RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग-3
रात को सब सो गये. कोमल अपनी बहन के साथ एक चारपाई पर सोती थी. चांदनी रात और सावन का हल्का सर्द महीना. कोमल की बगल में उसकी बहन देवी लेटी थी. किन्तु कोमल सोचती थी कि काश उसकी बगल में राज लेटा होता. कितना आनंद, कितनी उमंग, कितना उल्लास हो जाता?
इस सावन की हल्की सर्द रातों में आग लग जाती. कोमल की बहन देवी सो रही थी लेकिन कोमल को तो नींद ही नहीं आती थी क्योंकि वो जानती थी कि राज को भी नींद नहीं आती होगी. उसका तो आज इश्क का रतजगा था.
अन्य दिन कोमल अपनी बहन देवी को अपना शरीर छूने तक न देती थी लेकिन आज खुद उसे अपने आगोश में लिए सो रही थी. उसे लगता था कि उसके साथ राज सो रहा है. रात भर न जाने क्या क्या सपने उसे आते रहे? कभी राज उसे साईकिल पर बिठाता है. कभी राज और कोमल आसमान में उड़ रहे होते हैं. कभी दोनों को एकसाथ बात करते कोई पकड़ लेता. कभी वो देवी को अपनी प्रेम कहानी सुना रही होती थी. एक सपना उसे ऐसे आया कि किसी ने उसे और राज को मार दिया है. एकदम से नींद खुल गयी. उठकर देखा तो वो जिन्दा थी. इसका मतलब वो सपना ही देख रही थी. पूरा शरीर सर्द रात के बावजूद पसीना पसीना हो रहा
था.
कोमल फिर से सो गयी लेकिन अपनी बड़ी बहन देवी की नींद उसने हराम कर दी थी. रात भर उसे राज समझ जकड़े रही. देवी ने मुश्किल से रात काटी लेकिन उसे कोमल पर शक होने लगा. उसे आज दाल में काला नजर आ रहा था. उसने सोचा अभी रात में तो नही लेकिन कल अकेले होने पर कोमल को पूँछेगी जरुर की आखिर बात क्या है जो ये लडकी एक दिन में इतना बदल गयी?
सुबह होते ही कोमल उठ गयी लेकिन राज को सामने न पाकर मायूस हो गयी. सपने में तो रात भर आया था. फिर उसे ध्यान आया कि सुबह सुबह राज दूध लेने भी तो आएगा. तुरंत उठ खड़ी हुई और हाथ मुह धोया और घर वालों से बोली, “माँ में दूध दुहने जा रही हूँ."
माँ अंदर से गला फाडकर बोली, “क्या पगला है री छोरी? अभी दूधिया को तो आ जाने दे और अभी वखत ही क्या हुआ है जो बाल्टी ले चल दी भैंस दूहने?" भैंस से कौन जनम की दुश्मनी निभा रही है? अभी तो वो चारा भी नहीं खा पाई होगी."
कोमल सकपका गयी. कल शाम से जब से वो राज के पास से लौटी थी तब से कई काम बिगाड़ चुकी थी. कई ऐसे पागलपन भरे काम कर चुकी थी जो पहले कभी नहीं करती थी. उसे खुद पता नहीं चल रहा था कि वो कर क्या रही है? आज वो मुंह धो अँधेरे सुबह भैंस का दूध निकालने चल दी.सोचती थी राज आएगा तो उसे देखेगी. उससे बात करेगी. कोई और न भैंस का दूध निकालने चल दे इसलिए वह खुद ही बाल्टी उठा चल दी थी.
लेकिन थोड़ी देर बाद राज आ गया. कोमल को आने की खबर उसकी दूध की टंकी की आवाज से लगी. राज सीधा कोमल के यहाँ आकर रुका जबकि अन्य दिन वो पहले तीन और लोगों का दूध लेकर तब कोमल के यहाँ आता था. कोमल भी बाल्टी ले उस जगह पहुंच गयी जहाँ उसकी भैंसे बंधी थी. जहाँ उसका आशिक राज खड़ा था.
वहां पहुंचते ही सबसे पहले दोनों की आखें चार हुई. दोनों की आँखों में मिलन की अनोखी प्यास थी जो एकदूसरे को बता रही थी कि उन्होंने ये बीच का वक्त कितनी मुश्किल से काटा है. दोनों के होटों पर मुस्कान थी. ऐसी मुस्कान जो दुनिया का खजाना मिलने पर भी न होती.
____ दोनों खड़े खड़े एकदूसरे को देखे जा रहे थे. कोमल भूल गयी कि वो यहाँ आई किस काम से थी? और राज, राज को तो सुबह से ही नही पता था कि वो करने क्या जा रहा है.
तभी तो तीन ग्राहकों को छोड़ सबसे पहले कोमल के यहाँ दूध लेने आ पहुंचा.
तभी पीछे से देवी की आवाज आई. बोली, "क्या हुआ कोमल रानी? दूध निकाल पाओगी कि नही? न निकाला जाय तो बता देना? हमारे भी हाथ दिए हैं भगवान ने."
कोमल और राज हड्वड़ा गये. कोमल एकदम से बोल पड़ी, “अरे निकालने तो जा रहे हैं हम. फिर तुम्हे जल्दी क्या पड़ी है? जाकर अपना काम करो. हमारा सर खाने को क्यों आ जाती हो?"
कोमल का व्यवहार पहले से बदल गया था. पहले वो अपनी बड़ी बहन देवी से बहुत प्यार से बात करती थी लेकिन अब उसे उसका पास रहना भी अखरता था. पहले कोमल उसके साथ रहना पसंद करती थी लेकिन अब राज की यादों में खो अकेले रहना.
देवी कोमल की बात सुन बडबडाती हुई चली गयी. कोमल राज से नजर मिला फिर मुस्कुरा दी और भैस का दूध निकालने बैठ गयी. दोनों की नजरें एकदूसरे से हटने का नाम न लेती थीं. लगता था आज दोनों नजरों से ही एकदूसरे में समा जायेंगे. परन्तु भैंस भी तो दूहनी थी. इसलिए कोमल का हाथ भैंस के थन पर था और आँखें राज पर, दूध भैंस के थन से निकल कभी बाल्टी में जाता कभी बाल्टी से बाहर जमीन पर लेकिन इस मोहब्बत के मस्तानों का आलम था कि उन्हें दुनियादारी से कोई वास्ता ही नही था. वे तो खुद में पूर्ण विश्व थे फिर उन्हें किससे मतलब?
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