RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
कोमल देवी की चाल के साथ अपने कदम न चला पा रही थी. उसके कदम तो पीछे को खींच रहे थे. थोड़ी आगे चलने के बाद देवी रुक गयी. उसने कोमल का हाथ छोड़ दिया और उससे सीधा सवाल कर बोली, “कोमल देख तू मुझे सच सच बता दे कि कल तू कहाँ गयी थी? देख ले अगर तूने सच सच न बताया तो में आज घर जाकर तेरी शिकायत करने वाली हूँ."
देवी की आँखों में गुस्सा था जिसे देख आज पहली बार कोमल का दिल काँप रहा था.
कोमल की आँखे नीची हो गयी. फिर झूठा बहाना बनाते हुए बोली, “में रास्ते में लेट हो गयी थी तो वहीं छुट्टी तक रुकी रही फिर छुट्टी होने के समय घर आ गयी." कोमल यह बात कहते हुए पूरी तरह काँप रही थी. उसे खुद अपने जबाब से लग रहा था कि वो पकड़ी जाएगी लेकिन कुछ बोलना तो था ही.
लेकिन देवी आज झूट नहीं सुनना चाहती थी. ये उसके पूरे घर के लिए बहुत बड़ी बात थी कि घर की जवान लडकी आखिर पूरे दिन अकेली रही कहाँ थी. उसने फिर कड़े शब्दों में पूंछा, “देख कोमल सही सही बता दे नही तो आज अपनी खैर मना लेना. में आज जाते ही पापा से बोल दूंगी और फिर तू जानती ही है कि तेरी हालत क्या होगी? कल से ही तेरी पढाई बंद और शादी करने का सोच लिया जाएगा. इसलिए जो भी बात है सच सच बता दे हो सकता है में फिर तेरी शिकायत न करूं."
कोमल ये बातें सुन पूरी तरह से टूट गयी. उसे पता था कि घर पर शिकायत होने के बाद उसके साथ क्या सुलूक होगा? ऐसा सुलूक कि कोई अपराधी भी सुने तो काँप जाए. जैसा गाँव में कई लडकियों के साथ हो चुका था. वह थके हुए लहजे में बोली, “क्या तुम सच कह रही हो कि अगर मैने सच सच बता दिया कि कल में कहाँ गयी थी तो तुम मेरी शिकायत घर जाकर नही करोगी? पहले मेरी कसम खाओ तभी बताउगी."
देवी इस बक्त अधीर थी. वह कोमल की कसम तो न खाना चाहती थी लेकिन सच जानने की वजह से उसने कसम खा ली. बोली, “ठीक है में तेरी कसम खाकर कहती हूँ कि अगर तूने सच सच बताया तो में घर जाकर नही कहूँगी. पर अब जल्दी बता दे और सच सच ही बताना."
कोमल को देवी के द्वारा खायी गयी कसम पर पूरा भरोसा था. अब वह सच बता ही देना चाहती थी. आखिर कभी न कभी तो देवी को पता चलता ही. इसलिए आज बता देना ही उचित था.
कोमल का बदन ऐसे काँप रहा था जैसे वो किसी आइस्लैण्ड पर खड़ी हो. कापते हुए बोली, “देवी...में...कल..उसके साथ थी..मो..ह.न.." कोमल अपने मुंह से पूरी बात न कह पा रही थी
लेकिन देवी की अधीरता अपने चरम पर थी. वो खींझ कर बोली, "साफ़ साफ़ क्यों नही बताती? क्या म और आ बोल रही है?"
कोमल फिर उसी अंदाज़ में बोली, "राज..के...”
कोमल आगे कुछ बोलती उससे पहले देवी का जोरदार चांटा उसके कोमल से गाल पर पड़ा. चांटा इतना तेज था कि कोमल का गोरा गाल उतने ही हिस्से में लाल हो गया. उँगलियों के निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे.
आज से पहले देवी ने बड़ी बहन होने के बावजूद कोमल के ऊपर हाथ न उठाया था लेकिन आज कोमल ने ऐसा काम कर दिया था जिसकी वजह से देवी का ये प्रण टूट गया. लेकिन थप्पड़ मारने के बाद देवी का कलेजा नरमा गया. आखिर वो उसकी छोटी बहन थी.
कोमल अप्रत्याशित थप्पड़ पड़ने की वजह से सन्न थी. उसकी आँखों में आसू छलक पड़े थे. उसे हैरत थी कि देवी ने उसके ऊपर हाथ क्यों उठा दिया था. जो आज से पहले कभी नहीं हुआ था. वो तो उसकी बड़ी बहन थी. कोमल उसे बड़ी बहन के साथ साथ अपनी सबसे प्यारी सखी भी मानती थी और देवी भी उसे इसी तरह मानती थी लेकिन आज क्यों इस सखी और बहन ने उसके साथ ऐसा व्यवहार कर दिया? क्या किसी से प्यार करना इतना बड़ा गुनाह है? क्या सिर्फ घर के लडके ही मोहब्बत कर सकते हैं लडकियाँ नहीं? क्या किसी अपने मन के व्यक्ति को चाहना पाप है. कोमल ने प्यार ही तो कर लिया था कोई चोरी तो नही की थी? किसी के यहाँ डांका तो नही डाला था? फिर किस बात के लिए उसे पापा से डराया जा रहा था?
अभी कोमल अपनी बहन देवी से कुछ कहती उससे पहले देवी आखों में पानी लिए बोली, “देख कोमल. तूने जो किया है वो माफ़ करने लायक गुनाह नहीं है.तू जानती है राज कौन है और हम कौन है? राज छोटी जाति का है और हम ऊँची जाति के.एकदूसरे की जाति में कभी मेल नही हो सकता है. न तो हमारे घर के लोग चाहेंगे और न राज के घर के लोग."
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