RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
राज की नजरों में कोमल सुंदर हो सकती थी लेकिन हर आदमी की नजर में तो नहीं. राज खीझ कर बोला, "जो चार पांच लडकियाँ जा रहीं हैं उनमे वो धीरे धीरे चलने वाली उदास लडकी है न उसी को देना है." लड़का कोमल को पहचान गया और राज के पास से कोमल की ओर चल दिया. उसे जाते देख राज उससे बोला, "जरा सम्हाल कर.” लडके ने राज की तरफ बिना कुछ बोले गर्दन हिलाई और कोमल की तरफ बढ़ चला.
___ राज का दिल धडाधड धडके जा रहा था. उसे डर था कि कहीं लडके को खत देते देवी न देख ले या लड़का किसी और लडकी को खत न दे दे. लेकिन बाह रे लडके! कोमल के बराबर से गुजरते हुए लडके ने कब उसके हाथ में खत रख दिया किसी को भी न पता चला.
कोमल ने जब देखा कि कोई लड़का उसके हाथ में कोई कागज रख कर गया है तो उसने उस भागते हुए लडके को आवाज देनी चाही लेकिन अचानक उसकी नजर दूर छिपे खड़े राज पर पड़ी जिसे बो भरी भीड़ से भी पहचान सकती थी. कोमल की आवाज वहीं के वहीं मिस गयी. एक शब्द भी मुंह से न निकला क्योंकि राज ने इशारे में उसे बताया कि ये मैंने भिजवाया है.कोमल ने झट से वो कागज का खत छिपा लिया कि कहीं कोई देख न ले.
देवी को अभी इस बारे में कुछ भी खबर नही थी. वो अभी भी साथ खड़ी लडकियों से बात किये जा रही थी. राज ने देखा कि कोमल का चेहरा सूजा हुआ सा था लग रहा था. उसे लगा कोमल बहुत रोई है.कोमल ने भी राज को नजर भर देखा. वो भी उसके कुम्हले हुए चेहरे को देख खुद कुम्हला गयी. दोनों एकदूसरे को देख ऐसे हुए जा रहे थे मानो बरसों बाद मिले हों. जैसे चंदा से चकोर और जैसे आग से पतिंगा.
मोहब्बत करने वालों को कोई कितनी भी बारीकी से देखे लेकिन उनके दिलोदिमाग को समझना किसी अनसुलझी पहेली को सुलझाने से कई गुना कठिन होता है. और ऐसा नहीं कि आशिक सिर्फ नियमों पर ही चलते हैं. वे तो बिना डोर की पतंग होते हैं जो न जाने कहाँ उड़ जाए. किससे भिड जाए? मोहब्बत का गणित की तरह कोई सूत्र नही होता जिसके द्वारा इसे सुलझाया जा सके लेकिन ये अपने आप में एक सुलझी हुई चीज है. जो आज तक सभी को कठिन और अनसुलझी लगती है.
राज को एकटक देख रही कोमल को देवी का ध्यान आया. सोचा अगर कहीं देवी ने देख लिया तो आफत खड़ी कर देगी. कोमल राज को इशारे से बोली, "ठीक है तुम जाओ में इस खत को पढ़ लूँगी."
राज थोड़ी देर कोमल को देखने के बाद अपनी साईकिल उठा चल दिया. कोमल चोर नजरों से कभी कभी राज को जाते देख लेती थी. राज भी जाते समय कोमल को देखे जा रहा था. फिर दोनों एक दूसरे की नजरों से ओझल हो गये.
अब कोमल को सबसे बड़ी चिंता ये थी कि देवी से वादा करने के बाद वो अब राज के खत को कैसे पढ़ सकती है. लेकिन फिर कोमल को ध्यान आया कि देवी ने राज से बात न करने का वादा लिया था और ये तो राज का खत है. वाह रे इश्कीले मन! कितने रास्ते निकाल लेता है अपने महबूब से मिलने के लिए. और यही तो करने जा रही थी वावली कोमल. जो राज की मोहब्बत में इतनी दीवानी थी कि देवी से किये वादे में वकीलों की तरह तर्क दे राज का खत पढने जा रही थी.
कोमल देवी के पास जाकर बोली, "देवी में टॉयलेट करने जा रही हूँ." देवी ने हां में सर हिला दिया और फिर से साथ खड़ी लडकियों से बात करने लगी. कोमल अकेले में जा राज का वो खत पढने लगी, “मेरी सबकुछ प्यारी सी चंचल कोमल. मेरी समझ में नही आता कि कहाँ से शुरू करूं और कहाँ पर खत्म? लेकिन मुझे इतना पता है कि में तुमसे प्यार करता हूँ और तुम भी मुझसे. लेकिन कल किये गये व्यवहार से में बहुत परेशान हूँ. में सोचता था शायद मुझसे कोई गलती हो गयी है लेकिन आज सुबह में जब तुम्हारे घर दूध लेने गया था तब देवी बहन ने मुझे तुम से दूर रहने की सख्त हिदायत दे दी. मैंने उनके हाथ पैर जोड़े लेकिन वो नही मानी. तब जाकर मुझको पता चला कि तुम मेरी वजह से नहीं बल्कि किसी और कारण से ऐसा व्यवहार कर रही हो.
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