RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट*4
घर पहुच कर फ्रेश होने के बाद दोनो आदि को सुला कर खुद भी सोने लगे…लेकिन आनंद की आँखो से नीद कोसो दूर थी….वो अपने अतीत मे खोता चला गया……
अब आगे……………
आनंद और उर्मिला की शादी को 8 साल से उपर हो चुका था……आनंद की ड्रिल बनाने की छोटी सी फॅक्टरी थी.. कुल मिला के अगर कहा जाए तो धन दौलत की कोई कमी नही थी……
मगर फिर भी दोनो के जीवन मे एक दुख हमेशा रहता था…..और वो दुख था औलाद ना होने का… शादी के इतने साल के बाद भी उनकी कोई औलाद नही थी……
ऐसा नही था कि उर्मिला माँ नही बन सकती थी या आनंद मे कोई खास कमी थी……उर्मिला तीन बार प्रेग्नेंट भी हुई लेकिन हर बार उसका गर्भपात हो जाता था……
बड़े से बड़े डॉक्टर्स को दिखाने के बाद भी कंडीशन वही की वही थी…..उर्मिला की दवाइयाँ चालू थी…
डॉक्टर्स के मुताबिक उर्मिला की बच्चेदानी कुछ कमजोर थी जिसकी वजह से वो बच्चे का वजन संभाल ना सकने के कारण उसका गर्भपात हो रहा है….
इसी दौरान उर्मिला की एक साल छोटी बहन मेघा की उसी शहर मे उसकी भी शादी हुई थी उनके दो बच्चे एक लड़का और एक लड़की हो चुके थे……
आनंद और अजीत दोनो चचेरे भाई थे…लेकिन दोनो के स्वाभाव मे बहुत अंतर था….अजीत एक नंबर. का शराबी था वही आनंद इसके विपरीत पान गुटखा तक नही ख़ाता था….
अजीत की भी कपड़े की दुकान थी…जिससे उनका खर्चा चलता था……खैर जब मेघा को दो बच्चे हो गये और जब भी वो उर्मिला से मिलने आती तो उन बच्चो को देख कर उर्मिला का मन भी माँ बनने के लिए मचल उठता…….
और फिर अपनी किस्मत पर वो रोने लगती….ऐसे ही दिन गुजरने लगे उनके….इस बीच दोनो मंदिर मस्जिद जाकर भी औलाद के लिए अपना दामन फैलाते रहे….उर्मिला का इलाज़ भी चलता रहा……
आख़िर एक दिन उन दोनो की फरियाद एक बार फिर उपर वाले ने सुन ली…..उर्मिला फिर माँ बनने वाली थी….कहीं इस बार फिर गर्भ ना गिर जाए इस डर से उर्मिला अपना अधिकांश समय बिस्तर पर ही लेटी रहती…..
घर के काम काज के लिए आनंद ने नौकरानी रख ली थी जो घर और उर्मिला दोनो का ध्यान रखती…वही मेघा भी तीसरी बार माँ बनने वाली थी……
इतने परहेज के बाद आख़िर उर्मिला का गर्भ इस बार बच गया और वो घड़ी भी करीब आ गयी थी….मेघा ने उर्मिला से एक महीने पहले ही बेटे को जनम दिया……
लड़के का नाम ऋषि रखा गया…..मेघा की डेलिवरी के एक महीने बाद उर्मिला की डेलिवरी हुई…लेकिन इस बार रिज़ल्ट मे बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ……
डॉक्टर ने आनंद को बुला कर सारी बात बताई…..आनंद बेहद दुखी हो गया….उसे अपने से ज़्यादा उर्मिला के दुख की चिंता थी जो फिलहाल इस समय बेहोश थी…….
आनंद डॉक्टर से कुछ बात करके निकल गया हॉस्पिटल से……उसने खिड़की से मेघा के घर मे घुस कर एक महीने के नन्हे से ऋषि को जो बेचारा सो रहा था को उठाकर चुपचाप वहाँ से निकल गया…..
और ऋषि को अपने मरे हुए बेटे की जगह लिटा कर उस बच्चे का अंतिम संस्कार करने चला गया….
उर्मिला को जब होश आया तब तो वो अपने बच्चे (ऋषि) को देख कर बहुत खुश हुई…….कुछ देर मे आनंद भी हॉस्पिटल लौट आया……
उर्मिला प्रेग्नेंट की वजह से घर मे ही रहती थी और मेघा भी डेलिवरी के बाद मिलने नही आई थी जिससे उर्मिला उस बच्चे को नही पहचान पाई…..
आनंद ने पूरे हॉस्पिटल मे मिठाई बाटी खुशी जाहिर करने के लिए….दूसरे दिन डिसचार्ज करवा के आनंद ने वो जगह छोड़ कर उम्रेड आ गया…..जहाँ एक घर खरीद लिया था आनन फानन मे उसने…
इधर मेघा को जब अपना बच्चा नही मिला तो उसने रो रो कर पूरा घर सर पे उठा लिया…..
आसपास पता करने पर भी जब कुछ नही मालूम हुआ था तो उन्होने पोलीस फिर की गुमशुदगी की……मगर कुछ मालूम नही हुआ…..
इधर आनंद के घर उस बच्चे के कदम पड़ते ही उसको खुश खबरी मिली की एक बड़ी कंपनी ने ड्रिल बनाने का करोड़ो का ऑर्डर दिया है……
आनंद के मंन मे भी उसी पल से उस बच्चे के लिए अपनापन आ गया…..दो दिन बाद बच्चे का नामकरण करने के लिए मंदिर के पुजारी को बुलाया गया…..
बच्चे की जनम कुंडली बनाते समय वो बहुत हैरान हुए….उनके चेहरे पर आते जाते भाव को देख कर उर्मिला चिंता करते हुए बोली…..
उर्मिला—पंडित जी सब ठीक तो है ना…..कोई चिंता की बात तो नही है….
पुजारी—नही बेटी….ये बालक बड़ा ही भाग्यशाली और चमत्कारी है…..इसके अंदर अलौकिक तेज़ है जो इसके चेहरे से झलक रहा है….इसमे बहुत सी अद्भुत शक्तियाँ हैं जो अपने समय पर उसे प्राप्त होगी और हर संकट मे उसकी रक्षा भी करेगी…..
पुजारी की बात सुनकर उर्मिला और आनंद दोनो खुश हो गये…..
आनंद—पंडित जी हमारे बेटे का नाम क्या होगा….?
पुजारी (कुछ देर सोच कर)—वैसे तो इसका नाम कुछ और ही है मगर इसमे जो सूरज के समान तेज़ है तो इसका नाम आदित्य रखना ठीक होगा……
आनंद ने पुजारी को ढेर सारी दक्षिणा देकर खुश कर दिया और वो भी खुशी खुशी आशीर्वाद देते हुए चला गया…..
उस दिन से आदित्य उर्मिला और आनंद दोनो की जान बन गया…..इन दो सालो मे आनंद की कंपनी को जमकर मुनाफ़ा हुआ…..एक छोटी सी कंपनी अब बड़ी होकर आदित्य इंडस्ट्रीस बन गयी थी….
लेकिन आनंद को हमेशा ये डर सताते रहता कि कही आदि की सच्चाई किसी को मालूम ना हो जाए….इस डर से वो हमेशा आदित्य के प्रति चौकन्ना रहता था….मेघा और उसके पति से अपना रिश्ता तोड़ लिया कि कही वो आदित्य को पहचान ना ले……
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
|