RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
कोमल को अगर राज से मिलना है तो उसे दिमाग से काम लेना होगा. उसे देवी को यह दिखाना होगा कि की वो राज से कभी नही मिलेगी क्योंकि देवी यह नही चाहती थी. इसलिए देवी की नजर से बचकर यह काम करना होगा. कोमल का दिमाग मोहब्बत की प्यास में सक्रिय हो उठा. ____ वो देवी को भरोसे में लेती हुई बोली, "मुझे लगता है देवी कि तुम सच बोल रही हो. मुझे राज को भूल जाना चाहिए लेकिन इस काम में मुझे थोडा वक्त चाहिए. तुम्हे जो परेशानी दी उसके लिए मुझे माफ़ करना. अगर तुम जैसी बहन मेरा साथ न देती तो न जाने में क्या गलती कर बैठती?"
देवी को लगा कि कोमल के दिमाग में उसकी समझाई बात आ गयी है. वह खुश होते हुए बोली, “बहन भी कहती हो और माफ़ी भी मांगती हो. अपने लोगो का तो काम ही दूसरे का भला करना होता है. मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम कुछ भी गलत होने से पहले हीसमझ गयी." यह कह देवी ने कोमल का माथा अपने होठों से चूम लिया और बोली, “अब सो जाओ. सुबह फिर तुम्हारे लिए एक नई सुबह होगी."
यह कहने के बाद दोनों सो गयी. देवी अपने मन में खुश थी कि उसने देवी के मन को परवर्तित कर दिया और बगल में पड़ी कोमल अपने मन में खुश थी कि उसने देवी को यह भरोसा दे दिया कि अब वो राज को भूल जाएगी. कोमल के दिमाग में जो योजना थी वो ये थी कि देवी की शादी जल्द होने वाली है उसके बाद वो अकेले पढने जाया करेगी. फिर जो दिन होंगे वो सिर्फ और सिर्फ राज और कोमल के नाम के होंगे.
कोमल रात भर उन दिनों के बारे में सोचती रही. जब देवी ब्याह कर अपने ससुराल चली जायेगी. फिर वो और राज पूरे के पूरे दिन एक दूसरे की बांहों में लिपटे प्यार भरी बातें किया करेंगे. फिर कोई उन्हें रोकने टोकने वाला नही होगा. सारी खुशियां, सारा प्यार उनकी झोली में आ गिरेगा. यह सोचते सोचते कोमल नींद के वश में हो गयी. जिससे आज तक धरती पर रहने वाला कोई भी प्राणी न बच पाया था.
अब रोज़ कोमल अपनी तरफ से ऐसी कोई गलती नहीं होने देती थी जिससे देवी को लगे कि ये राज को भूल नही पाई है लेकिन कोमल से राज का और राज से कोमल का प्रेमपत्र लिखना जारी था. दोनों किसी समाचार पत्र की तरह रोजाना की खबरें एक दूसरे को सुनाते.
कोमल ने राज को सब बातें बता दी थीं इसलिए राज भी कोई गलती नहीं करता था.
लेकिन प्रेमियों की मुसीबत कभी रुकी है जो आज इन दोनों के लिए रुक जाती. कोमल को एक स्त्री होने के कारण उन चीजों का सामना भी करना पड़ता था जो सभी स्त्रियों को होती है. इस बार उसे महीना(मासिकधर्म) नहीं हुआ था. कोमल ने मोहल्ले की भाभियों से सुन रखा था कि जब वो गर्भवती होती हैं तो उन्हें महीना नहीं होता.
आज जब कोमल को ऐसा हुआ तो उसके होश उड़ गये. उसे पता था कि अगर वो गर्भवती हो गयी तो कितना बडा संकट आ खड़ा हो जाएगा? जिस दिन राज और कोमल उस आम के पेड़ के नीचे मिले थे उसी दिन दोनों के कदम वहक गये थे. ये दोनों नादान प्रेमी नही जानते थे कि वो जो कर चुके हैं उसका यह परिणाम भी हो सकता है?
उस समय न तो गाँव में मोबाइल होते थे और न ही अन्य फोन. केवल चिट्ठी ही ऐसा माध्यम थी जो एकदूसरे से बात करवा सकती थी. कोमल ने भी चिट्ठी का सहारा लिया और राज को एक चिट्ठी लिख डाली. दूसरे दिन सुबह कॉलेज जा वो चिट्ठी राज को दी और कहा कि जितनी जल्दी हो सके इसका जबाब दे. राज चिट्ठी ले कॉलेज के पास से चल दिया. आज उसे कोमल के मुख पर चिंता के बादल साफ झलक रहे थे.
राज ने अकेले में जा वो चिट्ठी खोली और पढना शुरू कर दिया, “मेरे राज. आज कुछ और नही कहूँगी क्योंकि आज में बहुत मुश्किल की घड़ी में हूँ. अगर मुझे इस परेशानी से मुक्ति न मिली तो में कुढ़ कुढ़ कर मर जाउंगी और अगर ऐसे न मर पायी तो घर वाले मुझे जिन्दा जला देंगे. तुम्हे पता है मुझे इस बार महीना नही आया है. मुझे आशा है कि तुम इसका मतलब समझते होगे लेकिन फिर भी बताये देती हूँ कि में तुम्हारे बच्चे की माँ बनने वाली हूँ.
जो आम के पेड़ के नीचे तुमने मुझे दिया ये उसी का परिणाम है. अगर तुम और में एक हो गये होते तो ये बहुत खुशी की बात होती लेकिन समाज के बनाये पैमाने पर ये घटना सही नहीं बैठती इसलिए हम ऐसा नहीं कर सकते. तुम जल्दी से जल्दी इस समस्या का हल खोजो. मेरी जान अब इस समस्या के हल में अटकी पड़ी है और इस वक्त तुम्हारे आलावा कोई मेरी मदद नहीं कर सकता. इसलिए तुम जल्दी से जल्दी किसी डॉक्टर से बात कर इस बच्चे को गिराने की कोई दवाई ले कर आओ. मैंने सुना है ऐसी दवाइयां आती हैं जिनसे बच्चा नही होता है. मुझे तुम्हारे जबाब का बेसब्री से इन्तजार रहेगा, तुम्हारी, संकट में पड़ी कोमल."
राज खत को पूरा पढ़ चुका था. उसे नहीं पता था कि उसके ऐसा करने से ये सब हो जाएगा. अब उसकी समझ में नही आ रहा था कि वो खुश होवे या दुखी. एक बाप बनने की भावना उसे दिल में खुश किये दे रही थी लेकिन कोमल की चिंता उसे दुखी किये जा रही थी. अब उसे जल्द से जल्द कोमल को इस संकट से निकालना था. वो नही चाहता था कि कोमल के साथ कुछ भी गलत हो.
उसे ध्यान आया कि एक डॉक्टर के यहाँ वो रोज़ दूध देकर आता है. क्यों न उसी से इस समस्या पर बात की जाय? विना रुके राज साईकिल पर चढ़ सीधा उस डॉक्टर के पास पहुंचा. गाँव में पढ़े लिखे डॉक्टर तो देखने को ही नहीं मिलते. एक पंचायत में एक डॉक्टर होता है वो भी थैला छाप. राज डॉक्टर के पास पहुंचा तो डॉक्टर ने पूंछा, "भाई आज इस समय कैसे?"
राज हिचकते हुए बोला, "डॉक्टर साहब एक बात पूछनी थी इसलिए आया था."
डॉक्टर गाँव का था रोज़ ऐसे ही शर्मीले लोगों से उसका पाला पड़ता था. वह राज को समझाने वाले अंदाज़ में बोला, "अरे मुझसे इतना क्यों झिझकते हो आराम से कहो बात क्या है?"
राज बोला, "अगर किसी औरत को बच्चा गिराना हो तो आपके पास कोई ऐसी दवाई है जो ऐसा कर दे?"
डॉक्टर बोला, “बिल्कुल ऐसी बहुत दवाइयां आती है लेकिन वो एक तय सीमा तक ही दी जा सकती है उसके बाद नहीं. अब तुम मुझे ये बताओ कि कितना समय हुआ है."
राज सोचते हुए बोला, “यही कोई एक महीना सा हुआ है."
डॉक्टर बोला, "फिर तो कोई दवाई असर नहीं कर सकती और खिलाना भी नही क्योंकि परेशानी कम होने की जगह बढ़ सकती है. अब तो एक ही चारा है कि शहर के अस्पताल में जाकर सफाई(गर्भपात) करवा दिया जाय. इसके आलावा कोई चारा नही
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