Antarvasna Sex चमत्कारी
04-09-2020, 03:31 PM,
#77
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
चार दोस्त :

गंगू (गगन), नांगु (नगेंद्रा), पंगु (पद्मेश), चुतताड सिंग (चतुर सिंग)

एक जगह पर जंगल मे कुछ तीन लोग एक लड़की के साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे…वो लड़की ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए उनके चंगुल से बचने का प्रयास कर रही थी

एक—बहुत दिन बाद कोई नया माल पकड़ मे आया है

2न्ड—हाँ भाई…..अजगर के डर से तो अब माल दिखते ही नही कही पर

3र्ड—दिखेंगे तब ना..जब कोई घर से बाहर निकलेगा

1स्ट—आज मिल गया है……जी भर के मज़ा करेंगे

2न्ड—हाँ भाई……देखो तो कितना चिकना है….हाय….

लड़की (रोते हुए)—मुझे जाने दो…..अब कभी इधर नही आउन्गी…..तुम लोगो के हाथ जोड़ती हूँ

3र्ड—हाथ क्यो जोड़ती है……..पैर फैला….पैर….हाहहहाहा

2न्ड—सुना नही….भाई ने क्या कहा......चल अपने पैर फैला जल्दी से......हाहहाहा…….नही तो हम तो फ़ैलाएँगे ही

लड़की—नहियीईई……बचाआूओ…….छ्चोद्दद्ड दूऊव…….आआआआअ……नहियीई

दो लोगो ने उसके हाथ पैर कस के पकड़ लिए जबकि तीसरा उस लड़की के कपड़े उतारने लगा तभी उसके सर मे एक पत्थर ज़ोर से लगा जिससे उसका हाथ रुक गया और वो अपना सर सहलाने लगा

3र्ड—आआआआ……..किस ने मारा……ये पत्थर किसने मारा…..?

1स्ट (ज़ोर से)—कौन है..... ? जल्दी से सामने आ जा नही तो बहुत बुरी हालत करूँगा तेरी

तभी एक पत्थर आकर पहले वाले के सर मे अबकी बार लगा……दोनो तुरंत अपनी जगह से उठ कर चारो तरफ देखने लगे….लेकिन कोई नज़र नही आया

1स्ट (चिल्लाते हुए)—कौन है...... ? लगता है तुझे अपनी जान प्यारी नही है

अबकी बार पत्थर दूसरे वाले के सीधे मूह मे लगा जो लड़की को पकड़ रखा था.....मूह मे ज़ोर से पत्थर लगते ही वो तिलमिला गया और अपना मूह सहलाने लगा

2न्ड (ज़ोर से)—आआआहह......साला ये कौन है जो छुप के पत्थर मार रहा है.... ? सामने क्यो नही आता.... ?

इस बीच लड़की पर से उसकी पकड़ ढीली हो गयी जिसका फ़ायदा उठा कर वो वहाँ से भाग निकली....लड़की को भागते देख कर तीनो उसको पकड़ने के लिए दौड़ पड़े और पकड़ते ही उसे नीचे गिरा दिया

1स्ट (चिल्लाते हुए)—चतत्त्ताअक्कककक......चतत्त्टाकककक......भागती है......अब भाग....चल रे फाड़ दे इसके कपड़े

जैसे ही एक ने लड़की के कपड़ो मे हाथ लगाया कि फिर से एक पत्थर उसके कान मे जा लगा जिससे वो अपना कान पकड़ के चिल्लाने लगा

2न्ड (चिल्लाते हुए)—आआआअ----मार डाला साले ने...कान फोड़ दिया.....कौन है...... ?

‘’लड़की को छोड़ दो......वरना मरने के लिए तैय्यार हो जाओ’’ किसी लड़की की आवाज़ वहाँ गूँजी

1स्‍ट—हाहहहाहा.......अरे ये तो कोई लड़की है........अब तक हम एक के लिए तड़प रहे थे....यहाँ दो दो मिल गयी...हाहहहाहा

2न्ड—अब सामने भी आ जा रानी……बचना तेरा नामुमकिन है अब हमारे हाथो से…

‘’अच्छा तो ये ले…..आ जाती हूँ तेरे सामने’’ उसी पत्थर मारने वाली लड़की ने कहा

तभी एक पेड़ के उपर से कोई नीचे धडाम से कुदा……जिसे देखते ही तीनो चौंक गये…..जबकि वो लड़की चिल्लाने लगी जिसे इन लोगो ने पकड़ रखा था

लड़की (चिल्लाते हुए)—राजनंदिनी…….मुझे बचा लो….इन भेड़ियो से….

1स्ट—राजनंदिनिईीई………?

तीनो राजनंदिनी को देखते ही रह गये…..उसके चाँद जैसा गोरा अनुपम सुंदर चेहरा,…ऐसा लगता है जैसे द्वितीया (दूज) का चंद्रमा हो…उसके नयन ऐसे कि समुद्र मे लहरे उपर उठ रही हो और रक्त कमल मे भ्रमर भ्रमण कर रहे हो…..भौंहे ऐसी की जैसे बान को धनुष पर लगाए दो सेनाए हो और उनके बीच मे दोनो नेत्र समुद्र हो गये हो…..नासिका ऐसी की जैसे तिल के पुष्प की बनी हो बिल्कुल कोमल और सुडौल……उसके होठ सुंदर और अमृत रस से भरे हैं, वे ऐसे रक्त वरण के हैं जैसे कोई लाल गुलाब हो……जब बाते करते हुए उसके होठ
हिलते हैं तो ऐसा लगता है मानो फूल झड रहे हो……वह ऐसे प्रेम मधु पूरित बोल बोलती है कि जो भी उसकी मधुर आवाज़ सुन लेता है वो उसमे ही खोकर झूमने लगता है…..गाल ऐसे जैसे नारंगी के दो टुकड़े किए गये हो….उसके गाल पर एक तिल है….जिसने भी इस सुंदर
कपोल तिल को देखा वह तिल तिल कर के जल गया…..उसके स्तन ऐसे हैं कि जैसे हृदय की थाली मे सोने के कटोरे मे दो लड्डू रखे हो जो अपने प्रेमी के स्वागत के लिए उठ कर खड़े हो गये हैं

2न्ड—वाहह…….क्या बात है…..आख़िर तू निकल ही आई बिल मे से……भाई इस लड़की को छोड़ो पहले इसको पकड़ते हैं

3र्ड—हाँ……इसको देख कर अजगर बहुत खुश होगा……और हमे बहुत सी लड़किया भी देगा मज़ा करने को

राजनंदिनी—तेरे जैसे कुत्ते….राजनंदिनी को पकड़ सके..इतना दम नही है…..आ जा…पकड़ मुझे

1स्ट—जाओ दोनो पकड़ लो इसको…..मैं तब तक इस लड़की का मज़ा लेता हूँ

दोनो राजनंदिनी को पकड़ने के लिए जैसे ही उसके पास गये तो उसने अपने दुपट्टे मे बाँध रखे बहुत से पत्थरो को दोनो के मूह मे ज़ोर से दे मारा जिससे दोनो वही नीचे बैठ कर दर्द से तड़पने लगे

राजनंदिनी फुर्ती दिखाते हुए तुरंत कूद कर उस लड़की के पास आ गयी और जिसने उसे पकड़ रखा था उसके सर मे पत्थरो से मारने लगी

उसने बारी बारी से तीनो को मार मार कर लहू लुहान कर दिया……उन्हे राजनंदिनी पर वार करने का मौका ही नही मिल सका…..तीनो को तब तक मारती रही जब तक की वो बेहोश नही हो गये

राजनंदिनी—अब चलो जल्दी से यहाँ से दीपा….इसके पहले की कोई और भी यहाँ आ जाए

दीपा—तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया…..अगर तुम आज नही आती तो मैं भी इनकी हवस का शिकार होकर रह जाती

राजनंदिनी—अब चल जल्दी

दीपा (तेज़ी से चलते हुए)—तुम निराश मत होना…..मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम्हारा प्यार एक दिन ज़रूर जीतेगा तुम्हारा विश्वास देख कर भगवान को भी उसे तुम्हारे पास भेजना ही होगा

अचानक दीपा की बात सुनते ही राजनंदिनी के पैर वही थम गये और अब तक जिस चेहरे मे अल्हाड़पन झलक रहा था उसकी जगह पर
उदासी और आँखो मे आँसुओं ने ले ली

दीपा—क्या प्रेम करना इतना कठिन होता है…..?

राजनंदिनी (सिसकते हुए)—‘’प्रेम इतना कठिन है कि उसके निर्वाह मे कोई अपने प्राण दे तो शोभा पाता है……प्रेम पाश मे जो पड़ गया वो छूटा नही, उसने प्राण भी दे दिए तब भी ये प्रेम का फंडा नही छूटा…..गिरगिट जो छद्म वेश धारण करता है वह उतने ही प्राण देने के ही दुख के कारण धारण करता है….और क्षण, प्रति क्षण वह लाल,पीला और श्वेत होता है….पुनः उस दुख को मोरिनी जानती है जो वनवासिनी हो
गयी, क्यों की उसके रोम रोम मे प्रेम के नाग पाशिक फंदे पड़ गये….उसके पँखो मे पुनः पुनः वही फंदा पड़ता रहा है जिसके कारण वह उड़ नही सकती है और क़ैद हो गयी है’’

राजनंदिनी—‘’भले ही प्रेम कठिन और दुष्कर है किंतु जिसने भी इस प्रेम के खेल को खेला वो दोनो जगत अर्थात इह्लोक और परलोक दोनो मे तर गया…..प्रेम-मधु को दुख के भीतर जो रखा गया है उसके कारण जो अपमान, तिरस्कार और मारन को सहन करता है वही इस प्रेम
मधु को चखता है….दुख तभी तक रहता है जब तक प्रियतम से मिलन नही होता है, वो मिल गया तो समझो जन्मो का दुख मिट गया’’

दीपा-आप चिंता मत करो ...वो शायद अभी रूठ गया है आपसे.. जल्दी ही भगवान आपके पास उसे ज़रूर भेजेगा

राजनंदिनी-अगर मुझ से वही रूठ जाएगा तो मेरा तो सब कुछ ही ख़तम हो जाएगा दीपा

झूठ का दौर है झूठा हर ठौर है
मेरे सच को ठिकाना मिलेगा कहां
जब तलक तेरे दिल मे हूँ महफूज़ हूँ
तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां

धूप जलती रही छांव ढलती रही
मेरा सावन क्यों मुझसे रूठा रहा
पांव छाले पड़े विष के प्याले बड़े
प्यास बुझती नही दरिया सूखा रहा

तुम जो बरसे नही प्यार बनके पिया
जिंदगी को सहारा मिलेगा कहां ।

मेरे घर से गायब उजाला किये
वो सरे आम कीचड़ उछाला किये
तेरी बातों पे जब से अमल कर लिया
मैंने कीचड़ में लाखों कमल कर लिया

गर उम्मीद का सिलसिला थम गया
हौसलों को इशारा मिलेगा कहाँ।

वही दूसरी तरफ कुछ साधु नदी किनारे स्नान कर रहे थे तभी उनकी नज़र किसी पर गयी……उन्होने तुरंत जाकर उसे किनारे पर पानी से बाहर ले आए….और उसे सीधा लिटा दिया…..उसका चेहरा देखते ही सभी चौंक गये

एक साधु—ये कैसे संभव है…..? एक तो हमारे आश्रम मे सालो से बेहोश पड़ा है तो ये दूसरा कौन है…..?

दूसरा साधु—इसे गुरु जी के पास ले चलो……ये तो घोर चमत्कार है….लगता है इसकी साँसे बंद होने वाली हैं जल्दी से इसको ले चलो
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी - by hotaks - 04-09-2020, 03:31 PM

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