RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
इधर राज और कोमल आम के पेड़ के नीचे इश्क की नींद में आहें भर रहे थे. दोनों के जिस्म फिर से एक होने जा रहे थे. दोनों एक दूसरे से साँपों की तरह लिपटे पड़े थे. उन्हें नहीं पता था कि कोमल के घर वाले क्या कर रहे होंगे या राज के घरवाले क्या कर रहे होंगे? काश कि उन्हें पता होता कि थोड़ी बहुत देर में दोनों परिवारों में आग लगने की नौबत आने वाली है तो इतना मदहोश न हो रहे होते.
कोमल की तरफ के लोगों ने राज के गाँव पहुंच पहले अपनी जान पहचान के लोगों से बात की फिर उन्हें साथ लेकर राज के घर जा धमके. राज का बाप महतो पहले से इस बात के लिए तैयार बैठा था. उसे पता था कि ये होगा ही होगा. कोमल की तरफ के लोगों में से एक ने पूछा, “ये महतुआ कहाँ है रे?"
राज का बाप महतो वहीं बैठा था बोला, “में यहाँ हूँ जनाब. मेरे लिए सेवा वताइये.
भगत तो चुपचाप खड़े थे लेकिन राजू, संतू, पप्पी और दद्दू ये सब राज के बाप महतो पर अकड रहे थे. कहते थे लड़का कहाँ है तेरा जल्दी से बता? हमारी लडकी को ले जाना उसे बहुत भारी पड़ेगा.
राज के बाप ने हाथ जोड़कर कोमल के पक्ष के लोगों से कहा, “भैय्या लोगो में आप की बात से सहमत हूँ और आपका गुस्सा भी जायज है. शायद मेरी लडकी को कोई ऐसे भगा ले जाता तो में भी ऐसे ही करता. लेकिन में भगवान की कसम खाकर कहता हूँ मुझे राज के बारे में कोई खबर नहीं है. मुझे तो उसने एक लडके के हाथ खत भिजवाया तब मुझे मालुम हुआ कि ऐसा कुछ हुआ वरना इससे पहले तो मुझे इस बात की भनक भी नही थी."
कुछ लोग राज के बाप की बात से सहमत थे लेकिन उनमें ऐसे भी लोग थे जो इस बात को झूठ समझ रहे थे. फिर राज के दोस्तों से पूछताछ होने लगी. लेकिन राज ने किसी को कुछ बताया ही नही था तो कोई क्या बताता?
कोमल के घर के कुछ नये लड़कों का मत था कि इस साले राज की बहन को उठा ले चलो. वो अपने आप लौट कर आ जायेगा. या राज के घर में आग लगा दो तभी इन सालों को अक्ल आएगी. लेकिन समझदार लोगों ने उन लडकों को वहीं पर डपट दिया और कहा यहाँ कोमल को लेने आये हो या बराबरी करने? अभी एक मामले से सुलझे नही दूसरा और तैयार कर लो फिर तो हो गया फैसला.
लडके शांत तो हो गये लेकिन उनके दिल में आग लगी हुई थी. शायद उन्हें गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि ये कमबख्त राज ही क्यों लडकी भगा ले गया? हमने भी तो अपने इलाकों में इश्क किया हमें तो किसी लड़की ने घास ही नहीं डाली? ये राजवा में ऐसी क्या खास बात थी जो कोमल उसके साथ भाग ली? लडकों को गाँव की इज्जत कम अपनी भडास ज्यादा उलाहना दे रही थी. उन्हें इस समय अगर राज मिल जाता तो उसकी हड्डी और मांस अलग अलग कर देते.
कोमल के खानदान वालों और परिचय वाले लोगों के बीच बातचीत हुई. संतू, पप्पी, राजू, दद्दू और भगत सहित सब लोग मान गये कि राज के बाप को सचमुच में कुछ ज्यादा नहीं मालूम है. लेकिन राज का पता लगाना भी तो बहुत जरूरी था. राज के गाँव के खास लोगों से उसके घर के चारो तरफ नजर रखने के लिए बोला गया.
अब बात आई पुलिस में खबर देने की. इस पर पूरे खानदान की राय एक जैसी ही थी कि पुलिस आज तक उनके यहाँ फैसले करने नहीं आई तो आज भी नही आएगी. ये उनके खानदान की इज्जत से खिलवाड़ करना होगा. लडकी का मामला सब लोग मिलकर सुलझाएंगे फिर पुलिस की जरूरत ही क्या है? पुलिस के आने से खानदान की इज्जत का फालूदा होने का भी डर था. यह सोच पुलिस का नाम लिस्ट से कैंसिल कर दिया.
अब तैयारी थी राज की रिश्तेदारी में उसकी तलाश करने की. राज के बाप महतो से पूछा गया कि उसे किस रिश्तेदार के यहाँ राज के ठहरने का अंदेशा है? महतो ने सोचते हुए कहा, “ऐसा तो कोई अनुमान नहीं है मुझको लेकिन आज ही सब लोगो को चिट्ठी लिखे देता हूँ तो जिसके पास भी राज पहुंचेगा वही मुझे खबर कर देगा."
राजू गुर्राता हुआ बोला, "इतना समय नहीं है हमारे पास कि चिट्ठी के जबाब का इन्तजार करें. हमें सारी रिश्तेदारियों के पते लिख कर दो हम आज ही लोगों को भेजकर दिखवा लेंगे."
महतो इस बात पर भी राजी हो गया. वह घर में गया और सब रिश्तेदारों के पते लिखना शुरू कर दिया.
कोमल के पक्ष के लोगों की आँखों में खून के डोरे थे लेकिन राज की तरफ के लोग बहुत शांत और सहमे दिखाई दे रहे थे. कारण था कि लडकी का पक्ष इस तरह के मामलो में भारी होता है. लोग लडकी को अपनी इज्जत का प्रतीक बना देते हैं. भागी हुई लडकी अपवित्र हो
जाती है लेकिन लड़का पवित्र ही रहता है.
ऐसे ही जिसकी लडकी भागी वो आदमी लडके वाले की अपेक्षा ज्यादा शर्मिंदा होता है. जमाने के लोग भी उसे गिरी नजरों से देखते हैं. लेकिन लडके वालों से लोग हंसकर कहते हैं कि तुम्हारे लडके ने तो गाँव का नाम रोशन कर दिया. किसी की लडकी भगा लाया. बाह रे जमाने के क़ानून?
अभी तरह तरह की चर्चाएँ चल ही रहीं थी कि एक किसान ने खबर दी कि उसने दोपहर के समय एक लड़का और लडकी को उस भूतों के बसेरे वाले आम के पेड़ की तरफ जाते देखा था लेकिन वो लोग अभी वहां से लौटे नहीं हैं.
किसान से जब हुलिया बताया तो कोमल के घरवालों को पूरा यकीन हो गया कि ये लोग जरुर राज और कोमल होंगे. सारे के सारे लोग उधर ही भाग छूटे. उधमी लडके जो राज से पहले ही चिढ़े हुए थे. वो तो ऐसे भाग रहे थे मानो ये उनके जीने मरने की बात हो.
राज के घरवाले भी उधर ही भाग छूटे. सोचा कहीं ये खून के प्यासे लोग राज को मार ही न डालें? धीरे धीरे करके पूरा गाँव उधर ही दौड़ लिया. ऐसा लगता था कि गाँव में कोई आफत आ पड़ी इसलिए गाँव के लोग गाँव से बाहर भागे जा रहे हैं. लेकिन उन दो प्रेमियों का आज क्या होगा जिन्होंने साथ जीने और मरने की कसमें खा ली थी? जो बेखबर उस आम के पवित्र पेड़ के नीचे एकदूसरे को बाहों में भरे लेटे हुए थे.
वो तो दिन छिपते ही यहाँ से कहीं दूर भागने की योजना बना चुके थे और कोमल की कोख में तो एक नन्ही जान भी आ चुकी थी. अब उसका भविष्य क्या होगा? घरवालों ने राज या कोमल में से किसी को भी जान से मार दिया तो? या दोनों को मार दिया तो?
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