RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
एक शिष्य—कहाँ कौन सी चिंता मे खो गये दमनाक जी... ?
दमनाक—तुम लोग भी ज़रा सावधान रहना.....अपनी पत्नी और पुत्रियो को उस झूठे से दूर ही रखना....नही तो पता नही वो अधर्मी जन कल्याण के बहाने कही तुम लोगो का भी कल्याण ना कर दे... ?
वो शिष्य भी दमनाक की बात से चिंता ग्रस्त हो गये.... तभी दमनाक को देख कर आश्रम के ही एक शिष्य ने आवाज़ दे कर रुकने को कहा और फिर उनके पास आ गया.
दमनाक—क्या हुआ, तुमने हमे रोका क्यो.... ?
वो शिष्य—मुझे भी आपके आश्रम ही जाना था, आपको जाते हुए देखा तो सोचा कि क्यो ना आपके साथ ही चला चलूं.
दमनाक—मेरे आश्रम...पर मैं तो यही हूँ तुम्हारे सामने....खैर चलो..वैसे कोई काम था क्या मुझसे... ?
शिस्या—मुझे आप से नही राधा बिटिया से काम था...वो क्या है कि आदी के दूध पीने का समय हो गया है तो वही लेने आपके आश्रम राधा बिटिया के पास जा रहा था.
बस क्या था..इतना सुनना था कि दमनाक ने आव देखा ना ताव…बिन मौसम बरसात की तरह उस बेचारे को धोना शुरू कर दिया…उसकी
देखा देखी उसके साथ के बाकी शिष्य भी इसमे शामिल हो गये.
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वही धरती लोक मे चारो के रात से घर वापिस ना लौटने पर चूतड़ की बीवी सरोज काफ़ी परेशान थी...उसने इस बारे मे पंगु की बीवी दीपा से बात करने के लिए उसके फ्लॅट मे जाने का विचार किया और कपड़े चेंज करने लगी... मुरूगन (तोता) ये सब देख रहा था.
मुरूगन—उतार दो…उतार दो…ये भी उतार दो…यहाँ मेरे अलावा कोई नही देखेगा.
सरोज—बड़ा ही बदतमीज़ तोता है ये….चल तू बाहर चल यहाँ से.
सरोज उसको लेकर पिंजरा सहित हाल मे आ गयी..तभी डोर बेल रिंग हुई तो उसने देखा कि दीपा खुद उसके पास आ गयी थी.
मुरूगन—वाउ...आज तो मस्त माल लग रही हो तुम भी.
दीपा—क्या बोला..साले हरामी….सरोज ये क्या मुसीबत पाल ली तूने.
सरोज—मैं तो खुद ही इससे परेशान हो गयी हूँ.
दीपा—अरे यार तुम्हारे वो आए क्या….?
सरोज—नही..मैं खुद तुम्हारे पास पता करने ही आ रही थी.
मुरूगन—कहीं किसी गटर की नाली मे अपना मूह काला कर रहे होंगे दोनो.
दीपा—शट अप बस्टर्ड..कुछ भी बोलता है.
सरोज—उसको छोड़….यार क्यो ना हम इनके ऑफीस जा कर इनकी जासूसी करे…पता तो चले कि आख़िर ये चारो करते क्या हैं और
कहाँ गायब रहते हैं….?
दीपा—हाआँ…ये सही रहेगा.
सरोज—तो चलो फिर.
दीपा—अपनी इस मुसीबत को भी ले चल….रास्ते मे किसी को बेच देंगे.
सरोज—सही कहा तुमने.
सरोज ने पिंजरा उठा के दीपा के साथ ऑफीस के लिए निकल गयी…..रास्ते मे जब वो ऑटो मे जा रही थी तो ऑटो वाले को वो तोता बहुत पसंद आया.
ऑटो वाला—बहन जी ये तोता तो बहुत ही सुंदर है.
दीपा (तुरंत)—हां…बहुत सुंदर है बहुत चतुर भी है ये….लेकिन हम इसको बेचना चाहते हैं.
ऑटो वाला—क्यो…?
सरोज—वो क्या है कि हमारे घर मे बिल्ली रोज आती है इसके चक्कर मे और दूध पी जाती है.
दीपा—वैसे ये तोता कमाल का है….ये हर भाषा मे बात कर लेता है…चाहे तो कुछ भी पूछ के देख लो.
ऑटो वाला (मन मे)—अगर सच मे ऐसा हुआ तो मेरे वारे न्यारे हो जाएँगे…..मैं ये ऑटो चलाने का काम छोड़ कर इसके ज़रिए लोगो को
उनका झूठा फ्यूचर बता बता कर खूब पैसे कमाउन्गा…फिर भी इससे कुछ पूछ के देख लेता हूँ कि इनकी बात सही भी है कि नही.
ऑटो वाला (मुरूगन से)—तुम कौन हो….?
मुरूगन—मैं तोता हूँ.
ऑटो वाला (खुश)—हू आर यू….?
मुरूगन—आइ आम आ पॅरोट.
ऑटो वाला (बहुत खुश)—तू के हौब…?
मुरूगन (खिसिया कर)—तोहरी माई के दूल्हा हाईए….तोहरा बुझत नाइीकहे एके बतिया को बेर बेर बताए.
ऑटो वाला (शॉक्ड)—ये तो बड़ा ही बदतमीज़ तोता है…..इसको ले गया तो ये तो उल्टा मुझे लोगो के जुतो से पिटवा देगा….ओह्ह्ह अब समझा ये दोनो इसको क्यों बेचना चाहती हैं…..?
दीपा—क्या हुआ भाई..ले लो बहुत बढ़िया है….इसकी कभी कभी मज़ाक करने की आदत है.
ऑटो वाला—माफ़ करना बहन जी…ये आप के ही यहाँ रहने लायक है…ये लीजिए आ गया आपका स्टॉप.
दोनो मायूस होकर ऑटो से उतर के ऑफीस के लिए चल पड़ी जो कि सामने ही था…..वही राजनंदिनी और अग्नि को लेकर ख़तरा एवं चित्रा हॉस्पिटल पहुच गयी.
इस समय वहाँ आनंद के अलावा और कोई नही था उर्मिला के पास….ख़तरा और चित्रा के साथ जब उसने अग्नि को देखा तो चौंक गया
…लेकिन जैसे ही उसकी नज़र राजनंदिनी पर गयी तो वो उसको श्री समझ कर आश्चर्य और हैरंगी से चेर से गिरते गिरते बचा.
ठीक उसी समय मेघा और अजीत भी उर्मिला से मिलने हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े….
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