Antarvasna Sex चमत्कारी
04-09-2020, 03:38 PM,
#87
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
मुनीश (मन मे)—लगता है कि अब ये ऋषि बन गया है…..(थोड़ी देर मे) मैं तुम्हारा दोस्त हूँ, मुनीश और तुम मेरे महल मे हो.

आदिरीशि—महल….? कैसा महल…..? ये जगह कौन सी है….. ? अगर आप मेरे दोस्त हैं तो मुझे याद क्यो नही है... ?

मुनीश—वो इसलिए कि एक दुर्घटना मे तुम्हारी याद दास्त कमजोर हो गयी है…तुम बेहोश हो गये थे उस घटना के बाद….जल्दी ही सब याद आ जाएगा…ये देव लोक है.

ऋषि—हाँ कुछ कुछ ध्यान है, कुछ हुआ तो था मेरे साथ……राजनंदिनी कहाँ है…? मुझे उसके पास जाना होगा वो मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी.

मुनीश—अभी तुम्हारा वहाँ जाना ख़तरे से खाली नही है….वहाँ सब जगह पर अजगर का साम्राज्य है अब.

ऋषि—अजगर..‼ लेकिन वो तो क़ैद मे था….? फिर आज़ाद कैसे हुआ वो….? ज़रूर नरवाली ने ही कुछ तिकड़म किया होगा

मुनीश—नरवाली मारा जा चुका है दोस्त.

ऋषि—क्याआआ..... ? किसने मारा उसे.... ?

मुनीश—तुमने

ऋषि—मैनेईयेयी..... ? मगर कब, मुझे तो ध्यान नही

मुनीश—मैने बताया ना कि अभी तुम्हारी याद दास्त अधूरी है….जल्दी ही सब ठीक हो जाएगा.

ऋषि—मगर कैसे ठीक होगी मेरी याद दास्त….? मेरी राजनंदिनी बहुत बेचैन होगी मेरे बिना.

मुनीश—कुछ दिनो के पश्चात ब्रहमरीषि विश्वामित्र तुम्हे युद्ध कौशल की शिक्षा देकर पूर्ण पारंगत करेंगे उसके बाद तुम राजनंदिनी से मिल
सकते हो….अभी तुम्हारे वहाँ जाने से सभी की जान ख़तरे मे आ सकती है.

ऋषि—वैसे मैं कितने घंटे बेहोश था…..?

मुनीश—घंटे नही दोस्त….पूरे 100 साल से तुम बेहोश थे.

ऋषि—क्य्ाआआअ……100 साल…..?

मुनीश—हाँ भाई, अब घूमने चलना है क्या…?

ऋषि—नही मैं आराम करूँगा….शाम को चलेंगे

मुनीश—ठीक है, तुम आराम करो

मुनीश वहाँ से चला जाता है और ऋषि भोजन कर के फिर से सो जाता है…..उधर राजनंदिनी ऋषि की तस्वीर अपने सीने से लगाए उससे बाते किए जा रही थी.

राजनंदिनी—तुम कब आओगे ऋषि….? तुम्हे अपना वादा पूरा करना ही होगा…..मैं आज भी तुम्हारा इंतज़ार उन्ही गलियो मे कर रही हूँ जहाँ
तुम मुझे छोड़ कर गये थे.

इन राहो पर वो इंतज़ार ज़िंदा रखा हमने,
बदलते दौर मे वो ऐतबार ज़िंदा रखा हमने…

सब कुछ तो हमने खुद ही छोड़ दिया था,
एक तुझ पर ही अधिकार ज़िंदा रखा हमने…

एहसासो को मेरे तेरी आदत सी हो गयी है,
इस दिल को तेरा तलबगार ज़िंदा रखा हमने…

घुट घुट कर जीने के हम आदी नही थे,
कि इन सांसो मे तेरा खुमार ज़िंदा रखा हमने….

परखने को हमारा ज़मीर बहुत लोग आए थे,
खुद को ही अब तलाक़ वफ़ादार ज़िंदा रखा हमने....

नही है तलब हमे सोने चाँदी के बिछौनो की,
ईमान को अपने आज असरदार ज़िंदा रखा हमने...

ए ज़माने तेरी बेवफ़ाई का हमे अब गम नही,
कि अपने लिए अलग एक संसार ज़िंदा रखा हमने...

मुद्दते गुजर गयी इसी इंतज़ार मे हमारी भी,
इस दिल मे आज भी तेरा प्यार ज़िंदा रखा हमने....

शकुंतला (कमरे मे आते हुए)—बेटी चल कुछ खा ले....दो दिन से तूने कुछ भी नही खाया है.....ऐसे मे तो ऋषि को भी तकलीफ़ होगी ना.... ?

राजनंदिनी—एक ऋषि की ही यादो के सहारे तो आज तक ज़िंदा हूँ माँ....लेकिन आज मैं ज़रूर खाउन्गी....आज मेरा दिल कह रहा है कि ऋषि जल्दी ही आने वाला है...ना जाने क्यो मेरे दिल मे आज हर्ष और उमंग की तरंगे उठ रही हैं.

राजनंदिनी अपनी माँ के साथ दूसरे कमरे मे चली जाती है.....वही अकाल और बकाल आज भी एक आदमी को पकड़ लाए थे जिसे अजगर
के सामने ले जाया गया.

अजगर को देखते ही उस आदमी की जिंदा बचने की उम्मीद टूट गयी और वो थर थर काँपने लगा....अजगर था ही बहुत भयानक शकल
वाला....कमजोर दिल वाला अगर कोई ग़लती से भी उसकी शकल देख ले तो बिना किसी के मारे ही हार्ट अटॅक से तुरंत दम तोड़ देगा.

किसी बड़े पत्थर जैसी दो बड़ी बड़ी बिल्कुल कोयले जैसी काली आँखे.....पूरा शरीर एकदम काला......बाल एक दम सफेद और बड़े बड़े......हाथी दाँत जैसे दाँत.....पैर तक लटकती लंबी मूच्छे....बड़े बड़े नाख़ून....विशाल शरीर ये सब किसी भयानक सपने से कम नही था.

अजगर—हाहहहाहा.....इसको क्यो पकड़ कर लाए हो....मेरे पास.... ?

अकाल—पिता जी, ये मूर्ख सबको आपके खिलाफ भड़का रहा था.

आदमी (काँपते हुए)—मुझे क्षमा कर दो...मुझसे भूल हो गयी.

अजगर—हाहहहाहा.....भूल.....हो गाइिईई.....तो क्षमा कर दुउऊउ....हाहहाहा.....अजगर मारता नही है,अपने शिकार को सीधा निगल जाता है....मेरे खिलाफ लोगो को भड़काएगा.....हाहहाहा.....मुझसे टकराने की हिम्मत किसी मे भी नही है......तुझे नही मालूम कि मैं अमर
हूँ......हाहहहाहा...अमर हूँ मैं....हाहहहाहा......मुझसे ज़्यादा शक्तिशाली कोई भी नही है....समझा तू

अगले ही पल अजगर ने अपने सिंघासन पर बैठे बैठे ही अपनी लंबी जीभ बाहर निकाल कर उस आदमी को लपेट लिया और फिर अपने मूह मे भर कर उसे निगल गया....वहाँ हसी के ठहाको के बीच अगर कुछ सुनाई दिया तो वो थी उस आदमी की दर्दनाक चीखे जो अब शांत हो चुकी थी.

अजगर—जाओ सब ग्रहों पर फैल जाओ और वहाँ की औरतो, लड़कियो से संभोग कर के हमारे वंश को आगे बढ़ाओ, हमारी सेना का विस्तार करो.

बकाल—जो अग्या पिता जी.....चलो सब लोग हर जगह फैल जाओ.....कोई जगह बचनी नही चाहिए

अकाल—सबसे पहले परी लोक चलो....सुना है कि वहाँ की राजकुमारी सोनालिका बहुत खूबसूरत है.....पहले उसका ही भोग करूँगा मैं....हाहहहाहा

अजगर—राजनंदिनी का कुछ पता चला..... ?

बकाल—नही पिता जी.....वो हमे नही मिली कही भी

अजगर—मुझे राजनंदिनी चाहिए हर कीमत पर.....चाहे इसके लिए पूरी दुनिया को राख का ढेर ही क्यो ना बनाना पड़े तो बना डालो लेकिन
उसको ढूढो

अकाल—वो अपने घर मे छुपि होगी....उसके घर से पकड़ के घसीट लाते हैं

अजगर—राजनंदिनी कोई बकरी का बच्चा नही है बेवक़ूफ़……उसके करीब जाने का सीधा मतलब है कि ख़ूँख़ार शेरनी के मूह मे हाथ डालना…..और वैसे भी उसका घर किसी तिलिस्म से बँधा हुआ है जिसका तोड़ सिर्फ़ ऋषि जानता था जो अब इस दुनिया मे ही नही है
……राजनंदिनी को किसी तरह से घर से बाहर निकलने पर मजबूर करो फिर मैं देखता हूँ…..उसे पकड़ना तुम लोगो के बस की बात नही है

बकाल—ठीक है ऐसा ही होगा पिता जी

सब वहाँ से चले जाते हैं…..इधर मुनीश शाम को तैय्यार होकर घूमने जाने लगा....उसने ऋषि को भी ले जाना चाहा.

मुनीश—चलो दोस्त कहीं बाहर घूम कर आते हैं.

आदिरीशि (मंन मे)—लगता है कि ये फिर से मुझे किसी नये लफडे मे फसाना चाहता है…..मैं अब इसके बहकावे मे नही आने वाला.

मुनीश—क्या सोचने लगे दोस्त….?

अदिई—नही, मेरी तबीयत कुछ ठीक नही है...तुम घूम आओ....मैं कल चलूँगा भाई

मुनीश (मन मे)—लगता है ये फिर से आदी बन गया है.....(थोड़ी देर मे)..ठीक है मित्र, तुम सो जाना भोजन कर के, मुझे आने मे कुछ देर भी हो सकती है.

आदी—ठीक है भाई.

मुनीश देर से आने का माधवी को बता कर बाहर निकल जाता है….काफ़ी रात बीतने के बाद भी जब मुनीश नही आया तो माधवी की उसका इंतज़ार करते हुए उसकी नीद की झपकी लग गयी.

जबकि इधर आदी अपने कक्ष मे अनियंत्रित होकर इधर से उधर घूम रहा था जैसे कि किसी गहरी सोच मे हो और कोई निर्णय नही कर पा रहा हो की क्या करना चाहिए.

ऐसे ही कुछ देर तक चिंतन करते हुए उसने मन ही मन कुछ फ़ैसला लिया और सीधे माधवी के कक्ष मे घुस गया और जाकर सीधे उसके साथ बिस्तर मे लेट गया.

माधवी (हल्की नीद मे)—आप आ गये मुनीश….ये क्या कर रहे हो…? छोड़ो ना……आआआआआआ…..मररर गाइिईई

उधर मुनीश भी अपने महल के लिए निकल चुका था……
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी - by hotaks - 04-09-2020, 03:38 PM

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