RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
कोमल ने राज को देखते देखते ही भैंस का पूरा दूध दुह दिया लेकिन दूध बाल्टी में कम जमीन पर ज्यादा गिरा था. कोमल अभी आराम से बाल्टी पकड़े खड़ी थी. वो जानबूझ कर धीरे धीरे काम कर रही थी जिससे राज को ज्यादा देर तक अपने पास रख सके. लेकिन तब तक उसकी माँ आ पहुंची और चिल्लाते हुए बोली, “क्या अब महूरत निकलवा कर दूध नपवाओगी? जल्दी से दूध नपवा लो और अपने काम पर लगो."
कोमल का ध्यान भंग हुआ. राज भी हड्बड़ा कर इधर उधर देखने लगा और जल्दी से कोमल की माँ के पैर छू लिए. कोमल की माँ हैरत में पड़ गयी. सोचती थी और दिन तो ये लड़का दुआ सलाम भी नही करता था और आज पैर छू लिए? जबकि आज न तो दिवाली थी और न होली. न ही नया साल फिर किस बात पर पैर छू लिए? शायद दारू पीकर आया होगा? कोमल ने जल्दी से राज को दूध नपवाया. आज दूध कम बैठा था. कोमल की माँ बोली, “क्यों री छबिलिया, आज दूध कम कैसे बैठा?"
कोमल ने आधा दूध राज से इश्क लड़ाने के चक्कर में जमीन पर फैला दिया था तो अब माँ को कैसे बताती? बोली, “मुझे क्या पता भैस से ही पूछ लो?"
इस कोमल की मजाक पर राज और कोमल दोनों ही हंस पड़े. कोमल की माँ कोमल की बात को नजरंदाज़ करती हुई बोली, "लगता है इसे किसी कमबख्त की नजर लग गयी है इसीलिए दूध कम दिया.” कोमल की माँ भैंस की नजर उतारने का उपाय करने चली गयी. माँ को जाते ही कोमल राज के करीब आ खड़ी हो गयी. राज ने एक झटके से कोमल का हाथ पकड अपने होटों से चूम लिया.
ओह मेरे राम! क्या आनंद था इस स्पर्श में. जिसका कल से इन्तजार था ये वो ही स्पर्श था. ये वो ही कोमल का सुकोमल हाथ था जिसे कल राज अपने होठों पे लगा पागल हो गया था. और कोमल! कोमल तो जैसे किसी बिष भरे सर्प ने सूंघ ली थी. राज का प्यार भरा चुम्बन उसके रोम रोम में मोहब्बत का जहर फैला गया. वो जहर जिसको मिटाने की दवा आज तक कोई वैज्ञानिक खोज ही न सका था. इसका जितना इलाज किया जाता है ये बिष उतना ही बढ़ता जाता है.
राज ने फुसफुसाते हुए कोमल से पूछा, "आज भी अकेली आओगी क्या? और थोडा जल्दी आ जाना. में तुम्हे रास्ते में ही इन्तजार करते मिलूँगा.”
कोमल राज की नशीली आँखों में देख बोली, “अकेले आने का तो पता नही लेकिन आउंगी जरुर. तुम आने की चिंता मत करो. अगर तुम वहां इन्तजार करोगे तो में भी यहाँ से निकलने का इन्तजार ही करुगी."
ये प्रेमी युगल कुछ और कहता उससे पहले किसी के आने की आहाट हुई. राज ने कोमल का हाथ छोड़ बाहर की और चल दिया. अभी उसे पूरे गाँव से दूध इकठ्ठा करना था. कोमल भी जल्दी जल्दी घर के काम कर रही थी. उसे आज जल्दी स्कूल जाना था.
राज रोजाना दूध लेते वक्त भैंस के आगे बैठता था जिससे कोई दूध में पानी न मिला दे लेकिन आज तो उसे होश ही नहीं था कि कोई पानी मिलाएगा कि नही. लोगों ने आज राज के इस खोये खोये हाल का जमकर फायदा उठाया. दूध में पानी मिलता ही चला गया. किसी ने एक लीटर तो किसी ने दो लीटर. आज दूध की टंकी में दूध कम पानी ज्यादा था. अन्य दिन दूध में पानी देखने को नही मिलता था लेकन आज तो राज दूधिया के हालात ही कुछ और थे.
जल्दी जल्दी सब लोगों का दूध ले राज डेयरी चला गया. उसे कोमल से मिलने की जल्दी थी इस कारण सारा काम निपटा कर उस रास्ते पर इन्तजार करने जाना था जिस पर कोमल उसे मिलेगी.
इधर कोमल जल्दी जल्दी तैयार हुई. आँखों में खास सुरमा लगाया. वो सुरमा जो उसके बुआ जी ने दिया. ये सुरमा बुआ जी ने बरेली से मंगवाया था. हाथों के नाखूनों पर नाखूनी लगाई. बालों को धो कर अच्छे से संवारा. मेले से पांच रूपये में लायी हुई अंगूठी पहनी. ये अंगूठी वो अंगूठी थी जिसे कोमल सिर्फ खास मौकों पर ही पहनती थी. जैसे किसी की शादी विवाह में. मम्मी का रखा हुआ खुसबू वाला पाउडर निकाल उसमें से दो चुटकी पाउडर ले एक कागज की पुडिया में रख लिया. घर पर पाउडर लगाने का मतलब आफत को दावत देना था.क्योंकि गाँव में पाउडर लगाकर जाने वाले को चुडेल या भूत लगने का खतरा होता है और कोमल तो लडकी ठहरी. ऊपर से क्वारी लडकी जिसे पराये घर जाना था. भूत व्यार लग जाए तो कौन उससे शादी करेगा? इसी डर से माँ लडकियों को पाउडर न लगाने देती थी. लेकिन कोमल को तो आज राज के लिए सजना संवरना था. फिर पाउडर छिपाकर ही ले जाना ठीक था. इसके बाद उसने पीतल का लौटा अच्छी तरह से मांजा. उसमे पानी लिया. दो चम्मच दूध डाला. थोड़ी चीनी डाली. एक गुलाब के फूल की पंखुड़िया डाली और तुलसी के पौधे के पास जा खड़ी हो गयी. उसका मुंह सूरज की तरफ था. सूरज देवता से प्रार्थना करते हुए तुलसी मैय्या से प्रार्थना करती हुई बोली, "हे सूरज देवता. मेरे और राज के प्यार को अपने जैसा तेज देना. हमेशा ऐसी ही गर्मी रहे. कभी भी प्यार कम न होवे. राज को लम्बी उम्र देना और हो सके तो मेरी उम्र भी उसी को दे देना."
फिर उसने सूरज को लौटा चढ़ा दिया और तुलसी के सामने सर झुकाती हुई बोली, “हे मेरी तुलसी मैय्या में तेरी ही एक बेटी हूँ. मेरे ऊपर अपनी कृपा रखना. सबकुछ ठीक रहे मेरी मैय्या यही आशीर्वाद देना, मेरे प्यार को बुरी नजर से बचाना. इस मोहब्बत को कभी किसी की नजर न लगे. में तुझे रोज़ लौटा चढाऊगी."
उसके बाद वह घर में आ गयी. कोमल ने देखा कि देवी कपड़े पहन तैयार हो रही है. वो उससे बोली, “देवी तुम आज कॉलेज जाओगी क्या? तुम्हारी कल तवियत खराब थी तो आज रहने दो कल से स्कूल चली जाना."
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