RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
कोमल में तुम्हारे सर की कसम खाकर कहता हूँ. कभी भी तुम्हे दुखी न होने दूंगा, न ही तुमसे लडूंगा. कहीं जाकर आराम से प्यार की दुनिया बसायेंगे. और तुम तो जानती ही होओगी कि विना ये काम करे हम एक नहीं हो सकते और न ही इस मौजूदा मुसीबत से छुटकारा पा सकते हैं.
जो भी अंजाम होगा देखा जाएगा. लेकिन तुम्हारी कोई अलग राय हो तो वो भी मुझे मंजूर होगी. इस बात का फैसला जितनी जल्दी करो उतना बढ़िया होगा. बाकी बातें तुम्हारे जबाब के बाद, तुम्हारा हो चुका राज."
राज का पूरा खत पढ़ कोमल की हड्डियाँ काँप गयी. उसे पता था राज ने कितनी बड़ी बात सोच ली थी. कोमल को ये भी पता था कि भागने के बाद घर वाले क्या करेंगे? वे कोमल को कुत्तों की तरह दूढेगे और मिलने पर जान से मार देंगे. कोमल ने जल्दी से वो खत फाड़ कर फेंक दिया. अब वो अपने अंदर पैदा हुई हलचल को थामने की कोशिश कर रही थी. जो राज के खत ने पैदा कर दी थी.
उसके बाद सारा दिन कोमल के दिमाग में हलचल होती रही. शाम को कोमल ने रोटी का एक टुकड़ा भी न खाया. रात को सोते समय नींद न आ रही थी. बहुत कोशिश की कि ये बात दिमाग से बाहर निकाल दे लेकिन ये बात ही ऐसी थी कि निकलने की तो छोड़ो और ज्यादा बढ़ती जा रही थी.
एक तो कोमल की पहली समस्या हल नहीं हुई थी ऊपर से ये राज के भागने वाला प्लान उसे अधमरा किये दे रहा था. ये बात सच थी कि कोमल राज से हद से ज्यादा प्यार करती थी लेकिन वो अपने घर और माँ बाप को भी तो नहीं छोड़ सकती थी. ऊपर से ये डर भी था कि अगर भागने के बाद पकड़े गये तो दोनों मार दिए जायेंगे. कोमल खुद की तो चिंता कर ही रही थी साथ में राज की चिंता भी उसे खाए जा रही थी,
कोमल ने खूब सोचा कि इस के अलावा कोई और रास्ता निकल आये लेकिन कोई ऐसा रास्ता अब बचा ही नहीं था. ऊपर से कोमल गर्भवती भी हो गयी थी. राज ने भी खत में इसके अलावा कोई और रास्ता होने से इनकार किया था. फिर कोमल ने फैसला किया कि वो राज के बताये गये रास्ते पर ही चलेगी. मन बहुत डर रहा था लेकिन सोच थम गयी थी. फिर उसे नींद आ गयी और डर व सोच दोनों शांत हो गयी.
सुबह कोमल उठी. राज को देने के लिए फटाफट एक खत लिखा और उसके बाद अपनी बहन देवी के साथ स्कूल जा पहुंची. वहां राज तक वो खत पहुंचाया लेकिन कोमल आज किसी नये हालत से ग्रस्त थी. जिसका अनुमान सिर्फ वही कर रही थी. चिंतित तो राज भी था लेकिन सारा दारोमदार अब उसी के हाथ में था इसलिए बहुत सम्हल कर कदम रख रहा था. उसे डर था कि अगर वो ज्यादा घबराएगा तो कोई न कोई काम बिगड़ जाएगा.
राज ने चिट्ठी को एकांत में ले जाकर पढ़ना शुरू किया. चिट्ठी बड़ी भावुक कर देने वाली थी. जिसमें कुछ ऐसा लिख था, “मेरे सुख दुःख के साथी राज. में आज अपने आप को तुम्हे सौंप रही हूँ. मैंने भी तुम्हारी तरह बहुत सोचा लेकिन इसके आलावा कोई रास्ता नजर न आया कि हम यहाँ से कहीं और चले जाएँ. मुझे नहीं पता कि इस तरह चोरी छुपे भागना कितना ठीक है लेकिन हमारे हालात अभी ऐसा ही करने के लिए कह रहे हैं.
मेरे दिल के अरमान बचपन से घर से डोली में विदा होने के थे. सच कहती हूँ राज मुझे इस बात का कतई अंदाज़ा नही था कि हमें ऐसा भी कुछ करना पड़ेगा. मैंने तो तुम्हारे साथ सात फेरे लेने के बाद जाने का सपना देखा था लेकिन आज तो भाग कर जाना पड़ रहा है.
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