RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट-75
राजनंदिनी—‘’भले ही प्रेम कठिन और दुष्कर है किंतु जिसने भी इस प्रेम के खेल को खेला वो दोनो जगत अर्थात जिन्न और परलोक दोनो मे तर गया…..प्रेम-मधु को दुख के भीतर जो रखा गया है उसके कारण जो अपमान, तिरस्कार और मारन को सहन करता है वही इस प्रेम मधु
को चखता है….दुख तभी तक रहता है जब तक प्रियतम से मिलन नही होता है, वो मिल गया तो समझो जन्मो का दुख मिट गया’’
वही दूसरी तरफ कुछ साधु नदी किनारे स्नान कर रहे थे तभी उनकी नज़र किसी पर गयी……उन्होने तुरंत जाकर उसे किनारे पर पानी से बाहर ले आए….और उसे सीधा लिटा दिया…..उसका चेहरा देखते ही सभी चौंक गये
एक साधु—ये कैसे संभव है…..? एक तो हमारे आश्रम मे सालो से बेहोश पड़ा है तो ये दूसरा कौन है…..?
दूसरा साधु—इसे गुरु जी के पास ले चलो……ये तो घोर चमत्कार है….लगता है इसकी साँसे बंद होने वाली हैं जल्दी से इसको ले चलो
अब आगे…..
सभी साधु मिलकर यथा शीघ्र उस बेहोश लड़के को लेकर आश्रम मे अपने गुरुदेव के पास पहुच गये….उनके गुरु आचार्य कनक ने जैसे ही
उस लड़के को देखा तो वो भी चौंक गये.
एक शिष्य :- गुरुदेव ये कैसा चमत्कार है….? एक सालो से हमारे आश्रम मे जीवन और मृत्यु के बीच पड़ा झूल रहा है तो दूसरा उसके जैसा
ही उससी अवस्था मे मिला….इसका क्या रहस्य है…..?
कनक :- इसको जल्दी ही मेरे कक्ष मे ले चलो…..अभी इसकी हालत बहुत ही नाज़ुक है…हम स्वयं भी ये चमत्कार से हैरान हैं…..अब इसका
जवाब तो मेरे गुरुदेव ब्रह्मऋषि विश्वामित्र ही दे सकते हैं.
उस लड़के को गुरु कनक के कक्ष मे ले जाया गया….कनक ऋषि ने सब को बाहर जाने को कहा….उनके बाहर जाते ही वो ध्यान मुद्रा मे
अपने गुरु ब्रह्मर्षि विश्वामित्र का आवाहन करने लगे.
कनक ऋषि के ध्यान मे लीन होते ही उनके अंतर मन मे ब्रह्मर्षि विश्वामित्र ने उन्हे दर्शन दिए…कुछ समय तक दोनो के बीच गहन वार्तालाप
होता रहा….कुछ सुझाव और परामर्श देने के बाद विश्वामित्र अंतर्ध्यान हो गये
विश्वामित्र के अंतर्ध्यान होते ही कनक अपने यथार्थ अवस्था मे वापिस लौट आए…उनके ध्यान से उठते ही शिष्य कनक ऋषि के समीप
जिग्यासावश पुनः पहुच गये.
एक शिष्य :- अब इसकी प्राण रक्षा कैसे करे गुरुदेव…?
दूसरा शिष्य :- इसके धड़कने रुकने को हो रही हैं…..अगर जल्दी ही कुछ ना किया गया तो इसकी जीवन रक्षा कर पाना असंभव हो सकता है गुरुदेव.
कनक :- हमे भी इसका ज्ञान है शिष्य….तुम लोग कुछ जड़ी बूटिया लेकर जंगल से आ जाओ जो मैं तुम्हे बता रहा हूँ.
एक शिष्य :- जो आग्या गुरुदेव.
कनक ऋषि ने उनको कुछ जड़ी बूटियो के नाम बताए और साथ मे उनके मिलने की जगह भी जहाँ पर वो मिल सकती थी… कुछ शिष्य
तुरंत ही वन क्षेत्र मे उन दुर्लभ चमत्कारिक जड़ी बूटियो की तलाश मे निकल गये.
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कहानी 5 वर्ष बाद (आफ्टर फाइव यियर्ज़ लेटर)…
इंडिया मे नागपुर के एक हॉस्पिटल मे दो डॉक्टर किसी आदमी के पीछे ब्लेड लेकर भाग रहे थे…वो आदमी तेज़ी से हॉस्पिटल मे से बाहर की ओर भाग रहा थे….डॉक्टर भागते हुए गुस्से मे ज़ोर ज़ोर से चिल्लाए जा रहा था.
डॉक्टर (गुस्से मे भागते हुए) :- ठहर जा, बहन के लौडे, तेरी माँ को चोद दूँगा, रुक जा साले कमिने, एक बार हाथ लग जा मेरे, तो आज मैं तुझ को जान से मार दूँगा.
तभी आनंद हॉस्पिटल मे उर्मिला के पास जाने के लिए अंदर एंटर हुआ तो यह सुनकर आनंद ने डॉक्टर को पकड़ा और पूछने लगा.
आनंद :- डॉक्टर साहब, हुआ क्या है…क्यो इस तरह से गुस्से मे भाग रहे हो…? और उस बेचारे को मारने पर क्यो तुले हुए हो…?
डॉक्टर (गुस्से मे) :- सर, ये साला कमीना भोसड़ी का, हरामी मादर चोद, पिच्छले चार महीने से ऐसे ही परेशान कर रहा है...साला पिच्छले चार
महीने से हर बार नसबंदी करवाने आता है और साला मादरचोद झान्ट कटवा कर भाग जाता है.
आनंद (हँसते हुए) :- हाहहाहा….वैसे है कौन वो….?
डॉक्टर :- सर, आप हस रहे हैं….जबकि इस साले हरामी ने दिमाग़ खराब कर दिया है मेरा….साले का नाम चतुर सिंग है.
आनंद :- अपने नाम की ही तरह वो चतुर है डॉक्टर साहब…..खैर एनीवे अब मेरी वाइफ की तबीयत कैसी है…? क्या कुछ चान्सस हैं उसके ठीक होने के….?
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