Antarvasna Sex चमत्कारी
04-09-2020, 03:41 PM,
#96
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
2न्ड पिशाच—ओह्ह…राजनंदिनीई…आख़िर तू बिल मे से बाहर निकल ही आई…हाहहाहा…जाओ पकड़ लो ईससीए

सभी खूनी पिशाच तेज़ी से राजनंदिनी को पकड़ने के लिए दौड़े..किंतु जैसे ही उसके नज़दीक पहुचे…राजनंदिनी ने ज़ोर से क्रोधावेश मे अपने खुले हुए केशो को झटक दिया.

और अगले ही क्षण उसके इन खुले केशो ने असंख्य अत्यंत विषधर नागो का रूप ले लिया…और उसके शरीर से नीचे उतर कर उन सैनिको
की तरफ टेडी मेडी चाल से तेज़ी से चलने लगे….

कुछ ही समय मे वहाँ पर साँपों की जैसे बाढ़ सी आ गयी…सभी सैनिक चारो तरफ से नागो से घिर गये.. राजनंदिनी का ऐसा विकराल रूप देख कर सभी बुरी तरह से भयभीत होकर इधर उधर भागने की कोशिश करने लगे…किंतु जिस तरफ भी मुड़ते साँपों का झुंड उनके उपर टूट पड़ता.

चारो तरफ अजगर के उन पिशाच सैनिको की दर्दनाक चीखे हवाओं मे गूंजने लगी….

उधर स्वर्ग लोक मे एक नयी सुबह के साथ आदी ने जैसे ही आँखे खोली तो अपने सामने मुनीश को बैठे हुए पाया जिसने अर्ध मिश्रित मुश्कान के साथ आदि का स्वागत किया.

मुनीश—नयी सुबह मुबारक हो दोस्त.

अदिई—तुम्हे भी दोस्त…लेकिन इतनी सुबह तुम यहाँ कैसे…?

मुनीश (मन मे)—अपनी ही करनी का फल भोग रहा हूँ….ना तुझे वरदान देता ना मेरी ऐसी हालत होती…पत्नी के होते हुए भी उसको छोड़
कर सारी रात तेरी निगरानी करनी पड़ रही है….आज इसको दिन मे ही किसी अप्सरा के पास ले जाता हूँ..उसके साथ संभोग कर लेगा तो रात मे चिंता नही रहेगी मुझे.

अदिई—किन ख़यालो मे खो गये दोस्त….?

मुनीश—तुम जल्दी से तैय्यार हो जाओ..फिर मैं तुम्हे असली सुख के दर्शन कराता हूँ आज स्वर्ग मे.

अदिई (जमहाई लेते हुए)—आज नही फिर कभी..आज मैं आराम करना चाहता हूँ..तुम घूम आओ थोड़ी देर.

मुनीश (मन मे)—हाँ बेटा…मैं यहाँ घूमने जाउ और तू इधर मेरा कल्याण कर दे...ऐसी ग़लती हरगिज़ नही करूँगा मैं अब

मुनीश—नही..आलस्य करना अच्छी बात नही है…तुम्हे आज चलना ही होगा..अगर मुझे अपना दोस्त मानते हो तो

आदी—ठीक है भाई….तेरी दोस्ती के लिए ये भी सही

आदी के स्नान ध्यान के पश्चात दोनो तैय्यार हो गये बाहर जाने के लिए…लेकिन आदी की आँखे बार बार माधवी को तलाश कर रही थी जो
अभी तक नज़र नही आई थी…आदी के मन की ये हालत मुनीश समझ गया.

मुनीश (मन मे)—अच्छा हुआ कि मैने आज सुबह ही माधवी को अपनी माँ से मिलने भेज दिया…लगता है उसको कुछ दिन वही रुकने को
बोल दूं और माँ को यहाँ बुला लेता हूँ…आदी जब माधवी को नही देखेगा तो शायद सुधर जाए.

आदी—माधवी भाभी नही दिख रही हैं…मैं उन्हे बता कर आता हूँ…नही तो वो बेवजह परेशान होंगी

मुनीश—मैने उसको बता दिया है…चलो अब जल्दी यहाँ से

आदी (बेमन से)—अच्छा....ठीकककक है...फिर

मुनीश उसको लेकर एक अप्सरा के पास चला गया...जो बेहद खूबसूरत थी....उसकी सुंदरता को देखते ही आदी की काम शक्ति भी जागृत हो गयी.

मुनीश—तुम मेरे दोस्त को आज पूरी तरह से खुश कर दो.

अप्सरा—आप चिंता ना करे…हमे इस काम मे महारत हासिल है.

मुनीश—कहो दोस्त पसंद आई…निविया (अप्सरा) मेरे दोस्त को अंदर ले जाओ.

आदी—भाई माल तो एक दम टंच है…तुम्हारे तो मज़े हैं.

अप्सरा—आओ अंदर चले

अप्सरा ने अपने वस्त्र उतार दिए अंदर आते ही..शायद उसको एक इंसान से संभोग करने मे कोई खास दिलचस्पी नही लग रही थी.

अप्सरा—चलो तुम भी अपनी मूँग फली बाहर निकालो.

अदिई—तुम खुद अपने हाथो से उतार दो…मुझे शरम आती है

अप्सरा—ठीक है.

अप्सरा धीरे धीरे आदी के वस्त्र उतारने लगी बिना मन से…..पर जैसे ही उसने सभी वस्त्र उतारने के बाद उसकी नज़र आदी के हथियार पर
गयी तो वो उछल कर दूर हो गयी, जैसे कि कोई महा भयानक चीज़ देख ली हो.

अप्सरा (मन मे)—ओह्ह्ह..ये क्या है…इतना बड़ा तो मैने आज तक नही देखा….नहिी…नही….मैने इसके साथ संभोग नही करूँगी….देवराज को तुरंत मेरी इतनी चौड़ी योनि देखते ही संदेह हो जाएगा.

आदी—क्या हुआ…? तुम इतनी दूर क्यो खड़ी हो…?

अप्सरा—नही मैं तुमसे संभोग नही करूँगी.

आदी—क्यो..? अभी तो तुम तैय्यर थी….अब क्या हुआ…?

अप्सरा—नही मैं इतना बड़ा नही ले सकती....बहुत ज़्यादा दर्द होगा मुझे और मेरी बहुत ज़्यादा चौड़ी भी हो जाएगी.

आदी उसको मनाता रहा और वो मना करती रही...बड़ी मुश्किल से समझाने के बाद आख़िर मे वो संभोग के लिए मान गयी लेकिन एक शर्त पर.

अप्सरा—ठीक है...लेकिन पहले वादा करो कि तुम केवल आधा ही अंदर डालोगे

अदिई—ठीक है..मंज़ूर है

अप्सरा—नही...मुझे इस बात की गॅरेंटी चाहिए.

अदिई—अब मैं गॅरेंटी कहाँ से लाउ…?

“मैं लेती हूँ गॅरेंटी” किसी को आदी की हालत पर तरस आ गया तो उसने कहा…लेकिन जब आदी ने अपने चारो तरफ देखा तो उसको कोई
नही दिखा वहाँ.

आदी (हैरान)—कौन है, यहाँ..? कोई दिखता क्यो नही…?

“नीचे देखो, अपने पैर के पास” उसने जवाब दिया.

आदी ने झुक कर नीचे देखा तो हैरान रह गया….एक बित्ते भर की लड़की को देख कर….उसने उसे उठा कर अपने हाथ मे ले लिया.

अप्सरा—ये मेरी सेविका श्रेया है…ये यहाँ के एक लोक लिलिपुट की रहने वाली है.

श्रेया—मैं तुम्हारे आधे लंड पर निशान लगा दूँगी, उससे आगे नही जाना चाहिए……जब भी आगे जाने लगेगा तो मैं सीटी बजा दूँगी तो तुम
बाहर निकाल लेना.

आदी—ठीक है…मुझे मंज़ूर है.
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी - by hotaks - 04-09-2020, 03:41 PM

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