Antarvasna Sex चमत्कारी
04-09-2020, 03:49 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट-97

दोनो मायूस होकर ऑटो से उतर के ऑफीस के लिए चल पड़ी जो कि सामने ही था…..वही राजनंदिनी और अग्नि को लेकर ख़तरा एवं चित्रा हॉस्पिटल पहुच गयी.

इस समय वहाँ आनंद के अलावा और कोई नही था उर्मिला के पास….ख़तरा और चित्रा के साथ जब उसने अग्नि को देखा तो चौंक गया
…लेकिन जैसे ही उसकी नज़र राजनंदिनी पर गयी तो वो उसको श्री समझ कर आश्चर्य और हैरंगी से चेर से गिरते गिरते बचा.

ठीक उसी समय मेघा और अजीत भी उर्मिला से मिलने हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े….

अब आगे…….

आनंद (शॉक्ड)—श्रीईई…….?

अग्नि (पैर छु कर)—प्रणाम पिता जी

आनंद (हैरानी से श्री को देखते हुए)—ह्म…..सदा खुश रहो…

राजनंदिनी (आँखो के इशारे से)—अग्नि ये कौन हैं….? क्या तुम्हारे पिता जी हैं….?

अग्नि (धीरे से)—दीदी ये उनके पिता जी हैं …..मेरा मतलब है कि आपके और मेरे ससुर जी हैं.

राजनंदिनी—ऊहह

राजनंदिनी ने अपने सिर पर पल्लू डाल कर तुरंत आनंद के पैर छुये…..आनंद की आँखे छलक आई जिसकी कुछ बूंदे राजनंदिनी के सिर और हाथो पर भी जा गिरी….अपराध बोध के कारण आशीर्वाद के लिए मूह से कोई शब्द निकल ही नही रहा था….फिर भी बड़ी मुश्किल से उसने कोशिश की.

आनंद—तुम हमेशाआ कक्खुश रहो बेटिइ

राजनंदिनी के हाथो मे जैसे ही आनंद की आँखो से आँसू के कतरे गिरे तो वो चौंक कर खड़ी हो गयी और हैरानगी से उनकी ओर देखने लगी.

राजनंदिनी—ये क्या….? आप रो रहे हैं…..?

आनंद—कुछ नही बेटी..ये खुशी के आँसू हैं….तुम नही जानती कि तुम्हे जिंदा देख कर मुझे कितनी खुशी हो रही है…..शायद मेरे उपर अपराधो का बोझ कुछ कम हो जाए.

राजनंदिनी (हैरान हो कर मन मे)—मुझे जिंदा देख कर……? लेकिन मैं तो आज पहली बार ही धरती लोक मे आई हूँ..तो इन्होने मुझे देखा कब…..? शायद ऋषि ने इन लोगो को बताया होगा मेरे विषय मे…..ओह्ह्ह्ह, ऋषि तुम मुझे इतना चाहते हो….मुझे कभी कभी लगने लगता
था की शायद तुम अपनी राजनंदिनी को भूल गये हो जो उसकी खबर भी नही ले रहे….पर तुमने मेरी सोच को ग़लत साबित कर दिया
……मैं भी तुम्हे बहुत बहुत बहुत प्यार करती हूँ…

ख़तरा—साहब, आप चिंता मत कीजिए अब सब ठीक हो जाएगा.

आनंद ख़तरा से आदी के बारे मे पूछने ही वाला था कि ....तभी वहाँ अजीत और मेघा पहुच गये….मेघा की नज़र वॉर्ड रूम मे घुसते ही आनंद पर गयी तो उसके दिल मे एक टीस उभर आई….उसका दिल अपने बेटे और श्री की याद मे तड़प उठा.

अजीत उसका दर्द समझ गया और उसने मेघा को ना मे इशारा किया तो उसने भी आनंद की तरफ से नज़रें मोड़ ली और उर्मिला की तरफ बढ़ी.

लेकिन जैसे ही कमरे के अंदर उसने अपने कदम रखे वैसे ही उसकी आँखो ने श्री (राजनंदिनी) को देखा तो वो वही पर ठिठक कर रुक गयी.

पहले तो उसने इसको अपनी आँखो का फरेब समझा और दो तीन बार अपनी आँखो को मीसा…लेकिन जब फिर से आँखे खोली तो उसके सामने श्री ही नज़र आई.

यही हालत अजीत की भी थी….दोनो हैरानी से कभी श्री को तो कभी एक दूसरे को देख रहे थे…..उनकी इस हैरानी को आनंद ने दूर कर दिया.

आनंद—मेघा…..देखो भगवान ने हमारी सुन ली…..हमारी बेटी सही सलामत लौट आई है.

आनंद की बात से मेघा और अजीत को ये विश्वास हो गया कि ये उनकी आँखो का भ्रम नही है.....उनके सामने उनकी अपनी बेटी श्री ही खड़ी है.

मेघा (ज़ोर से चिल्ला कर दौड़ते हुए)—मेरी बच्चिईीईई.....

ये एहसास होते ही दोनो दौड़ पड़े उसकी तरफ और मेघा ने रोते हुए श्री को अपने हृदय से चिपका लिया.....श्री (राजनंदिनी) को भी ये एहसास बहुत अच्छा और अपनापन जैसा लगा....हालाँकि उसने मेघा और अजीत को पहचाना तो नही तथापि इतना तो समझ ही गयी थी कि ये दोनो का भी ऋषि से कोई ना कोई गहरा रिश्ता है.

अजीत—कहाँ चली गयी थी बेटी.....कहाँ कहाँ नही तलाश किया हमने तुम्हे......हमारी तो सब उम्मीदे ही धूमिल हो चुकी थी....पहले आदी
और फिर तुम्हे खोने के बाद तो जैसे हम दोनो निष्प्राण ही हो गये थे.

मेघा (श्री को चेक करते हुए)—तुझे कहाँ कहाँ चोट लगी है...दिखा मुझे बेटी..... ? मैं अभी डॉक्टर को बुलाती हूँ.

आनंद—ये सब मेरे पापो की सज़ा है....अच्छा हुआ बेटी जो तुम सही सलामत वापिस आ गयी वरना मैं उर्मई को क्या मूह दिखाता..... ? कैसे सामना कर पाता उसकी बातो का..... ? वो तो बेचारी सच क्या है ये जानती भी नही है…सच पता चलने पर पता नही क्या हाल होगा
उसका…..? इससे अच्छा तो यही होगा की उर्मीी अब कभी कोमा से बाहर ही ना आए....क्यों की सच वो बर्दास्त नही कर पाएगी....पगली ने
आदी के बिना तो जीना उसने सीखा ही नही है....ये सच उसकी जान ले लेगा.

अग्नि—पिता जी.....आप चिंता मत कीजिए....माँ जी बिल्कुल ठीक हो जाएँगी.....उनका बेटा जिंदा है.

अजीत/आनंद (शॉक्ड)—क्याआआ......आदिइईईईई जिंदा हाईईईईई...... ?

ख़तरा—जी साहब.....मेरे मालिक जिंदा हैं....

आनंद और अजीत पूरी तरह से चौंक गये....जबकि मेघा जो कि श्री के चेक अप के लिए डॉक्टर को बुलाने जा रही थी, अग्नि की बात सुनते ही जड़वत हो गयी.....उसे अपने कानो पर यकीन नही हुआ जो उसने अभी अभी सुना.

मेघा (पलट कर तुरंत)—क्या कहा तुमने अभी..... ? फिर एक बार कहनाअ....

चित्रा—ये सच है.....आदी जिंदा है.....उन्हे कुछ नही हुआ है.....जल्दी ही वो हमसे मिलने आएँगे..

अजीत और आनंद जहाँ ये खबर सुनते ही हैरानी और खुशी से भर गये वही मेघा की आँखो से इतने सालो से बँधा हुआ पानी का बाँध फूट पड़ा.

मेघा ज़ोर से रोते हुए पछाड खा कर नीचे धडाम से गिर कर अचानक बेहोश हो गयी.....लोग कहते हैं कि अचानक दुख की किसी खबर से लोगो को हार्ट अटॅक आ जाता है....किंतु कभी कभी अचानक मिली खुशी की खबर भी हार्ट अटॅक की वजह बन सकती है......शायद इतना
बड़ा खुशी का झटका मेघा का नाज़ुक हृदय बर्दास्त नही कर सका.

अजीत (चिल्लाते हुए)—मेघाआअ.......डॉक्ट्र्र्र्र

तुरंत मेघा को वीआइपी कॅबिन मे ट्रीटमेंट के लिए ले जाया गया......राजनंदिनी को तो ये सब कुछ समझ मे नही आ रहा था लेकिन वो इतना
अवश्य जानती थी कि सब ऋषि के मरने की खबर से बहुत दुखी हैं...लगभग एक घंटा चले ट्रीटमेंट के बाद डॉक्टर्स बाहर आए.

अजीत—डॉक्टर...कैसी है मेरी पत्नी....वो ठीक तो है ना.

डॉक्टर—देखिए उन्हे हार्ट अटॅक आया है…..अब उनकी हालत पहले से बेहतर है….लेकिन अभी वो बेहोश हैं… दो से तीन घंटे बाद उन्हे
होश आ जाएगा तब एक बार चेक अप होने के बाद आप उनसे मिल सकते हैं…शी ईज़ नाउ ऑल राइट.

अजीत—थॅंक्स डॉक्टर.

आनंद (भावुक हो कर)—देखा उर्मि….हमारा आदी जिंदा है….जिंदा है तुम्हारा आदिइई….देखना वो जल्दी ही आएगा.

अजीत—बेटी..तुम शायद अग्नि हो ना…..?

अग्नि—जी….पर आप…..?

आनंद—बेटी ये अजीत और मेघा दोनो आदी के असली माता पिता हैं…..और अजीत, तुम्हारी बहू है..आदी की पत्नी.

आनंद की बात ने एक बार फिर से सभी को आश्चर्य चकित कर दिया….जहाँ अजीत आदी की शादी होने की बात पर चकित था तो वही
बाकी ये सुन कर की आनंद और उर्मिला, आदी के असली माँ बाप नही हैं.

अग्नि (शॉक्ड)—ये आप क्या कह रहे हैं पिता जी….?

आनंद—यही सच है बेटी….(फिर आनंद ने सब को पूरी बात शुरू से बता दी)

आनंद की पूरी बात सुन कर जहाँ सभी को उसके उपर पहले तो बहुत गुस्सा आया वही मेघा और उर्मिला की हालत और दर्द का अंदाज़ा होते ही उनका हृदय भी द्रवित हो गया.

अजीत (खुशी से)—मेरी बहू....मेरे बेटे की पत्नी.......

अग्नि (पैर छु कर)—प्रणाम….मैने आपको पहचाना नही था.

अजीत—हमेशा खुश रहो.

अग्नि के बाद राजनंदिनी ने भी अजीत के पैर छु कर आशीर्वाद लिया….तो भला चित्रा कहाँ पीछे रहने वाली थी..उसने भी दोनो की देखा देखी आख़िर आशीर्वाद ले ही लिया.

ख़तरा (मन मे)—तूने पैर छु कर आशीर्वाद क्यो लिया….? वो दोनो की मेरे मालिक की बीवी हैं..उनकी बात अलग थी लेकिन तू एक चुड़ैल है……आअहह

आनंद—क्या हुआ ख़तरा….? तुम अचानक गिर कैसे गये….कहीं चोट तो नही लगी.

ख़तरा—नही साहब …मैं ठीक हूँ.

चित्रा (घूरते हुए मन मे)—तुझसे मैने कहा था ना कि मुझे भी छोटी मालकिन बोला कर और इज़्ज़त किया कर मेरी अब दुबारा याद रखना नही तो फिर पटक दूँगी..समझा.

ख़तरा (मन मे)—क्या मुसीबत है….पता नही इस मुसीबत को मालिक ने इतने दिन कैसे झेल लिया…..?

चित्रा (आँखे दिखाते हुए)—क्याअ कहाा..मुसीबत….?

ख़तरा (मन मे)—नही..नही..मेरी माँ..मैने कुछ नही कहा.

आनंद—अजीत, आज मैं बहुत खुश हूँ…..हमारा आदी जिंदा है….और हमारी बेटी भी लौट आई है…..पूरे हॉस्पिटल मे मिठाई बाँटो……मैं
भी अपनी सभी कंपनी के एंप्लायीस को पूरे एक साल का बोनस दूँगा इस महीने.

अजीत—आप सही कहते हैं भाई साहब…..आज का दिन बहुत ही शुभ है…..बस उर्मिला भाभी और ठीक हो जाए तो ये खुशी दुगुनी हो जाएगी.

सभी बेहद खुश थे…लेकिन एक घटना की तरफ शायद किसी का ध्यान नही गया था कि कमरे मे बार बार आदी के नाम का ज़िकरा होने से उर्मिला के जिस्म मे कुछ हलचल भी हुई थी.

अजीत तुरंत मार्केट चला गया...मिठाई लेने.…और राजनंदिनी ने उर्मिला के पैर छु कर उसके सिरहाने बैठ गयी और उर्मिला के हाथो को अपने हाथो मे ले लिया.

राजनंदिनी—आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए….आपका बेटा बहुत जल्द आएगा आपके पास…उन्हे कुछ नही हुआ है…जीवित हैं वो…...लगता है आपके बेटे को हर किसी को इंतज़ार करवाने और तकलीफ़ देने मे मज़ा आता है….लेकिन अब की बार मैं ऐसा हरगिज़ नही होने दूँगी.

अग्नि—दीदी आप माँ जी को ठीक कर दो ना..

राजनंदिनी—नही अग्नि…जिसने दर्द दिया है उसको ही दवा भी देने दो…..ये दुख के बदल जल्दी ही छ्ट जाएँगे…फिर एक नया सवेरा होगा.

इस बार उर्मिला के शरीर मे कुछ तेज़ी से मूव मेंट हुई जिसे सभी ने देखा….सब के चेहरो पर उम्मीद की एक किरण दिखाई देने लगी…आनंद जो कि वही खड़ा था, ये देखते ही खुशी से डॉक्टर के पास भागा….डॉक्टर्स ने सब को बाहर भेज कर उर्मिला का चेक अप किया..लेकिन उन्हे कुछ खास इंप्रूव्मेंट नज़र नही आई.

डॉक्टर (बाहर आने के बाद)—देखिए कुछ हल्की फुल्की इंप्रूव्मेंट तो ज़रूर हुई लगती है…हालाँकि अभी तो कुछ नज़र नही आ रहा है….हमे उम्मीद का दामन नही छोड़ना चाहिए….हो सकता है कि कुछ मेजर इंप्रूव्मेंट जल्दी ही देखने को मिल जाए.

आनंद—ओके डॉक्टर

अजीत ने पूरे हॉस्पिटल मे मिठाई बटवाना स्टार्ट कर दिया था….लगभग दो घंटे बाद मेघा भी होश मे आ गयी और होश मे आते ही एक बार फिर से उसकी आँखो से गंगा जमुना की जल धारा बह निकली.

मेघा (रोते हुए)—कहाँ है मेरा बेटा….? मुझे मेरे ऋषि के पास ले चलो….उसके पैदा होने से आज तक मेरी आँखे उसको देखने के लिए तरस रही हैं…..मुझे मेरे बेटे के पास जाना है.

अजीत—नही मेघा..लेटी रहो.

मेघा बिस्तर से उठ कर बाहर की ओर भागने लगी रोते रोते….उसको इस समय संभालना और समझा पाना बेहद मुश्किल हो रहा था…..उसने बस एक ही ज़िद पकड़ ली थी की उसको ऋषि के पास जाना है….मजबूरन डॉक्टर्स ने उसको नीद का इंजेक्षन लगा कर शांत किया.

अजीत—बेटी तुम सब घर चलो….कुछ खा पी लो

आनंद—हाँ बेटी….तुम लोग घर जा के थोड़ा फ्रेश हो जाओ.

किसी का वहाँ से जाने का मन तो नही था किंतु उनके बार बार कहने के बाद सभी घर चले गये….पूरे घर मे हर दीवार पर आदी की तस्वीर लगी हुई थी….ये काम श्री का किया हुआ था.

इन तस्वीरो को देखते ही सभी की पलकें छलक उठी….राजनंदिनी तो जैसे खुद को ही भूल बैठी थी….उसको इस बात का कोई होश नही था कि वो इस समय कहाँ है, उसके आस पास कौन है….उसको कुछ ध्यान नही रह गया था…वो तो बस आदी की तस्वीरो मे ही खो गयी
थी….उसके कदम खुद बा खुद बिना किसी के कुछ बताए ही आदि के उस रूम की तरफ बढ़ गये जहाँ आदी का पूरा समान रखा हुआ था.

कमरे मे रखी हर चीज़ जैसे उसको जानी पहचानी सी लग रही थी....वो आदी की हर चीज़ को बड़े ध्यान से देख रही थी....ख़तरा और चित्रा
भी उसके पीछे पीछे रूम मे जाने लगे तो अग्नि ने उन्हे जाने से आँखो के इशारे से मना कर दिया....

क्यों कि शायद उसने सदियो से दिल मे छुपे जुदाई के दर्द को राजनंदिनी की आँखो मे महसूस कर लिया था….वह राजनंदिनी को इस समय
एकांत देना चाहती थी जिससे उसके मन मे दबा दर्द का गुब्बार कुछ कम हो जाए अदिई की चीज़ो को अपने करीब देख कर.

राजनंदिनी की आँखो से आँसू लगातार बहते जा रहे थे, पर वो बिल्कुल शांत थी….हर एक चीज़ को उठाती, उसको चूमती और फिर रख कर दूसरी चीज़ देखने लग जाती.

अचानक उसकी नज़र कपड़ो के बीच रखी एक तस्वीर पर गयी तो उसके सब्र का बाँध टूट गया उस तस्वीर को देखते ही….ये आदी की ही
तस्वीर थी जिसमे श्री उसके सीने से लगी हुई थी….उसने उस तस्वीर को उठा कर अपने सीने से चिपका लिया और उसको पागलो की तरह चूमते हुए फफक फफक कर रोने लगी.

राजनंदिनी (रोते हुए)—मुझे माफ़ कर दो ऋषि….कहाँ हो ऋषि….अब ये जुदाई मुझसे सहन नही हो रही है…आ जाओ ऋषि आ जाओ अब…अब इन्न सांसो का बोझ मुझसे नही सहा जाता है….सदियो से तो तुम्हारे आने की प्रतीक्षा करती आ रही हूँ…अब और कितना
तडपाओगे…..दिल लगाने की इतनी भी बड़ी सज़ा मत दो ऋषि…अब तो लौट आओ…..तुम्हे तुम्हारी राजनंदिनी का वास्ता.

ऐसे ही रोते रोते रकनाण्दिनी, ऋषि के साथ बिताए हुए अपनी पिच्छली यादो मे खोती चली गयी.

वही इंग्लेंड मे मारग्रेट ने रात मे पहरा दे रही दो महिला पोलीस कर्मियो को सर मे पत्थर पटक कर जान से मार दिया और पागल खाने से भाग गयी.

पागल खाने से भाग कर वो एक बार फिर से आदी के बंग्लॉ मे पहुच गयी...पर वहाँ तो लॉक लगा हुआ था..... वो बंग्लॉ के चारो तरफ घूम कर उसके अंदर घुसने का रास्ता खोजने लगी.

संयोग से आज वहाँ से गुज़रते हुए फ्रॅंक्लिन और डॅनियल ने मारग्रेट को देख लिया और तुरंत उसका पीछा करते हुए वहाँ पहुच गये.

डॅनियल (शॉक्ड)—मारग्रेट तुम.....यहाँ.. ?

फ्रॅंक्लिन—लगता है ये आज फिर कोई कांड कर के पागल खाने से भाग आई….?

मारग्रेट—मुझे आदी से मिलना है…कोई उसको बुला दो.

डॅनियल—पर आदी तो मर चुका है

मारग्रेट (डॅनियल की गर्दन पकड़ के)—नही...आदिइई जिंदा है....वो अंदर है..अपने कमरे मे सो रहा है....(फिर रोते हुए हाथ जोड़ कर)—कोई मुझे उससे मिलने नही देता है.....देखो ना किसी ने दरवाजे पर लॉक भी लगा दिया है....आदी मुझसे नाराज़ है..मैं उससे माफी माँग
लूँगी....बस एक बार मुझे अंदर चले जाने दो आदी के पास.

मारग्रेट की ऐसी अवस्था और उसकी दर्द भरी बाते सुन कर फ्रॅंक्लिन और डॅनियल की आँखे भी भर आई..आख़िर आदी उनका भी दोस्त था.

फ्रॅंक्लिन—पर आदी के मम्मी पापा तो इंडिया चले गये हैं....यहाँ अब कोई नही रहता है

मारग्रेट (हाथ जोड़ कर)—तो मुझे भी इंडिया पहुचा दो..प्लीज़

डॅनियल—चल यार इंडिया घूम ही आते हैं…अंकल और आंटी से भी मिल लेंगे…मेरा मन भी बहुत करता है उनके पास जाने का.

फ्रॅंक्लिन—उम्म्म…चल तो ठीक है…..जूलिया को भी बुला लो…आज रात ही निकल चलते हैं

पूरी सिटी मे दो लोगो का मर्डर कर के मारग्रेट के पागल खाने से भागने की खबर आग की तरह फैल गयी थी… ये जानकर फ्रॅंक्लिन, जूलिया
और डॅनियल ने समुन्द्र मार्ग से मारग्रेट को साथ लेकर इंडिया की ओर रवाना हो गये.

वही दूसरी तरफ आदी गुरु विश्वामित्र से युद्ध विद्या सीखते हुए हर रोज किसी ना किसी को दमनाक के आश्रम मे भेज देता दूध लाने को.

नतीज़ा दमनाक दूध का नाम सुनते ही उस शिष्य की जम कर धुनाई कर देता…अंततः .परेशान हो कर दमनाक ने अपनी सभी गायो को ही दान कर दिया दूसरे ऋषि मुनियो मे.

जबकि राधा निरंतर किसी ना किसी बहाने से आदी से मिलती रहती थी और उसको छेड़ने भी लगी थी बात बात पर…किंतु आदी ने उसके प्रेम प्रस्ताव को स्वीकार नही किया था अब तक.

आज विश्वामित्र शस्त्र विद्या सिखा रहे थे आदी को लेकिन आदी का ध्यान आज कुछ विचलित लग रहा था उसका मन बार बार भटक रहा था…अचानक उसके सीने मे तेज़ दर्द होना शुरू हो गया….

विश्वामित्र—क्या हुआ पुत्र….? तुम इतने विचलित क्यो लग रहे हो….?

आदी—पता नही गुरुदेव….आज मेरा मन मेरे वश मे नही लग रहा है…..सीने मे तेज़ पीड़ा हो रही है… किसी का धुँधला धुँधला सा चेहरा नज़र आ रहा है लेकिन सॉफ नही…जैसे कोई मुझे याद कर रहा है.

विश्वामित्र (मन मे)—लगता है की आज राजनंदिनी के सब्र का बाँध टूट गया है…..जैसी प्रभु की मर्ज़ी…अब दोनो के मिलन की घड़ी आ चुकी है….और अत्याचारियो के सर्वनाश की.

जबकि एक अन्य स्थान पर एक लड़की हर किसी से अजगर का पता ठिकाना पूछते हुए घूम रही थी…..बेहद क्रोध मे थी वो…जैसे कि आज सब को जला कर भस्म कर देगी….उसकी कमर मे एक बड़ा सा चाकू लटक रहा था.

तभी उस लड़की के मूह से अजगर का नाम सुन कर एक आदमी चौंक गया और वहाँ से जाने लगा जल्दी से..लेकिन उस लड़की ने उसको भागते देख लिया और तुरंत उसका पीछा कर के उसके सामने पहुच गयी.

“अजगर कहाँ मिलेगा.” उस लड़की ने सख़्त लहज़े मे पूछा.

“मुझे क्या पता…..जंगल मे तलाश करो ना जा कर…..आआअहह” उस आदमी ने बेरूख़ी से जवाब दिया.

लेकिन अगले ही पल उस आदमी के गले से एक दर्दनाक चीख गूँज कर रह गयी…..उस लड़की ने अपनी कमर मे लटके तेज़ चाकू से उसकी गर्दन को काट दिया था.

और इसके बाद वो आगे बढ़ गयी फिर से अजगर का पता पूछते हुए.
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी - by hotaks - 04-09-2020, 03:49 PM

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