RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
ये वो इश्क था जो अभी उसने अपने मुंह से अपने चाहने वाले को बोला भी नहीं था और न ही उसके आशिक ने उससे बोला था. फिर अपनी बहन को क्या बताये?
लेकिन बहन को उसके सवाल का जबाब देना भी तो जरूरी था. क्योंकि चुप रहने का मतलब अक्सर हाँ माना जाता है. यह सोच कोमल अपनी बहन देवी से बोली, "अरे कैसी बातें करती हो देवी बहन? कोई बात होती तो तुम्हे न बताती? आजतक तुमसे कोई बात छिपाई है भला मैने?"
देवी को शक तो था लेकिन अपनी बहन कोमल पर भरोसा भी था. उसका दिमाग उलझन में तो था लेकिन कोमल से राज ने कुछ कहा भी तो न था. कैसे कहती कि तुम दोनों के बीच में कुछ चक्कर चल रहा है?
सब कुछ ऐसा ही चलता रहा. राज रोज उन्हें मिलता और बातें करता हुआ उनके साथ अपने गाँव की शुरुआत तक जाता. अब देवी भी राज से बाते करती थी. कोमल को ये बात अच्छी लगी. सोचती थी चलो देवी अब राज की शिकायत पापा से न करेगी.
लेकिन कोमल और राज का मौन इश्क अपनी चरम सीमा को पार करता जा रहा था. कभी कभी तो राज के मन में आता कि वो कोमल से देवी के सामने ही अपने इश्क का इजहार कर डाले. किन्तु उसे डर भी लगता था कि कहीं उसका उतावलापन कोमल और उसके मिलन में बाधा न बन जाए?
इधर यही हाल कोमल का भी था. उसके भी मन में आता था कि देवी को सब कुछ बता डाले कि वो राज पर अपना दिल हार बैठी है लेकिन उसे भी डर था कि देवी कहीं पापा से जाकर न बोल दे? दैय्या रे दैय्या फिर तो मुसीबत हो जाएगी,
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