RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग-8
आज का दिन कोमल के लिए वैसा था जैसा कि दुनिया की बर्वादी का दिन हो. एक दुनिया समाप्त कर दूसरी दुनिया बसाने जा रही थी. उन घर परिवार वालों को भी छोड़ कर जा रही थी जिन्होंने उसको किसी और तरीके से विदा करने का सपना देखा था. भाई बहन, माँ बाप, सखी सहेली, घर द्वार, आस पड़ोस सब का सब तो यही छोड़ जाने वाली थी. और वो इमली का पेड़ जो कोमल की खुसबू पहचानता था. और वो छोटू जिसको कोमल ने इस मौसम में इमली खिलाने का वादा किया था.
कोमल का मन बार बार भावुक हो रहा था. एक मन करता था कि जाए ही न लेकिन जब वो माँ बनेगी तब? तब तो ऐसा होगा जिसकी वो कल्पना भी नही कर सकती. कोमल ने वेशक गलती की थी लेकिन सुधारने भी तो वही जा रही थी. क्या करती? यहाँ रहे तब भी तो आफत आनी थी. इससे तो अच्छा है भाग ही जाए. मोहल्ले में बदनामी होगी तो केवल भागने की. यहाँ रहकर तो क्वारी माँ बनने का लांछन लगेगा जो भागने से बुरा है.
कोमल रात को सो नही पा रही थी. खाना तो वह दो दिन पहले से नही खा रही थी. कोमल के बगल में बड़ी बहन देवी पड़ी सो रही थी. कोमल का मन हुआ कि थोडा उससे लिपट ले पता नही फिर कब मिलना हो पाए. उसकी शादी भी मेरे विना ही हो जायेगी. और मेरी तो पता नही शादी होगी भी कि नही. पता नहीं कब तक ऐसे ही हालात बने रहेंगे.
कोमल देवी की तरफ घूमी और उससे ऐसे लिपट गयी जैसे चन्दन के पेड़ से सांप. देवी तो नींद में थी उसे नहीं पता था कि मेरे बगल में लेटी मेरी छोटी बहन कितनी उदास है. या उसे उसके सहारे की जरूरत है. कोमल घर वालों को बहुत याद कर कर के रोती जा रही थी. वो अभी इतनी दुखी थी कि उसकी माँ अगर सामने आ जाती तो कोमल हिल्की भर भर रो पडती. फिर देवी से लिपट कर पड़े पड़े न जाने उसे कब नींद आ गयी पता ही न चला.
कोमल सुबह होते ही उठ बैठी. रात का रोना फिर याद आ गया. उसे याद आ गया कि आज उसे सब लोगों को छोड़ कर जाना है. माँ को देख बार बार कोमल को रोने का मन करता. मन से हूँक उठ रही थी कि रो ले अपनी जन्मदात्री से लिपट कर. उसका तो कोमल पर सबसे ज्यादा हक बनता था. लेकिन इन्सान की कुछ बंदिशे भी होती है जिनको तोड़ पाना उसके लिए बहुत मुश्किल होता है.
कोमल जल्दी जल्दी नहाई धोयी. आँखे सूज कर लाल हो रही थी. सुबह से सबसे प्यार से बोल रही थी. खूब दौड़ दौड़ कर काम कर रही थी. सोचती थी आज चलते समय तो माँ को सुख दे ही चलू, न जाने फिर कब इस माँ के दर्शन होगे जो मुझे अपनी बेटी मानती है? सभी भाई बहनों को सुबह का नाश्ता करवाया लेकिन खुद अभी तक उसने कुछ भी न खाया था.
सब कम करने के बाद कोमल ने मंजा हुआ पीतल का लौटा लिया. उसमे साफ़ पानी डाला. थोडा सा दूध डाला. गमले से सदाबहार पेड़ के फूल लिए. अगरबत्ती के मुद्दे से दोअगरबत्तियां निकाली और फिर छत पर चल दी. जहाँ तुलसी मैया का पेड़ गमले में लगा हुआ था. जहाँ से सूरज देवता साफ़ साफ़ दर्शन देते थे. जहाँ से आज कोमल को अपने लिए दोनों देवी देवता से आशीर्वाद माँगना था.
कोमल तुलसी मैया के सामने जा खड़ी हुई. तुलसी मैया के सामने खड़े होते ही कोमल की याची आखें ऐसे बरस पड़ी मानो इन आखों के पानी से तुलसी मैया की पूजा कर डालेगी. आंसू रुकने का नाम ही न ले रहे थे. कोमल आज सब कुछ अपने आंसूओं से बता देना चाहती हो कि मैया आज मुझपर अपनी कृपा करना. में बहुत मुसीबत में हूँ. मुझे इस मुसीबत से निकलने में मदद करना.
फिर बहती आँखों से सूरज देवता की तरफ देखा. बोला तो कोमल से जा ही नही रहा था इसलिए सूरज देवता से भी मौन भाषा मैं सब कहने लगी. वो सूरज देवता से कह रही थी, "हे सूरज देवता. जैसे दुनिया का अँधेरा हरते हो ऐसे ही मेरे जीवन से भी अँधेरा हर लो. में बहुत दुःख के अँधेरे में फंसी हुई हूँ. मुझ पर कृपा करना मेरे देवता. में जल्दी से जल्दी इस दुःख से मुक्त हो जाऊं ऐसा आशीर्वाद देना."
कोमल रोती हुई तुलसी मैया पर सूरज की तरफ देखती हुई लौटा चढ़ा रही थी. ऐसा लग रहा था कि एक रोती हुई नदी किसी पवित्र पेड़ पर गिर रही हो. दुखो का सैलाव अभी थमने का नाम नही ले रहा था. लेकिन इस दुःख से शायद तुलसी मैया और सूरज देवता का कलेजा जरुर पिघल गया होगा. शायद आज कोमल की मुश्किलें जरुर दूर हो जायेंगी. शायद आज इन कष्टों का अंत जरुर हो जाएगा.
इधर राज भी अपने इष्ट देवों को खुश करने में कोई कसर नही छोड़ना चाहता था. आज राज कोमल के गाँव दूध लाने नहीं गया था. आज तो उसे वो सब करना था जो अब तक की उम्र में उसने किया ही नहीं था. उसने पुडिया में रखी पुरखों की भभूत निकाली. उससे माथे पर तिलक किया फिर उस पीपल के पेड़ के पास गया जहाँ पूरा गाँव जाकर मन्नत मांगता था. पहले राज को इस बात पर इतना यकीन नही था लेकिन आज वो किसी भी देवता से बुराई भलाई लेने के मूड में नही था. और ये पीपल वाले देवता तो उसके ग्राम देवता थे.
पीपल के पास पहुंच उसने देवता से प्रार्थना की. जो इन्सान कभी किसी देवता के पास नही जाता हो और एकदम चला जाय तो उसे अपने आप पर थोड़ी ग्लानी होना स्वभाविक होती है. वो किसी फिल्म का अभिनेता तो नही था जो देवता से कहता कि “आज खुश तो बहुत होगे तुम?"
राज तो एक आम लड़का था जो सिर्फ मजाक मस्ती का जीवन जी रहा था. उसे क्या पता था कि एकदम जिन्दगी इतनी बदल जायेगी? उसे क्या पता था कि किसी लडकी से इतनी मोहब्बत कर बैठेगा? उसे क्या पता था कि जिस देवता को कभी देवता नहीं माना आज उसकी पूजा कर बैठेगा?
राज ने पहले तो इधर उधर देखा कि कहीं कोई है तो नहीं. जब पाया कि कोई नही है तो हाथ जोड़ पीपल वाले ग्राम देवता से बोला, "मेरे गाँव के पूज्य देवता. में जानता हूँ तुम मुझसे खफा होओगे. क्योंकि में कभी तुम्हारे पास प्रार्थना करने नही आया लेकिन देवता में कभी दिल से इस बात को भी न कह पाया कि आप देवता नही हो.
वो तो लडकपन की मस्ती थी जो कभी भगवान के पास आने ही नहीं देती थी लेकिन आज मुझे आपकी जरूरत है इसलिए में आपके पास आया हूँ. आप चाहे तो मुझे स्वार्थी भी कह सकते है लेकिन हूँ तो में आपका ही बच्चा. मेरी गलतियों को भी माफ़ करना आपका ही का काम है. अगर में आपका सगा बेटा होता तो भी आप मुझे माफ़ न करते क्या?
मेरे पूज्य देवता आज मैं कुछ ऐसा करने जा रहा हूँ जो समाज की नजरों में अपराध है लेकिन आपकी नजरों में नही. में जानता हूँ देवता लोग हमेशा मोहब्बत करने का पैगाम देते है. आज में अपनी मोहब्बत को सफल करने का वरदान मांगता हूँ जो आपको देना ही पड़ेगा. आज पहली बार आये इस भक्त को बरदान देने से आपकी महिमा ही बढ़ेगी. इस बेटे को बाप की तरह आशीर्वाद दे दीजिये. मुझे उम्मीद है आप ऐसा ही करेंगे. इतना कह राज वहां से चल दिया. आखों में आंसू साफ़ देखे जा सकते थे जो राज के भावुक होने की खबर दिए जा रहे थे.
उधर कोमल के लिए बहुत भावुक पल थे. वो आज ऐसा महसूस कर रही थी जैसे फिर कभी लौट कर नहीं आएगी लेकिन घरवालों को तो सिर्फ ये पता था कि कोमल स्कूल जा रही है फिर वो क्यों भावुक होने लगे? परन्तु कोमल अपने दिल का राज़ किसी को न बता पाने की ये सजा भुगत रही थी कि वो अकेली ही भावुक हो रही थी.
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