Antarvasna Sex चमत्कारी
04-09-2020, 03:53 PM,
RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट- 106

जिस समय मैं गुरुदेव से शिक्षा ग्रहण करने मे लगा हुआ था उस समय मेरी और राजनंदिनी की मुलाक़ात होना बंद हो गयी थी....राजनंदिनी का मन कही नही लग रहा था, वो मुझसे मिलने के लिए आतुर हो रही थी...उसने मेरी शिक्षा मे रुकावट पैदा करने की जगह खुद को माता महाकाली की एक प्रतिमा बना कर जब घर के सब लोग सो जाते तो वह चुपके से निकल जाती और पूरी रात उनकी आराधना करती रहती.

उसी समय अजगर जो की हर जगह जा जा कर लोगो का क़त्ले आम करता फिर रहा था....वहाँ से गुज़रते हुए अचानक उसकी
नज़र राजनंदिनी पर पड़ गयी और फिर....

अब आगे......

राजनंदिनी पर नज़र पड़ते ही अजगर के कदम जहाँ थे वहीं थम से गये और आँखो ने पलक झपकाना छोड़ दिया.. उस समय
राजनंदिनी आँखे बंद किए माता महाकाली के ध्यान मे पूरी तरह से लीन थी....उसके मुख मंडल की चमक ने अजगर को सम्मोहित सा कर लिया.

अजगर उसकी खूबसूरती को देख देख कर कामशक्त होने लगा....राजनंदिनी की अद्भुत सुंदर और मादक यौवन के तीर ने अजगर को घायल कर दिया...अजगर की ये दशा देख कर सेनापति और उसके वेमपाइर सैनिक भी चकरा गये... हालाँकि उनकी हालत भी राजनंदिनी के यौवन दर्शन करने के उपरांत अजगर से अलग नही थी.

सेनापति—मालिक अगर आप कहे तो इस लौंडिया को भी पकड़ ले चलते हैं….इसके यौवन का रस पहले आप चख लेना फिर हम लोग भी मसल लेंगे.

ये सुनते ही अजगर की आँखो मे खून उतर आया...किंतु उसकी आँखे लाल होने की जगह पूरी काली हो गयी...ये देख कर उसके सैनिक और सेनापति डर के मारे थर थर काँपने लगे...अभी सेनापति अपनी सफाई मे कुछ कहने ही जा रहा था कि अजगर ने उसकी गर्दन दबोच ली और फिर एक झटके मे ही उसके जिस्म से उखाड़ फेंकी.

अजगर (गुस्से मे)—तेरी हिम्मत भी कैसे हुई उस लड़की के बारे मे ऐसा सोचने की...वो आज से सिर्फ़ अजगर की है...वो तुम सब
की मालकिन बनेगी.....इस अजगर के दिल की रानी बनेगी वो.

अजगर वहाँ से सीधे राजनंदिनी के पास बढ़ गया...और उसके करीब पहुच कर उसकी खूबसूरती को निहारने लगा...और उसके ध्यान से बाहर आने का इंतज़ार करने लगा...आख़िर राजनंदिनी की आँखे खुली और मूर्ति को प्रणाम करने के बाद जैसे ही उठ कर खड़ी हुई
तो पलते ही सामने खड़े भयानक शकल सूरत वाले दैत्य को देख कर डर गयी.

राजनंदिनी (डरते हुए)—कककक.....कौन हो तुम.... ?

अजगर (मुश्कूराते हुए)—आहह....कितनी मधुर आवाज़ है....शुक्र है कि तुमने आँखे तो खोली अपनी.

राजनंदिनी (थोड़ा ज़ोर से)—मैने पूछा....कौन हो तुम..... ?

अजगर—तुम्हारे हुश्न का गुलाम.....वाह, क्या चेहरा है...क्या कजरारी आँखे हैं....और क्या मस्त यौवन है...तुझे भोगने मे असली मज़ा आएगा....तू एक बार नही बल्कि बार बार भोगने की चीज़ है....तुझे देखते ही मेरी काम वासना भड़क गयी है, जिसे अब केवल तेरा
ये मदमस्त यौवन भोगने के पश्चात ही शांति मिलेगी....तुझे तो मैं अपनी रानी बनाउन्गा.

राजनंदिनी (गुस्से मे)—साले हरामी कुत्ते.....देख तू जो भी है, चल भाग यहाँ से..वरना...

अजगर (बीच मे ही)—हाए...हाए...तुझे तो गुस्सा भी आता है....आना भी चाहिए...अजगर शैतान की दिलरुबा को गुस्सा आना ही चाहिए.....वैसे क्या नाम है तेरा मालिका-ए-शैतान अजगर... ?

शैतान अजगर का नाम सुनते ही राजनंदिनी का जोश ठंडा पड़ने लगा....क्यों कि अजगर अपनी काली करतूतो से अब तक सब जगह विख्यात हो चुका था.

राजनंदिनी—देख मैं अब भी तुझे बोल रही हूँ...मेरे रास्ता छोड़ दे...वरना तेरे लिए ये अच्छा नही होगा.

अजगर—देख मेरी बात मानेगी तो राज करेगी पूरी दुनिया पर इस अजगर की रानी बन के....और नही मानेगी तब भी मैं तो तेरी
इस जवानी को भोगुंगा ही....अब चल जल्दी यहाँ से मेरे साथ..

राजनंदिनी (गुस्से मे)—तड़ाक्कककक....साले कुत्ते की औलाद

अजगर (गुस्से मे)—तूने मुझे थप्पड़ मारा.....अजगर शैतान को... ? अब देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ...

अजगर उसको पकड़ने के लिए जैसे ही हाथ आगे किया तो राजनंदिनी पीछे हट गयी...मगर कब तक उससे बच पाती, आख़िर अजगर ने उसको पकड़ ही लिया और ज़बरदस्ती करने की कोशिश करने लगा.

राजनंदिनी (चिल्लाते हुए)—छोड़ कामीने.....आआअहह.....माँ महाकाली मेरी इज़्ज़त की रक्षा करो माँ...

अजगर—हाहहाहा.....किसे पुकार रही है...इस बेजान मूर्ति को.... ? अजगर का नाम सुनते ही सब अपने घरो मे घुस जाते हैं, डर की
वजह से…..तुझे बचाने कोई नही आएगा….अब भी कहता हूँ मेरी बात मान ले..वरना बहुत पछतायेगी…

राजनंदिनी (गुस्से मे)—कभी नही….राजनंदिनी सिर्फ़ आदिरीशि की है और हर जनम मे उसकी ही रहेगी……..आअहह…माँ

राजनंदिनी अपने बचाव मे हाथ पैर मारने लगी और मदद के लिए कभी ऋषि को तो कभी माँ महाकाली को पुकारने लगी रोते हुए ज़ोर ज़ोर से…तभी माता महाकाली की मिट्टी की वो मूर्ति हिलने लगी और फिर…

“अजगर....छोड़ दे उस लड़की को.” तभी किसी औरत की तेज़ आवाज़ सभी के कानो मे गूँज उठी.

सबने पलट के देखा तो कुछ ही दूरी पर एक बुढ़िया खड़ी ही लाठी लिए हुए....और उसकी आँखे एक दम क्रोध से लाल हो कर तमतमा रही थी.

एक सैनिक—ए बुढ़िया चल भाग यहाँ से...

अजगर—अरे भगाता क्या है...मार दे सीधे और खा जाओ इस बुढ़िया को भी.

अजगर की बात सुनते ही एक सैनिक उसकी तरफ दौड़ा मारने को...लेकिन उसके पास पहुचने से पहले ही उसके जिस्म को आग ने घेर लिया और वो चीखते हुए जल कर राख का ढेर बन गया

ये देख कयि सैनिक उस औरत की ओर लपके लेकिन सब का वही हाल हुआ....और अगले ही पल उस औरत ने आगे बढ़ के अजगर
के पिछवाड़े पर एक लात मारी तो अजगर दर्द से चीखते हुए ना जाने कितनी कोसो दूर और कहाँ जा गिरा.

औरत—उठो बेटी...अब वो दुष्ट फिलहाल यहाँ से चला गया है...तुम्हे अब घबराने की कोई ज़रूरत नही है.

राजनंदिनी (सिसकते हुए)—माई आप इस समय साक्षात माँ महाकाली का रूप बन कर मेरी मदद करने आई हैं.. अगर आज आप नही आती तो मैं अपने ऋषि को मूह दिखाने के काबिल नही रहती.

औरत—तुम्हारा प्रेम ही तो उसकी सबसे बड़ी ताक़त है....जैसे रावण के विनाश का कारण सीता बनी तो कौरव के विनाश का
कारण द्रौपदी....ठीक उसी तरह भविष्य मे तुम ही इन पापियों के विनाश का प्रमुख कारण बनोगी बेटी...

राजनंदिनी (हैरान)—मैं कुछ समझी नही माई... !

औरत—हर घटना का एक समय निर्धारित होता है बेटी.....इसलिए समय आने पर सब पता चल जाएगा.

राजनंदिनी—आप कौन हैं और इस समय यहाँ किस प्रायोजन से आई थी.. ? मैने आपको पहले तो कभी नही देखा इस गाओं मे..

औरत (मुश्कुरा कर)—यही सवाल तो मैं भी तुमसे जानना चाहती हूँ कि इस अंधेरी रात मे एक जवान लड़की यहाँ क्या रही थी…?

राजनंदिनी—मैं तो यहाँ माँ महाकाली की आराधना करने आती हूँ प्रति दिन इस समय…आज भी वही कर रही थी कि पता नही ये दुष्ट कहाँ से आ टपका…?

औरत—बेटी ये रात का समय घर से बाहर निकालने के लिए ठीक नही है…तुम अब से यहाँ मत आया करो इस समय.

राजनंदिनी—मैं माँ की आराधना करना नही छोड़ सकती माई…मैं विवश हूँ.

औरत—आराधना तुम अपने घर मे भी कर सकती हो रात मे….आराधना करने के लिए मूर्ति का होना आवश्यक नही है…बस केवल मन मे सच्ची श्रद्धा होनी चाहिए बेटी.

राजनंदिनी—मैं समझ गयी माई…

औरत—और हाँ बेटी....मेरे पास कुछ शक्तिया हैं जो मैं तुम्हे देना चाहती हूँ...मेरी तो अब उम्र हो चुकी है.

राजनंदिनी—लेकिन आप मुझे क्यो देना चाहती हैं….? और आप ने अपना परिचय भी नही दिया अब तक.

औरत—तुम्हारा हृदय स्वार्थ रहित और निश्छल प्रेम से भरा हुआ है...इसलिए तुम्हे देना चाहती हूँ...और रही बात मेरे परिचय की तो जब उचित समय आएगा तो खुद ही तुम मुझे पहचान जाओगी....चलो अब बैठ जाओ.

राजनंदिनी के बैठ कर आँखे बंद करते ही उस औरत ने अपना एक हाथ उसके सिर पर रख दिया और अगले ही पल उनके हाथ से तेज़ रोशनी निकल कर राजनंदिनी के जिस्म मे सामने लगी.

कुछ समय पश्चात उस औरत ने राजनंदिनी को आँखे खोलने को कहा ....आँखे खोलते ही राजनंदिनी को अपने शरीर मे काफ़ी ताक़त होने का एहसास होने लगा.

राजनंदिनी—लेकिन माई...मैं इन शक्तियो का इस्तेमाल करूँगी कैसे.... ?

औरत—जब तुम ध्यान लगाओगी तो तुम्हे इनके विषय मे पता चल जाएगा….अब तुम घर जाओ बेटी

राजनंदिनी—ठीक है माई

राजनंदिनी ने उस औरत के पैर छु कर आशीर्वाद लिया और अपने घर की ओर मूड गयी…कुछ कदम चलने के बाद उसने पीछे पलट
के देखा तो चौंक गयी..क्यों की अब वहाँ कोई औरत नही थी.

राजनंदिनी (शॉक्ड)—इतना जल्दी वो माई कहाँ गायब हो गयी…?

फिर वो यही सोचते हुए घर चली गयी....दूसरी तरफ मैं गुरुदेव की आग्या ले कर अपने घर लौट आया..और दूसरे दिन राजनंदिनी से मिलने पहुच गया सुबह सुबह….मुझे देख कर वो बहुत खुश हुई और मुझसे दौड़ कर लिपट गयी.

दोपहर मे जब हम अपने चिर परिचित एकांत स्थान पर मिले तो दोनो ने अपने अपने विषय मे बताया…मैने क्या क्या सीखा और उसने क्या क्या किया इश्स दौरान सब कुछ बताया…रात वाली घटना भी बताई जिसे सुन कर मैं भी चौंक गया.

राजनंदिनी—ऋषि…वो औरत कहाँ गयी होगी इतनी रात मे बेचारी…?

आदिरीशि (मुश्कुरा कर)—उन्हे कहीं जाने की क्या ज़रूरत है...वो तो हर जगह हैं....नंदिनी, शायद माता महाकाली ने ही उस औरत का
रूप धर के तुम्हारी मदद की है..तुम सचमुच बहुत भाग्यशलिनी हो जो तुम्हे स्वयं माता ने प्रकट हो कर आशीर्वाद दिया.

राजनंदिनी (शॉक्ड)—क्याआअ.... ? वो खुद माँ थी... ?

वो माता को ना पहचान पाने का दुख जताती रही और मैं समझाता रहा....कुछ दिन उसके साथ गुजारने के बाद मैं अपने उसी खानदानी प्रश्न के उत्तर की तलाश मे निकल गया.

चलते हुए अचानक मेरे कानो मे कुछ लोगो के ज़ोर ज़ोर से चीखने की आवाज़ सुनाई पड़ी….आवाज़ सुनाई पड़ते ही मैं उस दिशा मे बढ़ता गया और जैसे ही वहाँ पहुचा तो सामने का दृश्य देख कर मेरा क्रोध सातवे आस मान पर पहुच गया.
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी - by hotaks - 04-09-2020, 03:53 PM

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