RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
लड़का कोमल के पास पहुंच बोला, “लवलेटर जमीन पर फेंक चली जाओ में उसे उठा लूँगा."
कोमल उस लड़के की बात से हैरान हुई. उसके चेहरे पर लवलेटर बाली बात से थोड़ी लालामी भी आ गयी.
कोमल ने हैरत से उस नाटे लडके को पूछा, “तुझे किसने बताया में लवलेटर दूंगी?"
लड़का फटाक से बोला, “ये बात तो कोई भी अँधा बता देगा कि एक लडकी एक लड़के को चुपचुप कर जो चिट्ठी देती है वो क्या होता है?"
कोमल की मुस्कान उस कम उम्र होशियार लडके की बात सुनकर दोगुनी हो गयी. उसने पूंछा, "नाम क्या है तेरा."
नाटा लड़का मजाक करता हुआ बोला, “क्यों मुझे भी लवलेटर लिखोगी क्या?"
कोमल सिटपिटाते हुए बोली, “बताऊँ तुझे अभी. अपनी उम्र देखी है तूने. अभी से लडकियों से लवलेटर लिखवाएगा. ले चिट्ठी और भाग यहाँ से."
लडके ने खीसे निपोरते हुए चिट्ठी कोमल के हाथ से ले ली. फिर वहां से भागते हुए कोमल से मजाक करता हुआ बोला, “वैसे नाम तो कुछ और है मेरा लेकिन यहाँ सब नटू कहकर बुलाते है तुम चाहो तो इसी नाम से मुझे लवलेटर लिख सकती हो."
कोमल की हंसी छूट पड़ी लेकिन फिर भी दिखावटी गुस्सा करते हुए बोली, “अबकी बार आना तब बताउंगी तुझे कि कैसे लवलेटर दूंगी."
लड़का हसकर भागता हुआ राज के पास पहुंचा. राज भी खड़ा खड़ा हँस रहा था. उसे ये तो पता नहीं लडके ने कोमल से क्या कहा लेकिन कोमल और उस लडके को हंसता देख समझ गया था कि जरुर लडके ने कोई मस्ती की होगी.
जैसे ही लडके ने आकर राज के हाथ में खत दिया. राज ने कोमल की तरफ देखा जो अभी तक वहीं खड़ी मुस्कराते हुए उसे देख रही थी. राज के देखते ही इशारों में बोली, “जा रही हूँ. काफी देर हो गयी है. कल फिर इसी वक्त आना." यह इशारा कर कोमल चली गयी.
राज ने उसे जाते ही पास खड़े लडके को एक रुपया देते हुए कहा, “तूने क्या बोला था उस लड़की से?"
लड़का डरते हुए बोला, "मारोगे तो नही अगर सच सच बता दूँ तो?"
राज ने हंसते हुए कहा, "अरे नही पगले तू तो मेरा दोस्त है."
लडके ने कोमल से कहीं बात राज को बता दी. राज की भी उसी तरह हंसी छूट पड़ी. जैसे कोमल की छूटी थी. हंसते हुए उस नाटे लडके से बोला, “तू तो बड़ा शरारती है रे. कहीं तेरे पेट में बाबा जी की दाढ़ी तो नही?"
लड़का शरमा सा गया. फिर राज उससे कल मिलने की कह अपने रास्ते की तरफ चल दिया.
राज को खत मिलने पर वह बैसा ही प्रसन्न था जैसे कोई भिखारी किसी से कुछ मांगे और सामने वाला उसे वही चीज ख़ुशी खुशी दे दे. भिखारी उस मुंह मांगी चीज को पा जितना खुश होगा उससे कहीं ज्यादा राज को इस वक्त खुशी हो रही थी. क्योंकि कोमल ने राज को पत्र लिख उसकी मुंह मांगी मुराद पूरी कर दी थी.
राज के शर्ट की जेब में कोमल का वो प्यारा सा खत रखा था जिसे राज कहीं सूनसान में जाकर कई बार पढना चाहता था. रास्ते में उसे एक ऐसी जगह मिल गयी जहाँ वो इस खत को पढ़ सकता था. उसने फटाफट उस तह बने कागज को खोल पढना शुरू कर दिया, “प्राण प्यारे राज. तुमने अपने खत में मुझे अपना सबकुछ लिखा. ये पढ़ के मेरे दिल को बहुत अच्छा लगा. तुम्हारे साथ जो व्यवहार देवी ने किया उसके लिए में तुमसे माफ़ी मागती हूँ. मुझे पता है कि तुम मुझसे बात न कर पाने की वजह से कितने परेशान हो.शायद तुम्हें ठीक से नींद भी नही आती होगी और न ठीक से खा पाते होगे. तुम सोच रहे होगे कि में ये सब कैसे कह रहीं हूँ तो सुन लो कि मुझे भी तुमसे बात न होने की वजह से ऐसा ही सबकुछ हो रहा है. और रही बात तुमसे बात न करने की तो इसमें हम दोनों की भलाई का कुछ काम था इसलिए मैंने तुमसे बात नही की. देवी हमारे लिए कुछ ऐसा करने जा रही है जिससे हम दोनों विना किसी परेशानी के मिल सकते हैं और इसी के कारण देवी ने मुझसे वादा लिया था कि जब तक उस तरकीब को वो सोच नही लेती तब तक हम दोनों बात नहीं कर सकते.
इसके लिए मुझे खेद है लेकिन चिट्ठियों से हम रोज़ बात करते रहेंगे. ये चिट्ठी वाली बात देवी को भी पता नही है इसलिए जरा सम्हल कर काम करना. और मेरे राज तुम अपने हाल के बारे में क्यों कुछ नहीं लिखते कि तुम्हारे दिन कैसे गुजरते हैं रातें कैसे गुजरती है? बैसे मुझे पता है कि तुम कितने कष्ट में हो लेकिन फिर भी मन नही मानता. वो तो तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता है. तुम्हारे खत का इन्तजार करुंगी. कल आना जरुर, तुम्हारे दिल धडकन कोमल."
कोमल का खत पढ़ राज का दिल झूम उठा. लेकिन देवी की तरकीब निकालने वाली बात उसे समझ न आई.सोचता था कि अगर देवी कोई तरकीब निकालने वाली थी तो बात करना क्यों बंद करवा दिया और खुद राज को भी तो फटकार दिया था? उसे देवी के दिमाग में कुछ और ही होने का अंदाज़ा लग रहा था. राज ने कोमल को अपने मन की बात लिखने का फैसला किया.
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