RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
इधर कोमल अपने राज की बाहों में बड़ी फुर्सत से लेटी थी. आखों से ख़ुशी के आंसू बह रहे थे. राज भी आनन्द के अतिरेक में दीवाना हो रहा था. सोच रहा था कि आशिकी भी बड़ी अजीब चीज होती है. करो तो आफत न करो तो आफत. कोमल पास नही थी तब
भी परेशानी थी और आज जब पास में है तब भी परेशानी है. दिल करता है कोमल हमेशा पास रहे.
कोमल राज की छाती पर लेटी हुए उसके बाल में अपनी पतली उँगलियों से कंघी कर रही थी. राज इस कंघी को दुनिया की सबसे अच्छी कंघी मान रहा था. कोमल राज की धडकनों को महसूस करते हुए मीठी आवाज में बोली, “कैसा लग रहा है तुम्हे राज मुझे अपने साथ रखकर?"
राज ने कोमल की कजरारी. समुंदरी आँखों में देखते हुए कहा, “कोमल तुम मेरे दिल को भगवान द्वारा दिया हुआ वो नायाब तोहफा हो जिसकी तारीफ़ में कम से कम शब्दों में तो कर ही नहीं सकता. तुम्हारा रूप किसी अप्सरा से कम नही लगता और ये तुम्हारे गुलाबी होंठ ऐसे लगते हैं जैसे गुलाब की दो लम्बी पंखुडियां हों. ये लम्बी नाक जिसमे तुम गोल नथुनी पहनी हो ये नथुनी का लश्कारा मुझे मारे डालता है. और ये गोरे गोरे कानों पे ये सादा से कुंडल ऐसा लगता है ये सिर्फ तुम्हारे चेहरे के हिसाब से ही बनाये गये हों."
राज यह सब कहते हुए कोमल के प्यारे से मुखड़े को स्पर्श किये जा रहा था. पहले आखें. फिर होंठ. फिर नाक और फिर कान जो कुण्डलों से सजे हुए थे.
कोमल वैसे तो अपनी तारीफ़ सुन वावली हुई जा रही थी लेकिन फिर भी इतराती हुई राज से बोली, “अब रहने भी दो कवि जी कि मेरी सुन्दरता पर कोई कविता लिखने का मन है? इतनी भी सुंदर नहीं हूँ में जितना तुम बता रहे हो."
राज तडप कर बोला, "नही नही कोमल. में सच कह रहा हूँ. तुम बेशक न मानो लेकिन तुम मेरे लिए किसी अप्सरा से कम नहीं हो. में अपने सर की कसम खा कर कहता हूँ कोमल बेगम. तुम एक ऐसी लड़की हो जिसे में किसी भी हिस्से से खराब नही बता सकता. में तुम्हारे मखमली बदन के जिस भी हिस्से को देखता हूँ वही नायाब दिखाई देता है. अगर तुम मुझसे कहों कि मेरे शरीर का सबसे सुंदर अंग कौन सा है तो शायद में बता ही न पाऊं."
कोमल मादक हो राज की तारीफों को सुनती ही जा रही थी. उसे होश ही कहाँ था कोई जबाब देने का? दोनों एक दूसरे को आगोश में लिए हुए पड़े थे. दोनों को ही आसपास की कोई खबर नही थी. अभी कोई चिन्ता भी उनके दिमाग में नही आ रही थी.
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