RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
दोनों ही एकदूसरे के विना तड़पेगे. और मिलन न हो पाया तो शायद मर भी जाएँगे. अगर मर गये तो शायद फिर कोई कोमल इस गाँव में प्रेम न करेगी. और करेगी भी तो सौ बार सोच कर क्योंकि उसे पता होगा कि मुझे इसके बदले क्या मिलेगा?
कोमल को अलग. फिर राज की ऐसी धुनाई करनी शुरू कर दी जैसे ये राज न हो कोई रुई का बोरा हो. लोग राज को मार रहे थे. राज अधमरा हुआ जा रहा था. राज को पिटता देख कोमल चीख चीख कर कह रही थी, “भगवान के लिए इसे छोड़ दो. इसकी कोई गलती नहीं सारी गलती तो मेरी है."
आज कोमल के सामने राज को इतनी बुरी तरह से मारा जा रहा. ये सब कोमल के खानदान के ही लोग थे जो रोज कोमल की बात को सुनते थे लेकिन आज एक के भी कान पर जूं तक नहीं रेंग रही थी.
कोमल एकदम से उन लोगों के हाथ से छूटी और राज के पास जा उसे लोगों की पिटाई से बचाने लगी. इतना देख कोमल के खानदान के दद्दू और संतू को गुस्सा आ गया. दोनों ने आ गिना न ता कोमल के बाल पकड उसे दूर तक घसीट दिया. उसके मुंह पर इतने जोरदार थप्पड़ मारे कि कोमल सुन्न पड़ गयी. कानों में आवाजें आनी बंद हो गयी. फिर बेहोश हो वहीं पर गिर पड़ी.
राज पिटता पिटता बेहोश हो चुका था लेकिन जमाने के ठेकेदारों ने उसे अभी तक मारना बंद न किया था. राज के बूढ़े बाप ने भगत के पैर पकड़ लिए. भगत ने लडकों से राज को छुडवा दिया. लड़कों का मन तो राज के टुकड़े टुकड़े कर कुत्तों को खिलाने का था. भगत बेचारे शांत थे. उनके दिल का एक टुकड़ा उनकी बेटी कोमल बेहोश पड़ी हुई थी. किसी ने उसकी फिकर इस लिए नहीं की कि भागी हुई लड़कियों की हालत ऐसी ही होनी चाहिए.
फिर सब लोगों में बात हुई कि अब घर चला जाय, भगत ने कोमल की और देखा फिर अपने लडकों से कहा, "देखो रे इस छोरी को क्या हुआ?"
दद्दू बड़ा निकम्मा था. भगत के लडके कुछ कहते उससे पहले बोल पड़ा, “अरे कुछ नही हुआ इस रेढा को, चलो इसे
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