RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग - 11
उधर राज के घरवाले लगातार राज को समझा रहे थे लेकिन राज की एक ही जिद थी कि कोमल को देखने जाना है. राज का पूरा घर जानता था कि अगर राज कोमल के गाँव के आसपास भी गया तो जीवित न लौटेगा.
पहले ही उन लडकों से न जाने कैसे कैसे बचाकर लाये थे. अबकी बार तो वे लोग राज को जान से ही मर डालेंगे. लेकिन राज मानने को राजी ही नही था. राज के बाप ने कई बार राज के गालों पर थप्पड़ भी मारे थे लेकिन राज की एक ही धक थी. कोमल, कोमल और कोमल.
सारे उपाय खत्म हुए तो राज के बाप महतो ने दिमाग में कुछ सोच राज से कहा, "देख राज तेरा जाना कोमल की जान के लिए भारी पड़ सकता है. कल भी वो लोग कह रहे थे कि अब तुझे उनके गाँव की तरफ देखा तो जान से मार देंगे और कोमल तुझसे मिली तो उसे जान से मार देंगे. अब तू चाहता है कि कोमल मारी जाय? चाहता है तो जाकर देख आ? हमें कोई आपत्ति नही. वैसे तो तू कहता है कि उसके विना जिन्दा नही रहेगा और वो मर गयी...."
राज तडपकर बीच में ही बोल पड़ा, “पापा ऐसी असगुनी बातें क्यों करते हों? अगर ऐसी बात है तो नहीं जाता उसके गाँव लेकिन आप किसी से खबर तो करबा सकते हो कि वो है कैसी?"
महतो मन में खुश होते हुए बोले, “ये काम तो तेरा करवा के रहूँगा लेकिन तू भूल के भी उधर जाने की कोशिश न करना."
राज ने बाप की बात पर हाँ में सर हिला दिया. महतो का दिमाग काम कर गया था. कोमल के मरने की बात ने राज के दिमाग को पूरी तरह से बदल दिया था.
महतो अब राज को इस गाँव से कुछ दिन के लिए कहीं भेज देना चाहते थे लेकिन राज को बातों में फंसाकर ही कहीं भेजा जा सकता था, राज के बाप को अब कोई ऐसी तरकीब निकालनी थी जिससे राज को यहाँ से कहीं दूर भेज सकें.
शाम हुई. भगत और घर के अन्य लोगों के दिलों की धडकनें थामे न थम रहीं थीं. भगत ने सुबह से खाना न खाया था और न ही गोदन्ती ने. बच्चे जो समझदार थे उन्होंने भी ऐसा ही उल्टा सीधा खाया. एक छोटे बच्चे जरुर थे जो पेट भर खा चुके थे क्योकि उन्हें इस देश दुनिया की खबरों से ज्यादा सरोकार नही था. कोमल की बहन देवी छुप छुप कर रोती थी. उसने कोमल को बहुत समझाया था लेकिन कोमल इस बात को न समझ सकी और आज अपने आप को खत्म सा कर बैठी.
उधर महतो ने शाम को घर पहुंचकर राज से कहा, "बेटा अब तुम्हें यहाँ से भागना पड़ेगा.”
राज ने हडबडा कर पूंछा, “क्यों पापा क्या हुआ?"
महतो झूठ बोलते हुए बोले, “मैंने खबर पायी है कि कोमल के घरवाले किसी भी वक्त तुझे मारने के लिए यहाँ आ सकते हैं. और तुम्हारे साथ साथ हमें भी मार सकते है क्योंकि तुम्हें मरते हुए हम नहीं देख पाएंगे. फिर जब हम उन लोगों से लड़ेंगे तो वो हम को भी मारेंगे."
राज हडबडा कर बोला, “तो फिर क्या किया जाय जिससे आप लोगों को कुछ न हो क्योंकि मुझे अपनी कोई चिंता नही है?
महतो उसको समझाते हुए बोले बोले, "तुम इसी वक्त अपनी बुआ जी के यहाँ के लिए रवाना हो जाओ. जब तक ये रार शांत नही होती तुम वही रहो उसके बाद यहाँ आ जाना. मैंने तुम्हारे जाने का सारा इंतजाम कर दिया है. और देखो वहां भी इधर उधर कहीं मत निकलना. कौन कब भेदी बन जाए पता नहीं चलता."
राज यहाँ से जाना तो नहीं चाहता था लेकिन घरवालों की जान उसके लिए बहुत कीमती थी इस कारण वह अपनी बुआ के यहाँ जाने के लिए तैयार हो गया. वो अपने पिता से बोला, "तो फिर में चला जाता हूँ लेकिन कोमल की कोई खबर मिली?"
महतो फिर से झूठ बोलते हुए बोले, “हाँ वो लडकी ठीक ठाक है. मैंने सब पता कर लिया है."
राज अपने बाप पर बहुत भरोसा करता था. कोमल के ठीक ठाक होने की खबर से आश्वस्त होने के बाद वह अपनी बुआ के यहाँ चलने को तैयार हो गया. राज की बुआ का गाँव पास के ही जिले में पड़ता था. एक गाँव का ही आदमी राज को मोटर साईकिल से उसकी बुआ के गाँव तक छोड़ने जा रहा था.
जाते समय महतो ने राज को समझाते हुए कहा, “पहुंचते ही खत लिख देना." राज ने हाँ में सर हिला दिया. महतो ने राज को गले से लगा विदा कर दिया. राज तो चला गया लेकिन महतो को अपने झूठ बोलने पर पछतावा हो रहा था. सोचते थे राज उन पर इतना विश्वास करता है लेकिन फिर भी उन्होंने इतना झूठ बोला. लेकिन इसके अलावा करते भी क्या? राज यहाँ रहता तो कभी न कभी कोमल के गाँव जाने की कोशिश करता. और हो सकता था मारा भी जाता? इसलिए महतो ने ये झूठ बोलकर राज को यहाँ से दूर भेज दिया. आज महतो को राज के विना पूरा घर सूना सा लग रहा था. सोचते थे अभी तो राज पूरी तरह से ठीक भी न हुआ था और घर से दूर भी भेज दिया. लेकिन राज के पिता महतो को इससे अच्छा राज के लिए कुछ और न लग रहा था.
इस वक्त महतो के दिमाग में राज का व्याह करा देने का विचार प्रवल हो रहा था. सोचते थे शादी होने से राज का ये लडकपन खत्म हो जाएगा. घर गृहस्थी का बोझ पड़ेगा तोअपने आप सब भूल जाएगा. बीबी आएगी तो कोमल की याद अपने आप भूल जाएगा, उसके बाद बच्चे होंगे फिर राज को ये सब बातें याद भी न रहेगी. में भी अपना बुढ़ापा चैन से काट लूँगा. अब बस जल्दी से जल्दी राज के हिसाब की कोई लड़की मिल जाए तो झट से राज की मंगनी करा डालू.
भगत के घर के बाहर से घराने के लोगों की आवाजें आनी शुरू हो गयीं थी. घर में बैठे भगत और गोदन्ती सहित सभी बच्चों के दिल में एक अजीब सा भय पैदा हो गया. सबको पता था कि कोमल कुछ ही देर में मार दी जायेगी.
तभी बाहर से भगत के लिए आवाज आई. ये आवाज ददू की थी. वो भगत को बाहर बुला रहा था. भगत की देह में सुरसुरी दौड़ गयी. भगत उठ खड़े हुए लेकिन उठते समय आँखों के सामने अँधेरा छा गया.
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