RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
ये खाली रास्ता कोमल के लिए वैसा ही था जैसा इंसानों के विना दुनियां. जैसे किसी मछली को पानी में कोई और मछली नजर न आती हो. जैसे किसी के बेहिसाब दौलत हो लेकिन उससे खरीदी जाने वाली चीज खत्म हो जाय, जैसे किसी के पास चूल्हा हो और आटा खत्म हो जाय. जैसे किसी के पास नल हो लेकिन पानी खत्म हो जाय और जैसे किसी का शरीर हो लेकिन आत्मा खत्म हो जाए. आज यह रास्ता कोमल के लिए ऐसा ही कुछ था.
दोनों बहने घिसटते कदमों से कॉलेज जा पहुंची. पढाई में तो मन ही कहा लगना था क्योंकि कोमल का मन राज मय था और देवी का इन दोनों की समस्या के समाधान में. लेकिन राज आज कुछ और ही करने के मूड में था. उसे पता था कि कोमल स्कूल पहुंच गयी होगी और उसने रास्ते में जाते समय उसकी की कमी भी महसूस की होगी. उसे को याद किया होगा.
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राज ने फैसला किया कि आज वो पहली बार कोमल के स्कूल जाएगा. लेकिन कोमल से बात न हो पाई तो. तो क्यों न एक पत्र लिखा जाय जिससे कोमल को वो सब बातें बताई जा सकें जो अकेले में ही बताई जा सकती हैं.
राज ने झट से एक पत्र लिखा. पत्र को ठीक से तह किया और जेब में रख साईकिल से उस तरफ चल दिया जिधर उसके मन की मीत कोमल इस बक्त मौजूद थी. राज की साईकिल रेल की तरह भागी जाती थी क्योंकि जेब में रखा अंगार रूपी खत उसे जलाये जा रहा था. कोमल को खत कैसे और कहाँ देना है ये सब राज ने अभी तक नहीं सोचा था. सोचे भी कैसे प्यार करने वाले लोग परिणाम की चिंता ही कब करते हैं?
राज कोमल के स्कूल पहुंचा. जब से राज कोमल के इश्क में खोया था तब से पहली बार इस स्कूल पर आया था. लेकिन स्कूल में और उसके आसपास तो कोई दिखाई ही नहीं दे रहा था. बस एकाध बच्चा इधर उधर घूम रहा था जो शायद इसी गाँव का था.
राज ने उन बच्चों से पूंछा कि आज स्कूल में कोई दिखाई क्यों नही दे रहा क्या स्कूल की छुट्टी है आज. तब उन बच्चों ने बताया कि स्कूल तो खुला है लेकिन अभी इंटरवल होने वाला है तभी बच्चे बाहर निकलेंगे.
राज ने एक लड़के को अपने साथ बैठा लिया. उससे मीठी मीठी बातें की और उससे कहा, “देखो तुम मेरा एक काम करोगे तो में तुम्हें एक रुपया दूंगा." बच्चा एक रुपया मिलने की बात सुन खुश हो गया और बोला, “ठीक है लेकिन रुपया देना जरुर पागल मत बना देना."
राज बच्चे का डर समझ गया उसने जेब से एक रुपया निकाल बच्चे के हाथ पर रख दिया और बोला, "ले पहले ही ले ले लेकिन काम बहुत होशियारी से करना पडेगा."
लड़का रुपया हाथ में ले खुश हो गया और बोला, "उसकी तुम चिंता मत करो. में तुम्हारा खत उस लडकी तक पहुंचा दूंगा."
राज की आँखे और मुंह फटा का फटा रह गया. फिर लडके से बोला, "तुझे किसने कहा कि में तुझे किसी लडकी को खत देने भेजूंगा?"
लड़का झट से बोला, "और क्या काम होगा तुम्हारा इस स्कूल के पास? अकेले तुम ही नही बहुत लोग ऐसे ही मुझे रुपया देकर अंदर स्कूल में पढ़ने वाली लडकियों को खत भिजवाते है. इसलिए मुझे लगा तुम भी वही करवाओगे.*
राज शरम से अपना सर खुजलाते हुए बोला, “यार काम तो मेरा भी ऐसा ही कुछ है लेकिन तू सावधानी से करना क्योंकि उस लड़की के साथ उसकी बहन भी होगी. तू ऐसा करना खत ले जाकर किसी भी तरह चलते में उस लडकी के हाथ में दे देना लेकिन कोई
और न देख पाए. अगर तूने ये काम ठीक से किया तो में तुझे एक रुपया और दूंगा."
लड़का वेफिक्र हो बोला, "मेरा रोज का यही काम है. तुम इसकी चिंता मत करो,” फिर दोनों आपस में बातें करते रहे. कुछ ही देर बाद स्कूल के इंटरवल की घंटी बज उठी. लड़का राज से बोला, "लाओ खत निकालो इंटरवल हो गया. राज का दिल इस बात को सुन धकधका गया. वो आज पहली बार किसी को ऐसे खत भेज रहा था. खत उस लडके को देते वक्त उसके हाथ काँप रहे थे. अब राज और वो लड़का इस इन्तजार में बैठे थे कि कब कोमल क्लास से बाहर आये और कब उसे खत दिया जाए?
तभी कोमल और देवी दो तीन लडकियों के साथ स्कूल के मैदान में दिखाई दी. राज हडबडा कर उस लड़के से बोला, “देख भाई वो लड़की है जो सबसे सुंदर दिखाई देती है."
लड़का बोला, "सुंदर तो सभी है पहचानूंगा कैसे?"
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