RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
मेरा दिल वो बात जानने के लिए बेताब है जिसने तुम जैसी कोमल दिल वाली लडकी को इतना कठोर बना दिया कि तुम कल मेरे दिल को कुचल कर चली गयी. मेरी मृगनयनी मुझे अपनी नही तुम्हारी चिंता है. तुम मुझे जल्द से जल्द खत लिखकर या मिलकर बताओ कि ऐसी क्या बात है जो तुमको ऐसा बना गयी?
मुझे उस पहले वाली कोमल को देखने का इन्तजार रहेगा. में कसम खाकर कहता हूँ तुम्हारे लिए में जान की बाज़ी लगा जाऊँगा, लेकिन मुझे तुमसे सिर्फ मोहब्बत की उम्मीद है जो मुझे तुम्हारे पर मर मिटने की शक्ति देती है. खत का जबाब जितनी जल्दी हो सके दे देना. अब में तुम्हे उस रास्ते पर नहीं मिला करूँगा. कल फिर से तुम्हारे कॉलेज में आऊंगा. खत का जबाब लेने, तुम्हारे उत्तर का अभिलाषी राज."
राज का खत पढ़ कोमल थोड़ी चिंता में पड़ गयी उसे समझ न आ रहा था कि उसकी बहन देवी उसकी मदद कर रही है या सिर्फ दिखावा. क्योंकि उसने कोमल को राज से मिलाने का जो वादा किया था उसके हिसाब से देवी को राज के साथ ऐसा व्यवहार नही करना चाहिए था. यह सब हो जाने के बावजूद देवी ने कोमल को इस बारे में कुछ भी नहीं बताया था. कोमल को आज देवी के इस व्यवहार से दाल में कुछ काला नजर आ रहा था. ___
इस बात को सोच कोमल के दिमाग में एक बिचार आया कि क्यों न वो राज के साथ खतों के जरिये बात करे? और इसमें बुरा क्या है? देवी ने जो वादा उससे लिया था उसमे राज से न मिलने और बात न करने की बात थी. कोमल तो सिर्फ चिट्ठियों से राज को मिल रही थी.
कोमल सोच रही थी कि हो सकता है देवी ने जो व्यवहार राज से किया है उसमे मेरी भलाई ही सोची हो. हो सकता है वो राज से मेरी तरह वादा नहीं ले सक पाने की वजह से ऐसा कर गयी हो. तो देवी का वादा भी न टूटे और कोमल राज से भी बात करती रहे. ऐसा उपाय तो सिर्फ चिट्ठियां ही हो सकती थी.
फिर क्या था कोमल ने मन बनाया कि आज घर पहुंचकर वो राज के नाम एक चिट्ठी लिखेगी और कल जब राज कॉलेज आएगा तब उसे दे देगी. कोमल का मन करता था कि राज का ये आया हुआ खत सीने से लगाकर रखे लेकिन अगर देवी या किसी अन्य घर वाले के हाथ पड़ने का डर उसे यह खत फेंकने के लिए बाध्य कर रहा था. कोमल ने बेमन हो राज के खत के दो टूक कर कूड़े में फेंक दिए और फिर उसी जगह जा पहुंची जहाँ देवी लडकियों के साथ खड़ी थी,
स्कूल की छुट्टी होने के बाद कोमल अपनी बहन देवी के साथ घर पहुंची. अब कोमल को शाम का इन्तजार होने लगा जब वो राज के नाम एक प्रेमपत्र लिखेगी. देखते देखते शाम हो गयी. कोमल ने पढ़ने वाली किताब के अंदर कागज छिपा राज के लिए खत लिखना शुरू किया.
घर के सब लोग और देवी सोच रहे थे कि कोमल पढ़ाई कर रही है. और सच में कोमल पढाई ही तो कर रही थी .ये उस तरह की पढाई थी जो बहुतों ने पढ़ी और बहुत लोग आज भी पढ़ रहे हैं. आगे भी यह पढाई की जाती रहेगी. जाने कितने पास हुए और कितने फेल. कितनों ने परीक्षा ही छोड़ दी और कितनों को परीक्षा ने खुद ही छोड़ दिया. न इसका कोई स्कूल होता है और न कोई शिक्षक. ये पढाई इन्सान को इन्सान बनाती है और यही इन्सान को इन्सान से मिलाती है.
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