RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग -6
आज की रात राज और कोमल के साथ देवी के लिए भी बहुत मुश्किल भरी थी. उसे अपनी बहन कोमल को दिया वादा भी पूरा करना था क्योंकि कोमल ने आज राज से बात न कर अपना वादा पूरा कर दिया था. उसने आज अपना दिल मसोस लिया था. उसने ऐसा कर देवी को उसका वादा पूरा करने के लिए बाध्य कर दिया था,
शाम हुई फिर रात हुई. कोमल ने आज पेट भर खाना भी न खाया. दोनों बहनें सोने चल गयी. घर में अभी सब कुछ सामान्य सा था लेकिन घर की इन दो लडकियों के दिलों में आज भूकम्प आया हुआ था. ऐसा भूकम्प जो आज इन्हें ठीक से सोने भी नहीं दे रहा था. कोमल दाए करवट से लेटी थी और देवी बाए से. दोनों की दशा सिक्के के दो पहलुओजैसी थी. दोनों को नींद नहीं आई इसलिए अभी तक जाग रहीं थी. दोनों ही जानती थी कि बगल में पड़ी उसकी बहन जाग रही है लेकिन दोनों में से कोई एकदूसरे से बोलती नही थी. दोनों की दिमागी सोच किसी समस्या के हल वाले समन्दरों की गहराई नाप रही थी. लेकिन दोनों की स्थिति उस मछुआरे जैसी थी जो बीच समुंदर से भी बार बार खाली हाथ लौटता आता हो.
सांसो की आवाजे दोनों की स्थिति का हाल एकदूसरे को बयां कर रही थी. जब भी दोनों तेज तेज साँसे लेने लगती तो पता चलता था कि अब कोई हल सोचा जा रहा है लेकिन जैसे ही वो एक लम्बी सास ले छोडती तभी दूसरे को पता चलता कि हल नहीं मिल पा रहा है और बगल में पड़ी बहन निराश हुई है. दोनों बेशक एक दूसरे के बिपरीत मुंह करे पड़ी थी लेकिन सोच सिर्फ एक ही बात रही थी.
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इधर राज की नींद भी इन दोनों बहनों की तरह ही उडी हुई थी. वह पड़ा पड़ा कोमल के आज किये वर्ताव पर सोच के घोड़े दौडाए जा रहा था. उसे सुबह तक की तस्सली नही थी. ये प्यार में अँधा आशिक अभी के अभी यह जाना चाहता था कि उसकी महबूबा ने आज उससे ऐसा व्यवहार क्यों किया? क्यों बिना देखे चली गयी? क्यों न कुछ बताया? क्या में कोई नही लगता उसका? क्यों वो मुझे बताना नही चाहती?
देवी ने जब देखा कि उसके साथ साथ कोमल की नींद भी उडी हुई है तो देवी के दिल में बहन के लिए प्यार उमड़ आया. वो बगल में लेटी पड़ी कोमल की तरफ पलटी. फिर कोमल को अपने आगोश में लेती हुई उससे बोली, “कोमल क्या तुम्हें नींद नही आ रही. सो जाओ मेरी बहन सब ठीक हो जाएगा. भगवान जरुर कुछ न कुछ......
देवी आगे कुछ बोल पाती उससे पहले ही कोमल देवी की तरफ पलट बोल पड़ी, “अगर तुम मुझे भगवान के भरोसे ही रखना चाहती थी तो आज यह शर्त क्यों रख दी कि में राज से तब तक बात नहीं करू जब तक कि तुम इस परेशानी का हल नहीं निकाल लेती? तुमने तो खुद इस समस्या को सुझाने का वादा मुझसे किया है और अब मुझे भगवान भरोसे छोड़ रही हो."
देवी एक दम से निरुत्तर हो गयी. देवी के मुंह से भगवान के कुछ न कुछ करने वाली बात ने कोमल को यह सन्देश दिया कि देवी ने अभी कुछ भी हल नही निकाल पाया है. और ना ही वो निकालने में सक्षम है. यह सोच देवी अपनी बात को घुमाते हुए बोली, “कैसी बातें करती हो मेरी बहन? क्या तुम नही जानती कि तुम्हारे साथ में भी अभी तक नही सोयी? आधी रात तक आज से पहले तुमने मुझे कभी जगते देखा है. मुझे लगता है कि तुम्हे अपनी इस बहन पर भरोसा ही नहीं है."
कोमल देवी के भरोसे वाली बात से हडवडा गयी. वो तुरंत देवी से बोली, "देवी तुम ये कहने से पहले मेरे आज के रवैये पर नजर डाल सोचती तो शायद ये बात नही कहती. अगर मुझे तुम्हारे ऊपर भरोसा न होता तो आज में राज से बिना कुछ कहे और बिना उसकी तरफ देखे न चली आती.” इतना कह कोमल का गला भर आया. आँखे आसुओं के अम्बार लगाने लगी. ____
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