RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
देवी भावुक हो फिर से बोली, "तुझे नहीं पता मेरी बहन ये तू क्या करने जा रही थी? हमारे गाँव में हमारे माँ बाप की क्या इज्जत रह जायेगी अगर लोगों को ये पता चल गया कि तुम्हारा उस राज के साथ कुछ ऐसा वैसा चक्कर है. तू आज ही उस राज को भूल जा. अब कभी भी आज के बाद तू उससे न मिलेगी.न बात करेगी. इसी में तेरी भलाई है इसी में उस राज की."
कोमल ने जब देवी की ये बात सुनी तो उसकी आँखों से आंसू चल उठे. एकदम से देवी से लिपट गयी और फूट फूट कर रोने लगी. रोते हुए देवी से बोली, “देवी मेरी बहन में तुझे अपनी बहन से ज्यादा अपनी सखी मानती हूँ. अब तू मुझे एक सखी की हैसियत से ये बता क्या मेरी जगह तू होती तो ऐसा करती? क्या किसी को किसी के कहने से ऐसे एकदम से भूल जाती? क्या प्यार करके मैंने कोई पाप कर दिया? क्या में किसी मेरे जैसे इंसान को चाह नहीसकती? पहले प्यार किया अब भूल जाऊं? कैसे करूं मेरी बहन? मेरी सखी. तू मुझे कुछ तो बता."
कोमल का करुण रुदन और ये भावुक सवाल देवी के दिल में टीस पैदा कर गये. देवी भी एक नारी थी. वो भी एक जवान लडकी थी. उसका भी एक छोटा सा दिल था. उसके भी दिल में मोहब्बत का रस था. वो भी किसी को प्यार करना चाहती थी लेकिन अब तक खानदान की मान मर्यादा. गाँव में घरवालों की इज्जत. समाज के बनाये नियम कानून और न जाने क्या क्या सोच देवी आज तक अपना दिल किसी को न दे सकी. न ही किसी का प्यार पा सकी थी. परन्तु आज कोमल की करुना ने उसके दिल को पिघला दिया था. दिल पर पत्थर रखे घूमने वाली देवी आज मोम के दिल वाली हो गयी.
देवी ने अपनी छोटी बहन कोमल को कसकर अपने कलेजे से लगा लिया और रोते हुए कोमल से बोली, “मेरी बहन तू बड़ी भोली है. तू ये भी नही जानती कि हम लडकियाँ है. हमे ये सब करने का अधिकार नही है. अगर हम ने ऐसा कुछ किया तो हमारा हश्र उन लड़कियों जैसा होगा जो आज भी अपने भाग्य को कोसती हैं कि उन्होंने प्यार ही क्यों किया? क्यों न भूल गयी तभी जब कोई उन्हें अच्छा लगा था? क्या तुझे गाँव की लडकी चुन्नी का हाल याद नही. क्या तू गाँव की लडकी कमली को भूल गयी? क्या तुझे याद नही उनकी हालत आज क्या है? कहीं की नहीं रही आज वो दोनों. क्या तू भी उन्ही की तरह बनना चाहती है?
कोमल को पता था की चुन्नी के साथ क्या हुआ था और कमली के साथ क्या हुआ था? वह ये भी जानती थी कि उसके साथ क्या हो सकता है लेकिन प्यार क्या उसने जानबूझ कर किया था. उसे क्या पता था कि राज दूधिया जो उसकी जाति का भी नही है वो उसकी जिंदजान बन जाएगा? क्या बारिस किसी के करने से होती है? क्या कोई बारिस को रोक सका है? क्या आंधी पर किसी का जोर चला है? क्या तूफ़ान को कोई रोक पाया है? क्या बाढ़ से कोई भिड पाया है? अगर नहीं तो फिर कोमल की मोहब्बत पर सबका अधिकार क्यों? सबकी रोक
क्यों? सबका जोर क्यों?
__ फिर क्यों सब लोग संत महात्मा बुजुर्ग ग्रन्थ रामायण कहते हैं कि मोहब्बत तो भगवान की देन है. जब भगवान की देन है तो इसपर रोक क्यों? भगवान श्री कृष्ण ने भी तो मोहब्बत की थी. मीराबाई ने भी तो मोहब्बत की थी. जब सब लोग मोहब्बत कर सकते हैं तो कोमल क्यों नहीं कर सकती?
यह सोच कोमल अपनी बहन देवी से रोते हुए बोली, “तो तू ही बता देवी में क्या करूं? में अब कैसे उस को छोड़ दूँ जिसे अपना दिल दे दिया. देवी मेरी जान बसी है उसमे. अगर मैंने उसे छोड़ा तो में अपने आप को छोड़ दूंगी. अगर राज से न मिली तो अपने आप से भी न मिल सकूँगी. अगर तू मुझे जीवित देखना चाहती है तो मुझे कोई ऐसा रास्ता बता जिससे घरवालों की इज्जत भी बची रहे और मेंरी मोहब्बत भी सही सलामत रहे."
देवी अभी भी कोमल को अपने दिल से लगाये खड़ी थी. उसे खुद नही पता था ऐसा क्या किया जाय जिससे दोनों काम होते रहें. कोमल की मोहब्बत भी सलामत रहे और घरवालों की इज्जत भी. अगर देवी को ऐसा कोई तरीका पता होता तो वो भी अपने वंजर दिल को हराभरा न कर लेती. क्यों आज तक अपने दिल को सूना लिए घूमती रहती? क्यों आज तक मोहब्बत न करती? क्यों किसी से दिल का सौदा न करती? हकीकत तो ये थी कि देवी जानती ही नही थी कि ऐसा कोई तरीका हो भी सकता है कि नहीं. फिर कुछ सोच देवी अपनी प्यारी छोटी बहन कोमल से बोली, “देख कोमल में तुझे कोई रास्ता तो बता सकती हूँ लेकिन तुझे एक वादा करना होगा और उस वादे को निभाना भी होगा. अगर तुझे मंजूर हो तो बता?"
देवी के धडकते दिल से अपना मुंह लगाये चिपकी खड़ी कोमल तडपकर देवी से बोली, “तेरा हर वो वादा मुझे मंजूर है जो मेरे मन को राज से जुदा न होने दे. तू जो कहेगी वो में करूँगी. तू मेरी जान माँग ले लेकिन मुझे कोई रास्ता बता. में वादा करती हूँ तुझसे कि तुझे दिया हुआ हर बचन उसी सिद्दत से निभाऊँगी जिस सिद्दत से में राज से प्यार करती हूँ. तू बता तो मेरी बहन."
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