Antarvasna Sex चमत्कारी
04-09-2020, 03:30 PM,
#75
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट * 73

सोनालिका के परिलोक वापिस आने से महाराज और महारानी बेहद प्रसन्न हुए किंतु जब उन्होने देखा कि वो अकेली ही दिख रही है तो थोड़ा उदास और चिंतित भी हो गये

महारानी—पुत्री अच्छा हुआ तुम आ गयी….राज्याभिषेक की तैय्यारिया भी पूरी हो चुकी हैं….लेकिन हमारे होने वाले नये महाराज दिखाई नही
दे रहे हैं……कहाँ हैं वो….?

महाराज—हाँ….पुत्री, दामाद जी नज़र नही आ रहे…..क्या वो बाद मे आएँगे या आने के बाद सीधे परिलोक के भ्रमण के लिए निकल गये प्रजा का हाल चाल देखने…..?

सोनालिका—माँ..पिता श्री,…असल मे वो मेरे साथ नही आए हैं अभी…….आदि बाद मे आएगा

महारानी—अपने होने वाले पति के लिए इस तरह का संबोधन तुमने कहाँ से सीख लिया, सोनालिका….? क्या मैने तुम्हे यही शिक्षा दी है……?

महाराज—पुत्री, महा शिवरात्रि आने ही वाली है….जब परिलोक के राजसिंघासन को उसके मुकुट का उत्तराधिकारी मिल जाएगा….ऐसे मे
उनका यहाँ रहना अत्यंत आवश्यक है

सोनालिका—मुझे क्षमा करे माँ…मेरा कहने का मतलब है कि वो यहाँ समय रहते राज्याभिषेक के लिए पहुच जाएँगे….आप दोनो व्यर्थ मे चिंता कर रहे हैं

महाराज—काश ऐसा ही हो !

सोनालिका (मन मे)—हम आपसे कैसे कहें माँ कि आदि इस परिलोक का राजा और यहाँ की शक्तियो के योग्य नही है…वो अब बदल गया है…..आदि अब काम वासना मे लिप्त हो गया है….आदि जैसा व्यभिचारी पुरुष मेरा पति बनने के काबिल नही है

परिलोक मे मध्य रात्रि के समय एक अद्भुत घटना हुई….राजसिंघासन और मुकुट स्वतः ही परिलोक से अदृश्य हो गये…..उनके परिलोक
छोड़ने के साथ ही संपूर्ण परिलोक मे घनघोर अंधकार छा गया

..................................................

वही मारग्रेट आदि के घर से गुस्से मे चली गयी….और सीधे अपने घर पहुच कर रूम का डोर लॉक कर लिया….बेड पर लेट कर मन ही मन बड़बड़ाती जा रही थी

मारग्रेट (मन मे)—मुझे तब ही समझ जाना चाहिए था जब आदि ने मेरे साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी मैं ही पागल थी जो ईडियट
को बचपन से अपना कुछ मानती आ रही थी….बचपन से मैने उसको प्यार किया..लेकिन आदि ने कभी मेरे प्यार की कद्र नही की……उसे
सिर्फ़ जिस्म चाहिए…चाहे वो किसी का भी हो….मेरी मम्मी तक को नही छोड़ा आइ हेट यू आदि, आइ हेट यू……अब कभी तुम्हारी शकल तक नही देखूँगी

जब उसकी माँ ने मारग्रेट को गुस्से मे रूम मे जाते देखा तो लंच के लिए उसको आवाज़ दी लेकिन मारग्रेट बिना लंच और डिन्नर किए ही सो गयी

अगली सुबह सो कर उठने के बाद फ्रेश हुई और फिर कॉलेज जाने के लिए रेडी हो गयी….उसकी माँ ने ब्रेकफास्ट करने को दिया पर उसने
मना कर दिया

मारग्रेट’मोम—क्या बात है….? कल से देख रही हू तेरा मूड कुछ खराब सा लग रहा है……आदि से झगड़ा हुआ क्या..?

मारग्रेट (उदास)—कुछ नही…ठीक है

मारग्रेट’मोम—ठीक कैसे है…कल से देख रही हूँ ….ना लंच ना ही डिन्नर..कुछ नही किया तुमने…..मैं आदि से बात करूँगी….वो तो मुझसे मिलने कभी आता ही नही है

मारग्रेट (मन मे)—लो कर लो बात….रात भर इनकी अच्छी तरह से बजा कर आके चला भी गया वो और ये कह रही हैं कि आदि यहाँ आता ही नही है मुझसे मिलने

मारग्रेट नाश्ता किए बिना ही कॉलेज चली गयी….सभी फ्रेंड्स ने जब आदि को नही देखा तो उससे उसके बारे मे पूछने लगे लेकिन उसने इस विषय पर अपनी अनिभिग्यता जाहिर कर दी

परंतु कॉलेज आने के बाद मारग्रेट का मन बिल्कुल भी स्टडी मे नही लग रहा था….जब से उसने होश संभाला है तब से आज पहली बार था जब वो पढ़ने आदि के बिना अकेले आई है

हमेशा चाहे स्कूल हो या खेलना, कही आना जाना, घूमना, शॉपिंग या फिर कॉलेज , मारग्रेट आदि के साथ ही आती जाती थी….इसलिए आज
कॉलेज मे उसका मन नही लग रहा था

अपने अंदर वो बहुत घबराहट महसूस कर रही थी….रह रह कर ना चाहते हुए भी उसे आदि की ही याद आ रही थी… उसकी आँखे बस
एक टक मेन गेट पर ही लगी हुई थी इस आशा मे कि शायद अब आदि वहाँ से एंटर करे

मगर आदि को तो ना आना था और ना ही आया, हां इस दौरान अलीज़ा ज़रूर कॉलेज मे एंटर हुई और मारग्रेट ने जैसे ही उसे देखा तो उसका दिमाग़ और भी खराब हो गया

मारग्रेट (मन मे)—सब इसकी वजह से ही हुआ है….अगर ये कल वहाँ नही आती तो आदि के साथ ऐसा बर्ताव नही हुआ होता….और शायद मैं भी उस पर हाथ ना उठाती….आदि अभी मेरे साथ कॉलेज मे होता…..(फिर थोड़ी देर बाद) ओह्ह्ह्ह…ये क्या हो रहा है मुझे…..मैं तो आदि से नफ़रत करती हूँ…..फिर क्यो मुझे उसकी फिकर हो रही है….? मैने तो कभी उसकी शकल ना देखने की कसम खाई है पर मेरी आँखे क्यो आदि को देखने के लिए व्याकुल हो रही हैं…..? मुझे आदि की इतनी याद क्यो आ रही है….? शायद उसके बिना मुझे रहने की आदत नही है इसलिए होगा….?

इसके बाद वो कॉलेज से सर दर्द का बहाना करके घर चली गयी…..घर मे भी उसका मन नही लग रहा था… मोबाइल को उठा कर बार बार चेक करती कि कहीं आदि का मिस्ड कॉल तो नही आया फिर मायूस होकर लेट जाती….जब खुद की हालत से परेशान हो गयी तो बिस्तर मे लेट कर फफक फफक कर रोने लगी

इधर आनंद ने हर जगह पर आदि की तलाश कर ली उसके फ्रेंड्स के यहाँ भी पता कर लिया किंतु उसका कुछ पता नही चला...अगले दिन भी खोजबीन जारी रही लेकिन जो निर्धारित हो चुका था वही हुआ आज भी उनके हाथ निराशा ही लगी

उर्मिला का हाल बुरा हो चुका था वो बार बार खुद को कोष रही थी तो श्री भी परेशान थी उपर से रात वाली घटना अलग उसे चिंतित किए हुए थी

इंडिया मे भी मेघा से पूछ लिया..आदि वहाँ भी नही था….ऐसे ही तलाश करते हुए दो तीन दिन निकल गये…आख़िर थक हार कर आनंद ने
पोलीस एफआईआर दर्ज़ करा दी

श्री (मन मे)—आदि कहाँ गया होगा….? कही उसने कुछ कर तो नही लिया….? अगर उसे कुछ हो गया तो मैं खुद को कभी माफ़ नही कर
पाउन्गी….भगवान उसकी रक्षा करना

पोलीस की छानबीन मे आदि के सेल फोन की जीपीयेस लोकेशन सिम प्रवाइडर कंपनी से माँगने पर पता चला कि वो यहाँ से लंडन गया फिर डाइरेक्ट इंडिया का लोकेशन आ गया…उसके बाद बंद

आनंद अगले ही दिन इंडिया रवाना हो गया और कुछ डीटेक्टिव एजेन्सीस को इस काम मे लगा दिया….इस तलाश मे उन्हे गंगोत्री की खाई के पास से आदि का सेल फोन टूटी अवस्था मे मिल गया

सबने यही निष्कर्ष निकाला कि आदि के साथ कोई ना कोई दुर्घटना अवश्य ही घटी है….परंतु इसके पीछे किस का हाथ है पता नही चला…लिहाजा आनंद ने डीटेक्टिव एजेन्सीस को अपनी तलाश जारी रखने को कहा

आदि के ऐसे आकस्मात गायब होने की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया…..उर्मिला ये सदमा बर्दास्त नही कर पाई और कोमा मे
चली गयी….श्री के सपने सच होने से पहले ही काँच के शीशे की तरह टूट कर बिखर गये उसकी दुनिया बसने के पहले ही उजड गयी

जिस दिन आदि के साथ ये हादसा पेश आया उस समय अग्नि बाथरूम मे नहा रही थी….जब शाम को उसने श्री से आदि और सोना के बारे मे पूछा तो श्री ने उसको सब बता दिया

ये सुनते ही अग्नि का चेहरा किसी आगे के गोले की तरह क्रोध से तमतमा गया…..उसने पास मे रखी कुदाल उठा कर मारग्रेट और अलीज़ा को मारने निकल पड़ी लेकिन श्री ने उसे आदि की कसम देकर ऐसा करने से रोक दिया

अग्नि ऐसा करने से रुक तो गयी लेकिन वो घर छोड़ कर चित्रा के साथ कहीं चली गयी…..चित्रा का कुछ पता नही चला कि वो उसके बाद
कहाँ गयी

एक जगह जहाँ किसी की शादी हो रही थी वो भी चुपके चुपके और दूसरे किनारे पर एक नवजात शिशु के नाम करण का कार्य क्रम चल रहा था…..पंडित तो थे लेकिन वो मंत्रोचारण नही कर रहे थे बल्कि हाथ के इशारे से सब समझाते जा रहे थे…..और अगर कोई बात समझ मे ना आती तो वो उनके कान मे बताता कि क्या करने को उसने इशारा किया था…..ना बॅंड ना बराती, ना ही कोई मंगलचार का गीत या गाना बजाना

किसी भी तरह की कोई सजावट तो दूर की बात है वहाँ मंडप तक का पता नही था….हर तरफ मन्हुशियत अपने पंख पसारे हुए थी…..हर
किसी की आँखो मे डर और ख़ौफ़ का साया साफ साफ नज़र आ रहा था

सब के चेहरे देखने से ही ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे वो सदियो से ना मुश्कुराए हो……मुश्कूराहट क्या चीज़ है इसका स्वाद ही ना चखा हो.... ?

ऐसा लग रहा था कि ये सब किसी की डर से यहाँ छुप कर किसी की शादी और नाम कारण करवा रहे हैं….ज़्यादा लोगो की उपस्थिति भी
नही थी..बस नाम मात्र के ही कुछ गिने चुने बीस पच्चीस लोग ही वहाँ मौजूद थे

कुछ लोग आस पास के पेड़ो मे चढ़ कर छुपे हुए थे जो अपनी पैनी निगाहो से चौतरफ़ा नज़र रखे हुए थे जैसे किसी ख़तरे का आभास होते ही तुरंत सूचित कर सके

देखने से तो गाओं बहुत बड़ा मालूम पड़ता था लेकिन चहल पहल बिल्कुल नही थी….सभी घरो के खिड़की दरवाजे बंद थे….हर ओर एक अनंत सन्नाटा फैला हुआ था

‘’क्यो सरजू, सब ठीक चल रहा है ना…..?’’ तभी वहाँ पर एक आदमी ने आते ही इस शांति को भंग करते हुए धीरे से एक आदमी से कहा जिसका नाम शायद सरजू है.

सरजू—जी मुखिया जी, अभी तक तो सब ठीक ही चल रहा है

मुखिया—सब लोग एक दम सतर्क और होशियार रहना…..किसी भी तरह का ख़तरा महसूस होते ही आस पास के मकानो मे लेकर तुरंत
चले जाना….अगर हो सके तो वर वधू के साथ तुम अपने बच्चे को लेकर राजनंदिनी के मकान मे चले जाना….वो जगह ही सिर्फ़ सुरक्षित है

सरजू—मगर राजनंदिनी यहाँ से काफ़ी दूर रहती है….हमे कार्य क्रम जल्दी ही निपटाना होगा

‘’आख़िर ऐसा कब तक चलेगा, मुखिया जी….कब तक हम डर और ख़ौफ़ के साए मे जिंदगी गुज़ारते रहेंगे…?’’ वहाँ मौजूद एक अन्य व्यक्ति ने कहा

मुखिया—जब तक प्रभु की मर्ज़ी…..और इंतज़ार धनीराम, इसके अलावा हमारे पास दूसरा कोई विकल्प भी तो नही है

धनीराम—इस तरह तो एक दिन हम सब मारे जाएँगे….हमारे बीवी बच्चे एक एक बूँद पानी और रोटी के एक टुकड़े के लिए भूख प्यास से
तड़प रहे हैं…..मुझसे तो अब नही देखा जाता ये सब….आख़िर कब ख़तम होगा ये इंतज़ार..? मुझे अपनी बेटी की शादी इस तरह छुप कर
करनी पड़ रही है

सरजू—मेरे बच्चे का नाम करण भी तो छुप कर करने को मजबूर हैं हम

मुखिया—भगवान पर भरोसा रखो….कभी ना कभी तो इस गाओं मे भी सूरज चमकेगा…..कभी तो उपर वाले को हमारी बेबसी पर तरस आएगा….

ये सभी इतने धीरे धीरे बाते कर रहे थे कि उनके बगल मे बैठा आदमी भी जब तक उनके मूह के पास कान नही लगाएगा तो कुछ भी उसे पता नही चलेगा की वो क्या बाते कर रहे हैं

‘’वर वधू और बच्चे को आशीर्वाद दीजिए, मुखिया जी’’ पंडित ने इशारे से समझाया

पंडित का इशारा समझते हुए मुखिया अपनी जगह से उठ कर उन्हे आशीर्वाद देने जाने को हुआ ही था कि वहाँ एक ज़ोर दर चीख सुनाई दी….जिससे सभी के हृदय दहल गये

‘’भगूऊऊ…..भगूऊ…..वो..आ रहा है….भगूऊव’’ पेड़ पर चड़े हुए लोग उपर से कूद कर चिल्लाते हुए दौड़ पड़े

चीखने की आवाज़ और अपने लोगो की चेतावनी सुनते ही वहाँ अफ़रा तफ़री मच गयी….सब घबरा कर गिरते पड़ते यहाँ वहाँ भागने लगे

मुखिया (चिल्लाते हुए)—जल्दी चलो….जिसको जिस घर मे जगह मिले जल्दी घुस जाओ और दरवाजा अंदर से फ़ौरन बंद कर लो…भागो जल्दी

वहाँ अचानक दहशत और ख़ौफ़ का माहौल व्याप्त हो गया…..सब डर से भागते हुए आस पास के घरो के दरवाजे ज़ोर ज़ोर से खट खटाने लगे

जिसको जो घर खुला मिला उसमे ही घुस गया और तुरंत अंदर से कुण्डी बंद कर लेता….सरजू अपनी बीवी बच्चे के साथ और धनीराम वर वधू के साथ राजनंदिनी के मकान की तरफ भाग रहे थे, सरजू की बीवी अपने नव जात शिशु को गोद मे उठाए भाग रही थी…उसकी साँस
फूल चुकी थी भागते हुए, लिहाजा एक जगह उसका पैर साड़ी मे फँस गया जिससे वो नीचे गिर पड़ी…

सरजू ने तुरंत उसे उठाया लेकिन अब उससे बिल्कुल भी चला नही जा रहा था…वो नयी नवेली दुल्हन भी अब थक चुकी थी, उसकी हिम्मत भी अब जवाब दे गयी थी

सरजू (भागते हुए)—धनीराम हम राजनंदिनी के मकान तक नही पहुच पाएँगे….सब को यही किसी मकान मे छुपा देते हैं

धनीराम—तुम सही कहते हो….चलो इनको सामने के घर मे छुपा देते हैं…वो बिल्कुल पास मे आ चुका है…जल्दी चलो….जल्दी करो

सामने के एक खाली पड़े बंद मकान की सांकल खोल कर सब जल्दी से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया…तभी वहाँ एक और भयानक चीख गूँज उठी जिसे सुनते ही सब के रोंगटे खड़े हो गये

पूरा गाओं मृतपराय सा हो गया कुछ ही पॅलो मे….किसी पक्षी तक के चहकने की आवाज़ नही आ रही थी… पेड़ पौधो के पत्ते तक डर से हिलना डुलना बंद कर के एक दम शांत हो गये थे

वो जो भी था बिल्कुल पास आ चुका था….उसके चलने की आवाज़ ऐसे शांत माहौल मे साफ साफ सुनी जा सकती थी…वो इतनी ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहा था कि पूरे गाओं मे सुनाई दे रहा था

सब अपनी साँस रोके किसी ना किसी मकान मे छुपे हुए डर और ख़ौफ़ से थर थर काँप रहे थे….सबने अपने मूह और नाक को कपड़े से
बाँध रखा था ताकि कही छीन्क या खाँसी ना आ जाए और उसे हमारे छुपे होने का पता लग जाए

वो इधर से उधर गुस्से मे घूम रहा था….शायद उसे आज कोई शिकार नही मिला होगा कहीं भी….गुस्से मे उसकी साँस लेने की आवाज़ और भी तेज़ हो गयी थी

ऐसे ही वो गुस्से मे घूम रहा था कि तभी उसे किसी बच्चे के रोने की आवाज़ सुनाई दी और.फिर…

‘’ठक…ठककक…….खट्टत्त…खट्त्तटटतत्त’’ ज़ोर ज़ोर से दरवाजा खट खटाने लगा….
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी - by hotaks - 04-09-2020, 03:30 PM

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