RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
अब कोमल के कॉलेज जाने का वक्त हो गया था. देवी ने पीछे से आवाज लगाई, “चल री कोमल देर हो रही है." कोमल ने चलने की आवाज कानों से सुनी तो दिल ऐसे धकधका गया जैसे विजली कडकी हो. जाने की यादें उसे बार बार भावुक किये जा रही थी.
कॉलेज जाने के लिए उठ खड़ी हुई लेकिन माँ सामने पड़ गयी. फिर क्या था कोमल जो कल रात से माँ को गले लगाने के लिए तडप रही थी वो माँ से ऐसे लिपटी कि माँ का भी रोना छूट गया. दोनों रो रहीं थी. कोमल तो हूँक दे दे कर रो रही थी लेकिन देवी की समझ में नही आ रहा था कि ये दोनों रो क्यों रहीं हैं?
थोड़ी सी देर में ही पूरा घर इकठ्ठा हो गया. सब लोग हडबडाते हुए पूछने लगे कि ऐसा क्या हो गया जो ये दोनों रोये जा रही है? कोमल की हालत बहुत दयनीय थी. अक्सर इस तरह से लडकियाँ विदा होते समय रोती हैं, भावुक तो पूरा घर हो चुका था लेकिन रोन पाया. सब लोगों ने देवी से दोनों के रोने का कारण पूछा तो देवी ने बताया कि उसे खुद नहीं पता कि ये दोनों रो क्यों रही है?
कुछ देर बाद कोमल की माँ कोमल को ढांढस बंधाती हुई बोली, “चुप हो जा मेरी बच्ची और ये बता बात क्या है?" वहां खड़े सब लोगो का दिमाग चकरघिन्नी हो गया. जब माँ को खबर ही नही कि हुआ क्या तो कोमल से लिपट रो क्यों रहीं थीं? जब कोमल की माँ से पूंछा गया तो बोली, “अब क्या बताये ये छबिलिया रोई तो इसे देख कर हम भी रो दिए.” फिर जब कोमल से रोने का कारण पूछा गया तो वह कुछ न बता पायी. आखिर बताती भी तो क्या? राज के साथ भागने का कहती तो अभी माँ ही कोमल के बाल पकड़ सर जमीन दे मारती. कोमल की माँ उससे बोली, "तू परेशान हो तो मत जारी छबिलिया."
कोमल को तो मानो बिच्छू काट गया था. झट से बोली, "नही माँ स्कूल तो जाना जरूरी है. में तो ऐसे ही रो पड़ी थी." इसके बाद देवी और कोमल दोनों स्कूल की और चल दी.
कोमल जाते हुए गाँव. घर. गली की हर चीज को ऐसे देख रही थी जैसे श्रीराम वनवास को जाते समय देख रहे थे. देवी को लग रहा था कि जब से कोमल का राज से मन भंग हुआ है तब से कोमल कुछ पागल सी हो गयी है.
गाँव के बाहर कोमल को बही इमली का पेड़ दिखाई दे गया जिसे वो अपना अकेलेपन का साथी मानती थी. भाग कर इमली के पेड़ से जा लिपटी और उसे चूम लिया फिर पेड़ के तने से फुसफुसा कर कुछ कहा. शायद उसे बता रही हो कि अब मेरा इन्तजार मत करना पता नहीं कब लौट के आऊँ. देवी को अब पूरी तरह यकीन हो गया कि कोमल पर पागलपन का असर हो गया है. किन्तु कोमल तो किसी और ही पागलपन में थी. जो देवी की समझ में अभी नहीं आना था.
दोनों कॉलेज जा पहुंची. कोमल पूरे रास्ते देवी से खूब बात करती गयी. जो आज से महीनों पहले भी नही करती थी और देवी इन बातों को एक पागलपन के असर वाली बातें समझ सुनती गयी. परन्तु कोमल तो उससे इसलिय बात कर रही थी कि पता नही बड़ी बहन से कब मिलना हो लेकिन ये बात देवी को कहाँ मालूम थी, काँटा तो कोमल के पैर में लगा था तो उसका दर्द देवी को कहाँ से होता? आज कॉलेज में अंतिम दिन था कोमल के लिए. पढना तो आज हो ही नहीं सकता था. आज तो राज के साथ भागने की सोच शरीर में सुरसुरी दौडाए जा रही थी. लेकिन इंटरवल तक का समय तो काटना ही था उसके बाद राज आ जायेगा और कोमल इस स्कूल से हमेशा के लिए विदा हो जायेगी. सारी सखी सहेलियाँ, सारी स्कूल की मस्ती, मैदान पर सखियों के साथ विताये पल. सब का सब आज याद आ रहा था.
क्लास में बैठे बैठे ही कोमल ने एक चिट्ठी लिख डाली. ये चिट्ठी उसे देवी को देनी थी. जिससे देवी और घरवालों को पता चल सके कि कोमल कहाँ गयी है? क्यों गयी है? जिससे घरवाले कोमल को ढूंढेगे भी नही. चिट्ठी लिख कर कोमल ने उसे तह बनाकर अपने पास रख लिया. इतने में इंटरवल हो गया. कोमल की धडकन किसी मिल के इंजन की तरह धडक रहीं थी.
कोमल अपनी बहन देवी और सखियों के साथ कॉलेज के मैदान में आ गयी. उसने मैदान से कॉलेज के गेट के बाहर खड़े पेड़ के नीचे नजर दौड़ाई. दिल और जोर से धडक गया. राज उस पेड़ के नीचे ओटक में खड़ा था. साथ में एक लडका साईकिल लिए खड़ा था. साईकिल पर एक मध्यम साइज़ का बैग भी लटका था. कोमल की पूरी देह कंपकपा गयी. उसे पता था चलने का समय निकट है.
कोमल पढने की बहुत शौकीन थी लेकिन राज के प्यार में पड़ने से पहले. अब तो पढाई में मन ही नही लगता था. पढाई की तो छोड़ो किसी भी काम में नही लगता था. न खाने का शौक रहा. न सजने सवरने का शौक रहा. पहले कोमल मेलों में जाती थी लेकिन अब वो भी छूट गया था. जब से राज से प्यार हुआ मोहल्ले में बैठना, भाभियों से मजाकें करना, बच्चों के साथ शरारतें करना सब कुछ ऐसे गायब हो गया जैसे गधे के सर से सींग.
इंटरवल खत्म हुआ. जैसे ही इंटरवल खत्म होने की घंटी बजी. राज और कोमल की नजरें मिली. राज ने इशारा किया, “थोड़ी देर रुक कर आ जाना." कोमल ने इशारे से पूंछा, “ये साथ में कौन लड़का है?" राज ने इशारे से बताया, “दोस्त है लेकिन तुम्हारे बाहर आने से पहले इसे टरका दूंगा."
कोमल और राज के दिलों को तस्सली हुई. कोमल थके क़दमों से क्लास में चली गयी. राज की साँसे अब घड़ी की टिकटिक के साथ चलने लगी. राज ने साथ खड़े लडके को एक चिट्ठी देता हुआ बोला, "ले ये चिट्ठी मेरे घर वालों को दे देना और वो भी दो चार घंटे बाद. अब तू घर जा फिर किसी दिन आऊंगा तुझसे मिलने.
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