Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
04-14-2020, 11:26 AM,
#10
RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
कोमल बुरी तरह शरमा गयी. उसका गोरा मुखड़ा इस मजाक से पके हुए सेव की तरह लाल हो गया. चेहरे पर शर्मीली मुस्कान थी. फिर नीचे नजरें कर बोली, “छि: चुप रहो. वैसे तो बोल नही रहे थे और बोले भी तो ये बेहूदा बातें. कुछ और नहीं बोल सकते थे?"


राज की हंसी छूट गयी. उसे कोमल का इस तरह शर्माना बड़ा अच्छा लगा लेकिन फिर हंसी रोकते हुए बोला, "अच्छा में तो बुरी बातें करता हूँ तो तुम्ही कोई अच्छी बात बताओ?"

कोमल क्या बोलती जो उसके के दिल में था उसे बोलने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत थी. जो अभी कोमल के पास नही थी. फिर भी कुछ तो बोलना ही था. कोमल फिर से उस रंगरेज़ राज के इश्क में रंगती हुई बोली, “तुम क्या क्या कर सकते हो मेरे लिए?" कोमल ने सवाल तो कर दिया लेकिन उसको ये अपना सवाल बहुत बेहूदा लगा.


राज फिर तैस में आ गया बोला, “तुम जो कहो, कहो तो अपने प्राण निकाल कर तुम...."

कोमल का फूल जैसा कोमल हाथ राज के होंठो से जा लगा. राज आगे न बोल पाया. उसने अपनी आँखें बंद कर ली. कोमल के हाथ का पहला स्पर्श अपने होंठो पर पा राज ऐसा मदहोश हो गया जैसे उसने सारे जहां की मदिरा अपने मुंह से लगा ली हो. वो इस कदर इस नशे में खो गया मानो कब से बो इस मदिरा का पान कर रहा हो.


लेकिन ये मदहोशी! ये मदिरा पान? ये मादक स्पर्श कितनी देर तक चल सकता था? कोमल ने अपना हाथ राज के होंठो से हटा लिया. राज का ध्यान भंग हो गया. उसका सारा नशा एक पल में ऐसे उतर गया. मानो उसने कोई नशा किया ही न था. उसका मन करता था कि कोमल का हाथ, वो हाथ जिससे राज को सारे जहाँ का आनन्द मिला. उसे फिर से अपने होंठो पे लगा ले.

हे ईश्वर! कितनी तपिश थी? कितना अनदेखा सौन्दर्य था? कितनी मदहोशी थी? कितना अपार आनंद था और कितनी कोमलता थी इस चंचल शोख लडकी के हाथ के स्पर्स में? राज के मन में इस वक्त बस यही बात चल रही थी लेकिन कोमल के एकदम हाथ हटा लेने से सब कुछ खत्म हो गया था.


राज तडप कर कुछ बोलता उससे पहले कोमल लरजते स्वर में बोली, "एक बात सुन लो राज. हमारे सामने दोबारा मरने मारने की बातें न करना. बताये देते हैं हां."


राज कोमल के मदभरे जादू में पूरी तरह सरावोर था. कोमल की प्यार से भरी चिंतित डांट पर माफ़ी मांगता हुआ बोला, "माफ़ करना कोमल हमे नही पता था कि हमारी ये बात तुमको इतनी बुरी लग जायेगी. लेकिन तुमने हमारे मुंह से अपना हाथ क्यों हटा लिया?" राज ने जब ये हाथ हटाने वाली बात बोली तब उसका लहजा बहुत नशीला था.


बराबर में बैठी चंचल शोख कोमल भी कब पीछे रहती. वो भी राज के इश्क के नशे में डूबती हुई बोली, "तुम्हें इतना अच्छा लगता हमारा हाथ. कहो तो फिर से रख दे तुम्हारे मुंह पर?" ये बात कहते वक्त कोमल की आँखों में एक अजीब सा नशा था जिसको नाम देना इस इश्क की बेइज्जती होगी.


वो चंचल कोमल के इश्क में पगला हुआ दूधिया राज? उसे लगा कि कोमल ने उसके जनम जनम की मुराद पूरी करने की बात कह दी है. वो कंपकपाते लहजे में बोला, “हाँ..रख दोगी तो एहसान होगा तुम्हारा मेरे ऊपर. तुम इस के बदले जो कहोगी वो करू...." राज बात पूरी करता उससे पहले फिर वही फूलों के समान कोमल मुलायम. मदभरा स्पर्श वाला कोमल का हाथ राज के होठों पर ठीक उसी जगह आ लगा जहाँ पहले लगा था.


ओह मेरे राम! ये आनंद, ये सुकून, ये शीतलता, ये खुशबु और ये मिठास. क्या यही प्यार है? क्या यही मोहब्बत है? क्या यही इश्क है? राज को आज सारा जहाँ भी कोई दे तो उसे इस स्पर्स के लिए ठुकरा दे, उसका मन, उसका तन, उसका दिल किसी ऐसे रस से भर गया था जिसका स्वाद सारे जहाँ की धन दौलत और खुशियों से ज्यादा कीमती था. राज के मुताबिक कहें तो उसकी कोई कीमत ही नही थी. सरल शब्दों में वो बेशकीमती लेकिन न खरीदी जा सकने वाली वस्तु था. किन्तु क्या अभी तक ऐसा हुआ है कि किसी वस्तु में आग लगी हो और वो एक जगह ही जलती रही हो? आग का काम तो चारो तरफ फैलना ही होता है और वही होने वाला था इन दोनों प्रेमियों के बीच. राज तो अलग दुनियां में खोया ही हुआ था लेकिन कोमल भी राज के मर्दाना खुरदरे होठों की छुअन से मादक हो उठी थी. उसके शरीर के एक एक रोम में प्यार की अग्नि दस्तक दे चुकी थी. कोमल को होश न रहा की वो है कहाँ?


राज ने उसी मस्त मदिर स्पर्स के नशे में कोमल के दूसरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया. कोमल ने राज के मुंह से अपना दूसरा हाथ हटा उसी के हाथों में दे दिया. अब कोमल के दोनों हाथ राज के हाथों में थे. देखकर ऐसा लगता था मानो दोनों का स्वयंवर हो रहा हो. ऐसा स्वयंवर जिसका साक्षी वो आम का पेड़ था. वो आम का पेड़ जिसके पत्तों और लकड़ी को इन दोनों आत्माओं के धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है. जिसकी लकड़ी और पत्तों से इन दोनों आत्माओं के इष्ट देवों की पूजा होती है. खुले आकाश के नीचे वो पवित्र आम का पेड़. उस पेड़ के नीचे ये दो आत्माओं का मिलन. ये सावन का महीना. पेड़ों के बौरो की मंद मंद खुशबू, हल्की मद्दम खुसबूदार हवा और ये मादक पंक्षियों का कलरव. क्या मोहब्ब्ती माहौल था. अगर कोई कलाकार इस माहौल को देखे. महसूस करे. समझे तो इसे दुनिया का सबसे उत्तम स्थान. समय और माहौल कह डाले.
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RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी - by hotaks - 04-14-2020, 11:26 AM

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