RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
इधर कोमल घर से स्कूल के लिए अपनी बहन देवी के साथ उसी रास्ते पर आ पहुंची लेकिन आज राज नाम का वो सुहाना लड़का इस रास्ते पर नही था. कोमल को लग रहा था कि वो कोई सपना देख रही है. क्योंकि इस रास्ते पर राज का न होना सिर्फ सपने में ही हो सकता था.
कोमल को लगता था कि ऐसा कोई दिन नही होगा जिस दिन राज इस रास्ते पर उसे देखने नही आएगा. क्योंकि राज जब से कोमल पर फ़िदा हुआ था तब से आज तक एक भी दिन ऐसा न गया था जब राज यहाँ न आया हो. चाहे वो बरसात का दिन हो और आंधी का या कडकती धूप और सर्दी का. या फिर कोमल के न आ पाने.
राज बोला, "देवी बहन में अपनी सौगंध खाकर कहता हूँ कि में कोमल से अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता हूँ. भगवान कसम अगर वो मुझे नही मिली तो में जी नही पाऊंगा. आप कोमल की बहन हो. आप को अच्छी तरह पता होगा कि वो भी मुझे किस कदर चाहती है? मेरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि आप हम दोनों से हमारा हक न छिनिये. में आपके पैर पड़ता हूँ. मेरी जिन्दगी अब आप के हाथों में है. आप चाहो तो..."
राज आगे कुछ कहता उससे पहले ही देवी वहां से चली गयी. राज मायूस हो वहां से चल दिया. पूरे गाँव का दूध इकठ्ठा कर गाँव से चला गया. आज राज जब डेयरी पर पहुंचा तो डेयरी मालिक ने उसे तलब कर कहा, “क्यों रे मोहना. आजकल दूध ला रहा है कि पानी? कल परसों के दूध में आधे से ज्यादा पानी आया है. अब तू देख ले आज के दूध में भी पानी निकला तो यहाँ से तेरी छुट्टी पक्की समझ."
राज को अपनी नौकरी जाने का इतना डर नहीं था जितना कि कोमल के गाँव न जा पाने का. अगर इस नौकरी से छुट्टी हो गयी तो कोमल के गाँव कैसे जा पाया करेगा और जाएगा भी तो किसी के पूछने पर क्या काम बतायेगा? राज इतना सोच डेयरी मालिक से गिडगिडाता हुआ बोला, "ऐसा न करना मालिक. मुझे इस नौकरी की सख्त जरूरत है. में और अच्छे से काम करूँगा. आगे से ध्यान रखूगा कि कोई भैंस वाला दूध में पानी न मिलाने पाए."
डेयरी मालिक को भी लग रहा था कि राज में बहुत बदलाव आ गया है. पहले राज बड़े अच्छे तरीके से काम करता था. उसके लाये हुए दूध में सबसे कम पानी होता था या होता ही नहीं था. लेकिन अभी कई दिनों से पानी का प्रतिशत एकदम से बढ़ गया था. पहले राज नौकरी को लेकर कोई निवेदन नहीं करता था लेकिन आज तो दिन भी सही था. मौसम भी सही था.
कोमल भी आई थी तो फिर राज क्यों नहीं आया? कोमल का दिल किसी अनजानी आशंका से ग्रस्त हो उठा. वो सोच रही थी कि कहीं राज के साथ कोई बात तो नही हो गयी या राज उससे नाराज तो नही हो गया. कोमल का दिल, मन और दिमाग इस राज विहीन रास्ते पर चलते घबरा रहा था.
कोमल को लगता था कि ये वो रास्ता नही है जिसपर वो रोज आती है. जिस पर उसका स्कूल पड़ता है और जिस पर रोज राज उसके इन्तजार में पलकें बिछाए मिलता है. दिल रोया और खूब रोया. मन इस दिल पर मर मिटा. दिमाग ने दिल की तरह सोचना बंद कर राज को याद करना शुरू कर दिया.
हे भगवान! रास्ता कितना वीराना सा लग रहा था. रास्ता कितना वेगाना सा लग रहा था. लगता था बर्षों से इस रास्ते पर कोई इंसान नहीं आया है या ये रास्ता इतना भयानक है कि कोई इस पर आना ही नहीं चाहता. एक राज के न आने से कोमल को ये रास्ता इतना मनहूस लग रहा था. और कोमल ही नही उसकी बड़ी बहन देवी भी इस बुनियादी फर्क को महसूस कर रही थी. उसे आज लग रहा था कि राज के रास्ते पर होने से यहाँ कितनी रौनक होती थी.
देवी को अपने द्वारा सुबह राज से किया वर्ताव याद आ गया था. अब देवी उस घटना को याद कर अपने आप को धिक्कार रही थी. लेकिन देवी भी क्या करती? उसकी आँखों ने गाँव में पहले भी मोहब्बत करने वालों को मिटते देखा था और इसी कारण वो नहीं चाहती थी कि आज कोमल और राज के साथ ऐसा कुछ हो.
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