RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
कोमल चाहती थी कि देवी आज स्कूल न जाए लेकिन देवी के दिमाग में कोमल के लिये शक था. आज इस स्कूल से रुकने की बात ने उस शक को और बढ़ा दिया. देवी तुनक कर बोली, "बीमार में थी या तू? अगर मुझे लगेगा कि मेरी तबियत खराब है तो नही जाउंगी. अगर नही लगेगा तो जाउंगी.तू सिर्फ अपना ध्यान रख."
कोमल को देवी के जाने की बात मालुम होने से बड़ी मायूसी हुई. उसे पता था कि देवी अगर उसके साथ गयी तो राज से एक भी दिल की बात न हो पाएगी और वही हुआ. देवी और कोमल कॉलेज के लिए चल दी. रास्ते में पहुंचते ही दोनों को राज के दर्शन हो गये.
कोमल की बड़ी बहन देवी बोली, "देखो एक ये पागल जो रोज़ रास्ते में बैठ जाता है. पता नही इसे क्या खीर खाने मिलती है हमारे साथ जाने में? इसका कुछ न कुछ करना पड़ेगा."
देवी का इतना कहना था कि कोमल तडप कर बोली, "देवी तुम क्यों इस बेचारे के पीछे पड़ी रहती हो? साथ जाता है तो जाने दो हमारा क्या बिगड़ता है
देवी खिसियाने के अंदाज़ में बोली, “अच्छा बड़ी तरफदारी हो रही है आज कल इसकी? ये लगता कौन है तुम्हारा?"
कोमल बस तडपकर रह गयी. क्या बोलती? क्या वो देवी से ये कहती कि राज उसका सब कुछ है. कि राज अब उसके जीने का आधार है. ये बोलती कि वो राज को अपना सर्वस्व सौंप चुकी है? कोमल कुछ न बोली, उसे पता था कि देवी से कुछ भी कहने का ये सही वक्त नही
राज ने कोमल के साथ उसकी बहन देवी को आते देखा तो उसका दिल मायूस हो गया. उसे पता था कि आज कोमल से मोहब्बत भरी बातें न हो सकेगी. आज उसे दिल का सुकून न मिल पायेगा. आज वो कोमल के कोमल हाथों का स्पर्श न पा सकेगा. लेकिन चलो कम से कम कोमल आई तो सही. राज की प्यासी आखें उसे जी भर के देख तो लेंगी इतना भी कम तो नही था. यह सोच राज फिर से अपने दिल को उर्जावान कर कोमल के साथ अपने गाँव के बाहर तक चलने के लिए तैयार हो गया.
कोमल और देवी राज के पास आ चुकी थी. राज और कोमल की नजरें मिली. नजरों नजरों में ही बात हो गयी, “मेरे साथी मुझे माफ़ करना. आज तुमसे से दिल भर के मिलना न हो सकेगा.' फिर दोनों ने नजरों नजरों में ही एक दूसरे को माफ़ कर दिया. यही तो होते है दिलों के हमराही. जो इतनी जल्दी पिघल जाते है जैसे आग से मोम.
आज न राज कुछ बोला न ही कोमल राज से कुछ बोली. बस दोनों की नजरें एक दूसरे से सारे रास्ते बात करती रही. इतनी बात कि शायद दोनों मुंह से बोलकर बात करते तो इतनी बातें नहीं कर सकते थे. लेकिन इन मौन बातों का सिसिला ज्यादा देर तक न चल पाया क्योंकि राज का गाँव आ चुका था. राज वहीं रुक गया. कोमल ने नम और राज के दर्शन की प्यासी आँखों से राज को देखा. राज की आँखे भी उसी की महबूबा जैसी थी. दोनों की आँखों में बिछुड़ने का दर्द साफ़ दिखाई देता था. दोनों का ही मन होता था कि आज कहीं न जाए बस एकदूसरे के पास ही बैठे रहे. लेकिन समाज की मान मर्यादा भी तो कुछ होती है. साथ में कोमल की बहन भी थी. दोनों की इच्छायें पूरी न होना तय था. आज वो आम का पेड़ भी शायद उदास होगा. जिसके नीचे महीनों बाद किसी आशिक ने अपनी महबूबा को प्यार किया था. आज ये दोनों भी उदास थे.
कोमल अपने स्कूल चली गयी और राज अपने घर चला गया. दोनों को अपने अपने स्थान पर अच्छा न लग रहा था. स्कूल पहुंची कोमल और देवी से मास्टर साहब ने सबसे पहला सवाल यही किया कि वे कल स्कूल क्यों नही आयीं थी? देवी ने बहस करते हुए कहा, "नही मास्टर जी कोमल तो स्कूल आई थी केवल में नही आई थी क्योंकि में बीमार थी." ____
मास्टर बोला, "किस ने बोला कि कल कोमल स्कूल आई थी? कल तुम दोनों ही स्कूल नही आयीं थी. क्यों कोमल में सही कह रहा हूँ न?"
कोमल पर तो मानो बज्र गिर पड़ा था. घर से सबको बता कर आई थी कि वह स्कूल जा रही है लेकिन वो राज के पास रुक गयी थी. मास्टर के सवाल के जबाब में कोमल ने हाँ में सर हिला दिया. देवी का मुंह फटा का फटा रह गया. उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कोमल जब कल घर से स्कूल के लिए आई थी तो स्कूल की जगह कहाँ गयी?
मास्टर बोला, "चलो अब जाकर क्लास में बैठो."
देवी मास्टर के सामने कुछ न कह सकी लेकिन उसने सोच लिया था कि आज कोमल से पूछ के ही छोड़ेगी कि ये चल क्या रहा है? कल स्कूल की जगह कहाँ गयी थी? अब छुट्टी होने तक का समय कोमल और देवी दोनों के लिए भारी पड़ रहा था. देवी को यह जानने की जल्दी थी कि कल कोमल आखिर गयी कहाँ थी और कोमल को यह डर था कि देवी जब कल स्कूल न आने का कारण पूछेगी तो वह क्या बताएगी? इधर राज भी कोमल का इन्तजार कर रहा था उसे भी कोमल की छुट्टी होने का इन्तजार था जिसके बाद ही उससे मिल सकता था.
तीनो लोगों को अपनी अपनी चिंताएं थी. जिनका चिंतन तीनो हर एक पल किये जा रहे थे लेकिन तीनों में एक चीज समान थी. वो थी अपने मन की बात को तुरंत पाने की. पूछने की. छिपाने की. इसमें राज कोमल को तुरंत पाना चाहता था. देवी तुरंत कोमल से पूछना चाहती थी कि वो कल स्कूल न आई तो गयी कहाँ थी और कोमल को देवी के इस प्रश्न से बचना था. इच्छायें तो तीनों की पूरी होनी थी लेकिन मुश्किलों से. कॉलेज की छुट्टी हुई. कोमल का दिल धाड़ धाड़ कर धडके जा रहा था. राज भी घड़ी देख फुर्ती में आ गया और साईकिल उठा पहुंच गया उस रास्ते पर जहाँ से उसकी साथिन गुजरने वाली थी. किन्तु आज कोमल के लिए बहुत मुश्किल घड़ी थी. उसे देवी के सवालों का सामना करना था. उसे आज अग्निपरीक्षा देनी थी. उसे कल के दिन स्कूल न आने का कारण बताना था. देवी ने कोमल का हाथ पकडा और तेज कदमों से आगे ले चली.
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