Sex kahani अधूरी हसरतें
04-02-2020, 05:13 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
जाने से पहले इतना जरूर सुन लेना तुम चाहे जिस को भी बुला कर लाओ चाहो तो पूरा समाज यहां इकट्ठा कर लो लेकिन मुझे मैं समाज केसामने तुम्हारे घर वाले के सामने बस इतना ही कहूंगी
औरत अपनी मर्यादा से बाहर कब जाती है वह तभी अपनी मर्यादा से बाहर जाती है जब उनकी मर्जी की रखवाली उसका मर्द करने लायक ना हो,,, मैं दुनिया से चीख चीख कर बता दूंगी की मेरा पति नामर्द है वह मुझे चोद सकने के लिए सक्षम नहीं है,,।,,,, बस मुझे इतना ही कहना है बाकी सब काम अपने आप ही हो जाएगा,,, दुनिया से समाज से जो तुम अपनी और नामर्दगी को अपनी कमजोरी को छुपाते हुए आए हो,,, एक झटके में ही सबको पता चल जाएगा कि तुम्हारे अंदर क्या है तब तुम कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाओगे दुनिया तुम पर थुकेगी,, इसलिए थुकेगी कि तुम सब कुछ जानते हुए भी मेरी जिंदगी खराब कीए हो,,,
( इतना सुनना था कि वह अपने कदम दरवाजे से बाहर ना निकल सका उसके पांव वही जम गए,, सुगंधा जो चला कि उसे धमकी दे रही थी उसकी हिम्मत नहीं हुई कि वह बाहर जाकर सब को बुला सकें और वह वापस दरवाजे की कुंडी लगाकर कमरे के कोने में खड़ा हो गया और उसकी हालत देखकर सुगंधा बोली,,,।


यही मैं चाहती थी कि तू मेरे सामने इसी तरह से सर झुका कर और शर्मिंदा होकर खड़ा रहे मैं तेरी आंखों के सामने ही किसी गैर मर्द से नंगी होकर चुदवाऊ और तू अपनी बीवी को किसी और से चूदतेे हुए बस देखता ही रहे ना तो तुझ में रोकने की ताकत हो और ना ही तो कुछ कर सके यही तेरी सजा है।,,,
( इतना कहने के साथ ही हो अपने हाथ के इशारे से शुभम को अपनी तरफ बुलाते हुए बोली,,।)

इधर आ शुभम ले अपनी सुगंधा की कुंवारी चूचियों को अपने मुंह में भर कर के पीें ईन्हे दबा इन के साथ खेल यह सब तेरे लिए ही है,,,,,( सुगंधा उंगली के इशारे से शुभम को अपनी तरफ बुला रही थी और अपने पति की तरफ कोटिंग मुस्कान लिए हैं उसे देखकर और भी जला भुना रही थी,,, शुभम के लिए तो यह सब सोने पर सुहागा था आम के आम और गुठलियों के दाम के जैसी हालत उसकी आंखों के सामने थी,,, उसके दसों की दसों उंगलियां घी मै थी। शुभम अपने मामा की तरफ देखते हुए आगे बढ़ा और सुगंधा की दोनों चूचियों को दोनों हाथों से दबाते हुए बोला।,,,

ओहहहहहह मेरी रानी सुगंधा तुम्हें पाने के लिए मैंने ना जाने कैसे-कैसे पापड़ बेले हैं आज जी भर कर तुम्हारी जवानी का रस पीऊंगा।
( इतना कहने के साथ ही वहां सुगंधा की चूचियों पर टूट पड़ा,, कभी ईस चूची को मुंह में लेकर पिता तो कभी दूसरी,,, कुछ पल में ही शुभम सुगंधा की सूचियों को दबाकर खेलते हुए उसे टमाटर की तरह लाल कर दिया,,, सुगंधाको इस समय बहुत मजा आ रहा था उसके मुंह से गर्म सिसकारियां निकल रही थी जिसकी आवाज सुनकर उसका पति जल भुन रहा था लेकिन कर कुछ भी नहीं पा रहा था।,,, देखते ही देखते शुभम सुगंधा के तन पर से वस्त्रों को हटाने लगा सुगंधा भी उसका साथ देते हुए,, कपड़े उतारने में उसकी मदद कर रही थी देखते ही देखते अपने पति के सामने सुगंधा शुभम के हाथों पूरी तरह से नंगी हो गई बेशर्मी दिखाते हुए सुगंधा भी शुभम के तन पर से अपने हाथों से कपड़े उतार कर उसे भी एकदम नंगा कर दि,,, कमरे में दोनों पूरी तरह से नंगे हो गए,,,, सुगंधा बिस्तर पर पीठ के बल लेटते हुए बोली,,,

शुभम मेरे राजा आज मुझसे जी भर कर प्यार करो,, मुझे ऐसा प्यार करो कि मैं जिंदगी भर याद रखूं,,,,

ऐसा ही होगा मेरी रानी आज मैं तुम्हारे पति के सामने तुम्हारी ऐसी चुदाई करूंगा कि वह जिंदगी भर पछताएगा कि वह तुमसे शादी क्यों किया,,,।

इतना कहने के साथ ही सुभम सुगंधा की रसीली बुर पर टूट पड़ा और उसे जीभ से चाटना शुरू कर दिया,,,,
पूरे कमरे में एक बार फिर से गर्म सिसकारियां गुंजने लगी,,,, सुगंधा का पति है सब देख कर मचल रहा था उसकी इच्छा हो रही थी कि वह भी अपनी पत्नी से इसी तरह से प्यार करें लेकिन मन में चाहने से क्या होता है उसके लिए तन साथ देना चाहिए जोकी उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था,,,। जीस अंग की कामना और जिस अंग की चाह हर औरत रखती है वहीं अंग उसका शिथिल था।,,, वह बड़े गौर से शुभम को उसकी आंखों के सामने ही उसकी बीवी की बुर चाटते हुए देख रहा था और अपने आपको इस बात के लिए कोस भी रहा था कि,,, वह इस लायक क्यों नहीं है कि अपनी पत्नी को इस तरह का सुख दे सके। वह आंख फाडे,, एक औरत और मर्द को प्यार करते हुए देख रहा था और यह नजारा भी उसकी जिंदगी में पहली बार ही था शुभम पागलों की तरह उसकी रस से भरी बुर को चाटे जा रहा था।,,,

सससहहहहहहह,,,, शुभम यह क्या कर रहे हो मुझे ना जाने क्या हो रहा है मैं पागल हो जाऊंगी,,,, व,सससहहहहहहह आहहहहहहहह शुभम मेरी बुर में आग लगी हुई है प्लीज इसमें अपना लंड डालकर मुझे चोदो मुझसे रहा नहीं जा रहा है ।

इतना सुनते ही शुभम उसकी टांगों को खोल कर अपने लिए जगह बना लिया और अपने लंड को पकड़कर उसकी बुर के मुहाने पर रखकर कचकचाकर धक्का मारा,,,,बुर पहले से ही काफी गिली थी इसलिए,,,, शुभम का लंड सब कुछ चीरता हुआ बुर की गहराई में घुस गया।,,,, सुगंधा के मुंह से चीख निकल गई जिसे शुभम उसके होठों पर वोट रखकर दबाने की कोशिश करने लगा और हल्के हल्के अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया यह सब सुगंधा का पति फटी आंखों से देख रहा था। कुछ ही देर में सुगंधा की चीखने की आवाज गरम सिसकारियां में बदल गई,,, उसे मजा आने लगा और वह अपने नितंबों को ऊपर की तरफ उछाल उछाल कर सुभम के लंड को अपनीबुर में लेने लगी,,,,, बहुत जोर जोर से अपने नितंबों को उत्तर उछाल रही थी मानो कि अपने पति को चिड़ा रही हो,,,। तकरीबन 35 मिनट तक सुगंधा शुभम से चुदवाती हुई और उसका पति बेबस होकर यह सब देखता रहा आखिरकार दोनों तीव्र गति से अपनी कमर को हिलाते हुए पानी छोड़ दिए ।,,,
शुभम जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहन लिया और वहां दरवाजे तक पहुंचा ही था कि तभी सुगंधा उसे रात को भी आने का आमंत्रण दे दी।,,,, जिसे शुभम शहर मुस्कुरा कर स्वीकार कर लिया और उसका पति जो कि कौन है में खड़े होकर यह सब देख रहा था ना चाहते हुए भी मौन स्वीकृति दे ही दिया था।
रात को भी ज्यादा सुगंधा के कमरे में पहुंचा तो कमरे का दरवाजा खुला ही था अंदर पहुंचकर देखा कि उसका पति अलग बिस्तर लगाकर जमीन पर लेटा हुआ था और सुगंधा बिस्तर पर टांगे फैलाकर उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी शुभम दरवाजा बंद करके कड़ी लगाया और बिस्तर पर लेटते हुए सुगंधा को अपनी बाहों में भर लिया,,, और फिर एक बार फिर से अपने ही पति के सामने सुगंधा बेशर्म होकर अपनी भांजे से चुदाई का मस्त खेल रात भर खेलती रहीं,,,, सुबह जब शुभम सुगंधा के कमरे से जाने को हुआ तो सुगंधा जो कि अभी भी पूरी तरह से नंगी थी अपने पति के सामने ही शुभम के गले लग कर रोने लगी,,,, शुभम उसके गोलाकार नंगी नितंबों कौ सहलाते हुए बोला,,,।

सुगंधा मैं समझ सकता हूं कि तुम पर क्या गुजर रही होगी तो तुमसे बस यही कहना चाहता हूं कि तुम समझदार हो पढ़ी लिखी हो और खूबसूरत भी हो,, और सच कहूं ये तुम्हारे लायक ( सुगंधा के पति की तरफ इशारा करते हुए) बिल्कुल भी नहीं है। तुम समझदार हो अपनी जिंदगी का फैसला खुद भी कर सकती हो,, अपनी जिंदगी को अच्छे से गुजारना है या फिर ऐसे ही तड़प तड़प कर यह तुम अच्छी तरह से फैसला कर सकती हो,,,

इतना कहकर शुभम कमरे से बाहर निकल गया,,,

शुभम और निर्मला दोनों शहर जा रहे हैं थे अपने अपने सामान को दोनों ने गाड़ी में रख दिया था। घर के सभी लोग ऊदास थे,,, घर की सभी औरतों की आंखें नम थी और साथ ही उनकी बुर भी नम थी । आखिरकार उनके प्यासे कुंए के लिए शुभम सावन की बौछार बनकर उनकी जिंदगी में आया था। शुभम को भी काफी दुख हो रहा था क्योंकि गांव में आकर उसकी जिंदगी बदल गई थी यहां पर उसे एक साथ ढेर सारी औरतों का प्यार मिला था,, इसलिए जाते समय उसकी आंखों में भी पानी आ गया था। शुभम और निर्मला गाड़ी में बैठकर शहर की तरफ निकल गए,, सुगंधा भी
शुभम को बाय-बाय करते हुए अपने पति को छोड़ने का फैसला कर ली थी।
तकरीबन रात को 8:00 बजे निर्मला और शुभम अपने घर पहुंच गए थे दोनों काफी थके नजर आ रहे थे।,,, घर की चाबी जो कि एक निर्मला के पास ही थी उसे शुभम को थमाते हुए वह बोली,,।

तुम जाकर दरवाजा खोलो तब तक मैं गाड़ी गैराज में खड़ी करके आती हुं।,,
( शुभम पूरी तरह से थका हुआ था इसलिए बेमन से निर्मला के हाथों से चाबी लेकर गाड़ी से नीचे उतर गया,,, और गेट खोल कर आगे बढ़ने लगा शुभम दिलबर गाड़ी के सफर की वजह से काफी थक चुका था इसलिए उसके कदम भी लड़खड़ा रहे थे।,,,, निर्मला ने गांव से निकलते समय अपने पति अशोक को फोन नहीं की थी कि वह शहर वापस लौट रही है,,,। इसलिए अशोक इस बात से वाकिफ नहीं था कि निर्मला आज ही शहर लौटने वाली थी।
शुभम आंखों को मिलते हैं दरवाजे में चाबी लगा कर घुमाने लगा और दरवाजे का लाॉक खुल गया,,, वह दरवाजे को हल्के से खोलते हुए घर में प्रवेश किया,,,,
हल्की हल्की नींद लगने की वजह से शुभम अभी भी आंखों को मसल रहा था,,, इसी दौरान उसके कानों में चप्प चप्प की आवाज सुनाई दे रही थी और यह आवाज को सुनकर शुभम पूरी तरह से चौक गया,,,,, वजह से ही अपनी आंख खोलकर सामने देखा तो सामने का नजारा देख कर उसके होश उड़ गए,,, सामने डाइनिंग टेबल पर एक लड़की जोंकि भरे हुए देह की थी वह झुकी हुई थी और उसका लॉन्ग स्कर्ट कमर तक उठा हुआ था,,,, और उसे पीछे से उसके पापा जोर जोर से अपनी कमर हिलाते हुए उसको चोद रहे थे,, यह देखकर शुभम तो एकदम से हैरान रह गया वह आश्चर्य के साथ बोला,,,,

पापा,,,,, यह सब क्या हो रहा है,,,।
( इतना सुनते ही जैसे अशोक और मधु नींद से जगे हो इस तरह से सक पका गए,,, दोनों संभोग सुख में इतनी ज्यादा खो गए थे कि दरवाजा खोलने का आवाज तक उनके कानों में नहीं पड़ा,,,, अशोक तो अपने सामने अपने बेटे को खड़ा देखकर एकदम से चौक गया और घबराते हुए बोला,,,,

सससससस,,,,, सुभम,,, तुम,,,, तुम कब आए बेटा,,,,,
( इतना कहते हुए वह अपने पजामे को ऊपर करने लगा,,, और मधु अपनी टी-शर्ट को नीचे सरका कर अपने दोनों गोलाइयों को छुपा ले गई,, और हड़बड़ा कर सीढ़ी पर चढ़ते हुए वह टांगों में फंसी अपनी पेंटी को पहनते हुए सीढ़ियां चढ़ने लगी,,,, नजारा बेहद कामुक था जिसे देखकर शुभम का भी मन डोल गया था मधु की गोल गोल गोरी गोरी गदराई गांड जब तक मधु अपने पेंटी के अंदर छुपाती तब तक शुभम ऊसे नजर भर कर देख चुका था।,,, वाला बताते हुए मेहमानों के लिए बने कमरे के अंदर चली गई थी,,,, शुभम हक्का-बक्का का वहीं खड़ा था उसे इस नजारे की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी अभी भी उसकी नजर मेहमान के लिए बने कमरे की तरफ ही थी ।,,,, शुभम को इस तरह से उस कमरे की तरफ देखता हुआ पाकर अशोक बोला,,,।

यैं तेरी बुआ है,,,मधु,,,,, ( नज़रे झुका कर बोला)

बुआ,,,,,,, मतलब कि आप की छोटी बहन,,,,,,

हां,,,,,, ( अशोक फिर से शर्मिंदगी से झुकी नज़रों को ऊपर उठाए बिना ही बोला,,,।)

पापा मतलब आप अपनी छोटी बहन को घर बुलाकर उसको चोद रहे थे इसका मतलब है कि जब तक हम लोग गांव में थे तब से ये तुम्हारी बहन तुम्हारे साथ ही थी,,, और आप रोज उसको इसी तरह से चोदते हैं और वहां के बिना संकोच के आप से चुदवा लेती है ।


देख शुभम इस बारे में तु अपनी मम्मी को बिल्कुल भी मत बताना,,, ( अशोक अपने बेटी के सवाल का जवाब दिए बिना ही बोला,,,।)

बिल्कुल भी नहीं बताऊंगा,,,,( शुभम मुस्कुराते हुए बोला।,,) लेकिन इसमें मेरा क्या फायदा होगा,,,।

फायदा?( अशोक आश्चार्य के साथ बोला वह काफी घबराया हुआ था।)

फायदा मतलब की मै आपकी इन सभी गंदी हरकतों को छुपाता फरु मम्मी को ना बताऊं तो मुझे भी तो कुछ मिलना चाहिए ना,,,,।

तो मांग बेटा तुझे क्या चाहीए मैं सब कुछ देने को तैयार हूं,,, जो तु मांगेगा सब कुछ मिलेगा,,,,( अशोक चेहरे पर प्रसन्नता के भाव लाता हुआ बोला क्योंकि शुभम की बात से उसे लगने लगा था कि वह यह राज छुपाने के बदले में उससे जेब खर्च या और कुछ मांगेगा। लेकिन सुभम बहुत चालाक था वह अपने पापा से बोला,,,।)

मैं अभी कुछ नहीं मांगूंगा बस इतना याद रखना कि मैं आपकी यह सब करतुतो को मम्मी से नहीं बताऊंगा तुम्हारी ऑफिस की सेक्रेटरी और मेरी बुआ मतलब कि तुम्हारी खुद की सगी बहन के साथ जो आप चुदाई का खेल खेल रहे हैं यह राज राज ही रहेगा लेकिन याद रखना उसके बदले में 1 दिन जरूर मैं आपसे कुछ मांगुगा,, तब आप उस समय बिलकुल भी इनकार करने की कोशिश मत करना वरना यह सब काली करतुते मैं मम्मी से बता दूंगा,,,,


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RE: Sex kahani अधूरी हसरतें - by sexstories - 04-02-2020, 05:13 PM

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