RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भगत का मन करता था कि एकबार कोमल को जगाकर बात कर लें लेकिन हिम्मत नहीं हुई. थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद उठकर फिर से गोदन्ती के पास आ बोले, “देखकर लगता है कि कोमल अभी भी बच्ची है. समझ में नही आता कैसे इसे मारने के लिए हाँ कह दूँ?"
गोदन्ती कुम्हलाते हुए बोली, “मन तो मेरा भी यही कहता है लेकिन ये उस कलमुहे मोहना के साथ गर्भ से है. अगर कुछ हो हा गया तो मुंह दिखाने के काविल नहीं रहेंगे."
भगत को लगा कि किसी ने उनके ऊपर बम गिरा दिया है. बोले, “तुम से किसने कहा कि ये गर्भ से है?
गोदन्ती घृणाभाव से बोली, “इस छोरी ने ही चिट्ठी में लिखा था."
भगत आश्चर्य से बोले, "लेकिन कल तो तुमने बताया ही नहीं था."
गोदंती फटाक से बोली, “कल आधी बात सुनते ही आपकी ये हालत हुई तो वाकी की बात बताने का ध्यान ही न रहा."
भगत निढाल हो गये. अपने सर पर हाथ मारकर कहने लगे, “ये तो अनर्थ कर दिया इस छोरी ने. क्या तुम्हारे हिसाब से कुछ हो सकता है जिससे ये लडकी पाक साफ़ हो जाय?"
गोदन्ती सोच में पड़ती हुई बोली, “अब क्या हो सकता है? शायद ओपरेशन से ही बच्चा निकला जा सके और ऐसा किया तो सबको खबर हो जायेगी. अभी जितनी भी इज्जत बची है सब की सब मिटटी में मिल जायेगी. कहीं भी मुंह दिखाने के लायक नही रहेंगे."
भगत वावलों की तरह बोले, “तो फिर इन लोगों की बात मान लें.जान से मार दे इस छोरी को?"
गोदंती के आँखों में आंसू आ गये. बोली, “में उसकी माँ हूँ. मुझसे पूछोगे तो में मना ही करूँगी. तुम्हारी जैसी इच्छा हो वैसा करो लेकिन मुझे बार बार बताओ मत. दिल फटता है सुनने से."
गोदन्ती को रोते देख भगत भी भावुक हो उठे. बोले, “तुम अगर माँ हो तो में क्या उसका दुश्मन हूँ? होगा तो मुझसे भी कुछ नही लेकिन इस लड़की ने हमे इस समाज की बातों पर चलने को मजबूर कर दिया है. अब किस किस से कहें? पहले केवल भागने का हल्ला था अब गर्भवती होने का हल्ला भी हो जाएगा. इस एक लडकी की वजह से कितने लोग परेशान हो गये हैं." ____
गोदन्ती की आँखों से आंसू लगातार बह रहे थे. भगत की भयभीत आँखें भी अब रो रहीं थीं. उस बाप और माँ की स्थिति का अंदाज़ा लगाना बहुत मुश्किल होता है जिसकी लडकी किसी रुढ़िवादी समाज में रहते हुए किसी लड़के के साथ भाग जाए. ऊपर से उसी के साथ गर्भवती भी हो जाय. ऊपर से लड़का किसी दूसरी या निम्न समझी जाने वाली जाति का हो. सारे नकारात्मक पहलु कोमल की किस्मत में ही आ लगे थे. प्यार होना फिर गर्भवती होना, जिस लडके से प्यार किया उसकी जाति दूसरी होना.
भगत बहुत बड़ी अनिश्चितताओं से घिरे हुए कोई ऐसा हल निकालने की कोशिश में लगे हुए थे जिससे कोमल की जान भी बच जाए और कोई बदनामी भी न हो, लेकिन दोनों हाथों में लड्डू नही होने वाली कहावत भगत के साथ भी हो रही थी. भगत को दोनों में से कोई एक चीज चुननी थी. बदनामी या कोमल. अब क्या करते? और भी तो लडके लडकियाँ थे भगत के पास.उनकी शादी करना. खुद भी गाँव में रहना. ये सब कारण उनकी हिम्मत को तोड़े जा रहे थे.
यह सब सोचते हुए भगत उठ खड़े हुए. आँखों में एक अजीब सा मंजर था जो कुछ अनहोनी का संकेत दे रहा था. गोदन्ती उस मंजर को भगत की बीबी होने के नाते समझ चुकी थी. वो चूल्हे के पास गर्मी में बैठी बैठी सर्दियों के मौसम की तरह काँप रही थी. भगत बाहर बैठे अपने घराने के लोगों के पास जा पहुंचे. सब लोग अपनी अपनी बातें बंद कर भगत को ऐसे देख रहे थे मानो वे कोई खास बात कहने जा रहे हों. भगत रुंधे हुए गले से बोले, "तुम लोगों को जो सही लगता है वो में करने को तैयार हूँ. लेकिन जो भी करना है आप लोगों को ही करना है. मुझसे रत्ती भर भी ये काम न हो सकेगा. जब भी करना हो मुझे बता दीजियेगा."
इतना कह भगत चुप हो गये. सब लोग अभी भी शांत बैठे थे.
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