया था की उसकी बीवी का कमरे में इस तरह से गैर जवान लड़के के सामने नंगी होकर रहना क्या दर्शाता था। शुभम को वह क्रोधित होकर देखे जा रहा था। वह जान गया था कि जो काम वह नहीं कर पाया वह शुभम करने आया था,,,। कुछ ना कर सकने की स्थिति में भी अपनी पत्नी को इस तरह से किसी दूसरे लड़कों के साथ गुलछर्रे उड़ाता हुआ देखकर उसका खून खोलने लगा था। इसलिए को एक झटके से उठा और सुगंधाको क्रोधित स्वर मै बोला,,,।
रुको मैं अभी तुम्हारी रंगरलियो का पर्दाफाश कर देता हूं,,, अभी सब को पता चल जाएगा कि तुम कमरे में शुभम को बुला कर क्या कर रही थी।,,,( इतना कहकर वह दरवाजे की तरफ बड़ा ही था कि इस बार सुगंधा उसे धक्का देकर फिर से बिस्तर पर गिरा दी क्योंकि उसके मन की भड़ास अभी नहीं निकली थी जिस तरह का उसने और उसके परिवार वालों ने दगा दिया था उसे इतनी आसानी से नहीं जाने देना चाहती थी क्योंकि वह उसे अपने अपमान का एक एक घूंट उसे पीलाना चाहती थी,,, । शुभम यह सब कुछ अपनी आंखों से देख रहा था सुगंधा ने जिस तरह से फुर्ती दिखाते हुए उसे धक्का देकर बिस्तर पर गिराया था,,, उसका मन प्रसन्नता से भर गया था सुगंधा के लिए उसके मन में प्यार उमड़ रहा था क्योंकि गुस्से में भी सुगंधा बहुत खूबसूरत लग रही थी और इस अवस्था में जबकि उसकी दोनों आपस में रगड़ खाती हुई लहरा रही थी,,, यह नजारा ही शुभम के लिए उत्तेजना से भर देने वाला था।,,,, सुगंधा गुस्से ने अपने पति से बोल रही थी,,,।
अभी से कहां चल दीए जनाब अभी तो तुम्हें बहुत कुछ दिखाना बाकी है,,
( इतना कहने के साथ ही सुगंधा शुभम को पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी बाहों में भर ले और अपने गुलाबी होठों को उसके होठों पर रख कर चूसना शुरू कर दी,,, यह देखकर उसका पति आग बबूला होने लगा,,, उसका क्रोध और ज्यादा बढ़ने लगा,, वो फिर से बिस्तर से उठने की कोशिश किया लेकिन इस बार सुगंधा अपने आचरण से विरुद्ध उसके पैरों में जोर से लात मारकर फिर से उसे बिस्तर पर गिरा दी,,,, वासना और अपने आप को ठगे जाने की स्थिति में सुगंधा पूरी तरह से पागल हुए जा रहीे थी,,। उसे इस समय बिलकुल भी मर्यादा और शर्म ओ हया का भान नहीं था।,,,, बिस्तर पर गिरा उसका पति पति आंखों से दोनों को देख रहा था शुभम भी समझ गया था कि सुगंधा का इरादा क्या था इसलिए वह उसके पति के सामने ही, उसकी एक चूची को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए उसके गुलाबी होठों का रसपान कर रहा था,,,। सुगंधा का पति इस समय बेहद क्रोध से भरा हुआ था। वह कमरे से बाहर जाना चाहता था और घर की औरतों को इकट्ठा करके सुगंधा को बेइज्जत करना चाहता था लेकिन सुगंधा उसे अभी और कुछ भी दिखाना चाहती थी, इसलिए वह शुभम के होठों को चूमते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगी देखते ही देखते अपनी पति की आंखों के सामने ही शुभम के आगे घुटने के बल बैठ गई सुगंधा की हरकतों की वजह से शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसके पजामे में तंबू तन कर खड़ा हो गया था,,, अपने पति को अपमानित करने के उद्देश्य से वह सुभम के पजामे के ऊपर से ही शुभम के खड़े लंड को मसलते हुए बोली,,,।
तेरे पास है ऐसा,,,,, ( ऐसा कहकर वो अपने पति की तरफ देखकर मादक मुस्कान बिखेर रही थी,, जो कि यह मुस्कुराहट उसके पति के सीने में सुई की तरह चुभ रही थी।,, देखते ही देखते सुगंधा ने धीरे-धीरे करके पजामे को घुटनों तक सरकादी,,,, शुभम का मोटा तगड़ा खड़ा लंड देखकर एक पल के लिए तो सुगंधा भी हैरान हो गई क्योंकि उजाले में आज पहली बार वह शुभम के खड़े लंड को देख रही थी जबकि वह लंड को अपने पूर्व में भी लेकर महसूस कर चुकी थी और अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह ऊसे चूस भी चुकी थी। लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे जब वह शुभम के मौसी तक में लंड को अपनी बुर में ली थी और मुंह मे लेकर चूस रही थी तब कमरे में अंधेरा छाया हुआ था।
इस समय तो उसके तन बदन में बेहद प्यास भरी हुई थी,,, और अपने पति को अपमानित करने के उद्देश्य से उसके बदन की उसकी काम भावना की प्यास और ज्यादा बढ़ चुकी थी। और तो और अंधेरे में शुभम के लंड की लंबाई और चौड़ाई भांप ना सकने की वजह से इस समय उसके खड़े और नंगे लंड के दर्शन करके उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,, उससे रहा नहीं किया और वह तुरंत शुभम के नंबर को पकड़कर हीलाते हुए अपने पति की तरफ देख कर बोली,,
इसे कहते हैं मर्दाना ताकत क्या है तेरे पास ऐसा,,,, देख ले इसे कहते हैं मर्द का असली लंड तेरे पास तो नुनी भी नहीं है,,,,
( वासना से लिप्त सुगंधा इस समय अपनी मर्यादा भूल चुकी थी,, उसी समय बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मर्यादा और संस्कारों के विरुद्ध आचरण कर रही थी,,, उसी समय बस इसी बात का ख्याल था कि उसे अपने ससुराल वाले और उसके पति से अपने अपमान का बदला लेना है और अपने प्यास बुझाना है बस यही दो बातें उसके जेहन में दबी थी,,, जिसे वह अंजाम तक लिए जा रही थी,,,। सुगंधा का पति क्रोध और लाचार आंखों से अपनी पत्नी की हरकत को देख रहा था उससे यह सब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,। इसलिए वह बोला,,,।
तुम यह क्या कर रही हो सुगंधा,,,, तुम बदनाम हो जाओगेी तुम मेरे बीवी हो करके मेरी आंखों के सामने इस तरह का गंदा काम कर रही हो,,, तुम्हें शर्म आनी चाहिए,,,।
शर्म तो तुझे आनी चाहिए तेरे परिवार वालों को आनी चाहिए,,, जो सब कुछ जानते हुए भी मेरी जिंदगी खराब कर दिए,,,,( सुगंधा बड़ी उत्तेजना के साथ सुभम के लंड को हिलाते हुए बोली,,,, )
तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं हुआ है तुम मेरी बीबी हो मुझसे शादी की हो हम दोनों की जिंदगी आराम से कटेगी,,,,,।
इसके बिना (शुभम के लंड की तरफ इशारा करते हुए)
तू पागल है और सबसे बड़ा बेवकूफ तू औरतों को कभी समझ नहीं पाया वरना इस तरह की गलती कभी जिंदगी में नहीं करता,,, औरतों को सबसे ज्यादा इसकी भूख( लंड को पकड़कर उसकी तरफ इशारा करते हुए) इससे चुदने की प्यास होती है,,। और तेरे साथ रहकर मुझे दो वक्त की रोटी तो मिलेगी जिससे मेरे पेट की आग शांत हो जाएगी लेकिन तेरे साथ रहकर मुझे यह (लंड की तरफ इशारा करते हुए) नहीं मिल पाएगा जिससे बदन की प्यास बुझाई जाती है। तुझे क्या लगा था कि तू मुझसे शादी करके दुनिया के सामने मर्द साबीत होना चाहता है लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा,,,, तेरी सच्चाई में समाज के सामने लाकर रहूंगी,,,
( इतना कहते हुए सुगंधा लगातार शुभम के लंड को हिला रही थी जो कि अब अपनी पूरी औकात पर आ कर चुका था,, शुभम के मोटे लंड को अपनी हथेली में लेकर उसकी गर्माहट से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी जांघों के बीच उसकी पतली दरार से नमकीन पानी बह रहा था।,,, उससे भी अब अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी सुगंधा पूरी तरह से बेशर्म हो चुकी थी और अपनी बेशर्मी की हद बताते हुए अपने पति के सामने ही शुभम के मोटे लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, यह देखकर शुभम मन ही मन प्रसन्न हो रहा था और अपने मामा की तरफ बड़े ही व्यंग्यात्मक रूप से देख कर मुस्कुरा रहा था। उसका मामा यह सब देखकर पूरी तरह से जल भुन रहा था उसे रहा नहीं गया और वह बिस्तर से उठकर दरवाजे की तरफ जाने लगा लेकिन इस बार सुगंधा उसे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की,,, जेसेही वह दरवाजा की कुंडी खोला,,, वैसे ही तुरंत सुगंधा शुभम के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल कर बोली,,।
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