RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
राज डरते डरते कंपकपाती टांगों से चलते हुए कोमल की बगल में जा बैठा और हाथ में घास का तिनका ले जमीन पर उसे घुमाने लगा. बगल में बैठे राज को दूर से कोमल ने महसूस किया. वह अंदर तक एक अनजाने रंग में रंग गयी. पेड़ के नीचे बैठे इन अनबोले आशिकों को सावन के महीने में चलने वाली सुगन्धित वायु का स्पर्श हो रहा था. आज हवा भी ऐसी थी कि कभी राज की तरफ से कोमल की तरफ बहती तो कभी कोमल की तरफ से राज की तरफ बहती थी.
पता नहीं कि ये हवा ही थी जो इधर से उधर वह रही थी या कोई इश्क की अनजानी वयार जो दोनों को एक दूसरे की बदन की खुशबु का आनंद दिलवाए जा रही थी? कोमल के बदन से उठती सुंगधित खुसबू राज को स्वर्ग का आनंद दिए जा रही थी. राज के बदन की मर्दाना खुश्बू कोमल को पागल किये जा रही थी.
दरअसल हवा में कोई खुसबू थी ही नही. ये तो इन आशिकों का बहम था. और हो भी क्यों न? जब आप किसी को इतनी शिद्दत से चाहते हैं तो उसकी हर एक बात आपको निराली लगती है. उसके बदबू भरे पसीने में आपको खुसबू आती है. उसकी मामूली अदायें आपका दिल लूट लेती हैं. और ये ही आभास चंचल कोमल और वाबले दूधिया राज के साथ हो रहा था, अब गाँव में तो उस समय डियोडेरेंट नही थे तो खुसबू कहाँ से आई? ये तो इन दोनों के इश्किया पागलपन की सुगंध थी.
लेकिन आग और फूस एक साथ ज्यादा देर तक अलग नहीं रहते. आग पहले फूस को जलाती है और फिर खुद भी बुंझ जाती है. यही तो होना था इन दोनों का. अब ये तो पता नही कि आग कौन था और फूस कौन. लेकिन थे दोनों ही कुछ न कुछ. कोमल ने राज की तरफ देखा. राज ने कोमल की तरफ.कोई कुछ न बोला. फिर कोमल बोल पड़ी, “क्या देख रहे हो?"
राज का फिर वही जबाब था, “कुछ भी तो नही."
फिर कोमल को पता नही क्या सूझा. बोली, “अगर कल से में स्कूल न आऊं? तुम्हे कहीं मिलूं भी नहीं तो क्या करोगे?" कोमल ने ये बात राज को टटोलने के लिए कही थी लेकिन इस बात ने राज के दिल पर तलवार की धार की तरह वार किया.
वो तिलमिला कर रह गया. उसका मन तो करता था कि बात कहते वक्त ही कोमल को चुप कर दे लेकिन न कर सका और प्यार के आवेश में आ बोला, "पहले तो तुम्हें ढून्ढूगा और अगर न मिलीं तो जहर खा मर जाऊँगा. लेकिन तुम जाओगी कहाँ?"
कोमल राज के मुंह से एकदम ऐसे अंदाज़ से की गयी बात पर हैरान थी लेकिन उसे अंदर से अपने होने बाले प्रेमी पर गर्व भी था जो उसके लिए अपनी जान देने के लिए तैयार था. एक लड़की को अपने आशिक से और क्या चाहिए? चंचल कोमल अभी राज को और तैस में लाना चाह रही थी. बोली, "तुम क्यों जान दे दोगे? मुझसे रिश्ता ही क्या है तुम्हारा? दूध लेने ही तो आते हो मेरे घर फिर ये जीने मरने की बाते किसलिए?"
कोमल मन में खुश थी. उसे राज से प्यार भरी चुटकी लेने में बड़ा मजा आ रहा था लेकिन राज तो उन बातों को गम्भीरता से लेता जा रहा था. बोला, “में कौन लगता हूँ तुम्हारा ये तुम पूंछ रही हो? अगर एक लडकी एक अकेले लडके के साथ सूनसान जगह पर बैठी है तो वो कौन होगी उसकी? ये अपने आप से पूंछ लो."
कोमल को राज से इस उत्तर की उम्मीद नहीं थी. वो सकपका गयी लेकिन फिर सम्हलते हुए बोली, “हमारा होगा क्या? क्या हम ऐसे ही मिलते रहेंगे? क्या हमारा कोई भविष्य नही?"
राज ने कोमल के मुंह से हम' शब्द का जिक्र सुना तो उसे यकीन हो गया कि जो मेरे अंदर है वो इस पगली कोमल के अंदर भी है. कोमल को अपने भविष्य को लेकर जो चिंता थी वो राज को भी थी. राज बोल पड़ा, “अभी शुरुआत होने से पहले हमे ऐसा नही सोचना चाहिए. पहले शुरुआत तो होने दो."
कोमल फिर से मजाक के मूड में थी. बोली, “अभी और कुछ करना है शुरुआत करने के लिए? ये जो साथ बैठकर बातें कर रहे हैं क्या ये शुरुआत नही है?"
राज कोमल की बात सुन झेंप गया. उसे समझ नही आता था कि कब कोमल मजाक करती है और कव गम्भीर होती है. लेकिन अब राज भी कोमल की तरह चुलबुला होना चाहता था. जैसे वो रोज उसके घर दूध लेने जाता था तब जो मजाकें वो कोमल के साथ करता था आज फिर से वही मजाकें करना चाहता था. चेहरे पर शरारती मुश्कान लिए बोला, "मेरे एक दोस्त ने जब एक लडकी के साथ ये शुरुआत की थी तो एक बच्चे का बाप बन गया था. तो उस हिसाब से तो हमारी शुरुआत कुछ भी नही."
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