RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
दूसरे दिन सुबह सुबह कमली छत पर कपड़े सुखाती दिखाई दी लेकिन उसके साथ एक दो औरतें भी थी. दीनू काफी देर खड़ा रहा लेकिन तभी कमली की नजर उस पर पड़ गयी. दीनू को देखते ही कई दिन से उदास कमली चेहरे पर हंसी ले आई. हंसी ऐसी थी जिसमे लाखों दुखों की झलक थी. दीनू भी उसको मुस्कुराते देख थोडा सा मुस्कुराया.
दोनों दुखी जानें आज अपने अपने दिल के सुकुनों को देख अपनी प्यासी आत्माओं को तृप्त किये जा रहे थे. कमली का सुहाना रूप. वो गोल नथुनी लगी नाक. वो कुंडल वाले कान. वो बड़ी बड़ी काजल लगी आँखे. वो काले सुलझे बाल और वो मुकुराते होंठ. हे मेरे राम! ऐसा लगता था कि ईश्वर ने कमली के चेहरे का एक एक हिस्सा बड़ी शिद्दत से बनाया था. दीनू की आत्मा कमली की सुघड़ता से तृप्त हो गयी. उसका रूप आज किसी जीवनदायनी वूटी से कम न लग रहा था.
कमली का रूप आज ऐसी कांति लिए हुए था जिसका वर्णन दीनू की नजर से करना शायद मुश्किल था. दीनू की नजरों में उस रूप का कोई विकल्प नहीं था. उस रूप की कोई कीमत नहीं थी. उस रूप का कोई सानी नहीं था. दीनू को कमली का यह रूप आज ऐसा लग रहा था जैसा कि आज से पहले कभी नहीं देखा. कमली भी दीनू को एकटक देखे जा रही थी. दीनू की मर्दाना शक्ल. बड़े बड़े बाल, पतले चेहरे पर काली मूंछे. बड़ी बड़ी मर्दाना भवें.
कमली को लगता था दीनू आज जरुर कोई समाधान लाया होगा. कोई न कोई रास्ता निकल कर लाया होगा जिससे दोनों एक हो सकें. लेकिन दीनू के पास तो आज कुछ और ही रास्ता था जो दोनों के भविष्य को तय करने वाला था. दीनू ने झट से पत्र निकाला उसमे एक कंकड़ रखा और कमली की तरफ फेंक दिया.
कमली को पता था पत्र में आज क्या लिखा होगा? वो जानती थी दीनू उसे जरुर यहाँ से लेजाकर अपना बना लेगा. आज जरुर कोई ऐसी तरकीब लिखी होगी जो हम दोनों दिलदारों को एक कर डालेगी.
पत्र कमली के पास पहुंचा, कमली ने उठा कर मुख से चूम लिया. दीनू को लगा जैसे कमली ने पत्र को नही उसे चूमा हो. कमली ने एक बार फिर से दीनू को देखा और दीनू ने फिर से कमली को. दीनू ने कमली के पवित्र सौन्दर्य को आँखों में ऐसे बसा लिया जैसे वो उसको आखिरी बार देख रहा हो.जैसे आज के बाद वो उसको देखने ही नही आएगा. जैसे आज के बाद...?
कमली पत्र लेकर जल्दी से उसे पढ़ने के लिए चली गयी. उसे जल्दी थी दीनू के उस समाचार की जिसमे वो कमली को अपनी बनाने की बात कह रहा होगा. जिसमे दिल से दिल मिलने की सूचना होगी. दीनू भी अपने निढाल कदमों को ले कुए पर बैठ गया. वहां रखी बाल्टी से पानी लिया और अपनी दवाई की एक पुडिया पानी के साथ खाली.
कमली ने अपने कमरे में पहुंच दरवाजा अंदर से बंद किया और दीनू की लिखी हुई चिट्ठी खोल कर पढनी शुरू कर दी, “मेरे जीने की एकमात्र वजह प्यारी कमली. मैं हर वक्त तुम्हारे बारे में सोचता हूँ. तुम भी मेरे बारे में ही सोचती हो. मैं तुम्हारे रूप का इस कदर दीवाना था कि तुमसे इश्क कर बैठा, पहले में तुम्हारे रूप का पुजारी था लेकिन बाद में मुझे पता चला कि तुम्हारा मन भी उतना ही सुंदर है जितना तुम्हारा रूप. तुम्हारा मन गंगा की तरह पवित्र है लेकिन कमली इस कांटो भरे समाज ने तुम्हे और मुझे अलग अलग जाति और धर्म में बाँट दिया है.
तुम एक ब्राह्मण हो और में एक ठाकुर. घरवाले और जमाने के लोग कहते हैं कि हमारा मिलन हो ही नहीं सकता लेकिन ये पागल लोग ये नही जानते कि दिल का मिलन किसी जाति या धर्म से तय नही होता. वो तो सिर्फ इंसान की पहचान से होता है. परन्तु में आज मजबूर हूँ. मुझमे इस बेईमान जमाने की रिवाजों से टक्कर लेने की हिम्मत नहीं है. यह कहते हुए मुझे अपने आप पर शर्म महसूस होती है. मुझे पता है तुमने मुझसे क्या उम्मीद की होगी? तुम सोचती होंगी कि में तुम्हे यहाँ से कहीं ले जाकर तुम्हे अपनी बना लूंगा. फिर जिन्दगी भर तुम्हे अपने से जुदा न करूँगा.
में समझ सकता हूँ कि एक औरत अपने मर्द साथी से क्या अपेक्षा रखती है? वो सोचती है कि जब भी मुझपर कोई मुसीबत आएगी तो मेरा साथी मुझे उससे बचाएगा लेकिन आज में उस स्थिति में नहीं हूँ कि तुम्हारी इस घोर मुसीबत में मदद कर सकूँ. मैंने जब तुमसे मोहब्बत की थी तब बहुत सपने देखे थे.
सोचता था तुम्हारे साथ हसीन जिन्दगी बिताऊंगा. अपने दो बच्चे होंगे जिनमे एक तुम पर जाएगा और एक मुझपर, कितना सुखी परिवार होगा हमारा जब तुम जैसी देवी मेरे यहाँ कदम रखेगी. तुम्हारे सौन्दर्य को देख मोहल्ले की सारी भाभियाँ जलकर राख हो जायेगी. जब तुम सोलह सुंगार कर मेरे सामने आया करोगी तब मेरा दिल राजा इन्द्र से भी ज्यादा खुश हुआ करेगा.
लेकिन मेरी प्यारी कमली किसी ने कहा है कि सपने सिर्फ सपने होते हैं और मेरा भी ये सपना सिर्फ सपना रह गया. न तुम मेरी बन सकी न मैं तुम्हारा. लेकिन ये दीनू तुम्हारा था और जब तक जियेगा तुम्हारा ही रहेगा. कमली तुम मेरे जीवन में मेरी सांसो से ज्यादा अहमियत रखती हो.
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