RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
बस फिर क्या था कमली का दिल दीनू को ये बात बताने के लिए तड़पने लगा लेकिन कोई बहाना ही नहीं मिलता था. कमली ने चिट्ठी लिख कर तैयार कर ली थी परन्तु उसे दीनू तक पहुंचाए कैसे? फिर एक दिन उसने दीनू को घर के सामने खड़ा देखा. दोनों की प्यासी
आँखों ने एक दूसरे को नजर भर कर देखा. कमली ने झट से चिट्ठी निकाली और उसमे एक कंकड़ रख दीनू की तरफ फेंक दी.
दीनू को वो आती हुई चिट्ठी किसी अमृत की बौछार के समान लगी जिसे पी कर उसे अमर होना था. चिट्ठी दे कमली फिर से घर में घुस गयी. दीनू चिट्ठी हाथ में दबा वहां से एकांत स्थान की और चल दिया जहां वह अपनी महबूबा के दिल की लिखी बातों को ध्यान से पढ़ सके. एकांत जगह पर पहुंच दीनू ने प्रेमपत्र खोला. उसमे से कंकड़ निकाल कर कागज को अपने होठों से लगा लिया. मानो चिट्ठी की लिखाई में कमली दिखाई देती हो और दीनू उसे चूम रहा हो.
लेकिन प्रेम पत्र पढने की अधीरता उससे कहीं ज्यादा थी. दीनू ने ने फटाफट चिट्ठी पढनी शुरू की, “मेरे छोटे से दिल के बड़े दिलवर दीनू. तुम कैसे हो? मुझे पता है अभी तुम ठीक नही होगे जैसे कि में अभी ठीक नही हूँ. तुम्हारे भी दिल में मेरी तरह एकदूसरे से मिलने की तडप होगी. तुम्हे भी सबकुछ तन्हा तन्हा सा लगता होगा? तुम्हें भी मेरी तरह भूख नही लगती होगी.
में जानती हूँ कि में तुम्हारे लिए क्या हूँ और तुम भी जानते हो कि तुम मेरे लिए क्या हो? दोनों ही एकदूसरे के बिना जी नहीं सकते हैं लेकिन इस सौदाई जमाने का क्या जो दो लोगों में मोहब्बत होते देख ही नही सकता है. मेरे प्राणों से प्यारे दीनू ये दुश्मन जमाने वाले ये भूल जाते है कि मोहब्बत कभी मिटती नही और न ही कभी मरती है. मरते तो इंसान है जो इसको करते हैं.
दीनू आगे में जो बात तुम्हे बताने जा रही हूँ उसे ध्यान से पढना. ये बात पढ़कर होश न खो देना. कहीं कोई गलत काम न कर बैठना. तुम्हें इस तुम्हारी कमली के सर की कसम जो तुम कुछ भी ऐसा करो जिससे मेरे दिल को ठोस पहुंचे. जैसे में इस बात को झेल रही हूँ ऐसे ही तुम भी झेलना. यही मोहब्बत का कायदा क़ानून भी है और यही इस इबादत की रस्म भी.
जिसे में या तुम तोड़ नही सकते. बात ये है कि घर वालों ने मेरी शादी करने का फैसला किया है और एक लड़का भी पसंद कर लिया है. पता नही कब मेरी डोली इस घर से विदा हो जाए? लेकिन तुम एक बात तो जानते हो कि मैं तुम्हारे अलावा किसी की नहीं हो सकती हूँ. न ही होउंगी. तुम जैसे कैसे भी हो मुझे इस जेल से अपने पास बुलाने का उपाय करो.
मुझे एक एक पल यहाँ किसी नरक की यातना दे रहा है और तिस पर ये शादी नाम की फांसी का एलान मुझे जीते जी मार गया. मेरे प्रियतम दीनू एकमात्र तुम ही मेरे दिल के स्वामी हो जिसे मैंने अपना सर्वस्व सौप दिया है. फिर तुम ही बताओ में कैसे किसी और की हो जाऊं. मुझे पता है तुम भी मेरी तरह ही सोचोगे.
तुम भी मुझे इस शादी को न करने की सलाह दोगे लेकिन मेरे जीवन के आधार दीनू मेरे वश में अभी कुछ भी नहीं है. में अपने घर वालों के सामने अपाहिज की तरह हूँ जो कुछ भी नही कर सकती. दीनू तुम तो एक पुरुष हो तुम्हारे पास मौक़ा है कि मुझे यहाँ से अपने पास बुला लो. अगर तुम मुझे अपने पास न बुला सके तो शायद में जिन्दगी भर के लिए किसी और की हो जाउंगी.
तुम्हारा मेरा जन्म जन्म का ये पावन रिश्ता इस शादी के होते ही टूट जाएगा. क्योंकि हिन्दुस्तानी औरत की मजबूरी ये है कि वो एक दिल में एक ही पुरुष को चाह सकती है लेकिन ये हिन्दुस्तानी रिवाज़ पुरुषों के मन पर लागू नहीं होता है. तुम्हे इस छूट का फायदा मेरी शादी के बाद भी मिलेगा. तुम अपनी शादी के बाद अपनी पत्नी के साथ साथ मुझे भी याद कर सकते हो लेकिन में नही.
मुझे तो हर साल करवाचौथ का व्रत भी रखना पड़ेगा लेकिन तुम्हें नही. आखिर में तुमसे ये तुम्हारी कमली बस इतना ही कहना चाहती है कि अगर तुम मुझे यहाँ से निकाल अपने साथ रख सको तो ठीक वरना मेरी शादी होने पर उसमे कोई व्यवधान न डालना क्योंकि में नहीं चाहती कि मेरे माँ बाप की मेरे कारण बदनामी हो. में इस बात के लिए तुम्हारे पैर पकड़ प्रार्थना करती हूँ कि तुम मेरे कहे अनुसार ही करोगे, तुम्हारी होने या न हो सकने वाली अभागन कमली.'
कमली के कोमल हाथों से लिखा भावपूर्ण पत्र पढ़कर दीनू की आँखों से आसू बहे जा रहे थे. सोचता था अगर कमली की शादी हो गयी तो क्या होगा? कमली तो उसके प्राण हैं अगर प्राण ही न रहे तो दीनू जियेगा कैसे? अब दीनू के पास एक यही रास्ता था कि वह कमली को किसी तरह यहाँ से ले जाये. तभी वह उसकी हो सकती थी. लेकिन कमली को घर से लाया कैसे जाए? कमली के तीन तीन मुस्टंडे भाई और कई रिश्तेदार हरवक्त उसकी निगरानी करते रहते थे.
दीनू ने बहुत सोचा लेकिन उसे कोई रास्ता नहीं सूझा, बहुत लोगों से मदद मांगी लेकिन सबने हाथ खड़े कर दिए. भगवान से भी बहुत प्रार्थना की लेकिन सब की सब प्रार्थना बेकार गयी. दीनू को जब कोई रास्ता दिखाई न दिया तो उसने कुछ ऐसा करने की सोची जो सबका दिल दहलाने बाली घटना थी. लेकिन उससे पहले उसने कमली को एक पत्र लिखना जरूरी समझा. उसने फटाफट कमली को एक पत्र लिखा और वो मौका तलाशने लगा जब कमली कहीं से दिखाई दे और वो इस पत्र को उसे दे सके.
|